भाई दूध का क्या महत्व है? - bhaee doodh ka kya mahatv hai?

भाई दूध का क्या महत्व है? - bhaee doodh ka kya mahatv hai?

Author : Team Astroyogi Date: 14/07/2022 Date: 14/07/2022

भैया दूज 2022

भाई दूज या भैया दूज बहनों का अपने भाई के प्रति विश्वास एवं प्रेम का पर्व है जो भैया दूज, यम द्वितीया एवं भ्रातृ द्वितीया आदि नामों से जाना जाता है। इस त्यौहार को मुख्य रूप से दिवाली के दो दिन बाद मनाया जाता है। राखी के बाद भाई दूज ही साल का एक ऐसा त्यौहार है जिसमें बहनों और भाइयों के स्नेह और पवित्रता को चिन्हित करता है।

हिन्दू पंचांग के अनुसार, भैया दूज को हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस त्यौहार को अत्यंत उत्साह एवं प्रेम से भाई ओर बहनों द्वारा मनाया जाता है। भाई दूज की रौनक पूरे देश में अलग ही देखने को मिलती है। महाराष्ट्र में भाई दूज को भाऊ-बीज और पश्चिम बंगाल में भाई फोंटा कहा जाता है। यह पर्व भाई-बहन के रिश्तें को मजबूत करता है। 

भाई दूध का क्या महत्व है? - bhaee doodh ka kya mahatv hai?
भैया दूज मुहुर्त
भाई दूध का क्या महत्व है? - bhaee doodh ka kya mahatv hai?

भाई दूध का क्या महत्व है? - bhaee doodh ka kya mahatv hai?
भैया दूज मुहुर्त
भाई दूध का क्या महत्व है? - bhaee doodh ka kya mahatv hai?

भैया दूज - 26 अक्तूबर 2022

भाई दूज अपराह्न समय - 01:19 पी एम से 03:36 पी एम

अवधि - 02 घण्टे 17 मिनट

द्वितीया तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 26, 2022 को 02:42 पी एम बजे

द्वितीया तिथि समाप्त - अक्टूबर 27, 2022 को 12:45 पी एम बजे

भैया दूज - 14 नवम्बर 2023

भाई दूज अपराह्न समय - 01:17 पी एम से 03:30 पी एम

अवधि - 02 घण्टे 13 मिनट

द्वितीया तिथि प्रारम्भ - नवम्बर 14, 2023 को 02:36 पी एम बजे

द्वितीया तिथि समाप्त - नवम्बर 15, 2023 को 01:47 पी एम बजे

भैया दूज - 03 नवम्बर 2024

भाई दूज अपराह्न समय - 01:18 पी एम से 03:32 पी एम

अवधि - 02 घण्टे 15 मिनट

द्वितीया तिथि प्रारम्भ - नवम्बर 02, 2024 को 08:21 पी एम बजे

द्वितीया तिथि समाप्त - नवम्बर 03, 2024 को 10:05 पी एम बजे

भैया दूज - 23 अक्तूबर 2025

भाई दूज अपराह्न समय - 01:20 पी एम से 03:37 पी एम

अवधि - 02 घण्टे 17 मिनट

द्वितीया तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 22, 2025 को 08:16 पी एम बजे

द्वितीया तिथि समाप्त - अक्टूबर 23, 2025 को 10:46 पी एम बजे

भैया दूज - 11 नवम्बर 2026

भाई दूज अपराह्न समय - 01:17 पी एम से 03:31 पी एम

अवधि - 02 घण्टे 13 मिनट

द्वितीया तिथि प्रारम्भ - नवम्बर 10, 2026 को 02:00 पी एम बजे

द्वितीया तिथि समाप्त - नवम्बर 11, 2026 को 03:53 पी एम बजे

भैया दूज - 31 अक्तूबर 2027

भाई दूज अपराह्न समय - 01:18 पी एम से 03:34 पी एम

अवधि - 02 घण्टे 16 मिनट

द्वितीया तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 30, 2027 को 05:51 पी एम बजे

द्वितीया तिथि समाप्त - अक्टूबर 31, 2027 को 05:12 पी एम बजे

भैया दूज - 19 अक्तूबर 2028

भाई दूज अपराह्न समय - 01:21 पी एम से 03:39 पी एम

अवधि - 02 घण्टे 18 मिनट

द्वितीया तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 19, 2028 को 05:00 ए एम बजे

द्वितीया तिथि समाप्त - अक्टूबर 20, 2028 को 01:58 ए एम बजे

भैया दूज - 07 नवम्बर 2029

भाई दूज अपराह्न समय - 01:17 पी एम से 03:31 पी एम

अवधि - 02 घण्टे 14 मिनट

द्वितीया तिथि प्रारम्भ - नवम्बर 07, 2029 को 06:07 ए एम बजे

द्वितीया तिथि समाप्त - नवम्बर 08, 2029 को 02:37 ए एम बजे

भैया दूज - 28 अक्तूबर 2030

भाई दूज अपराह्न समय - 01:19 पी एम से 03:35 पी एम

अवधि - 02 घण्टे 16 मिनट

द्वितीया तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 27, 2030 को 10:36 पी एम बजे

द्वितीया तिथि समाप्त - अक्टूबर 28, 2030 को 07:21 पी एम बजे

भैया दूज - 16 नवम्बर 2031

भाई दूज अपराह्न समय - 01:18 पी एम से 03:30 पी एम

अवधि - 02 घण्टे 12 मिनट

द्वितीया तिथि प्रारम्भ - नवम्बर 16, 2031 को 12:28 ए एम बजे

द्वितीया तिथि समाप्त - नवम्बर 16, 2031 को 09:59 पी एम बजे

भैया दूज - 04 नवम्बर 2032

भाई दूज अपराह्न समय - 01:18 पी एम से 03:32 पी एम

अवधि - 02 घण्टे 15 मिनट

द्वितीया तिथि प्रारम्भ - नवम्बर 04, 2032 को 11:44 ए एम बजे

द्वितीया तिथि समाप्त - नवम्बर 05, 2032 को 11:46 ए एम बजे

भाई दूज पर पूजा विधि

हिंदू धर्म के प्रत्येक त्यौहार की तरह ही भाई दूज के साथ भी अनेक रीति-रिवाज़ सम्पन्न किये जाते हैं। इस त्यौहार पर बहन द्वारा भाई दूज का टिका विधिपूर्वक किया जाना चाहिए।

  • भाई दूज पर बहनें अपने भाई का तिलक और आरती करने के लिए पूजा की थाली सजाती है। 
  • पूजा की थाली में कुमकुम, सिंदूर, चंदन,फल, फूल, मिठाई और सुपारी आदि सामग्री रखनी चाहिए।
  • भाई का तिलक करने से पहले चावल के मिश्रण से एक चौक का निर्माण करें।
  • चावल के मिश्रण से बने चौक पर भाई को बैठाएं और शुभ मुहूर्त में बहनें अपने भाई का तिलक करें।
  • तिलक करने के बाद अपने भाई को फूल, पान, सुपारी, काले चने और बताशे आदि दें और अंत में आरती करें।
  • भाई का तिलक तथा आरती के बाद भाई अपनी बहन को उपहार देते है, साथ ही उनकी रक्षा का वचन दें।

भैया दूज का महत्व

भाई दूज हिन्दुओं का एक प्रमुख तथा प्रसिद्ध त्यौहार है जो अधिकतर हिन्दुओं द्वारा देश भर में प्रमुखता से मनाया जाता है। भाई दूज का पर्व पांच दिवसीय दिवाली उत्सव का अंतिम दिन होता है। भाई दूज एक ऐसा पर्व है जो भाई-बहन के बीच के पवित्र बंधन के प्रति श्रद्धा को व्यक्त करता है। यह भाई-बहन को एक दूसरे के प्रति सम्मान एवं प्रेम प्रकट करने का शानदार अवसर है। इस तिथि पर सभी बहनें अपने भाइयों के लिए एक सुखी, स्वस्थ और समृद्धि जीवन की कामना करती हैं। वहीँ भाई अपनी बहनों के प्रति अपना स्नेह जताने के लिए कोई उपहार भेंट करते हैं। भाई-बहन के इस पवित्र पर्व पर पूरा परिवार एक साथ एकत्रित होता है, मिठाई और अन्य स्वादिष्ट व्यंजनों का लुत्फ़ उठाते है।

भाई दूज का धार्मिक महत्व 

भाई दूज का अपना विशिष्ट धार्मिक महत्व है जो धर्म ग्रंथों में वर्णित है। शास्त्रों के अनुसार, कार्तिक शुक्ल की द्वितीया तिथि पर मृत्यु के देवता यम ने अपनी बहन द्वारा किये गए आदर-सत्कार से प्रसन्न होकर वरदान प्राप्त किया था। इस वजह से ही भाईदूज को यम द्वितीया भी कहा जाता है। यम देव द्वारा दिए गए वरदान के अनुसार जो भाई-बहन इस दिन यमुना में स्नान करके यम पूजा करेगा, उसे मृत्यु के बाद यमलोक में नहीं जाना पड़ेगा। 

सूर्य पुत्री यमुना को समस्त कष्टों का निवारण करने वाली देवी माना गया हैं। यही वजह है कि यम द्वितीया के दिन यमुना नदी में स्नान करने और यमुना देवी व यमदेव की पूजा करने का विशेष महत्व है। पुराणों के अनुसार, भाई दूज तिथि पर पूजा करने से यमराज प्रसन्न होकर मनोवांछित फल प्रदान करते हैं।

भाई दूज से जुड़ीं पौराणिक कथाएं

हिंदू धर्मग्रंथों में भाई दूज से जुड़ीं अनेक कथाओं का वर्णन मिलता हैं। यहाँ हम आपको शास्त्रों में बताई गई कथाओं के बारे में बताने जा रहे हैं जो इस प्रकार है:

यम और यमदेव की कथा

प्राचीनकाल में भाई दूज की तिथि पर यमराज अपनी बहन यमुना के निमंत्रण पर उनके घर गए थे, तब से ही भाई दूज या यम द्वितीया की परंपरा का आरंभ हुआ। सूर्य देव के पुत्र यमराज और देवी यमी भाई-बहन थे। यमुना देवी के कई बार निमंत्रण देने पर एक दिन यमराज यमुना के घर पहुंचे। इस अवसर पर यमुना ने यमराज को भोजन कराया और माथे पर तिलक करने के बाद उनके खुशहाल जीवन की कामना की। इसके पश्चात जब यमराज ने अपनी बहन यमुना से वरदान के लिए कहा, तब यमुना जी ने कहा कि, हर साल आप इस दिन पर मेरे घर आया करो और जो बहन इस दिन अपने भाई का तिलक करेगी उसे मृत्यु भय नहीं होगा। अपनी बहन यमुना की बात सुनकर यमराज को प्रसन्नता हुई और उन्हें आशीर्वाद दिया। उस दिन से ही भाई दूज के त्यौहार को आज तक निरंतर मनाया जा रहा है। इस दिन यमुना नदी में स्नान करने से भाई-बहन को पुण्य की प्राप्ति होती है।

भगवान श्री कृष्ण और देवी सुभद्रा की कथा

धर्मशास्त्रों में एक अन्य पौराणिक कथा का वर्णन मिलता है। इस कथा के अनुसार, भाई दूज तिथि पर ही भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध करने के बाद द्वारिका नगरी लौटे थे। इस अवसर पर भगवान कृष्ण की बहन सुभद्रा ने फूल, फूल, मिठाई और अनेकों दीपक जलाकर उनका स्वागत किया था। देवी सुभद्रा ने भगवान श्रीकृष्ण के मस्तक पर तिलक करके उनकी दीर्घायु की कामना की थी। इस दिन से ही भाई दूज के मौके पर बहनें भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं और बदले में भाई उन्हें उपहार देते हैं।

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