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ट्रैफिक सिग्नल तीन रंगों का ही इस्तेमाल किया जाता है...
मुख्य बातें
आप ट्रेन से यात्रा करे हों, बस से, ऑटो से, टैक्सी या फिर अपनी सवारी से, इन सब में एक चीज कॉमन है ट्रैफिक सिग्नल। देश हो या फिर विदेश सभी जगहों पर ट्रैफिक नियमों का पालन करना पड़ता है। इतना ही नहीं ट्रैफिक को कंट्रोल करने के लिए, भीड़ कम करने के लिए या फिर एक्सीडेंट से बचने के लिए ट्रैफिक सिग्नल का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन, एक चीज आप ने गौर किया है कहीं भी चले जाएं ट्रैफिक सिग्नल पर हर जगह तीन रंगों का ही इस्तेमाल किया जाता है। वो रंग हैं लाल, हरा और पीला। क्या आपके मन में कभी ये सवाल उठा है कि आखिर ट्रैफिक सिग्नल पर इन्हीं तीन रंगों का इस्तेमा क्यों किया जाता है? हो सकता है आप में से कुछ लोगों को इसके बारे में जानकारी हो, जबकि कुछ लोगों को बिल्कुल ही पता ना हो। तो चलिए, आज हम आपको बताते हैं कि आखिर ट्रैफिक सिग्नल पर इन्हीं तीन रंगों का इस्तेमाल क्यों होता है? तो इसलिए किया जाता है लाल रंग का इस्तेमाल... ये तो हम सब जानते हैं कि लाल रंग काफी गाढ़ा होता है। इसकी वेब लेंथ अन्य रंगों से बहुत ज्यादा होती है। लिहाजा, दूर से ही ये रंग किसी को भी दिख जाती है। इसके अलावा आंखों की रेटिना भी यह सबसे पहले अपना प्रभाव छोड़ता है। इसलिए, ये संकेत देता है कि आगे खतरा है और यात्री को रुकने के लिए इशारा करता है। इतना ही नहीं दिन की रोशनी में भी इस रंग को हम आसानी से देख सकते हैं। हरे रंग के इस्तेमाल का कारण हरे रंग की वेब लेंथ भी लाल रंग की तरह होती है। इसे शांति और प्रकृति का प्रतीक माना जाता है। इतना ही नहीं इस रंग को खतरे के बिल्कुल विपरित माना गया है। ये हमारी आंखों को सुकून पहुंचाता है। हरा रंग इशारा करता है कि आगे कोई खतरा नहीं है और आप आराम से आगे बढ़ सकते हैं। हरे रंग को भी दिन में आसानी से देखा जा सकता है। लिहाजा, ट्रैफिक सिग्नल पर इस रंग का इस्तेमाल किया जाता है। ये भी पढ़ें - PNR का नाम तो आपने खूब सुना होगा, लेकिन क्या है उसका फुल फॉर्म और मतलब? पीला रंग इस रंग को ऊर्जा का प्रतीक माना गया है। जैसे ही ट्रैफिक सिग्नल का रंग पीला होता है, ये हमें इशारा करता है कि आप अपनी ऊर्जा को दोबार समेट कर चलने के लिए तैयार हो जाएं। ये तीन रंग ऐसे हैं, जिन्हें आप दिन में आसानी से देख सकते हैं। अन्य रंगों को दिन में आपको थोड़ी परेशानी हो सकती है। लिहाजा, सड़क हो या फिर रेलवे रूट दुनिया में कहीं भी ट्रैफिक सिग्नल पर इन्हीं तीन रंगों का इस्तेमाल किया जाता है। विषयसूची रेलवे का सिग्नल का प्रकाश लाल रंग का ही क्यों होता है?इसे सुनेंरोकेंसबसे पहले जवाब दिया गया: रेलवे सिग्नल में लाल रंग का प्रयोग क्यों क्या जाता है? लाल रंग की रोशनी का wavelength सबसे ज्यादा होता है जिसके वजह से वह लंबी दूरी तय कर सकता है और लाल रंग में हवा के कण से स्कैटरिंग सबसे कम होता है जिससे दूर तक साफ दिखाई दे सकता है इसीलिए लाल रंग का प्रयोग ट्रैफिक सिग्नल में होता है। ट्रेन को सिग्नल देने वाले को क्या कहते हैं? इसे सुनेंरोकेंरेलवे संकेतक प्रणाली (Railway signal system) का व्यवहार रेलगाड़ी के चालकों को रेलपथ की आगे की दशा की सूचना देने के लिए किया जाता है। रेलवे सिगनल साधारणतः रेलपथ पर लगे हुए उन स्थावर संकेतकों को कहते हैं जिनसे रेल चालक को रेलपथ के अगले खंड की दशा का ज्ञान हो सके। रेलवे में कितने सिग्नल होते हैं? इसे सुनेंरोकेंतब इसके ऊपर स्थाई हरी बत्ती नहीं लगायी जाती व लोको पायलट को इसके ऊपर लगे आउटर सिगनल के संकेतों का पालन करना पड़ता है। अन्तिम रोक सिगनल के नीचे – जब दो ब्लॉक स्टेशनों के बीच की दूरी बहुत ही कम हो तो अनुमोदित विशेष अनुदेशों के अन्तर्गत अगले स्टेशन का वार्नर सिगनल पिछले स्टेशन के अन्तिम रोक सिगनल के नीचे लगाया जा सकता है। रेल की पटरी कौन से स्टील की बनी होती है?इसे सुनेंरोकेंरेल की पटरियां किस चीज से बनी होती है जो इतनी मजबूत होती है? भारतीय रेल पटरियों को स्टील अलॉय से बनाया जाता हैं, जो लोहे को कार्बन सिलिकॉन मिश्रित स्टील से बनाया जाता है, जिसको 880 ग्रेड भी कहते हैं। भारतीय रेलवे का प्रतीक चिन्ह क्या है? इसे सुनेंरोकें24 मार्च 2003 को इस प्रतीक चिन्ह भोलू को भारतीय रेलवे का आधिकारिक चिन्ह घोषित कर दिया गया। सिग्नल को हिंदी में क्या कहा जाता है? इसे सुनेंरोकेंसंकेत; इशारा 2. रेल पथ-वाहनों आदि की गति को नियंत्रित करने के लिए लगा हुआ लाल, हरी बत्तियों का संकेतक। रोड सिग्नल कितने प्रकार के होते हैं?इसे सुनेंरोकेंसबसे पहले यातायात संकेत की बात करते हैं। सुरक्षा संकेतों (traffic signs) को मुख्यतः तीन भागों में बांटा जा सकता है, पहला अनिवार्य संकेत दूसरा चेतावनी देने वाले संकेत और तीसरा सूचनात्मक संकेत । क्या सेमाफोर से ही रेल सिग्नल का जन्म हुआ? इसे सुनेंरोकेंरेलवे सेमाफोर सिग्नल निश्चित रेलवे सिग्नल के शुरुआती रूपों में से एक है । 1840 के दशक की शुरुआत में जोसेफ जेम्स स्टीवंस द्वारा सेमाफोर संकेतों का पेटेंट कराया गया था, और जल्द ही यांत्रिक संकेत का सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला रूप बन गया। भारत की पहली ट्रेन का नाम क्या था? इसे सुनेंरोकें(2) आज ही के दिन साल 1853 में भारत में पहली ट्रेन पटरी पर दौड़ी थी. यह ट्रेन बोरीबंदर (छत्रपति शिवाजी टर्मिनल) से ठाणे के बीच चलाई गई थी. इंडियन रेलवे का लोगो क्या है?इसे सुनेंरोकेंभारतीय रेलवे का आधिकारिक लोगो। प्रश्न में इकाई के लिए समर्पित लेख के शीर्ष पर दृश्य पहचान के प्राथमिक साधन के रूप में सेवा करने के लिए। केवल ज्ञानसन्दूक में उपयोग किया जाएगा। फ़ाइल का उपयोग इसके कॉपीराइट धारकों के किसी भी व्यावसायिक हितों पर उल्लंघन नहीं करेगा। भारतीय रेल का शुभंकर क्या है? इसे सुनेंरोकेंइस गार्ड का नाम भोलू है ये भारतीय रेल के शुभंकर के रूप में जाना जाता है। भारतीय रेल के 150 साल पूरा होने के दौरान साल 16 अप्रैल 2002 को बंगलुरू में भोलू गार्ड का अनावरण किया गया। बाद में साल 2003 में भारतीय रेल ने भोलू को मैस्कॉट (सौभाग्य लाने वाला) के रूप में अधिकृत कर लिया। रेलवे का सिग्नल लाल रंग का होता है क्यों?Solution : रेलवे सिग्नल में लाल रंग का प्रयोग किया जाता है क्योंकि इस रंग में प्रकाश का प्रकीर्णन कुहरे और धुएँ से सबसे कम होता है। इसलिए इसे दूर से देखने पर भी दिखाई पड़ता है।
रेलवे सिग्नल को हिंदी में क्या कहते हैं?रेलवे संकेतक प्रणाली (Railway signal system) का व्यवहार रेलगाड़ी के चालकों को रेलपथ की आगे की दशा की सूचना देने के लिए किया जाता है। सिगनल प्रणाली ही आज गाड़ियों के सुरक्षित तथा तीव्र गति संचालन की कुंजी है।
रेलवे सिस्टम में उपयोग किए जाने वाले सिग्नल प्रकार क्या हैं?लाल, पीला, 2 पीले और हरा। इस मुख्य सिगनल के बाँयीं ओर जो 2 छोटी पीली लाइट दिख रही हैं, वह शन्ट सिगनल है। मुख्य सिगनल के ऊपर बाँयी ओर जंक्शन टाइप रूट इंडीकेटर फिट है।
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