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अनुसूचित जनजाति कल्याणप्रिंट अनुसूचित जनजातियों का संक्षिप्त विवरण
जनसंख्या वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार
साक्षरता का दर वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार
राज्य सरकार की प्रतिबद्वताओं के अनुसार अनुसूचित जनजातियों के कल्याण एवं उनके जीवन स्तर में सुधार को उच्च प्राथमिकता दी गयी है, इन वर्गो के लोगों के आर्थिक, सामाजिक एवं शैक्षिक उत्थान हेतु कई योजनाओं का संचालन किया जा रहा है जिससे इनका सर्वागीण विकास हो सकें। इस वर्ग के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का मुख्य उद्देश्य अनुसूचित जनजातियों का शैक्षिक, सामाजिक एंव आर्थिक स्तर पर उन्हें सहयोग कर समाज के मुख्य धारा से जोड़ना है। योजना का नाम 1. छात्रवृत्ति योजना अ. पूर्वदशम कक्षाओं (कक्षा 1 से 8 तक) एवं आई.टी.आई. छात्रवृत्ति- योजना का उद्देश्य उत्तराखण्ड शासन द्वारा राज्य के अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों को साक्षर एवं शिक्षित बनाने के उद्देश्य से छात्रवृत्ति योजनायें संचालित की जा रही है। शिक्षा के प्रति प्रेरित करने एवं शिक्षा हेतु आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने हेतु विभाग द्वारा उन्हें प्राईमरी स्तर से स्नातकोत्तर स्तर तक छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है । क. छात्रवृत्ति की दरें-
लाभाविन्त हेतु पात्रता आय सीमा: प्रदेश के विद्यालयों में अध्ययनरत् कक्षा 1 से 8 तक के सभी जनजाति के छात्र/छात्राओं को छात्रवृत्ति प्रदान की जा रही है । अशासकीय विद्यालयो में अध्ययनरत् जनजाति छात्र/छात्राओं के माता-पिता/अभिभावक की मासिक आय रू. 5000/- से अधिक नही होनी चाहिए। ख- कक्षा 9 एंव 10 हेतु छात्रवृत्तिः- जनजातीय कार्य मन्त्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली के पत्र दिनांक 10 सितम्बर, 2012 द्वारा कक्षा 09 व 10 के जनजातीय छात्र/छात्राओं हेतु जिनके परिवार की वार्षिक आय रू0 2.00 लाख से अधिक न हो, छात्रावासी (Hostellers) हेतु छात्रवृत्ति रू0 350.00 प्रतिमाह की दर से 10 माह के लिए एवं पुस्तकीय व अनावर्ती सहायता रू0 1000.00 प्रतिवर्ष तथा बिना छात्रावासी (Day Hostellers) हेतु छात्रवृत्ति रू0 150.00 प्रतिमाह की दर से कुल 10 माह के लिए और पुस्तकीय व अनावर्ती सहायता रू0 750.00 प्रतिवर्ष की दर से वहन किए जाने की दिनांक 01.7.2012 से योजना प्रारम्भ की गई है। ब. दशमोत्तर कक्षाओं में छात्रवृत्ति: उत्तराखण्ड प्रदेश में अनुसूचित जनजाति के उन समस्त छात्र/छात्राओं को दशमोत्तर कक्षाओं में छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है, जिनके माता पिता/अभिभावक की वार्षिक आय समस्त स्रोतों से रू0 2.50 लाख (रूपये दो लाख पचास हजार मात्र) से अधिक नही है, यह छात्रवृत्ति भारत सरकार द्वारा निर्धारित नियमावली के अन्तर्गत प्रदान की जाती है, प्रदेश के उन छात्र/छात्राओं को भी छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है जो प्रदेश से बाहर विभिन्न कालेजों में उच्च शिक्षा में अध्ययनरत् है। दशमोत्तर छात्रवृत्ति (जनजाति वर्ग) की दरें निम्न प्रकार हैं:- (धनराशि रू0 में )
(2) राजकीय आश्रम पद्वति विद्यालयों का संचालन: योजना का उद्देश्य उत्तराखण्ड राज्य में निवासरत् अनुसूचित जनजातियों के बालक/बालिकाओ के शैक्षिक उत्थान एवं विकास हेतु विभाग द्वारा वर्तमान मे 16 राजकीय आश्रम पद्वति विद्यालयों का निम्न प्रकार संचालन किया जा रहा है, जिनमें बालिकाओं हेतु 4 हाईस्कूल स्तर तक 1 जूनियर हाईस्कूल है, इसी प्रकार बालकों हेतु 8 हाईस्कूल स्तर तक तथा 1 जूनियर हाईस्कूल स्तर तथा 2 प्राईमरी स्तर के विद्यालयों का संचालन किया जा रहा है । उत्तराखण्ड राज्य के गठन के उपरान्त जो विद्यालय किराए में चल रहे थे के भवनो ंका निर्माण कार्यो की स्वीकृति प्रदान की गयी तथा पुराने भवनों का जीर्णोद्वार किया गया, राजकीय आश्रम पद्वति विद्यालयों में प्रारम्भिक कक्षा से अन्तिम कक्षा तक निःशुल्क भोजन, वस्त्र, आवास, स्टेशनरी तथा दवाई आदि की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है, प्रदेश में सचालित विद्यालयों का विवरण निम्न प्रकार है।
3 राजकीय जनजाति छात्रावास : अनुसूचित जनजातियों के शैक्षिक विकास हेतु वर्तमान में पांच छात्रावास क्रमशः धारचूला (पिथौरागढ) गोपेश्वर (चमोली) काशीपुर खटीमा (उधमसिहनगर) एवं धनपौ(देहरादून) में संचालित है। अनुसूचित जनजाति के दुरस्थ स्थानों से ब्लाक/जनपद मुख्यालयों पर अध्ययन करने वाले छात्रों/छात्राओं को प्रवेश दिए जाता है एवं छात्रावास में छात्रों/छात्राओं को निःशुल्क आवासीय सुविधा के साथ-साथ भोजन सुविधा भी प्रदान की जाती है। प्रति छात्रावास छात्र/छात्रा क्षमता 50 स्वीकृत है।
4. आई.टी.आई. का संचालन: अनुसूचित जनजाति के शिक्षित बेरोजगार युवक/युवतियों को तकनीकी शिक्षा उपलब्ध कराये जाने के उद्देश्य से विभाग द्वारा जनपद ऊधमसिहनगर के खटीमा एवं गूलरभोज में 2 तथा जनपद देहरादून के चकराता में 01 कुल 03 राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों का संचालन किया जा रहा है, इन संस्थानों में हिन्दी आशुलिपि, कम्प्यूटर व्यवसाय (कोपा), वैल्डर, इलैक्ट्रिशियन, मोटर मैकेनिक, डीजल मैकेनिक, सुईग तथा कंटिग तथा फिटर व्यवसाय में प्रशिक्षण दिये जाने की व्यवस्था है तथा इन संस्थानों में प्रशिक्षणार्थियों को निःशुल्क प्रशिक्षण के साथ साथ भोजन, आवासीय सुविधा, वस्त्र एवं स्टेशनरी प्रदान की जाती है, तीनों संस्थान शासकीय भवनों में सचालित है। संचालित औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों का विवरण निम्नवत् है।
5 संविधान के अनुच्छेद 275(1) के अन्तर्गत आर्थिक सहायता : अनुसूचित जनजाति बाहुल्य क्षेत्रों में अवस्थापना सुविधाओं के विकास हेतु योजनान्तर्गत भारत सरकार द्वारा 100 प्रतिशत केन्द्रीय सहायता योजना संचालित की जा रही है, जिसके अन्तर्गत अवस्थापना सुविधाओं के विकास के अतिरिक्त आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। 6. एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय का संचालन : अनुसूचित जनजातियों के प्रतिभावान छात्र/छात्राओं हेतु राज्य में पूर्व से तीन एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय, कालसी, जनपद देहरादून, बाजपुर व खटीमा जनपद ऊधम सिंह नगर में संचालित है।वर्ष 2021-22 में देहरादून के विकास खण्ड चकराता के ग्राम मेहरावना में नवीन एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय संचालित किये जाने की स्वीकृृति जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली द्वारा प्रदान की गई है ।उक्त विद्यालयों में कक्षा 06 से 12 तक शिक्षा प्रदान किये जाने की व्यवस्था है। 7. आदिम जनजाति (बुक्शा एवं राजी) के लिए कल्याणकारी कार्यक्रम: वर्ष 1967 में भारत सरकार द्वारा 5 जनजातियां क्रमशः थारू, बुक्शा, भोटिया, राजी एवं जौनसारी को अनुसूचित जनजाति घोषित किया गया है, उक्त पांचों जनजातियों में बुक्शा एवं राजी जनजाति अन्य जनजातियों से काफी पिछड़ी एवं निर्धन होने के कारण उन्हें आदिम समूह की में रखा गया है, बुक्शा जनजाति जो जनपद देहरादून के विकासनगर सहसपुर, विकासनगर, डोईवाला, जनपद पौड़ी गढवाल के विकासखण्ड दुग्गडा, जनपद हरिद्वार के विकासखण्ड बहादराबाद, (लालढांग परिक्षेत्र) जनपद उधमसिहनगर के विकासखण्ड बाजपरु, गदरपुर, काशीपुर, जनपद नैनीताल के विकासखण्ड रामनगर, राजी जनजाति जनपद पिथौरागढ के धारचूला, कनालीछीना, डीडीहाट एवं जनपद चम्पावत के विकासखण्ड चम्पावत में मुख्य रूप सें निवासरत है। उक्त दोनों जनजातियों के विकास हेतु भारत सरकार द्वारा शत् प्रतिशत अनुदान की येाजना क्रियान्वयन की गई है, जिसमें राज्य सरकार की संस्तुति के आधार पर केंन्दांश की धनराशि भारत सरकार द्वारा स्वीकृत की जाती है। 8. जनजातियों के लिए जनजाति उपयोजना: अनुसूचित जनजातियों के लिए जनजाति उपयोजनान्तर्गत भारत सरकार द्वारा 100 प्रतिशत केन्द्रीय सहायता उपलब्ध करायी जाती है। इस योजना के अन्तर्गत अनुसूचित जनजातियों के व्यक्तियों के सामाजिक, आर्थिक एंव शैक्षिक विकास हेतु प्रस्ताव तैयार कर जनजाति कार्य मंत्रालय, भारत सरकार को उपलब्ध कराए जाते है। जनजाति कार्य मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रस्तावों पर स्वीकृति प्रदान कर धनराशि राज्य सरकार को आवंटित की जाती है। 9. प्रतियोगी परीक्षा पूर्व कोचिंग केन्द्रों द्वारा प्रतिभागी को प्रशिक्षण: उक्त योजनान्तर्गत अनुसूचित जनजाति के छात्र/छात्राओं के रोजगार के अवसर बढाने हेतु विभिन्न सरकारी एवं गैर सरकारी संगठनों एवं निजी संस्थाओं के माध्यम से विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी हेतु परीक्षा पूर्व कोचिंग की निःशुल्क व्यवस्था के लिए राज्य में निजी कोचिंग सेन्टरों का चयन किया जाता है। चयनित कोचिंग केन्द्रो के माध्यम से कोचिंग प्राप्त करने वाले अनुसूचित जनजाति के युवको/युवतियों को रू 750.00 प्रतिमाह (स्थानीय) तथा रू 1500.00 प्रतिमाह (बाहरी) छात्रवृत्ति प्रदान किये जाने की व्यवस्था है। 10. अनुसूचित जनजाति की पुत्रियों की शादी हेतु अनुदान योजना : अनुसूचित जाति की भाॅति अनुसूचित जनजाति के गरीबी की सीमा रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार, जिनकी आय सीमा रू. 48,000/- (रू. अडतालीस हजार मात्र) वार्षिक अथवा बी.पी.एल. परिवार से सम्बन्धित हों, को अधिकतम दो पुत्रियों के विवाह हेतु आर्थिक सहायता के रूप में एकमुश्त रू. 50,000/- (रू. पचास हजार मात्र) की धनराशि प्रदान की जाएगी। सामान्य श्रेणी के बी.पी.एल. परिवार की विधवाओं की अधिकतम दो पुत्रियों को भी उनके विवाह हेतु आर्थिक सहायता के रूप में एकमुश्त रू. 50,000/- (रू. पचास हजार रू. मात्र) की धनराशि प्रदान की जायेगी। आवेदकों को निम्न वरियतानुसार धनराशि की स्वीकृति प्रदान किये जाने का प्राविधान किया गया है। 1- अन्तोदय कार्ड धारक आवेदनकर्ता। 2- बी.पी.एल. विधवा आवेदनकर्ता। 3- बी.पी.एल. आवेदनकर्ता। बी.पी.एल. आवेदनकर्ता को बी.पी.एल. के साक्ष्य के रूप में बी.पी.एल. कार्ड अथवा बी.पी.एल. क्रमांक का विवरण आवश्यक रूप से उपलब्ध कराया जाना होगा। इस संबंध में अन्य कोई साक्ष्य मान्य नहीं होंगे। 11. स्वैच्छिक संगठनों द्वारा शिक्षा सम्बन्धी कार्य तथा उन्हे दी जाने वाली आर्थिक सुविधायें ऐसे स्वैच्छिक संगठन जो अनुसूचित जनजाति बाहुल्य क्षेत्रो में जनजातियों के शैक्षिक एवं आर्थिक विकास के लिए कार्यरत है उन्हे आवर्तक में अनुदान दिए जाने का प्राविधान है तथा ऐसे स्वैच्छिक संगठनों द्वारा संचालित संस्थाओं में जनजातियों के व्यक्तियों की संख्या का अनुपात 50 प्रतिशत होना आवश्यक है।
12. अनुसूचित बाहुल्य जनजाति क्षेत्रों में अवस्थापना सुविधाओं का विकास अनुसूचित जनजतियों के बाहुल्य ग्रामों में पेयजल व्यवस्था, मोटर मार्ग/झूला पुल/पुल/पुलिया, सम्पर्क मार्ग, विद्युतीकरण, नाली एवं जल निकास व्यवस्था, शौचालय, सामुदायिक प्रयोग के भवनों का निर्माण, जैसे बारात घर/ सामुदायिक मिलन केन्द्र, विभिन्न अवस्थापना सुविधाओं में अवशिष्ठ कार्य (Critical gap) सिचाई व्यवस्था, क्रीड़ा स्थलो का विकास, सामाजिक वनीकरण, चारा व बायोफ्यूल के लिए सामुदायिक व्यवस्था, सार्वजनिक मार्गो पर प्रकाश व्यवस्था आदि की योजनाओं का संचालन किया जा रहा है। वन अधिकार अधिनियम 2006 का विवरण उत्तराखंड में अनुसूचित जाति की जनसंख्या कितनी है?वर्र्ष २००१ की जनगणना के आधार पर राज्य की कुल जनसंख्या ८४,८९,३४९ में से अनुसूचित जाति की जनसंख्या १५,१७,१८६ तथा अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या २,५६,१२९ हैं। प्रदेश की कुल जनसंख्या में अनुसूचित जातियों की जनसंख्या १७.९ प्रतिशत है तथा अनुसूचित जनजातियों की जनसंख्या ०३ प्रतिशत है।
2011 की जनगणना के अनुसार उत्तराखंड की जनसंख्या कितनी है?जागरण संवाददाता, देहरादून: जनगणना निदेशालय की ओर से उत्तराखंड की जनसंख्या के अंतिम आंकड़े जारी कर दिए गए हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार सूबे की कुल जनसंख्या एक करोड़ 86 लाख 292 है, जो कि अनंतिम आंकड़ों में एक करोड़ एक लाख 16 हजार 752 दर्ज की गई थी।
उत्तराखंड में सबसे कम अनुसूचित जाति वाला जिला कौन सा है?ऊ. सि. न. राज्य में सर्वाधिक और सबसे कम अनुसूचित जनजातियों के आबादी वाले जिले क्रमशः हैं - ऊधमसिंह नगर (1,23,037 ) - और रुद्रप्रयाग (386)।
2011 की जनगणना के अनुसार भारत में जनजातीय जनसंख्या का प्रतिशत कितना है?वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की आबादी में लगभग 8.6 प्रतिशत अनुसूचित जनजातियां हैं।
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