भारत में पहला समाचार पत्र कौन सा है? - bhaarat mein pahala samaachaar patr kaun sa hai?

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  • India's First Newspaper Was Printed 232 Years Ago

भारत में यूरोपियनों के प्रवेश के साथ ही समाचार पत्रों की शुरुआत होती है। भारत में प्रिंटिंग प्रेस लाने का श्रेय पुर्तगालियों को है। गोवा में वर्ष 1557 में कुछ ईसाई पादरियों ने एक पुस्तक छापी थी, जो भारत में मुद्रित होने वाली पहली किताब थी। 1684 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में प्रिंटिंग प्रेस की स्थापना की। लेकिन भारत का पहला समाचार पत्र निकालने का श्रेय भी जेम्स ऑगस्टस हिकी नामक एक अंग्रेज को प्राप्त है, जिसने वर्ष 1780 में ‘बंगाल गजट’ का प्रकाशन किया था। यानी भारत में समाचार पत्रों का इतिहास 232 वर्ष पुराना है। कंपनी सरकार की आलोचना के कारण ‘बंगाल गजट’ को जब्त कर लिया गया था। किसी भारतीय भाषा में प्रकाशित होने वाला पहला समाचार पत्र मासिक ‘दिग्दर्शक’ था, जो 1818 ईस्वी में प्रकाशित हुआ। लेकिन निर्विवाद रूप से भारत का सबसे पहला प्रमुख समाचार पत्र ‘संवाद कौमुदी’ था। इस साप्ताहिक पत्र का प्रकाशन 1821 में शुरू हुआ था और इसके प्रबंधक-संपादक थे प्रख्यात समाज सुधारक राजा राममोहन राय। ‘संवाद कौमुदी’ के प्रकाशन के साथ ही सबसे पहले भारतीय नवजागरण में समाचार पत्रों के महत्व को रेखांकित किया गया था।

भारत का सबसे पहला समाचार-पत्र कौन सा है?

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लिखित उत्तर

बॉम्बे गजट बंगाल गजटबॉम्बे टाइम्स हिन्दुस्तान टाइम्स

Answer : B

Solution : हिक्की का बंगाल गजट एक अंग्रेजी समाचार पत्र था जिसे सर्वप्रथम 1780.में कोलकाता से प्रकाशित किया गया था। यह भारत का प्रथम प्रमुख -समाचार पत्र था। ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा समाचार पत्र पर रोक लगाने और प्रिंटिंग प्रेस को जब्त करने से पूर्व यह समाचार पत्र दो वर्ष तक प्रकाशित हुआ। इसे ऑरिजिनल कलकत्ता जनरल एडवरटाइजर के नाम से भी जाना. जाता था।

भारत का वो पहला अख़बार जिसने अंग्रेज़ हुकूमत को हिला दिया था

  • एंड्र्यू ओटिस
  • पत्रकार और इतिहासकार, बीबीसी हिन्दी के लिए

4 अक्टूबर 2018

भारत में पहला समाचार पत्र कौन सा है? - bhaarat mein pahala samaachaar patr kaun sa hai?

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'हिकी बंगाल गज़ट' का नाम उसके संस्थापक जेम्स अगस्टस हिकी के नाम पर रखा गया था.

भारत के पहले समाचार पत्र की स्थापना साल 1780 में हुई थी. उस समाचार पत्र ने उस वक़्त अंग्रेज़ साम्राज्य को आईना दिखाने के काम किया था. उसने हुकूमत को प्रेस की ताक़त का एहसास करवाया था.

बात हो रही है 'बंगाल गज़ट' की जिसे भारत से प्रकाशित होने वाले पहले अख़बार का दर्ज़ा प्राप्त है. बंगाल गज़ट की शुरुआत जेम्स ऑगस्टस हिक्की ने की थी.

उस वक़्त इस अखबार ने अपनी ख़बरों से अंग्रेज़ हुकूमत के शीर्ष पर मौजूद कई ताक़तवर लोगों को हिला कर रख दिया था.

अपनी ख़बरों के दम पर बंगाल गज़ट ने कई लोगों के भ्रष्टाचार, घूसकांड और मानवाधिकार उल्लंघनों को उजागर किया था.

हेस्टिंग्स पर आरोप

अपने इन्हीं दावों में से एक दावे में बंगाल गज़ट ने उस वक़्त भारत के गवर्नर जनरल वॉरेन हेस्टिंग्स पर आरोप लगाया था कि उन्होंने भारतीय सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस को घूस दी है.

इस अख़बार में भारत के ग़रीबों का ज़िक्र किया जाता था. उन सैनिकों की ख़बरें प्रकाशित की जाती थीं जो ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की तरफ से युद्ध में लड़ते हुए मारे गए.

ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत के लगभग समूचे हिस्से पर अपनी सत्ता फैला ली थी, इसके साथ ही कंपनी के सैनिक भी सभी जगह तैनात रहते थे.

हालांकि साल 1857 की क्रांति ने अंग्रेज़ों को चौकन्ना ज़रूर कर दिया था. ऐसा भी कहा जाता है कि 1857 की क्रांति के लिए बंगाल गज़ट ने ही भारतीय सैनिकों को विद्रोह के लिए तैयार किया था और हेस्टिंग्स के ख़िलाफ़ जाने के लिए उनके भीतर ज्वाला भरी थी.

बंगाल गज़ट अपनी प्रभावी पत्रकारिता के ज़रिए अंग्रेज सरकार की आंखों में चुभने लगा था, ख़ासतौर पर वॉरेन हेस्टिंग्स इससे सबसे अधिक प्रभावित थे.

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वॉरेन हेस्टिंग्स

बंद हुआ बंगाल गज़ट

इसका नतीज़ा यह हुआ कि ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंगाल गज़ट के मुकाबले में एक दूसरे प्रतिस्पर्धी अख़बार पर पैसा लगाना शुरू कर दिया. हालांकि वह बंगाल गज़ट की आवाज़ पर रोक नहीं लगा सके.

आखिरकार, जब अखबार में एक अज्ञात लेखक ने यह लिख दिया कि 'सरकार हमारे भले के बारे में नहीं सोच सकती तो हम भी सरकार के लिए काम करने के लिए बाध्य नहीं हैं', तब ईस्ट इंडिया कंपनी ने इस अख़बार को बंद करने का फ़ैसला सुना दिया.

दूसरी तरफ हेस्टिंग्स ने हिक्की पर परिवाद का मुकदमा दायर कर दिया. हिक्की को दोषी पाया गया और उन्हें जेल जाना पड़ा.

लेकन जेल जाने के बाद भी हिक्की के हौसले पस्त नहीं हुए. वो जेल के भीतर से ही 9 महीनों तक अख़बार निकालते रहे.

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट को एक विशेष आदेश के ज़रिए उनकी प्रिंटिंग प्रेस को ही सील करवाना पड़ा. इस तरह भारत का पहला समाचार पत्र बंद हो गया.

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उस समय भारत का सुप्रीम कोर्ट ईस्ट इंडिया कंपनी की सरकार का केंद्र हुआ करता था

हेस्टिंग्स पर महाभियोग

लेकिन बंद होने से पहले बंगाल गज़ट हेस्टिंग्स और सुप्रीम कोर्ट के बीच मिलीभगत के इतने राजदार पर्दे खोल चुका था कि इंग्लैंड को इस मामले में दखल देनी ही पड़ी और संसद सदस्यों ने इस मामले में जांच बैठाई.

जांच पूरी होने के बाद हेस्टिंग्स और सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस, दोनों को ही महाभियोग का सामना करना पड़ा.

वैसे अख़बारों की दुनिया के लिए कहानी आज भी बहुत ज़्यादा नहीं बदली है. आज भी प्रेस का गला घोंटने की तमाम कोशिशें की जाती हैं.

सत्ता में बैठे तमाम बड़े लोगों के पास इतनी ताक़त होती है वो आम लोगों को अपनी बात मानने पर मजबूर कर ही देते हैं, ये आम लोग अख़बारों में क्या पढ़ना चाहिए और कैसे पढ़ना चाहिए सबकुछ इन्हीं ता़कतवर लोगों के अनुसार पढ़ रहे होते हैं.

राजनीति में तानाशाहों का होना कोई नई बात नहीं है. लेकिन सवाल उठता है कि आखिर मौजूदा वक़्त में यह इतना ख़तरनाक क्यों हो गया है?

दरअसल अब समाचार प्राप्त करने के इतने अधिक माध्यम हैं कि ग़लत और सही समाचार में फ़र्क पहचान पाना बहुत मुश्किल हो गया है.

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साल 1788 में वारेन हेस्टिंग्स पर महाभियोग चलाया गया

सोशल मीडिया का असर

फ़ेसबुक, व्हाट्सऐप, ट्विटर और भी ना जाने कितने माध्यमों के ज़रिए कई तरह के समाचार हरवक़्त हमारी नज़रों के सामने तैरते रहते हैं.

इसका नतीजा यह हुआ है कि दुनियाभर में लोग अपनी-अपनी विचारधारा के अनुसार बंटने लगे हैं.

सोशल मीडिया पर फ़ैली ख़बरें लोगों में हिंसा भड़काने का काम कर रही हैं. जैसे भारत में ही व्हाट्सऐप के ज़रिए बच्चा चोरी की कुछ ख़बरें फैल गईं और उसकी प्रतिक्रिया स्वरूप भीड़ ने कुछ लोगों को मार भी दिया.

ऐसे माहौल में गूगल, फ़ेसबुक और ट्विटर जैसी कंपनियों की ज़िम्मेदारी बनती है कि वो ख़बरों के लिए कुछ मानक तय करें.

हमें याद रखना चाहिए कि हेस्टिंग्स जैसे लोग तो आते हैं और चले जाते हैं, लेकिन ये लोग अपनी परछाईं को हमेशा के लिए अंकित ज़रूर कर देते हैं.

हेस्टिंग्स जैसे लोग भारत में अपनी राजनीति को इस तरह से संगठित करते हैं कि करोड़ों की आबादी वाला भारत कुछ सैकड़ों लोगों के हाथों की कठपुतली बन जाता है.

आज से कई सौ साल पहले हेस्टिंग्स और हिक्की के बीच जो लड़ाई हुई थी वह मौजूदा वक़्त से ज़्यादा अलग नहीं है, उस में फ़र्क सिर्फ़ इतना है कि अब इस लड़ाई को लड़ने वाले हथियार बदल गए हैं.

(एंड्र्यू ओटिस 'हिकीज़ बंगाल गज़टः द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ़ इंडियाज़ फ़र्स्ट न्यूज़पेपर'किताब के लेखक हैं.)

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भारत का पहला समाचार पत्र का नाम क्या था?

किसी भारतीय भाषा में प्रकाशित होने वाला पहला समाचार पत्र मासिक 'दिग्दर्शक' था, जो 1818 ईस्वी में प्रकाशित हुआ। लेकिन निर्विवाद रूप से भारत का सबसे पहला प्रमुख समाचार पत्र 'संवाद कौमुदी' था। इस साप्ताहिक पत्र का प्रकाशन 1821 में शुरू हुआ था और इसके प्रबंधक-संपादक थे प्रख्यात समाज सुधारक राजा राममोहन राय।

भारत का सबसे पहला पत्रकार कौन है?

भारत का प्रथम समाचार पत्र कौन सा था.
दो वर्ष (1780 में शुरू हुआ यह समाचार पत्र वर्ष 1782 तक ही प्रकाशित हुआ).
जेम्स हिक्की को भारतीय पत्रकारिता का पितामह माना जाता है ब्रिटिश राज में अपना स्वंय का समाचार पत्र प्रकाशित करने का साहस रखने वाले ये उस समय के एकमात्र पत्रकार थे.
29 जनवरी 1780..

दुनिया का सबसे पहला समाचार पत्र कौन सा है?

लगता है कि विश्व में पत्रकारिता का आरंभ सन 131 ईस्वी पूर्व रोम में हुआ था। उस साल पहला दैनिक समाचार-पत्र निकलने लगा। उस का नाम था – "Acta Diurna" (दिन की घटनाएं)। वास्तव में यह पत्थर की या धातु की पट्टी होता था जिस पर समाचार अंकित होते थे।

राज्य का प्रथम समाचार पत्र कौन सा था?

आगी-बाण(1932) ब्यावर से जयनारायण व्यास द्वारा निकाला गया राजस्थानी भाषा का प्रथम समाचार पत्र