थोड़ी धरती पाऊँसर्वेश्वरदयाल सक्सेनाबहुत दिनों से सोच रहा था, थोड़ी धरती पाऊँ इस कविता के रचयिता सर्वेश्वरदयाल सक्सेना है। कवि ने इस कविता में पर्यावरण के लिए जंगल के महत्व के बारे में लिखा है। कवि चाहता है कि उसके पास जमीन का एक छोटा टुकड़ा हो जिसपर वह बगीचा लगा सके। उसकी इच्छा है कि उस बगीचे में फूल खिलें, फल लगें और प्यारी खुशबू व्याप्त रहे। कवि चाहता है कि बगीचे के जलाशय में चिड़ियाँ आकर स्नान करें और फिर अपना मधुर संगीत फैलाएँ। लेकिन कवि को शहर में एक इंच भी धरती नहीं मिल पाती है। उसे एक भी पेड़ नहीं मिलता है जो उसे अपना भाई कह सके। Chapter Listचिड़िया और चुरुंगुन सबसे सुंदर लड़की मैं हूँ रोबोट गुब्बारे पर चीता थोड़ी धरती पाऊँ गारो पुस्तकें जो अमर हैं काबुलीवाला विश्वेश्वरैया हम धरती के लाल पोंगल झलकारीबाई सुधा चंद्रन पानी और धूप गीतहो सकता है पास, तुम्हारे अपनी कुछ धरती हो कवि कहता है कि हो सकता है पाठकों में से किसी के पास धरती का अपना टुकड़ा हो और उसपर फूल और फलों से लदा बगीचा हो। हो सकता है किसी के पास छोटी मोटी खेती भी हो जिसमें पकी हुई फसल दम दम दमक रही हो। हो सकता किसी के खेत में कुछ जानवर शांति से विचरण कर रहे हों या फिर किसी के बागान में पक्षी झूम रहे हों। कवि कहता है कि यदि ऐसा है तो फिर उस दुनिया को खोने से बचाना होगा। पेड़ों को कटने से और चिड़ियों को रोने से बचाना होगा। एक-एक पत्ती पर हम सब के सपने सोते हैं एक एक पत्ती पर हम सबके सपने सोते हैं। जब पेड़ काट दिये जाते हैं तो हमारे सपने छोटे बच्चों की तरह रोने लगते हैं। इसलिए हमें पेड़ों की तरह पनपना और खेलना कूदना सीखना होगा। कवि का कहना है कि बच्चे और पेड़ दुनिया को हरा-भरा रखते हैं। जिस तरह से बच्चे निस्वार्थ भाव से सबमें खुशियाँ बाँटते हैं उसी तरह से पेड़ भी बिना राग-द्वेष के सबको अपना फल और अपनी छाया देता है। जो इस बात को नहीं समझ पाते उन्हें अपने किये की सजा मिलती है। आज सभ्यता वहशी बन, पेड़ों को काट रही है आज हमारी सभ्यता वहशी हो चुकी है। अपने लोभ को पूरा करने के चक्कर में हम पेड़ों को काट रहे हैं। जंगल के कटने से वातावरण प्रदूषित हो चुका जिसका जहर हम सबके फेंफड़ों को बरबाद कर रहा है। कविता सेप्रश्न 1: कवि बाग-बगीचा क्यों लगाना चाहता है? उत्तर: कवि चाहता है कि उसके आसपास चिड़ियों का कलरव सुनाई दे और फूलों की सुगंध छाई रहे। इसलिए कवि बाग-बगीचा लगाना चाहता है। प्रश्न 2: कविता में कवि की क्या विनती है? उत्तर: कविता में कवि विनती करता है कि हम पेड़ों को काटना बंद करें। कवि विनती करता है कि हम पेड़ों के महत्व को समझें और उनका सम्मान करना सीख जाएँ। प्रश्न 3: कवि क्यों कह रहा है कि उत्तर: आज विकास के नाम पर पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है। पेड़ काटे जा रहे हैं ताकि मकान, सड़कें और कारखाने बन सकें। यह सब हम अपने लालच को शांत करने के लिए कर रहे हैं। इससे भविष्य में हमारा ही नुकसान होने वाला है। इसलिए कवि कह रहा है कि आज सभ्यता वहशी बन पेड़ों को काट रही है। प्रश्न 4: कविता की इस पंक्ति पर ध्यान दो: अब तुम यह बताओ कि पेड़ों और बच्चों में क्या कुछ समानता है? उसे अपने ढ़ंग से लिखो। उत्तर: बच्चे निस्वार्थ भाव से हर किसी को अपना स्नेह बाँटते हैं। ठीक इसी तरह पेड़ भी अपना फल या अपनी छाया हर किसी को देता है। पेड़ों और बच्चों में यही समानता है।
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