बंजर भूमि किसे कहते हैं वर्गीकरण - banjar bhoomi kise kahate hain vargeekaran

Banjar Bhumi Kise Kehte Hai

Pradeep Chawla on 12-05-2019

ऊसर या बंजर (barren land) वह भूमि है जिसमें लवणों की अधिकता हो, (विशेषत: सोडियम लवणों की अधिकता हो)। ऐसी भूमि में कुछ नहीं अथवा बहुत कम उत्पादन होता है।

सम्बन्धित प्रश्न



Comments SONU kumar on 09-11-2021

Banjr bhumi kise cahte he

मनीष on 25-10-2021

Banjar bhumi me kon konse sthriy bhag shamil hai

Sunny on 07-08-2021

भूमि में कौन-कौन से स्थलीय भाग सम्मिलित हैं

तुषार साहू on 05-01-2020

Ap kya karthe ho

Sushil mishra on 06-12-2019

उपजाऊ जमीन को बंजर कैसे बनायें???

तनु on 02-12-2019

राज्य सभा की अध्यक्षता कौन करता है

Gulshan kumar on 26-05-2019

Banjar Bhumi ki se kehte hain

Ramdhani on 12-05-2019

Kay banjar Jamin par bhumihin byakti makan banvakar Rah sakta hai

बंजर जमीन किसे कहते है on 07-04-2019

बंजर जमीन किसे कहते है

Amanyadav on 14-01-2019

बंजर भूमि किसे कहते हैं बताइए

Upbhokta kya hai on 30-12-2018

Upbhokta kya hai

ऊसर या बंजर (barren land) वह भूमि है जिसमें लवणों की अधिकता हो, (विशेषत: सोडियम लवणों की अधिकता हो)। ऐसी भूमि में कुछ नहीं अथवा बहुत कम उत्पादन होता है।

ऊसर बनने के कारण[संपादित करें]

  • जल भराव अथवा जल निकास की समुचित व्यवस्था का न होना
  • वर्षा कम तापमान का अधिक होना
  • भूमिगत जल का ऊंचा होना
  • गहरी क्षेत्रों में जल रिसाव होना
  • वृक्षों की अन्धाधुंध कटाई
  • भूमि को परती छोड़े रहना
  • भूमि में आवश्यकता से अधिक रसायनों का प्रयोग करना तथा कभी भी जैविक खाद, कम्पोस्ट खाद, सड़ी गोबर की खाद तथा ढ़ैचा की हरी खाद का प्रयोग न करना
  • लवणीय जल से सिंचाई करना

ऊसर सुधार की विधि (तकनीकी)[संपादित करें]

ऊसर सुधार की विधि क्रमबद्ध चरणबद्ध तथा समयबद्ध प्रणाली है इस विधि से भूमि को पूर्ण रूप से ठीक किया जा सकता है।

सर्वेक्षण[संपादित करें]

- बेहतर जल प्रबन्ध एवं जल निकास की समुचित व्यवस्था हेतु सर्वेक्षण।

बोरिंग स्थल का चयन[संपादित करें]

1.स्थल ऊँचे स्थान पर चुना जाये।

2. जिस सदस्थ के खेत में वोरिंग हो वह बकायादार न हो।

3. एक बोरिंग की दूरी दूसरे से 200 मी0 से कम न हो।

मेड़बन्दी[संपादित करें]

-यह कार्य बरसात में या सितम्बर अक्टूबर में जब भूमि नम रहती है तो शुरू कर देनी चाहिए।

-मेड़ के धरातल की चौड़ाई 90 सेमी ऊंचाई 30 सेमी तथा मेड़ की ऊपरी सतह की चौ0 30 सेमी होनी चाहिए।

-मेड़बन्दी करते समय सिंचाई नाली और खेत जल निकास नाली का निर्माण दो खेतों की मेड़ों के बीच कर देना चाहिए।

जुताई[संपादित करें]

- भूमि की जुताई वर्षा में या वर्षा के बाद सितम्बर अक्टूबर या फरवरी में करके छोड़ दें जिससे लवण भूमि की सतह पर एकत्र न हो।

-भूमि की जुताई 2-3 बार 14-20 सेमी गहरी की जाये खेत जुताई से पूर्व उसरीले पैच को 2 सेमी की सतह खुरपी से खुरचकर बाहर नाले में डाल दें।

समतलीकरण[संपादित करें]

-खेत को कम चौड़ी और लम्बी-2 क्यारियों में बाटकर क्यारियों का समतलीकरण करना चाहिए।

-जल निकास नाली की तरफ बहुत हल्का सा ढ़ाल देना चाहिए ताकि खेत का फालतू पानी जल निकास नाली द्वारा बहाया जाये।

-मिट्टी की जांच करा ले आवश्यक 50 प्रतिशत जिप्सम की मात्रा का पता चल पाता हैं।

सिंचाई नाली, जल निकास नाली तथा स्माल स्ट्रक्चर का निर्माण[संपादित करें]

-खेत की ढाल तथा नलकूप के स्थान को ध्यान में रखते हुए सिंचाई तथा खेत नाली का निर्माण करना चाहिए।

-सिंचाई नाली भूमि की सतह से ऊपर बनाई जाये, जो आधार पर 30 सेमी गहरी तथा शीर्ष पर 120 सेमी हो।

-खेत नाली भूमि की सतह से 30 बनाई जाये, जो आधार पर 30 सेमी गहरी तथा शीर्ष पर 75-90 सेंमी हो।

लिंक ड्रेन[संपादित करें]

यह 50 सेमी गहरी आधार पर 45 सेमी और शीर्ष पर 145 सेमी और साइड स्लोप 1:1 का होना चाहिए

जिप्सम का प्रयोग एवं लीचिंग[संपादित करें]

- समतलीकरण करते समय खेत में 5-6 मी चौड़ी और लम्बी क्यारियां बना लें तथा सफेद लवण को 2 सेमी की सतह खुरपी से खुरच कर बाहर नाले में डाल दें।

- फिर क्यारियों में हल्का सा पानी लगा दें चार पांच दिन बाद निकाल दें जिससे लवण लीचिंग द्वारा भूमि के नीचे अथवा पानी द्वारा बाहर निकल जायेंगे।

- समतलीकरण का पता लगाने के लिये क्यारियों में हल्का पानी लगा दें। तथा हल्की जुताई करके ठीक प्रकार से समतल कर लें।

क्यारियों में जिप्सम मिलाना

- जिप्सम का प्रयोग करते समय क्यारियां नम हो।

- बोरियों को क्यारियों में समान रूप से फैला दें।

- इसके बाद देशी हल या कल्टीवेटर की सहायता से भूमि की ऊपरी 7-8 सेमी की सतह में जिप्सम मिला दें और फिर हल्का पाटा लगाकर क्यारियों को समतल कर लें।

लीचिंग

- क्यारियों में जिप्सम मिलाने के बाद 10-15 सेमी पानी भर दें और उसे 10 दिनों तक लीचिंग क्रिया हेतु छोड़ दें।

- 10 दिनों तक क्यारियों में 10 सेमी पानी खड़ा रहना चाहिए। यदि खेत में पानी कम हो जाये तो पानी और भर देना चाहिए। इसलिए जरूरी है कि क्यारियों में दूसरे-तीसरे दिन पानी भरते रहें।

- लीचिंग क्रिया हर हालत में 5 जुलाई तक पूरी हो जाये जिससे 10 जुलाई तक धान की रोपाई की जा सकें।

लीचिंग के बाद जल निकासी

- 10 दिनों बाद खेत का लवणयुक्त पानी खेत नाली द्वारा बाहर निकाल दें।

- लीचिंग के बाद अच्छा पानी लगाकर धान की रोपाई, 5 सेमी पानी भरकर ऊसर रोधी प्रजाति की 35-40 दिन आयु के पौधे की रोपाई कर दें।

अन्य मृदा सुधारक रसायन[संपादित करें]

(अ) अकार्बनिक: जिप्सम, पायराइट, फास्फोजिप्सम, गन्धक का अम्ल

(ब) कार्बनिक पदार्थ: प्रेसमड, ऊसर तोड़ खाद, शीरा, धान का पुआव धान की भूसी, बालू जलकुम्भी, कच्चा गोबर और पुआंल गोबर और कम्पोस्ट की खाद, वर्गी कम्पोस्ट, सत्यानाशी खरपतवारी, आदि।

(स) अन्य पदार्थ: जैविक सुधार (फसल और वृक्षों द्वारा) ढैचा, धान, चुकन्दर, पालक, गन्ना, देशी, बबूल आदि।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • क्षारीय भूमि
  • भूमि का पीएच मान (pH)

बंजर भूमि को कितने भागों में बांटा गया है?

(स) कृषि योग्य बंजर भूमि जहाँ पाँच से अधिक वर्षों से खेती न की गई हो । 4. परती भूमि (अ) वर्तमान परती (जहाँ एक कृषि वर्ष या उससे कम समय से खेती न की गई हो ) भारत का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 32.8 लाख वर्ग किमी.

बंजर भूमि का मतलब क्या होता है?

ऊसर या बंजर (barren land) वह भूमि है जिसमें लवणों की अधिकता हो, (विशेषत: सोडियम लवणों की अधिकता हो)। ऐसी भूमि में कुछ नहीं अथवा बहुत कम उत्पादन होता है

भारत में कितने प्रतिशत भूमि बंजर है?

जमीन आमतौर पर पानी की कमी के कारण बंजर होती है। इस कारण ही देश की 10.98 प्रतिशत जमीन बंजर है। कृषि से जुड़ी सभी खबरें हिंदी में पढ़ें।

बंजर भूमि पर कब्जा के नियम up?

आदेशों में स्पष्ट किया गया है कि ऐसे कब्जाशुदा जमीन पर बना हुआ मकान केवल सिवायचक भूमि पर बना हुआ होना जरूरी है। यदि गोचर या आगोर भूमि पर कब्जा कर मकान बनाया हुआ पाया गया तो उन्हें पट्टे नहीं मिलेंगे। सरकारीभूमि पर बने मकानों का पट्टा अधिकतम 300 वर्ग गज की भूमि का ही बनेगा।