न्यायपालिका की स्वतंत्रता या न्यायिक स्वातंत्र्य (Judicial independence) से आशय यह है कि न्यायपालिका को सरकार के अन्य अंगों (विधायिका और कार्यपालिका) से स्वतन्त्र हो। इसका अर्थ है कि न्यायपालिका सरकार के अन्य अंगों से, या किसी अन्य निजी हित-समूह से अनुचित तरीके से प्रभावित न हो। यह एक महत्वपूर्ण परिकल्पना है। न्यायिक स्वातंत्र्य के लिए भिन्न-भिन्न देश भिन्न-भिन्न उपाय करते हैं। Show
न्यायपालिका अपने कार्यों को निष्पक्षता तथा कुशलता से तभी कर सकती है जब वह स्वतंत्र हो। न्यायपालिका की स्वतंत्रता का अर्थ है कि न्यायाधीश स्वतंत्र , निष्पक्ष तथा निडर होनी चाहिए। न्यायधीश निष्पक्षता से न्याय तभी कर सकते हैं जब उन पर किसी प्रकार का दबाव न हो। न्यायपालिका, विधानमण्डल तथा कार्यपालिका के अधीन नहीं होनी चाहिए। भारतीय न्यायपालिका की स्वतंत्रता[संपादित करें]भारतीय संविधान में सरकार के तीनों अंगों के मध्य शक्तियों का पृथक्करण किया गया है। इसके तहत नागरिकों के अधिकारों का विधिवत संरक्षण सुनिश्चित करने तथा शक्तियों के दुरुपयोग को रोकने के लिए इन तीनों अंगों के मध्य पर्याप्त नियंत्रण और संतुलन की व्यवस्था की गयी है। निम्नलिखित उपायों द्वारा भारत में न्यायपालिका की स्वतंत्रता सुनिश्चित की गई है:
सन्दर्भ[संपादित करें]इन्हें भी देखें[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
न्यायपालिका की स्वतंत्रता का प्रावधान कौन से देश से लिया गया?2022-23 — Page 2 न्यायपालिका हमें स्वतंत्र न्यायपालिका क्यों चाहिए? हर समाज में व्यक्तियों के बीच, समूहों के बीच और व्यक्ति समूह तथा सरकार के बीच विवाद उठते हैं। इन सभी विवादों को 'कानून के शासन के सिद्धांत' के आधार पर एक स्वतंत्र संस्था द्वारा हल किया जाना चाहिए।
भारतीय संविधान में स्वतंत्र न्यायपालिका कहाँ से ली गई है?इस प्रकार, न्यायाधीश कार्यपालिका के अधीन थे। न्यायपालिका की स्वतंत्रता की संकल्पना इंग्लैंड से ली गई है। सन 1616 में न्यायधीश कोक को उनके पद से (किंग बेंच के मुख्य न्यायाधीश) पदच्युत किया गया था।
भारतीय संविधान में न्यायपालिका की स्वतंत्रता का प्रावधान कौन से देश के संविधान से लिया गया है?नियुक्ति की व्यवस्था- उच्चतम न्यायालय तथा उच्च न्यायलयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति न्यायपालिका के कॉलेजियम की अनुशंसाओं के आधार पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। इस प्रक्रिया के माध्यम से कार्यपालिका के पूर्ण विवेकाधिकार में कटौती की गई है तथा न्यायिक नियुक्तियां राजनीतिक विचारों पर आधारित नहीं हैं।
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