हिमाचल प्रदेश के घुमंतू चरवाहे कौन थे उनकी प्रमुख विशेषताओं को बताइए? - himaachal pradesh ke ghumantoo charavaahe kaun the unakee pramukh visheshataon ko bataie?

विषयसूची

  • 1 हिमाचल प्रदेश के घुमंतू चरवाहे कौन थे उनकी प्रमुख विशेषताएं बताइए?
  • 2 मानसून के समय धनगर चरवाहे अपना निवास स्थान कहाँ बनते हैं?
  • 3 चरवाहा कबीला है?
  • 4 भारत में चरवाहे टैक्स का चरवाहों के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा किन्ही दो का उल्लेख कीजिए?

हिमाचल प्रदेश के घुमंतू चरवाहे कौन थे उनकी प्रमुख विशेषताएं बताइए?

इसे सुनेंरोकेंAnswer. Answer: हिमाचल के अन्य प्रमुख चरवाहा समुदाय भोटिया, शेरपा तथा किन्नौरी हैं। यह खानाबदोश कबीलों को बहुत से काम जैसे कि खेती, व्यापार एवं पशुपालन करने का अवसर प्रदान करता है।

मानसून के समय धनगर चरवाहे अपना निवास स्थान कहाँ बनते हैं?

इसे सुनेंरोकेंधंनगर (धंगर) महाराष्ट्र का प्रमुख चरवाहा समुदाय है। ये लोग महाराष्ट्र के मध्य पठारी क्षेत्रों में रहते हैं। 20वीं सदी की शुरुआत में इनकी जनसंख्या 4,67,000 थी। इस समुदाय के अधिकांश लोग पशुचारण पर आश्रित हैं परंतु कुछ लोग कंबल और चादरें भी बनाते हैं।

चरवाहे टैक्स कब लागू किया गया?

इसे सुनेंरोकेंचरवाहों से चरागाहों में चरने वाले एक – एक जानवर पर टैक्स वसूल किया जाने लगा। देश के ज़्यादातर चरवाही इलाकों में उन्नीसवीं सदी के मध्य से ही चरवाही टैक्स लागू कर दिया गया था।

Q 3 औपनिवेशिक समय में अफ्रीका के चरवाहों पर क्या क्या प्रभाव पड़े?

इसे सुनेंरोकेंचरवाहे अपने पशुओं को अब निश्चित चरागाहों में ही चराते थे जिससे चारा कम पड़ने लगा। चारे की कमी के कारण पशुओं की सेहत और संख्या घटने लगी। चरागाहों का आकार सिमटकर बहुत छोटा रह गया। बचे हुए चरागाहों पर पशुओं का दबाव बहुत अधिक बढ़ गया।

चरवाहा कबीला है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: गुज्जर बकरवाल जम्मू कश्मीर के घुमन्तू चरवाहे, गद्दी हिमाचल प्रदेश के घुमंतू चरवाहे, धंगर महाराष्ट्र के घुमंतू चरवाहे, कुरुमा, कुरुबा तथा गोल्ला कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के चरवाहे, बंजारे उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के घुमंतू चरवाहे, राइका राजस्थान के घुमंतू चरवाहे आदि प्रमुख हैं।

भारत में चरवाहे टैक्स का चरवाहों के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा किन्ही दो का उल्लेख कीजिए?

इसे सुनेंरोकेंकिन्हीं दो का उल्लेख कीजिए। Answer: चरवाहों पर चराई कर का प्रभाव–प्रति मवेशी कर लागू होने पर चरवाहों ने पशुओं की संख्या को सीमित कर दिया। अनेक चरवाहों ने अवर्गीकृत चरागाहों की खोज में स्थान परिवर्तन कर लिया। अनेक चरवाहा समुदायों ने पशुपालन के साथसाथ वैकल्पिक व्यवसायों को अपनाना आरंभ कर दिया।

स्पष्ट कीजिए कि घुमंतू समुदायों को बार बार एक जगह से दूसरी जगह क्यों जाना पड़ता है?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर : घुमंतू समुदायों को बार-बार एक जगह से दूसरी जगह जाना पड़ता है क्योंकि घुमंतू समुदायों (खानाबदोशों) कबीलों का प्रमुख व्यवसाय जानवरों को पालना होता है। खानाबदोश लोग प्राय: भेड़ और बकरियां पालते हैं। वे चरागाहों की खोज में एक जगह से दूसरे जगह पर आते जाते रहते हैं।

हिमाचल प्रदेश के घुमंतू चरवाहे कौन थे उनकी प्रमुख विशेषताएं बताइए?

यह खानाबदोश कबीलों को बहुत से काम जैसे कि खेती, व्यापार एवं पशुपालन करने का अवसर प्रदान करता है। उनके पशु मृदा को खाद उपलब्ध कराने में सहायता करते हैं। यह चरागाहों को पुनः हरा-भरा होने और उसके अति-चारण से बचाने में सहायता करता है क्योंकि चरागाहें अतिचारण एवं लम्बे प्रयोग के कारण बंजर नहीं बनतीं।

घुमंतू चरवाहे से आप क्या समझते हैं?

घुमंतू ऐसे लोग होते हैं जो किसी एक जगह टिक कर नहीं रहते बल्कि रोज़ी-रोटी के जुगाड़ में यहाँ से वहाँ घूमते रहते हैं। देश के कई हिस्सों में हम घुमंतू चरवाहों को अपने जानवरों के साथ आते-जाते देख सकते हैं। चरवाहों की किसी टोली के पास भेड़-बकरियों का रेवड़ या झुंड होता है तो किसी के पास ऊँट या अन्य मवेशी रहते हैं।

हिमाचल प्रदेश के चरवाहों को क्या कहा जाता था?

उत्तर : उच्ची पर्वतीय क्षेत्रों में स्थित विस्तृत चरागाहों को बुग्याल कहते है। जैसे - पूर्वी गढवाल के बुग्याल जहॉ भेड चराये जाते है।

घुमंतू लोग एक जगह से दूसरी जगह क्यों घूमते रहते हैं?

Solution : घुमंतू समुदायों को चारे की तलाश में एक जगह से दूसरी जगह जाना पड़ता है। इसे समझने के लिए जम्मू के गुज्जर बकरवाल का उदाहरण लेते हैं। जाड़े में जब पहाड़ों पर बर्फ होती है तो वहाँ चारे की कमी हो जाती है। ऐसे में चरवाहे शिवालिक के निचले इलाकों में चले जाते हैं जहाँ भरपूर चारा मिलता है।