1 अंधकार युग से आप क्या समझते है? - 1 andhakaar yug se aap kya samajhate hai?

1 अंधकार युग से आप क्या समझते है? - 1 andhakaar yug se aap kya samajhate hai?

                        भौगोलिक खोजें

                     अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

1. कुस्तुंतुनिया पर 1453 ई० में किसने अधिकार किया? 

उत्तर:-उस्मानी तुर्कों

2. कैरावल जहाजों का निर्माण किस देश में किया गया? 

उत्तर:-पुर्तगालियों

3. वास्कोडिगामा को भारत पहुँचने में किस भारतीय व्यापारी ने सहायता की थी? 

उत्तर:-अब्दुल मजीद

4. अफ्रीका के दक्षिणतम बिंदु का क्या नाम था? 

उत्तर:-उत्तमाशा अंतरीप

5. न्यूफाउंडलैंड द्वीपों की खोज किसने की? 

उत्तर:-सेबास्टियन कैबोट

6. धर्मयुद्ध (क्रूसेड) क्यों हुए थे? 

उत्तर:-जेरूशेलम को मुक्त कराने के लिए ईसाइयों एवं तुर्कों में धर्मयुद्ध हुआ|

                      लघु उत्तरीय प्रश्न

1. अंधकार युग से आप क्या समझते हैं? 

उत्तर:-पश्चिमी रोमन साम्राज्य के पतन के बाद यूरोप में अराजक उत्पन्न हो गया|प्राचीन सभ्यता संस्कृति पतन के कगार पर पहुँच गयी|सामंतवाद का उदय हो गया|चर्च कट्टरपंथियों, दकियानूसी विचार वालों एवं रूढिवादियों का केंद्र बन गया| व्यापार वाणिज्य की प्रगति अवरुद्ध हो गयी|

2. कालीकट के राजा ने वास्कोडिगामा का स्वागत किस प्रकार किया? 

उत्तर:-पूरब दिशा में सबसे महत्वपूर्ण खोज वास्कोडिगामा ने की थी|20 मई 1948 को वह भारत के कालीकट बंदरगाह पर पहुँचा|कालीकट के राजा जमोरिन ने उसका स्वागत करते हुए उसे व्यापारिक सुविधाएँ प्रदान की|

3. वैज्ञानिक उपकरणों ने भौगोलिक खोजों को किस प्रकार प्रभावित किया? 

उत्तर:-नवीन वैज्ञानिक उपकरणों जैसे गैलिलियों का दूरबीन एवं अरबों से कुतुबनुमा (कपास) की सहायता से दिशा एवं दूरी का पता लगाकर सुगमतापूर्वक यात्रा होने लगी|मार्ग में भटकने की संभावना कम हो गयी|जहाजरानी में विकास हुआ|इटली, स्पेन एवं पुर्तगाल ने परंपरागत नावों के स्थान पर खांचा पद्धति से विशाल और मजबूत जहाज बनाए जाने लगे|नये मानचित्रों तथा मार्गदर्शक पुस्तकों के फलस्वरूप भौगोलिक खोजों को गति मिली|

4. उपनिवेशवाद से आप क्या समझते हैं? 

उत्तर:-कुस्तुंतुनिया के पतन के बाद यूरोपवासियों का स्थल मार्ग से व्यापार होना कठिन हो गया|फलतः सामुद्रिक मार्ग की खोज शुरू हो गयी|सफल हुये एवं नये नये देशों से व्यापारिक संबंध स्थापित हो गये|यूरोप के देशों ने व्यापार के बहाने विश्व के अनेक देशों पर राजनीतिक अधिकार कर लिया|परिणामतः देश गुलाब बन गये उपनिवेश बनते चले गए|

5. भौगोलिक खोजों ने व्यापार वाणिज्य को कैसे प्रभावित किया? 

उत्तर:-भौगोलिक खोजों से व्यापार वाणिज्य का क्षेत्र बहुत बढ़िया गया|यूरोपवासियों को भारत, चीन एवं दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के विषय में कुछ जानकारी थी और व्यापार भी चलते थे|लेकिन अमेरिका आस्ट्रेलिया तथा एशिया के अनेक भाग अज्ञात थे|भौगोलिक खोजों के बाद व्यापार वाणिज्य में लाभ बढ गया और भौगोलिक खोज व्यापार वाणिज्य को काफी प्रभावित किया|

6. भौगोलिक खोजों ने प्रचलित भ्रांतियों को कैसे मिटाया? 

उत्तर:-भौगोलिक खोजों ने भौगोलिक ज्ञान के संदर्भ में व्याप्त भ्रांतियों को तोड़ने का कार्य किया|इससे रोमन चर्च का प्रभाव कमजोर हुआ|धर्म सुधार आन्दोलन द्वारा चर्च के दकियानूसी विचारों पर नियंत्रण लग गया|

                         दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. पंद्रहवी सोलहवीं शताब्दियों में भौगोलिक खोजों के महत्व की व्याख्या करें-

उत्तर:-भौगोलिक खोजों का आधुनिक इतिहास में बढा महत्व है|भौगोलिक खोजों ने यूरोपवासियों के कार्यों और चरित्र परिवर्तन लाए दिया|नये देशों से आनेवाली धन संपदा ने लोगों को लोभी तथा हिंसक बना दिया|शुरू में यह चंद व्यक्तियों के एकाधिकार में था|बाद में इस काम को सरकारी नियंत्रण में ले लिया गया जिससे यह काम राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बन गया| एक तरफ तो व्यापार वाणिज्य का विकास हुआ और दूसरी तरफ उपनिवेशवाद और सम्राज्यवाद का प्रसार हुआ जिसके कारण यूरोपीय देशों में आपसी झगड़ों का सूत्रपात हुआ|राजनीतिक और धार्मिक झगड़ों का सूत्रपात हुआ|राजनीतिक और धार्मिक मतभेदों ने उनके बीच विरोध को और बढाया|अब बड़ी नौ सेना रखना आवश्यक हो गया|व्यापार मार्गों से भी परिवर्तन आया|मुख्य व्यापार मार्ग अब भूमध्य सागर से होकर जाने के बजाय महासागरों से होकर जाने लगा|

2. भौगोलिक खोजों के प्रमुख कारकों का उल्लेख करें-

उत्तर:-भौगोलिक खोजों के परिणाम काफी दूरगामी और महत्वपूर्ण साबित हुए|पंद्रहवी सोलहवीं शताब्दी की भौगोलिक खोजों ने एक नये विश्व की रूपरेखा तैयार कर दी|भौगोलिक खोजों के निम्नलिखित महत्वपूर्ण परिणाम हुए-

(क)व्यापार वाणिज्य का विकास- भौगोलिक खोजों के परिणामस्वरूप व्यापार, वाणिज्य में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि हुई|स्थायी और सीमित व्यापार वैश्विक रूप में परिवर्तन होने लगा|

(ख) मुद्रा व्यवस्था का विकास- व्यापार वाणिज्य के विकास के मुद्रा व्यवस्था को प्रोत्साहन दिया जिससे व्यापार में सुविधा हुयी| मुद्रा के अतिरिक्त हुंडी, ऋण पत्र इत्यादि भी प्रचलन में आये|

(ग) व्यापारिक नगरों का उत्कर्ष- व्यापार वाणिज्य के विकास के कारण अनेक व्यापारिक नगरों का उदय हुआ| ये नगर और बंदरगाह व्यापारिक गतिविधियों से जीवित हो गये|

(घ) नयी व्यापारिक शक्तियों का उदय- भौगोलिक खोजों ने यूरोपीय व्यापार पर इटली के स्थान पर स्पेन, पुर्तगाल, इंगलैंड और फ्रांस ने यूरोपीय व्यपार पर अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया|इनके द्वारा स्थापित उपनिवेशों से इनके व्यापार वाणिज्य का विकास हुआ|

(ड़) बैंकिंग व्यवस्था का विकास- व्यापार के विकास ने बैंकिंग व्यवस्था को भी बढावा दिया, जिससे न सिर्फ व्यापारी अपना धन सुरक्षित रखने लगे बल्कि ऋण लेकर अपने व्यापार का विकास भी करने लगा|

(च) बहुमूल्य धातुओं का आयात- नये देशों की खोज ने कीमती धातुओं (सोना, चांदी) की कमी को पूरा कर दिया|इससे अर्थव्यवस्था को मजबूरी प्रदान हुई तथा मुद्रास्फीति और कीमतों में वृद्धि हुई|

(छ) वाणिज्यवाद का विकास-बदलती परिस्थितियों में वाणिज्यवाद का भी विकास हुआ|विश्वव्यापी व्यापार के विकास पूंजीवादी को जन्म दिया|

(ज) उपनिवेशवाद का विकास- भौगोलिक खोजों का एक महत्वपूर्ण परिणाम हुआ उपनिवेशवाद का जन्म और विकास|व्यापारिक कंपनियों के माध्यम से संगठित हुआ व्यापार का विकास का यूरोप राष्ट्रों में उपनिवेश स्थापना करने की होड़ लग गयी|उपनिवेश ने साम्राज्यवाद को भी जन्म दिया|

(झ) ईसाई धर्म एवं पश्चिमी सभ्यता का प्रसार- उपनिवेशों के माध्यम से यूरोपीय राष्ट्रों ने ईसाई धर्म एवं पश्चिमी सभ्यता संस्कृति का प्रसार किया|

(ञ) दास व्यापार- भौगोलिक खोजों और व्यापार वाणिज्य के विकास ने मानव श्रम का महत्व बढ़ा दिया|नये खोजे गये देशों के मूल निवासियों को गुलाम बनाकर उन्हें यूरोपीय बाजारों में बेचा गया|

(ट) व्यापारिक माल के स्वरूप परिवर्तन- पहले व्यापार में स्थानीय वस्तु की खरीद बिक्री की जाती थी|परंतु अब विभिन्न देशों की बहुमूल्य वस्तुओं एवं खाद्य पदार्थों का भी व्यापार किया जाने लगा|

(ठ) भौगोलिक ज्ञान में वृद्धि- भौगोलिक खोजों ने भौगोलिक ज्ञान में वृद्धि की|नये देशों एवं समुद्री मार्ग का पता लगा इससे विस्तृत दुनिया की जानकारी मिली|

(ड) प्रचलित भ्रांतियों का अंत- अंधकार युुुग में समुद्री यात्रा को लेकर अनेक भ्रांतियाँ थीं| नयी खोजों ने इस भ्रांतियों को मिटा दिया|धर्म सुधार आंदोलन द्वारा चर्च के दकियानूसी विचारों पर नियंत्रण लग गया|

(ढ़)अन्य महत्वपूर्ण परिणाम- भौगोलिक खोजों के विभिन्न प्रकार के अविष्कार हुए तथा नयी फसलों का आदान प्रदान हुआ| इस प्रकार भौगोलिक खोजों का अंधकार युग का अंत कर आधुनिक युग के आगमन की पृष्ठभूमि तैयार कर दी|

3. उपनिवेशवाद का आरंभ कैसे हुआ? इसके क्या परिणाम हुए? 

उत्तर:- भौगोलिक खोजों का एक महत्वपूर्ण परिणाम हुआ उपनिवेशवाद का जन्म और विकास| व्यापारिक कंपनियों के माध्यम से संगठित व्यापार का विकास कर यूरोपीय राष्ट्रों में उपनिवेश स्थापना करने की होड़ लग गयी|इंगलैंड, हालैंड, फ्रांस, पुर्तगाल और स्पेन ऐसे राष्ट्रों में प्रमुख थे|एशिया, अमेरिका, अफ्रीका, हिंदचीन और अन्य स्थानों में इनके उपनिवेश स्थापित हुए| इन उपनिवेशों के आर्थिक संसाधनों का दोहन कर उनकी अर्थव्यवस्था पर अधिकार कर धन कमाया गया| बाद में उपनिवेशों की शासन व्यवस्था पर भी अधिकार कर लिया| परिणामतः उपनिवेशवाद ने साम्राज्यवाद को भी जन्म दिया|ईसाई धर्म एवं पश्चिमी सभ्यता का प्रसार हुआ| उपनिवेशवाद के विकास के साथ दास व्यापार बढता गया|

4. भौगोलिक खोजों ने यूरोपीय अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव डाला? व्याख्या करें-

उत्तर:-भौगोलिक खोजों के कारण यूरोप के व्यापार तथा व्यवसाय का तेजी से विकास हुआ जिसमें विभिन्न उद्योगों में भी वृद्धि हुई और वह विश्वव्यापी हो गया| व्यापार का विकास होने से अब यूरोप में बड़े बड़े जहाज बनने लगे जिससे उद्योग में वृद्धि हुई| इससे विविध प्रकार के माल विदेश में ढोये जाने लगे|चाय, मक्का, कहवा, आलू, तंबाकू आदि चीजों से यूरोप के लोग अपरिचित थे| इन चीजों का प्रवेश यूरोप में होने लगा|एशिया, अफ्रीका, अमेरिका आदि में यूरोप के निवासी बसने लगे और नये देशों में यूरोपीय सभ्यता संस्कृति का प्रचार प्रसार हुआ और इस प्रकार यूरोप की सभ्यता का प्रवेश उन देशों में हुआ|अफ्रीका एक पिछड़ा हुआ देश था|वहाँ के लोगों को सभ्य बनाने का प्रयास किया गया|नये नये देशों में इसाई धर्म के प्रचार भी होने लगे| नाविकों और व्यापारियों के साथ धर्म प्रचारक भी नये देशों में जाने लगे|उन्होंने ईसाई धर्म का प्रचार किया|भारत में गोवा ईसाई धर्म प्रचारकों का मुख्य केन्द्र था| ईसाई धर्म मुख्यतः यूरोपीय धर्म था, पर भौगोलिक खोजों के कारण यह विश्वव्यापी धर्म हो गया| यूरोप में उपनिवेशों की स्थापना हुई उससे यूरोप के देशों को अत्यधिक धन प्राप्त हुआ|धन के बाहुल्य से यूरोप में वैभव विलास की वृद्धि हुई|अब लोगों की रूचि से सज्जा और श्रृंगार की ओर बढी| ईराक की कालीन, चीनी, रेशम, अमेरिका के बहुमूल्य पत्थरों तथा अफ्रीकी के स्वर्ण का श्रृंगार और सजावट में उपयोग होने लगे| पर, इसका एक दुष्परिणाम भी हुआ|भोग विलास की वृद्धि हुई और यूरोप के लोगों का नैतिक पतन प्रारंभ हो गया|

5. भौगोलिक खोजों के महत्वपूर्ण परिणामों की विवेचना करें-

उत्तर:- 15वीं-16वीं शताब्दी की भौगोलिक खोजों ने एक नये विश्व की रुपरेखा तैयार कर दी| अब पश्चिम और पूरब का सांस्कृतिक एवं व्यापारिक संपर्क बढ़ा| इससे व्यापार वाणिज्य का विकास हुआ| पूरबी देशों में यूरोपीय बाजार एवं बस्तियाँ बसने लगी| पूरबी व्यापार यूरोपियनों के लिए अत्यंत लाभदायक था|अत:, यूरोपीय राष्ट्रों में पूरब से व्यापार करने की होड़ लग गयी| भौगोलिक खोजों के निम्नलिखित महत्वपूर्ण परिणाम हुये|

(क) व्यापार वाणिज्य का विकास- भौगोलिक खोजों के परिणामस्वरूप व्यापार वाणिज्य में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि हुई| नये देशों की जानकारी के पहले यूरोपीय व्यापार मुख्य रूप से भूमध्यसागर और बाल्टिक सागर क्षेत्र से ही होता था| अब इसका क्षेत्र विस्तृत हो गया| व्यापार वाणिज्य अटलांटिक, हिंद और प्रशांत महासागर क्षेत्र से भी होने लगा|स्थानीय और सीमीत व्यापार वैश्विक रूप में परिवर्तित होने लगा|

(ख) मुद्रा व्यवस्था का विकास- व्यापार वाणिज्य के विकास ने मुद्रा व्यवस्था को प्रोत्साहन दिया| मुद्रा व्यवस्थाय के प्रचलन से व्यापार में सुविधा हुई|प्रत्येक देश अपनी मानक मुद्रा जारी करने लगा| धातु मुद्रा के अतिरिक्त हुंडी, ऋणपत्र इत्यादि भी मुद्रा के रूप में प्रचलन में आये|

(ग) व्यापारिक नगरों का उत्कर्ष- व्यापार वाणिज्य के विकास के कारण अनेक व्यापारिक नगरों का उदय हुआ| इन नगरों में व्यापारी एकत्रित होकर सामानों की खरीद बिक्री करते थे|अब भूमध्यसागरीय व्यापारिक नगरों जेनेवा और वेनिस का महत्व घट गया|उनका स्थान पेरिस, लंदन, लिस्बन, लिवरपूल, ब्रिस्टल, एम्सटर्डम, एंटवर्प इत्यादि ने ले लिया| ये नगर और बंदरगाह व्यापारिक गतिविधियों से जीवित हो गये|

(घ) नयी व्यापारिक शक्तियों का उदय- भौगोलिक खोजों और व्यापार वाणिज्य के विकास ने यूरोपीय व्यापार पर इटली का एकाधिकार समाप्त कर दिया|इटली के स्थान पर अब स्पेन, पुर्तगाल, इंगलैंड और फ्रांस ने यूरोपीय व्यापार पर अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया|इनके द्वारा स्थापित उपनिवेशों से इनके व्यापार वाणिज्य का विकास हुआ|

(ड़) बैंकिंग व्यवस्था का विकास- व्यापार के विकास ने बैंकिंग व्यवस्था को भी बढावा दिया|व्यापारी अपना धन इन बैंको ं में सुरक्षित रखने लगे| आवश्यकतानुसार वे इनसे ऋण लेकर अपने व्यापार का विकास भी करने लगे| 15 वीं - 16 वीं शताब्दियों में फ्लोरेंस के मेडिसि परिवार की बैंकिंग अथवा महाजनी में प्रमुख भूमिका थी| जेनेवा और अन्य नगरों में भी बैकों की स्थापना की गयी|

(च) बहुमूल्य धातुओं का आयात- नये देशों की खोज के पूर्व यूरोप में कीमती धातुओं-सोना-चाँदी- कमी थी, परंतु नये देशों की खोज ने इस कमी को पूरा कर दिया| नयी दुनिया से आनेवाले सोना चाँदी ने यूरोपीय अर्थव्यवस्था को मजबूत प्रदान की| सोलहवीं शताब्दी में मैक्सिकों और पेरु से इतना अधिक चांदी आया कि लगभग 80 वर्षों तक यूरोपीय अर्थव्यवस्था चांदी पर निर्भर रही| इससे मुद्रास्फीति हुई और कीमतों में वृद्धि हुई|

(छ) वाणिज्यवाद का विकास- बदलती परिस्थितियों में वाणिज्यवाद का भी विकास हुआ| विश्वव्यापी व्यापार के विकास के पूंजीवादी को जन्म दिया|इसमें महाजन घरानों की जैसे मेडिसी परिवार की प्रमुख भूमिका थी| पूंजीवादी ने कीमती धातुओं के संग्रह की प्रवृत्ति बढ़ा दी| अमेरिका, एशिया और अफ्रीका से सोना चाँदी की लूट आरंभ हो गयी| इन्हें सुरक्षित रखा जाने लगा| स्पेन इस दिशा में अग्रणी था|

(ज) उपनिवेशवाद का विकास- भौगोलिक खोजों का एक महत्वपूर्ण परिणाम हुआ उपनिवेशवाद का जन्म और विकास| व्यापारिक कंपनियों के माध्यम से संगठित व्यापार का विकास कर यूरोपीय राष्ट्रों में उपनिवेश स्थापना करने की होड़ लग गयी| इंगलैंड, हालैंड, फ्रांस, पुर्तगाल और स्पेन ऐसे राष्ट्रों में प्रमुख थे| एशिया, अमेरिका, अफ्रीका, हिंदचीन और अन्य स्थानों में इनके उपनिवेश स्थापित हुये| उदाहरण के लिए, भारत में 1498 में पुर्तगाली, 1600 में अंगरेज 1602 में डच और 1664 में फ्रांसीसी आये| इनलोगों ने अपनी व्यापारिक कोठियाँ स्थापित कर यूरोपीय व्यापार का विकास किया| इन उपनिवेशों के आर्थिक संसाधनों का दोहन कर उनकी अर्थव्यवस्था पर अधिकार कर धन कमाया गया| बाद में उपनिवेशों की शासन व्यवस्था पर भी अधिकार कर लिया गया| उपनिवेशवाद ने साम्राज्यवाद को भी जन्म दिया| इससे भी यूरोपीय राष्ट्रों में प्रतिस्पर्धा बढी|

(झ) ईसाई धर्म एवं पश्चिमी सभ्यता का प्रसार- उपनिवेशों के माध्यम से यूरोपीय राष्ट्रों ने ईसाई धर्म एवं पश्चिमी सभ्यता संस्कृति का प्रसार किया| एशिया, अफ्रीका एवं अमेरिका में ईसाई धर्म का प्रभाव बढ़ा| धर्म प्रचार के साथ साथ धन देकर एवं धर्मांतरण करवा कर भी ईसाई धर्म का प्रचार किया गया| इसकी प्रतिक्रिया भी उपनिवेशों में हुई|यूरोपवालों ने उपनिवेशों की परंपरागत सभ्यता संस्कृति पर अतिक्रमण कर यूरोपीय सभ्यता संस्कृति को थोपने का भी प्रयास किया|

(ञ) दास व्यापार- भौगोलिक खोजों और व्यापार वाणिज्य के विकास ने मानव श्रम का महत्व बढ़ा दिया| इसकी आपूर्ति के लिए नये खोजे गये देशों जैसे अमेरिका, अफ्रीका के मूल निवासियों को गुलाम बनाकर यूरोपीय बाजारों में बेचा गया| लिस्बन दास व्यापार का सबसे बड़ा केन्द्र था| उपनिवेशवाद के विकास के साथ दास व्यापार बढता गया| इन दासों पर अमानुषिक अत्याचार किये जाते थे| इनसे कठिन परिश्रम करवाया जाता था| औपनिवेशिक शक्तियों ने इन दासों का शोषण कर अपनी अर्थव्यवस्था विकसित की|

(ट) व्यापारिक माल के स्वरूप में परिवर्तन- पहले व्यापार में मुख्यतः स्थानीय वस्तुओं की खरीद बिक्री की जाती थी, परंतु अब विभिन्न देशों की बहुमूल्य वस्तुओं एवं खाद्य पदार्थों का भी व्यापार किया जाने लगा| कहवा, चाय, गन्ना, मक्का, आलू, तंबाकू, नील जैसे सामान यूरोप के बाजारों में पहुँचे| इसी प्रकार, भारत और अन्य पूरबी देशों में यूरोप से चाय, काफी, तंबाकू और आलू का आयात हुआ| भारतीय फल और गन्ना अन्य देशों में पहुँचा|

(ठ) भौगोलिक ज्ञान में वृद्धि- भौगोलिक खोजों ने भौगोलिक ज्ञान में वृद्धि की| नये देशों एवं समुद्री मार्ग का पता लगा| इससे विस्तृत दुनिया की जानकारी मिली|

(ड) प्रचलित भ्रांतियों का अंत- मध्यकालीन अंधकार युग में चर्च के प्रभाव से समुद्री यात्रा को लेकर अनेक भ्रांतियों थीं| नयी खोजों ने इन भ्रांतियों को मिटा दिया| इससे रोमन चर्च का प्रभाव कमजोर हुआ| धर्मसुधार आंदोलन द्वारा चर्च के दकियानूसी विचारों पर नियंत्रण लग गया|

(ढ) अन्य महत्वपूर्ण परिणाम- भौगोलिक खोजों के अन्य महत्वपूर्ण परिणाम भी हुए| जहाजरानी का विकास हुआ| नक्शा, कंपास, दूरबीन जैसे यंत्रों का अविष्कार हुआ और उपयोग बढ़ा| इससे समुद्री यात्रा सरल हो गयी| इन अविष्कारों के परिणामस्वरूप वैज्ञानिकों एवं विद्वानों का एक नया सामाजिक वर्ग सामने आया| पुनर्जागरण में इस वर्ष की प्रमुख भूमिका थी| भौगोलिक खोजों के परिणामस्वरूप सामाजिक स्तर पर व्यापारियों, कारीगरों और मध्यम वर्ग का भी महत्व बढ़ा|

1 अंधकार युग से आप क्या समझते हैं ?`?

इतिहासकारों ने पश्चिमी यूरोप के इस युग को 'अंधकार युग' की संज्ञा दी है। दसवीं और चौदहवीं शताब्दी के बीच पश्चिम यूरोप पुनः वैभवशाली बन गया। इस युग की एक मुख्य देन विज्ञान और शिल्पविज्ञान का विकास, नगरों की वृद्धि और इटली के पादुवा और मिलान जैसे कई शहरों में विश्वविद्यालयों की स्थापना थी।

अंधकार का युग क्यों कहा जाता है?

Solution : मध्यकालीन यूरोप को अंधकार युग इसलिए कहा गया है कि यह काल सामंती प्रवृत्तियों का काल था। इस काल में न तो व्यापार-वाणिज्य गतिशील था और न ही धर्म का स्वरूप ही मानवीय था। पृथ्वी के बारे । में ज्ञान अत्यल्प था और अंधविश्वास से युक्त था।

भारतीय इतिहास में अंधकार युग क्या है?

अभी हाल तक भारतीय इतिहास में अठारहवीं सदी को एक 'अंधकार युग' के रूप चित्रित किया जाता रहा था क्योंकि उस समय भारत में अव्यवस्था एवं अराजकता व्याप्त थी।

में मध्यकाल को अंधकार का युग क्यों कहा जाता है?

Solution : यूरोप में मध्यकाल का जोग इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस युग में ना तो व्यापार वाणिज्य विकसित था और ना ही धर्म का रुप ही निश्चित था मध्ययुगीन यूरोपियनों का विश्वास था कि पृथ्वी चपटी है। शिक्षा केवल चर्चाओं में ही दी जाती थी जो पादरियों तक सीमित रहती थी।