अनुशासन हमारे जीवन में क्यों जरूरी है अपने शब्दों में लिखो? - anushaasan hamaare jeevan mein kyon jarooree hai apane shabdon mein likho?

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अनुशासन हमारे जीवन में क्यों जरूरी है अपने शब्दों में लिखो? - anushaasan hamaare jeevan mein kyon jarooree hai apane shabdon mein likho?

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छात्रों में अनुशासनहीनता उन्हें कमजोर बना देती है आलस्य भर देती है, इसलिए अनुशासन बेहद जरूरी

छात्र जीवन में अनुशासन बहुत आवश्यक है। अनुशासनयुक्त वातावरण बच्चों के विकास के लिए नितांत आवश्यक है। बच्चों में अनुशासनहीनता उन्हें आलसी व कामचोर और कमज़ोर बना देती है। वे अनुशासन में न रहने के कारण बहुत उद्दंड हो जाते हैं। इससे उनका विकास धीरे होता है। एक बच्चे के लिए यह उचित नहीं है। अनुशासन में रहकर साधारण से साधारण बच्चा भी परिश्रमी बुद्धिमान और योग्य बन सकता है। समय का मूल्य भी उसे अनुशासन में रहकर समझ में आता हैए क्योंकि अनुशासन में रहकर वह समय पर अपने हर कार्य को करना सीखता है। जिसने अपने समय की कद्र की वह जीवन में कभी परास्त नहीं होता है।

आज के भागदौड़ वाले जीवन में माता पिता के पास बच्चों की देखभाल के लिए प्राप्त समय नहीं है। बच्चे घर में नौकरों या क्रैच में महिलाओं द्वारा संभाले जा रहे हैं। माता पिता की छत्र छाया से निकलकर ये बच्चे अनुशासन में रहने के आदि नहीं हैं। विद्यालयों का वातावरण भी अब अनुशासनयुक्त नहीं है। इसका दुष्प्रभाव यह पड़ रहा है कि बच्चों के अंदर अनुशासनहीनता बढ़ रही है। वह उद्दंड और शैतान हो रहे हैं। दूसरों की अवज्ञा व अवहेलना करना उनके लिए आम बात है। परिवार के छोटे होने के कारण भी बच्चों की देखभाल भलीभांति नहीं हो पा रही है। माता-पिता उनकी हर मांग को पूरा कर रहे हैं। इससे छात्रों में स्वच्छंदता का विकास होने लगा है और वे अनुशासन से दूर होने लगे हैं। अनेक आपराधिक व असभ्य घटनाओं का जन्म होने लगा है। अल्पवयस्क छात्र-छात्राएं अनेक गलत कार्यों में संलग्न होने लगे हैं।

अत: हमें चाहिए कि बच्चों को प्यार व दुलार के साथ अनुशासन में रखें। जैसा कि कहा भी गया है कि ‘’अति की भली न वर्षा, अति की भली न धूप अर्थात अति हमेशा खतरनाक एवं नुकसानदेह होता है। इसलिए अभिभावकों को बच्चों के साथ सख्ती के साथ-साथ बच्चों को समझाना चाहिए। शिक्षकों का सही मार्गदर्शन भी छात्र-छात्राओं में नैतिक एवं भावनात्मक बदलाव तथा जागृति लाता है। अभिभावको तथा शिक्षकों का संयुक्त योगदान बच्चों के विकास हेतू आवश्यक है। हमारे जीवन मे ‘अनुशासन’ एक ऐसा गुण है, जिसकी आवश्यकता मानव जीवन में पग-पग पर पड़ती है। इसका प्रारंभ जीवन में बचपन से ही होना चाहिये ओर यही से ही मानव के चरित्र का निर्माण हो सकता है। अनुशासन शब्द तीन शब्दों से मिलकर बना है - अनु, शास्, अन,। विशेष रूप से अपने ऊपर शासन करना तथा शासन के अनुसार अपने जीवन को चलाना ही अनुशासन है। अनुशासन राष्ट्रीय जीवन का प्राण है। यदि प्रशासन, स्कूल समाज, परिवार सभी जगह सब लोग अनुशासन में रहेंगे और अपने कर्त्तव्य का पालन करेंगे, ज़िम्मेदारी समझेंगे तो कहीं किसी प्रकार की गड़बड़ी या अशांति नहीं होगी।

डॉ. जीडी शर्मा

कुलपति, बिलासपुर यूनिवर्सिटी

सिटी एडवाइस-एजुकेशन

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उन्नति के लिए व्यक्ति के जीवन में अनुशासन जरूरी

अनुशासन हमारे जीवन में क्यों जरूरी है अपने शब्दों में लिखो? - anushaasan hamaare jeevan mein kyon jarooree hai apane shabdon mein likho?

देश और समाज को हमें सभ्य व प्रगति के रास्ते पर ले जाना है तो हर नागरिक का अनुशासित होना सबसे आवश्यक और पहला कर्तव्य है। हमारे जीवन मे ''अनुशासन'' एक ऐसा गुण है, जिसकी आवश्यकता मानव जीवन में पग−पग पर पड़ती है।

अनुशासन क्या है अनुशास्यते नैन। अर्थात स्वयं का स्वयं पर शासन। अनुशासन शब्द तीन शब्दों से मिलकर बना है। अपने ऊपर स्वयं शासन करना तथा शासन के अनुसार अपने जीवन को चलाना ही अनुशासन है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अनुशासन का महत्व है। अनुशासन से धैर्य और समझदारी का विकास होता है। समय पर सही निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है। इससे कार्य क्षमता का विकास होता है तथा व्यक्ति में नेतृत्व की शक्ति जागृत होने लगती है। अनुशासन और अभ्यास से ही आत्मविश्वास पैदा होता है। अनुशासन हमारे चरित्र और व्यक्तित्व के निर्माण में सबसे अहम भूमिका निभाता है। अनुशासन ही सफलता की चाबी है। घर, परिवार, समाज, गाँव, शहर, राज्य और राष्ट्र में हर जगह सभी कार्यों में अनुशासन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अनुशासन 2 शब्दों के मेल से बना है। देश, समाज, संस्था आदि के नियमों के अनुसार चलना अनुशासन कहलाता है।

देश और समाज को हमें सभ्य व प्रगति के रास्ते पर ले जाना है तो हर नागरिक का अनुशासित होना सबसे आवश्यक और पहला कर्तव्य है। हमारे जीवन मे 'अनुशासन' एक ऐसा गुण है, जिसकी आवश्यकता मानव जीवन में पग−पग पर पड़ती है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। किसी समाज के निर्माण में अनुशासन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अनुशासन ही मनुष्य को श्रेष्ठता प्रदान करता है तथा उसे समाज में उत्तम स्थान दिलाने में सहायता करता है। अनुशासन मनुष्य के विकास के लिए आवश्यक है। यदि मनुष्य अनुशासन में जीवन−यापन करता है, तो वह स्वयं के लिए सुखद और उज्जवल भविष्य की राह निर्धारित करता है। अनुशासन की पहली पाठशाला परिवार होता है और दूसरी विद्यालय।

आज विश्व में जितनी समस्याएं हैं उनका एक मात्र कारण है मनुष्य का अनुशासन हीन जीवन। अनुशासन का पाठ बचपन से परिवार में रहकर सीखा जाता है। विद्यालय जाकर अनुशासन की भावना का विकास होता है। अच्छी शिक्षा विद्यार्थी को अनुशासन का पालन करना सिखाती है। स्वामी विवेकानंद के अनुसार आदर्श, अनुशासन, मर्यादा, परिश्रम, ईमानदारी तथा उच्च मानवीय मूल्यों के बिना किसी का जीवन महान नहीं बन सकता है। अनुशासन, लक्ष्यों और उपलब्धि के बीच का सेतु है।

हर एक के जीवन में अनुशासन सबसे महत्पूर्ण चीज है। बिना अनुशासन के कोई भी खुशहाल जीवन नहीं जी सकता है। कुछ नियमों और कायदों के साथ ये जीवन जीने का एक तरीका है। अनुशासन सब कुछ है जो हम सही समय पर सही तरीके से करते हैं। ये हमें सही राह पर ले जाता है। अनुशासन किसी भी कार्य को ठीक ढंग से करने का एक तरीका है। इसके लिये आपके शरीर और दिमाग पर एक नियंत्रण की जरूरत होती है। कुछ लोगों के पास स्व−अनुशासन प्राकृतिक संपत्ति के रूप में होता है जबकि कुछ को इसे अपने अंदर विकसित करना पड़ता है। अनुशासन में वो दक्षता है कि वो भावनाओं को नियंत्रित कर सकता है और मुश्किलों से पार पाने के साथ ही सही समय पर सही कार्य करने में मदद करता है। बिना अनुशासन के जीवन अधूरा और असफल है। विद्यार्थी जीवन में इसकी आवश्यकता इसलिए सबसे अधिक है क्योंकि इस समय विकसित गुण−अवगुण ही आगे चलकर उसके भविष्य का निर्माण करते हैं। अनुशासन के महत्व को समझने वाले विद्यार्थी ही आगे चलकर डॉक्टर, इंजीनियर व ऊँचे पदों पर आसीन होते हैं। अनुशासन का अर्थ है शासन या नियंत्रण को मानना। आदर्श जीवन जीने के लिए व्यवस्थाओं का अनुसरण करना ही अनुशासन है, अपने को वश में रखना अनुशासन है, अर्थात नियमानुसार जीवन के प्रत्येक कार्य करना जीवन को अनुशासन में रखना है। अनुशासन से दैनिक जीवन में व्यवस्था आती है। मानवीय गुणों का विकास होता है। नियमित कार्य करने की क्षमता, प्रेरणा मिलती है। अनुशासन ही मनुष्य को एक अच्छा व्यक्ति व एक आदर्श नागरिक बनाता है। वास्तव में अनुशासन−शिक्षा के लिए विद्यालय ही सर्वोच्च स्थान है। विद्यार्थियों को यहां पर अनुशासन की शिक्षा अवश्य मिलनी चाहिए। सरकार को स्कूली पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा को महत्वपूर्ण स्थान देना चाहिए। भारतीय संस्कृति महान है लेकिन महानता का अर्थ यह भी नहीं कि उसकी तरफ से आंखें मूंदे रहने पर भी वह आपकी संस्कृति की रक्षा करने में सक्षम है।

अनुशासन राष्ट्रीय जीवन का प्राण है।  जो छात्र संस्कारवान नहीं, वह अनुशासनप्रिय नहीं हो सकता। अनुशासन से ही शिक्षा पूर्ण समझी जा सकती है। शिक्षा का उद्देश्य जीवन को अनुशासित बनाना है। एक आदर्श अनुशासित समाज पीढियों तक चलने वाली संस्कृति की ओर पहला कदम है। आज हमारे जीवन में अनुशासन की सख्त आवश्यकता है अनुशासन जीवन के विकास का अनिवार्य तत्व है, जो अनुशासित नहीं होता, वह दूसरों का हित तो कर नहीं पता, स्वयं का अहित भी टाल नहीं सकता। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अनुशासन का महत्व है। अनुशासन से धैर्य और समझदारी का विकास होता है। समय पर सही निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है। इससे कार्य क्षमता का विकास होता है तथा व्यक्ति में नेतृत्व की शक्ति जागृत होने लगती है, अनुशासन स्वतंत्रता प्रदान करता है जो व्यक्ति अनुशासित रूप से जीते हैं उन्हें स्वतः ही विद्या, ज्ञान एवं सफलता प्राप्त होती है। आइंस्टीन ने कहा है "ऐसा नहीं है कि मैं अधिक बुद्धिमान हूँ। मैं केवल समस्याओं का हल ढूंढ़ने के विषय में और समय बिताता हूँ।" अनुशासन के लिए विश्वास भरी दृढ़ता की आवश्यकता है। आप को पसंद हो या ना हो उस की चिंता करे बिना यदि आप अपने चुने हुए मार्ग पर चलते रहें तो वह वास्तव में अनुशासन है। यदि आप सकारात्मक हो कर अपने मार्ग को पसंद करने की विधि जान लें तो अनुशासित रूप से जीना सहज हो जाता है।

किसी भी राष्ट्र की प्रगति तभी संभव है जब उसके नागरिक अनुशासित हों। यदि हम चाहते हैं कि हमारा समाज एवं राष्ट्र प्रगति के पथ पर निरंतर अग्रसर रहें, तो हमें अनुशासित रहना ही पड़ेगा। जब हम स्वयं अनुशासित रहेंगे, तब ही किसी दूसरे को अनुशासित रख सकेंगे। अनुशासन ही देश को महान बनाता है, प्रत्येक व्यक्ति का देश के प्रति कुछ कर्तव्य होता है, जिसका पालन उसे अवश्य करना चाहिए क्योंकि जिस देश के नागरिक अनुशासित होते हैं, वही देश निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर रह सकता है। आज समाज में हर क्षेत्र में अनुशासनहीनता का बोलबाला है हमारे रग रग में यह व्याप्त हो गया है। यही कारण है कि हम प्रगति की दौड़ में पिछड़ गए हैं। हमारे ऋषि मुनियों ने हमें प्रारम्भ से ही अनुशासन का पाठ पढ़ाया था जिसके कारण हमारा देश सोने की चिड़िया कहलाता था, यदि हम चाहते हैं कि हमारा देश एक बार फिर सोने की चिड़िया कहलाये तो सबसे पहले जीवन में अनुशासन को अंगीकार करना पड़ेगा तभी समाज और राष्ट्र उन्नति और विकास के मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ेगा।

- बाल मुकुन्द ओझा

हमारे जीवन में अनुशासन क्यों जरूरी है?

किसी समाज के निर्माण में अनुशासन की महत्वपूर्ण भूमिका होती हैअनुशासन ही मनुष्य को श्रेष्ठता प्रदान करता है तथा उसे समाज में उत्तम स्थान दिलाने में सहायता करता हैअनुशासन मनुष्य के विकास के लिए आवश्यक है। यदि मनुष्य अनुशासन में जीवन−यापन करता है, तो वह स्वयं के लिए सुखद और उज्जवल भविष्य की राह निर्धारित करता है

जीवन में अनुशासन क्या है?

जिसका अर्थ है- किसी नियम के अधीन रहना या नियमों के शासन में रहना। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अनुशासन आवश्यक है। पारिवारिक और सामाजिक जीवन में तो कहीं ज्यादा अनुशासन की आवश्यकता होती है। यदि अनुशासन का पालन नहीं किया जाए, तो जीवन उच्छृंखल बन जाएगा।