अगर आप इस नाम की आतिशबाज़ी पर जानकारी ढूंढ रहे हैं तो अनार (आतिशबाज़ी) का लेख देखिये Show अनार (वानस्पतिक नाम-प्यूनिका ग्रेनेटम)[1] एक फल हैं, यह लाल रंग का होता है। इसमें सैकड़ों लाल रंग के छोटे पर रसीले दाने होते हैं। अनार दुनिया के गर्म प्रदेशों में पाया जाता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से यह एक महत्त्वपूर्ण फल है। भारत में अनार के पेड़ अधिकतर महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और गुजरात में पाए जाते हैं। सबसे पहले अनार के बारे में रोमन भाषियों ने पता लगाया था। रोम के निवासी अनार को ज्यादा बीज वाला सेब कहते थे। भारत में अनार को कई नामों में जाना जाता है। बांग्ला भाषा में अनार को बेदाना कहते हैं, हिन्दी में अनार, संस्कृत में दाडिम और तमिल में मादुलई कहा जाता है। अनार के पेड़ सुंदर व छोटे आकार के होते हैं। इस पेड़ पर फल आने से पहले लाल रंग का बडा फूल लगता है, जो हरी पत्तियों के साथ बहुत ही खूबसूरत दिखता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि यह फल लगभग ३०० साल पुराना है। यहूदी धर्म में अनार को जननक्षमता का सूचक माना जाता है, जबकि भारत में अनार अपने स्वास्थ्य सम्ब्न्धी गुण के कारण लोकप्रिय है। औषधीय गुणअनार में प्रचुर मात्रा में लाभदायक प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, विटामिन और खनिज पाए जाते हैं। १०० ग्राम अनार खाने पर हमारे शरीर को लगभग ६५ किलो कैलोरी ऊर्जा मिलती है। कई आयुर्वेदिक दवाएं बनाने में भी अनार का प्रयोग किया जाता है। इसके बीजों से निकले तेल का प्रयोग औद्योगिक क्षेत्र में किया जाता है। अनार के पेड़ की लकड़ी बहुत मजबूत होती है। आमतौर पर इसकी लकड़ी का प्रयोग टहलते समय काम में लाई जाने वाली छड़ी बनाने में किया जाता है।[2] इस पर किए गए अध्ययनों से पता चलता है कि अनार रक्तसंचार वाली बीमारियों से लड़ता है, उच्च रक्तचाप को घटाता है, सूजन और जलन में राहत पहुँचाता है, गठिया और वात रोग की संभावना घटाता और जोड़ों में दर्द कम करता है, कैंसर की रोकथाम में सहायक बनता है, शरीर के बुढ़ाने की गति धीमी करता है और महिलाओं में मातृत्व की संभावना और पुरुषों में पुंसत्व बढ़ाता है। अनार को त्वचा के कैंसर, स्तन-कैंसर, प्रोस्टेट ग्रंथि के कैंसर और पेट में अल्सर की संभावना घटाने की दृष्टि से भी विशेष उपयोगी पाया गया है। अमरीकी डॉक्टरों की एक पत्रिका ने हाल ही में लिखा कि अनार का रस वृद्धावस्था में सठिया जाने के अल्सहाइमर रोग की संभावना भी घटाता है।[3]अनार की डाली से बनी हुई कलम पूजा-उपासना और तांत्रिक प्रयोगों में भी इस्तेमाल की जाती है। पुजारी/तांत्रिक एक स्वच्छ कागज़ पर अनार की कलम को लाल रंग की स्याही में डुबोकर रेखाओं और गणित के अक्षरों के जरिये एक यंत्र का निर्माण करते हैं, जो शरीर पर धारण करने से व्यक्ति को नकारात्मक उर्जा के प्रभाव से बचाता है।[4] सन्दर्भ
हिंदी अल्फाबेट को जानने का सबसे आसान तरीका आपको इस वेबसाइट पर मिलेगा. आप अपने बच्चों को जैसे अ से अनार और आ से आम सिखा सकते हैं. हिंदी अल्फाबेट को जानने का सबसे आसान तरीका आपको इस वेबसाइट पर मिलेगा. आप अपने बच्चों को जैसे अ से अनार और आ से आम सिखा सकते हैं. छोटे बच्चों के पुस्तक में हिंदी वर्णमाला के 49 अक्षर होते हैं. आपकी जानकारी के लिए बताना चाहता हूं कि उच्च वर्ग के व्याकरण में हिंदी वर्णमाला में कुल 52 अक्षर होते हैं. जैसे अ से अनार हिंदी वर्णमाला निम्नलिखित है
Conclusionहिंदी अल्फाबेट से संबंधित लेख आपको पसंद आया होगा. आपको बताने में मुझे खुशी होगी कि Hindi Alphabets से संबंधित किस वेबसाइट पर अनेक आर्टिकल हैं. जो आपके बालक के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं. कृपया चेक कर लें. अनार के कितने नाम हैं?भारत में अनार को कई नामों में जाना जाता है। बांग्ला भाषा में अनार को बेदाना कहते हैं, हिन्दी में अनार, संस्कृत में दाडिम और तमिल में मादुलई कहा जाता है।
क्या सभी अनार में 613 बीज होते हैं?एक अनार में बीजों की संख्या 200 से लेकर लगभग 1,400 तक हो सकती है ।
अनार को उनका नाम कहां से मिला?अनार शब्द मध्यकालीन लैटिन "पोमम ग्रेनाटम" से लिया गया है, जिसका अर्थ है कई अनाज या बीजों का सेब । इसकी विदेशी उपस्थिति और विपुल बीज समूहों के कारण, .
अनार का नाम क्या है?अनार को हिंदी में अनार या दाड़िम भी कहते हैं। इसे मराठी भाषा में डाळिंब कहा जाता है और उर्दू में انار (अनार) कहते हैं। इसी तरह, इसे सभी भाषाओं में अलग-अलग नामों से जाना जाता है।
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