योजना आयोग ने वर्ष 2012 से 2017 तक चलने वाली 12वीं पंचवर्षीय योजना में सालाना 10 फीसदी की आर्थिक विकास दर हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. Show
बारहवीं पंचवर्षीय योजना को निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए शुरू किया गया था: योजना आयोग ने वर्ष 2012 से 2017 तक चलने वाली 12वीं पंचवर्षीय योजना में सालाना 10 फीसदी की आर्थिक विकास दर हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. वैश्विक आर्थिक संकट का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा है. इसी के चलते 11 पंचवर्षीय योजना में आर्थिक विकास दर की रफ्तार को 9 प्रतिशत से घटाकर 8.1 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा गया है. बारहवीं पंचवर्षीय योजना को नीतिगत दिशानिर्देश और सिद्धांतों द्वारा निर्देशित किया गया है ताकि भारतीय अर्थव्यवस्था अपने प्रथम तिमाही में (2012 – 13) में अल्पकाल में ही 5.5% की विकास दर प्राप्त कर सके. बारहवीं पंचवर्षीय योजना का प्रमुख उद्देश्य पूर्व में जारी सभी लेट-लतीफ़ की योजनाओं और परमपराओ को दरकिनार करते हुए संसाधनों के विकास और ढांचागत परियोजनाओं के ऊपर ध्यान देना है. योजना आयोग द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार निजी क्षेत्रों में 1खरब डॉलर के निजी निवेश को आकर्षित करने की योजना है ताकि ढांचागत विकास को मजबूत किया जा सके. इसके माध्यम से सरकार के ऊपर पड़ने वाले सब्सिडी के बोझ को कुल सकल घरेलु उत्पाद के 2% से घटाकर 1.5% तक कम करना है. इस योजना के अंतर्गत विशिष्ट पहचान संख्या के माध्यम से सब्सिडी युक्त नकद हस्तांतरण को सुलभ बनाना. इस योजना में (बारहवीं पंचवर्षीय योजना) कृषि क्षेत्र में विकास की दर को 4% तक प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है. साथ ही वर्ष 2017 तक गरीबी को 10% कम करते हुए कार्य करना. और जानने के लिए पढ़ें: ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना (2007-2012) नौवीं पंचवर्षीय योजना (1997-2002) आठवीं पंचवर्षीय योजना (1992-1997) खेलें हर किस्म के रोमांच से भरपूर गेम्स सिर्फ़ जागरण प्ले पर देश की 12 वीं पंचवर्षीय योजना (2012-17) के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में औसत वार्षिक वृद्धि का लक्ष्य अब 80 प्रतिशत निर्धारित किया गया है। योजना आयोग की संस्तुति पर राष्ट्रीय विकास परिषद् (NDC) ने इस पंचवर्षीय योजना में वार्षिक वृद्धि का लक्ष्य 8.2 प्रतिशत से घटाकर अब 80 प्रतिशत कर दिया है इस संशोधन के साथ 12वीं योजना के दस्तावेज को परिषद् की प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में 27 दिसम्बर, 2012 को नई दिल्ली में सम्पन्न बैठक में स्वीकार किया गया। यह दूसरा अवसर है जब इस पंचवर्षीय योजना में वार्षिक विकास दर का लक्ष्य घटाया गया है, योजना के एप्रोच पेपर में यह लक्ष्य 9.0 प्रतिशत का निर्धारित किया गया था जिसे बाद में सितम्बर 2012 में घटा कर 8.2 प्रतिशत किया गया था। देश की 11 वीं पंचवर्षीय योजना में सकल घरेलू उत्पाद में 7.9 प्रतिशत (अनंतिम) वार्षिक वृद्धि प्राप्त की गई है। 12 वीं पंचवर्षीय योजना में पाँच वर्ष की अवधि में गैर कृषि क्षेत्र में रोजगार के 5 करोड़ नए अवसर सृजित करने तथा देश में निर्धनता अनुपात में 10 प्रतिशत बिन्दु की कमी करने का लक्ष्य भी निर्धारित किया गया है।
सभी पंचवर्षीय योजना का संक्षिप्त विवरण
भारत के 1.25 बिलियन नागरिकों को आज अपने भविष्य के बारे में पहले से कहीं अधिक उम्मीदें हैं। उन्होंने विगत दस वर्षों में अर्थव्यवस्था को पहले की तुलना कहीं अधिक तेजी से बढ़ते हुए में और बहुत से लोगों को प्रत्यक्ष लाभ देते हुए देखा है। अतः स्पष्ट है कि इससे सभी वर्गों की उम्मीदें बढ़ गई हैं विशेषकर उनकी जिन्हें कम लाभ हुआ है। हमारी जनता को अब संभावनाओं की पहले से कहीं अधिक जानकारी है और वे इससे कम के लिए राजी नहीं होंगे। बारहवीं पंचवर्षीय योजना को इन ऊंची उम्मीदों को पूरा करने की चुनौती पर खरा उतरना होगा। प्रारंभिक परिस्थितियांहालांकि उम्मीदें बढ़ी हैं, तथापि, जिन परिस्थितियों में बारहवीं योजना शुरू हुई है, वे 2007-08 में ग्यारहवीं योजना के आरंभ के समय की परिस्थितियों से कम अनुकूल हैं। उस समय अर्थव्यवस्था का सुदृढ तरीके से विकास हो रहा था, वृहद आर्थिक संतुलन सुधर रहा था और वैश्विक आर्थिक घटनाक्रम समर्थनकारी था। आज की परिस्थिति कहीं अधिक विकट है। वैश्विक अर्थव्यवस्था दीर्घकालिक मंदी से गुजर रही है। घरेलू अर्थव्यवस्था अनेक आंतरिक बाधाओं का भी सामना कर रही है। अर्थव्यवस्था को राजकोषीय प्रोत्साहन देने के लिए 2008 के बाद किए गए राजकोषीय विस्तार के परिणामस्वरूप वृहद आर्थिक असंतुलन उत्पन्न हो गए हैं। स्फीतिकारी दबाव उत्पन्न हो गए हैं। विभिन्न प्रकार की कार्यान्वयन संबंधी कठिनाइयों की वजह से ऊर्जा और परिवहन क्षेत्र की प्रमुख निवेश परियोजनाओं की प्रगति से सदी आ गई है। 2012-13 में कर व्यवस्था में कुछ परिवर्तनों से निवेशकों में अनिश्चितता उत्पन्न हुई है। इन घटनाओं के फलस्वरूप निवेश की दर में कमी आई है और 2011-12. जो ग्यारहवीं योजना का अंतिम वर्ष था. में आर्थिक विकास की दर कम हो कर 6.2 प्रतिशत हो गई है। बारहवीं योजना के पहले वर्ष अर्थात 2012-13 के पूर्वार्द्ध में विकास दर इससे भी कम है। इस गिरावट की प्रवृत्ति के लिए तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई अपेक्षित है, तथापि, इसके फलस्वरूप मध्यम काल के बारे में अनावश्यक निराशावाद उत्पन्न नहीं होना चाहिए। भारत के आर्थिक मूलाधारों में अनेक आयामों में सुधार हो रहा है और यह इस तथ्य से परिलक्षित होता है कि 2011-12 में मंदी के बावजूद ग्यारहवीं योजना अवधि में अर्थव्यवस्था की औसत विकास दर 8 प्रतिशत रही। यह 9 प्रतिशत के योजना लक्ष्य से कम थी परंतु यह दसवीं योजना में 7.8 प्रतिशत की उपलब्धि से बेहतर थी। यह तथ्य कि यह विकास उस अवधि में प्राप्त किया गया जिसके दौरान दो वैश्विक संकटों का सामना करना पड़ा था. एक 2008 में और दूसरा 2011 में, अर्थव्यवस्था द्वारा विकसित की गई समुत्थानशीलता का सूचक है। नीतिगत चुनौतीअतः बारहवीं योजना में नीतिगत चुनौती द्वि-स्तरीय है। तात्कालिक चुनौती यह है कि निवेश का यथाशीघ्र पुनरुद्धार करके विकास में देखी गई मंदी की प्रवृत्ति को पलट दिया जाए। इसके लिए अवसंरचना में कार्यान्वयन संबंधी बाधाओं, जो बड़ी परियोजनाओं को रोक रही हैं, से निपटने हेतु तात्कालिक कार्रवाई के साथ ही कर संबंधी मुद्दों, जिन्होंने निवेश के माहौल में अनिश्चितता उत्पन्न कर दी है, से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई करने की आवश्यकता है। दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य से, इस योजना को ऐसी नीतियां लागू करनी होंगी जो अर्थव्यवस्था को पुनः इसकी वास्तविक विकास क्षमता तक पहुंचाने के लिए अर्थव्यवस्था की अनेक योग्यताओं का लाभ उठा सके। इसमें समय लगेगा परंतु लक्ष्य यह होना चाहिए कि बारहवीं योजना अवधि के अंत तक पुन 9 प्रतिशत विकास हासिल कर लिया जाए। 12 वीं पंचवर्षीय योजना के मुख्य लक्ष्य एक दृष्टि में
समावेशी विकास के संबंध में ग्यारहवीं योजना की उपलब्धियांसमावेशी विकास के उद्देश्य को पूरा करने में ग्यारहवीं योजना किस हद तक सफल रही है. इसे दर्शाने वाले कुछ महत्वपूर्ण संकेतक निम्नानुसार हैं (कुछ मामलों में, जहां डेटा एनएसएसओ सर्वेक्षणों से संबंधित है, वहां तुलना के लिए समय अवधि 2004-05 से पहले और बाद की है)।
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2022 में कौन सी पंचवर्षीय योजना है?Key Highlights of Panchvarshiya Yojana. भारत में अब तक पूर्ण हुई पंचवर्षीय योजना कितनी है?पंचवर्षीय योजना हर 5 वर्ष के लिए केंद्र सरकार द्वारा देश के लोगो के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए शुरू की जाती है । पंचवर्षीय योजनायें केंद्रीकृत और एकीकृत राष्ट्रीय आर्थिक कार्यक्रम हैं। 1947 से 2017 तक, भारतीय अर्थव्यवस्था का नियोजन की अवधारणा का यह आधार था।
सबसे सफल पंचवर्षीय योजना कौन सी है?आपको बता देश की 11वीं पंचवर्षीय योजना (1 अप्रैल 2007- 31 मार्च 2012) सबसे सफल पंचवर्षीय योजना रही है।
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