पारिस्थितिकी का वैज्ञानिक साम्राज्य वैश्विक प्रक्रियाओं (ऊपर), से सागरीय एवं पार्थिव सतही प्रवासियों (मध्य) से लेकर अन्तर्विशःइष्ट इंटरैक्शंस जैसे प्रिडेशन एवं परागण (नीचे) तक होता है। Show
पारिस्थितिकी (अंग्रेज़ी:इकोलॉजी) जीवविज्ञान व भूगोल की एक शाखा है जिसमें जीव समुदायों का उसके वातावरण के साथ पारस्परिक संबंधों का अध्ययन करतें हैं। प्रत्येक जन्तु या वनस्पति एक निशिचत वातावरण में रहता है। पारिस्थितिज्ञ इस तथ्य का पता लगाते हैं कि जीव आपस में और पर्यावरण के साथ किस तरह क्रिया करते हैं और वह पृथ्वी पर जीवन की जटिल संरचना का पता लगाते हैं।[1] पारिस्थितिकी को एन्वायरनमेंटल बायोलॉजी भी कहा जाता है। इस विषय में व्यक्ति, जनसंख्या, समुदायों और इकोसिस्टम का अध्ययन होता है। इकोलॉजी अर्थात पारिस्थितिकी (जर्मन: Oekologie) शब्द का प्रथम प्रयोग १८६६ में जर्मन जीववैज्ञानिक अर्नेस्ट हैकल ने अपनी पुस्तक "जनरेल मोर्पोलॉजी देर ऑर्गैनिज़्मेन" में किया था। बीसवीं सदी के आरम्भ में मनुष्य और उसके पर्यावरण के बीच संबंधों पर अध्ययन प्रारंभ हुआ और एक साथ कई विषयों में इस ओर ध्यान दिया गया। परिणामस्वरूप मानव पारिस्थितिकी की संकलपना आयी। प्राकृतिक वातावरण बेहद जटिल है इसलिए शोधकर्ता अधिकांशत: किसी एक किस्म के प्राणियों की नस्ल या पौधों पर शोध करते हैं। उदाहरण के लिए मानवजाति धरती पर निर्माण करती है और वनस्पति पर भी असर डालती है। मनुष्य वनस्पति का कुछ भाग सेवन करते हैं और कुछ भाग बिल्कुल ही अनोपयोगी छोड़ देते हैं। वे पौधे लगातार अपना फैलाव करते रहते हैं। बीसवीं शताब्दी सदी में ये ज्ञात हुआ कि मनुष्यों की गतिविधियों का प्रभाव पृथ्वी और प्रकृति पर सर्वदा सकारात्मक ही नहीं पड़ता रहा है। तब मनुष्य पर्यावरण पर पड़ने वाले गंभीर प्रभाव के प्रति जागरूक हुए। नदियों में विषाक्त औद्योगिक कचरे का निकास उन्हें प्रदूषित कर रहा है, उसी तरह जंगल काटने से जानवरों के रहने का स्थान खत्म हो रहा है।[1] पृथ्वी के प्रत्येक इकोसिस्टम में अनेक तरह के पौधे और जानवरों की प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनके अध्ययन से पारिस्थितिज्ञ किसी स्थान विशेष के इकोसिस्टम के इतिहास और गठन का पता लगाते हैं। इसके अतिरिक्त पारिस्थितिकी का अध्ययन शहरी परिवेश में भी हो सकता है। वैसे इकोलॉजी का अध्ययन पृथ्वी की सतह तक ही सीमित नहीं, समुद्री जनजीवन और जलस्रोतों आदि पर भी यह अध्ययन किया जाता है। समुद्री जनजीवन पर अभी तक अध्ययन बहुत कम हो पाया है, क्योंकि बीसवीं शताब्दी में समुद्री तह के बारे में नई जानकारियों के साथ कई पुराने मिथक टूटे और गहराई में अधिक दबाव और कम ऑक्सीजन पर रहने वाले जीवों का पता चला था। पारितंत्र के घटकपारिस्थितिक तंत्र के मुख्यतः दो प्रकार के संघटक होतें है - जैविक कारकअजैविक कारकपारिस्थितिकीय अध्ययन के स्तरपारिस्थितिकी सजीवों और उनके निर्जीव पर्यावरण के मध्य संबंधों का अध्ययन अलग-अलग स्तरों या पैमानों पर करती है। एक जीवित कोशिका से लेकर अंग, जीवधारी, जनसंख्या, समुदाय, पारितंत्र, बायोम और जैवमंडल तक जीवों और उनके पर्यावरण के बीच अन्तर्क्रियाओं के अलग-अलग रूप और विकास देखने को मिलते हैं। अतः पारिस्थितिकीय अध्ययन के स्तरों में प्रमुख हैं: हिन्दू दर्शन में पारिस्थितिक चिंतनअन्य प्राचीन धर्मो की तरह वैदिक दर्शन की भी यही मान्यता रही है कि प्रकृति प्राणधारा से स्पन्दित होती है। सम्पूर्ण चराचर जगत अर्थात् पृथ्वी, आकाश, स्वर्ग, आग, वायु, जल, वनस्पति और जीव-जंतु सब में दैवत्व की धारा प्रवाहित है। इस दृष्टिकोण का ज्ञान इस बात से होता है कि जब प्रकृति की गोद में स्थित एक आश्रम में पली-पोसी कालीदास की शकुन्तला अपने पति दुष्यन्त से मिलने के लिए शहर जाने लगी तो उसके विछोह से उसके द्वारा सिंचित पौधे व फूल, पोषित मृग अत्यधिक दुखी हुए। यहां तक कि लताओं ने भी अपने पीले पत्ते झाड़कर रूदन करना शुरू कर दिया। उस युग में मानव व प्रकृति के बीच पूर्ण तादात्म्य और सीधा सम्पर्क था। मनुष्य की आवश्यकताएं सीमित थीं और संतोष इतन था कि प्रकृति के शोषण की बात तो वह सपने में भी नहीं सोच सकता था। प्रकृति के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध ही सभी धर्मो का मर्म था। समय के साथ शहरीकरण और औद्योगीकरण के चलते मनुष्य का प्रकृति से सम्पर्क टूटता गया और तथाकथित विकास की अंधी दौड़ में उसकी यह अनुभूति समाप्त हो गई कि प्रकृति भी एक जीवन्त शक्ति है। वैदिक लोकाचार ऐसे समग्र जीवन का उल्लेख करता है, जिसमें शरीर, बुद्धि, मन और आत्मा सभी की आवश्यकताओं का ध्यान रखा जाता हो। शरीर की मूलभूत आवश्यकता है खाना, कपड़ा, मकान और इसके बाद चिकित्सा व अन्य सभी भौतिक सुख-सुविधाएं। मन इच्छाओं का केन्द्र है, जो चाहता है कि इच्छाएं पूरी हों। लेकिन बुद्धि आवश्यकताओं को सीमित करने तथा इच्छाओं को नियंत्रित करने के लिए इस तरह मार्गदर्शन करती है कि प्रकृति के पुनर्चक्रीकरण की प्रक्रिया व सभ्य समाज के महीन तन्तु अस्त-व्यस्त नहीं हों। श्री गुलाब कोठारी द्वारा मेलबर्न में प्रस्तुत एक शोधपत्र[2] के अनुसार तथाकथित शिक्षित लोग ही पारिस्थितिकी और पर्यावरण समरसता के विनाश के लिए उत्तरदायी होते हैं। वे प्रकृति को जड़ वस्तु मानते हैं जो मानो मानव के उपयोग और "शोषण के लिए ही बनी हो। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा वर्ष १९९५ में प्रकाशित जनसंख्या व जीवन स्तर पर स्वतंत्र आयोग इंडिपेंडेंट कमीशन ऑन पापुलेशन एंड क्वालिटी ऑफ लाइफ की रिपोर्ट के अनुसार[3] मनुष्य के अस्तित्व के लिए प्राकृतिक पर्यावरण बहुत महत्त्वपूर्ण है। भावी पीढियों के लिए पर्यावरण का पोषण और देखभाल आवश्यक है, जिसकी उपेक्षा की जा रही है। इसे सुनेंरोकेंएक प्रशिया वनस्पतिशास्त्री, भूगोलवेत्ता, प्रकृतिवादी और खोजकर्ता, अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट को पारिस्थितिकी के जनक कहा जाता है। पारिस्थितिक तंत्र कितने प्रकार का होता है? पारिस्थितिकी तंत्र के प्रकार
पारिस्थितिकी का महत्व क्या है?इसे सुनेंरोकेंपरिस्थितिकी के उद्देश्य मानव जीवन के उत्थान में इनकी महत्वपूर्ण पूर्ण भूमिका है। पारिस्थितिकी का ज्ञान मानव जाति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। मानव स्वयं भी एक जीवधारी और अपने भोजन कपड़े दवाओं आदि के लिए सदैव अपने वातावरण के विभिन्न जीव धारियों और जैविक घटकों पर निर्भर रहता है। इसे सुनेंरोकेंडॉ. रामदेव मिश्र को भारत में पारिस्थितिकी के पिता के रूप में जाना जाता है। उन्होंने वर्ष 1956 में इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर ट्रॉपिकल इकोलॉजी की स्थापना की थी। पढ़ना: पैराफिन मोम क्या है? पारिस्थितिकी संसाधन क्या है? इसे सुनेंरोकेंपारिस्थितिकी को जीव विज्ञान की शाखा के रूप मे परिभाषित किया जा सकता है जो जीवो के एक दूसरे के साथ संबंधो और उनके भौतिक परिवेशो की चर्चा करता है। इसे जीवो के मध्य अन्तः क्रिया और उनके परिवेश के वैज्ञानिक अध्ययन के रूप मे भी परिभाषित किया जा सकता है। पारिस्थितिकी शब्द का वास्तविक अर्थ “घर का अध्ययन” है। पारिस्थितिकी शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग कब हुआ?इसे सुनेंरोकेंइकोलॉजी अर्थात पारिस्थितिकी (जर्मन: Oekologie) शब्द का प्रथम प्रयोग १८६६ में जर्मन जीववैज्ञानिक अर्नेस्ट हैकल ने अपनी पुस्तक “जनरेल मोर्पोलॉजी देर ऑर्गैनिज़्मेन” में किया था। इकोसिस्टम क्या कहलाता है? इसे सुनेंरोकेंपारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) टान्सले द्वारा 1935 में किया गया था। सामान्य रूप से जीवमंडल के सभी संघटकों के समूह, जो पारस्परिक क्रिया में सम्मिलित होते हैं, को पारिस्थितिकी तंत्र कहा जाता है। यह पारितंत्र प्रकृति की क्रियात्मक इकाई है जिसमें इसके जैविक तथा अजैविक घटकों के बीच होने वाली जटिल क्रियाएँ सम्मिलित होती हैं। पढ़ना: प्रतिकूल कब्जा कैसे साबित करें? पारितंत्र कितने प्रकार के होते हैं?पारितंत्र कितने प्रकार के होते हैं?
इकोलॉजी को हिंदी में क्या कहते हैं? इसे सुनेंरोकेंपारिस्थितिकी जीवविज्ञान व भूगोल की एक शाखा है जिसमें जीव समुदायों का उसके वातावरण के साथ पारस्परिक संबंधों का अध्ययन करतें हैं। प्रत्येक जन्तु या वनस्पति एक निशिचत वातावरण में रहता है। प्राकृतिक संसाधन कितने प्रकार के हैं?प्राकृतिक संसाधन दो प्रकार के होते हैं :
प्राकृतिक संसाधन से आप क्या समझते हैं संसाधन के वर्गीकरण को स्पष्ट कीजिए? इसे सुनेंरोकेंप्राकृतिक संसाधनों का तात्पर्य उन से है जो मानव को प्रकृति द्वारा बिना कोई मूल्य चुकाए प्रदान किये जाते हैं । प्राकृतिक संसाधन में भूमि, मिट्टी, जल, वन, खनिज, समुद्री साधन, जलवायु, वर्षा समावेश किया जाता है प्राकृतिक संसाधन कहते हैं। इन संसाधनों को मनुष्य अपने प्रयत्नों से उत्पन्न नहीं कर सकता। पारिस्थितिकी तंत्र शब्द किसने और कब दिया?इसे सुनेंरोकेंपारिस्थितिकी तंत्र शब्द को 1930 में रोय क्लाफाम द्वारा एक पर्यावरण के संयुक्त शारीरिक और जैविक घटकों को निरूपित करने के लिए बनाया गया था। पढ़ना: किसी Facebook ग्रुप का एडमिन कैसे बने? इकोलॉजी और इकोसिस्टम में क्या अंतर है? इसे सुनेंरोकेंपारिस्थितिकी: पारिस्थितिकी जीवविज्ञान की एक शाखा है जो जीवों के संबंधों को एक दूसरे से और उनके भौतिक वातावरण से संबंधित करती है। पारिस्थितिकी तंत्र: इकोसिस्टम जीवों और उनके भौतिक वातावरण के परस्पर क्रिया का समुदाय है। पारितंत्र के घटक कौन कौन से हैं?इसे सुनेंरोकें5.1.1 पारितंत्र के घटक (II) अकार्बनिक पदार्थः कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, फ़ास्फ़ोरस, सल्फर, जल, चट्टान, मिट्टी तथा अन्य खनिज। (III) कार्बनिक पदार्थः कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, लिपिड तथा ह्यूमिक पदार्थ यह सजीव तंत्र के मूलभूत अंग हैं और इसीलिये ये जैविक तथा अजैविक घटकों के बीच की कड़ी हैं। भारत में पारिस्थितिकी के पिता कौन है?डॉ. रामदेव मिश्र को भारत में पारिस्थितिकी के पिता के रूप में जाना जाता है। उन्होंने वर्ष 1956 में इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर ट्रॉपिकल इकोलॉजी की स्थापना की थी।
पारिस्थितिकी वैज्ञानिक कौन है?पारिस्थितिकी शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग सन 1869 में जर्मन जीव विज्ञानी अर्नेस्ट हीकेल ने किया।
पारिस्थितिकी तंत्र के प्रतिपादक कौन हैं?पारिस्थितिकी तंत्र शब्द को 1930 में रोय क्लाफाम द्वारा एक पर्यावरण के संयुक्त शारीरिक और जैविक घटकों को निरूपित करने के लिए बनाया गया था।
भारत में कितने पारिस्थितिकी?भारत में 20 कृषि पारिस्थितिकी प्रदेशों का समूह है, जिन्हें भारतीय मृदा सर्वेक्षण तथा भूमि प्रयोग परियोजना ब्यूरो (National Bureau of Soil Survey and Land use Planning), नागपुर से सम्बद्ध के. एस.
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