विद्यार्थियों को दी जाने वाली प्रतिपुष्टि संबंधी विचार - vidyaarthiyon ko dee jaane vaalee pratipushti sambandhee vichaar

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निगरानी , आकलन और फीडबैक देना

यह इकाई किस बारे में है

इस ईकाई में आप अपने विद्यार्थियों के भाषा और साक्षरता विकास की निगरानी, आकलन और फीडबैक देने के तरीकों को जानेंगे। आप यह सीखेंगे कि किस तरह सतत निगरानी, आकलन और फ़ीडबैक आपको आपके विद्यार्थियों की प्रगति के बारे में मूल्यवान जानकारी दे सकता है, और किस तरह ये जानकारी आगे पाठ योजना बनाने और अध्यापन में सहायक हो सकती है।

आप इस इकाई में क्या सीख सकते हैं

  • नियमित अनौपचारिक निगरानी, आकलन और फीडबैक के अवसरों को अपने भाषा पाठों में किस प्रकार शामिल करें।
  • अपने आगे की अध्यापन योजनाओं में विद्यार्थियों के आकलन के प्रभावों पर किस प्रकार विचार करें।
  • अपने विद्यार्थियों को किस प्रकार स्वतः- और साथी द्वारा आकलन में शामिल करें।

यह दृष्टिकोण क्यों महत्वपूर्ण है

परीक्षाओं से वर्ष में एक या दो बार विद्यार्थियों की उपलब्धियों के बारे में जानकारी मिलती है और आमतौर पर वे उनके पठन और लेखन कौशलों पर केंद्रित होती हैं। हालांकि, प्रत्येक पाठ में आपके विद्यार्थियों की प्रगति की निगरानी करने, आकलन करने और फीडबैक देने के अवसर उपलब्ध होते हैं। इस सन्दर्भ में ‘फीडबैक’ का अर्थ है किसी विशिष्ट शिक्षण उद्देश्य के सन्दर्भ में विद्यार्थियों को उनके प्रदर्शन की जानकारी देना और इस बारे में उनका मार्गदर्शन करना कि वे किस तरह इसमें सुधार कर सकते हैं या आगे बढ़ सकते हैं।

निगरानी, आकलन और फीडबैक विद्यार्थियों के सीखने, बोलने, पढ़ने और लिखने के विकास के कई पहलुओं से संबंधित हो सकते हैं। अपने विद्यार्थियों के बारे में सतत जानकारी एकत्र करके और किन विद्यार्थियों को कठिनाई हो रही है या कौन-से विद्यार्थी आगे की चुनौतियों के लिए तैयार हैं, इसकी पहचान करके आप कक्षा में हर किसी की ज़रूरतों को बेहतर ढंग से पूरा करने के लिए अपने अध्यापन में बदलाव कर सकते हैं। इस इकाई में आपको बताया गया है कि किस तरह अध्यापन, निगरानी, आकलन और फीडबैक देने की प्रक्रिया को आपके नियमित कक्षा अभ्यास में एकीकृत किया जा सकता है।

1 निगरानी, आकलन और फीडबैक के बारे में दृष्टिकोण और अभ्यास

निगरानी, आकलन और फीडबैक के बारे में आपका दृष्टिकोण और अभ्यास क्या हैं? यह जानने के लिए गतिविधि 1 को आज़माकर देखें।

गतिविधि 1: दृष्टिकोण और अभ्यास

एक सहकर्मी के साथ मिलकर निम्नलिखित कथनों को पढ़ें। तय करें कि क्या आप उनसे पूरी तरह या आंशिक रूप से सहमत हैं या असहमत हैं। अपने विचारों के लिए कारण दें।

  • विद्यार्थियों को परीक्षाएँ चिंताजनक और तनावपूर्ण लगती हैं। इसके कारण उनका प्रदर्शन उनकी क्षमता से कम हो सकता है।
  • टेस्ट और परीक्षाएँ अक्सर सीखने की अवधि के अंत में ली जाती हैं और आमतौर पर इनके लिए फीडबैक नहीं दिया जाता। इसका अर्थ यह है कि उनके परिणामों पर समयोचित व सतत् तरीके से कार्यवाही नहीं की जा सकती।
  • टेस्ट और परीक्षाएँ भाषा सीखने के पहलुओं का आकलन करती हैं, जैसे बोध, व्याकरण और शब्दावली, लेकिन इनमें सुनने या बोलने का आकलन नहीं होता।
  • आमतौर पर अध्यापक अपने पाठों के दौरान इतने ज्यादा व्यस्त होते हैं कि वे उसके साथ-साथ अपने विद्यार्थियों की निगरानी के लिए समय नहीं दे सकते।

  • विद्यार्थी अक्सर उनके कार्य के बारे में दिए जाने वाले फीडबैक को अनदेखा कर देते हैं। उनकी रुचि केवल उनके कुल ग्रेड में होती है।
  • आकलन के रिकॉर्ड रखना समय लेने वाला काम हो सकता है। इसके अलावा, रिकॉर्ड हमेशा ही विद्यार्थी की क्षमताओं का वास्तविक चित्र प्रस्तुत नहीं करते।

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विचार के लिए रुकें

  • आपके स्वयं के कक्षा अभ्यास के लिए उपरोक्त कथनों की आपकी प्रतिक्रिया के प्रभाव क्या हैं? इन बिंदुओं पर ध्यान देने के लिए आप क्या परिवर्तन कर सकते हैं?
  • अपने विद्यार्थियों का आकलन करते समय आप किस जानकारी को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण मानते हैं?

2 अपनी कक्षा की निगरानी करना

गतिविधि 2: निगरानी करना और फीडबैक देना

संसाधन 1, ‘निगरानी करना और फीडबैक देना’ पढ़ें। जब आप दस्तावेज़ को पढ़ते हैं, तो पढ़ने के साथ ही जो विचार आप पहले से ही क्रियान्वित कर रहे हैं, जो विचार आपको आकर्षित करते हैं तथा और आप जिन्हें आसानी से लागू कर सकते हैं उस पर टिप्पणी लिखें साथ ही यदि आपके मन में कोई प्रश्न हैं, तो उन्हें दर्ज करें। यदि संभव हो, तो किसी सहकर्मी के साथ मिलकर यह काम करें और अपनी टिप्पणियों की तुलना करें।

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वीडियो: निगरानी करना और फीडबैक देना

अगली दो गतिविधियाँ - जो अलग अलग दिनों पर की जानी चाहिए - आपको उद्देश्यपूर्ण रूप से आमंत्रित करती हैं कि जब आपके विद्यार्थी अपना काम कर रहे हों, तब आप उनकी निगरानी करें।

गतिविधि 3: पूरी कक्षा की निगरानी करना

विद्यार्थियों को दी जाने वाली प्रतिपुष्टि संबंधी विचार - vidyaarthiyon ko dee jaane vaalee pratipushti sambandhee vichaar

चित्र 1 पूरी कक्षा की निगरानी करना।

अपने विद्यार्थियों को लगभग 15 मिनट तक स्वतंत्रतापूर्वक एवं शान्ति से बैठकर करने के लिए कोई कक्षा कार्य दें। एक संक्षिप्त पाठ्यपुस्तक-आधारित पठन या लेखन गतिविधि इसके लिए आदर्श रहेगी। जब आपके विद्यार्थी अपना काम कर रहे हों, तो पीछे खड़े रहकर उनका अवलोकन करें। निम्नांकित प्रश्नों पर विचार करें:

  • आपके विद्यार्थी किस तरह के काम कर रहे थे?
  • क्या उनमें से कोई इस बारे में अनिश्चित लग रहे थे कि उन्हें क्या करना है? आपको कैसे पता चला?
  • क्या आपके विद्यार्थियों के काम करने की गति अलग अलग है? आप कैसे बता सकते हैं?
  • अपना काम जल्दी पूरा कर लेने वाले विद्यार्थी उसके बाद क्या कर सकते हैं?
  • क्या आपको ऐसा लगता है कि कुछ विद्यार्थी अपना काम दिए गए समय में पूरा नहीं कर सकेंगे? उनकी किस प्रकार सहायता की जा सकती है?
  • आपने अपने विद्यार्थियों के लिए जो काम निर्धारित किए हैं, उनसे आप विद्यार्थियों के सीखने का मूल्यांकन कैसे करेंगे?

गतिविधि 4: समूहों की निगरानी करना

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चित्र 2 समूहों की निगरानी करना।

अपनी कक्षा को पाँच या छः लोगों के समूहों में बाँटें और उनसे बातचीत-आधारित एक संक्षिप्त कार्य करने को कहें। इसमें किसी चित्र के आधार पर एक कहानी बनाना या किसी समस्या अथवा विवादास्पद प्रश्न का उत्तर देना शामिल हो सकता है। समूह चर्चा 15 मिनट से ज्यादा समय की नहीं होनी चाहिए। अपने विद्यार्थियों को याद दिलाएँ कि उन्हें किस तरह एक-दूसरे के साथ विनम्रतापूर्वक, बारी-बारी से और एक-दूसरे की बात सुनते हुए काम करना है।

कक्षा का चक्कर लगाएँ और अपने विद्यार्थियों का अवलोकन करें व उनकी बातें सुनें।

निम्नांकित प्रश्नों पर विचार करें:

  • आपके विद्यार्थी किस तरह के काम कर रहे थे?
  • क्या वे आपके निर्देशों को समझते हैं? आप किस तरह बता सकते हैं?
  • उन्होंने इस कार्य के लिए खुद को कैसे व्यवस्थित किया है?
  • क्या उन्हें अतिरिक्त सहायता की ज़रुरत है? यदि हाँ, तो किस तरह की सहायता?
  • क्या कोई विद्यार्थी चुपचाप हैं?
  • क्या कोई विद्यार्थी विशेष रूप से आत्मविश्वासी हैं?
  • आप कार्य में अपने विद्यार्थियों की सहभागिता और इससे उनके सीखने का मूल्यांकन किस तरह करेंगे?

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विचार के लिए रुकें

गतिविधियां 3 और 4 आपको आमंत्रित करती हैं कि जब आपके विद्यार्थी अकेले या समूह में भाषा- और साक्षरता-आधारित कार्य करते हैं, तब आप उनका अवलोकन और निगरानी करें।

  • इन दो अवलोकन कार्यों की तुलना किस प्रकार की जा सकती है?
  • अकेले में और समूह में आपके विद्यार्थियों का अवलोकन करना कितना सरल था?
  • ऐसा करके आपने क्या सीखा?
  • आप इस जानकारी को कैसे दर्ज कर सकते हैं?

ध्यानपूर्वक निगरानी करना एक प्रभावी शिक्षक का मुख्य गुण है, क्योंकि इससे उन्हें यह समझने में मदद मिलती है कि उनके द्वारा निर्धारित कार्यों से उनके विद्यार्थियों को किस हद तक सीखने में लाभ हो रहा है।

चाहे ऐसी निगरानी में पूरी कक्षा शामिल हो, छोटे समूह शामिल हों या अकेले विद्यार्थी शामिल हों, लेकिन निम्नलिखित प्रश्न शिक्षक के मन में सबसे पहले आना चाहिए: मेरे विद्यार्थी इस पाठ को किस तरह अनुभव कर रहे हैं और समझ रहे हैं?

3 विद्यार्थियों के आकलन और फीडबैक के अलग अलग तरीके

केस स्टडी 1 में, आप विद्यार्थियों के आकलन और फीडबैक के बारे में दो शिक्षकों के तरीकों के बारे में पढ़ेंगे।

केस स्टडी 1: विद्यार्थियों के आकलन और फीडबैक के बारे में दो शिक्षकों के तरीके।

सुश्री आरती, रामपुर के पास एक ग्रामीण विद्यालय में कक्षा चार की शिक्षिका हैं।

हाल ही में मैंने ‘‘बस के नीचे बाघ’’(‘बस के नीचे बाघ’ या ‘A tiger under the bus’) पढ़ाना ख़त्म किया।

मैंने इसके फॉलो अप के लिए विद्यार्थियों के वर्तनी कौशल को जाँचना तय किया। मैंने पाठ से दस कठिन शब्द ब्लैकबोर्ड पर लिखे और विद्यार्थियों से कहा कि वे अपनी कॉपी में उनकी नकल करें और कल टेस्ट के लिए तैयार रहें।

अगली सुबह, मैंने एक-एक करके वे शब्द पढ़े और विद्यार्थियों से उन्हें लिखने को कहा। मैंने उनकी कॉपियां लीं, उनका काम जाँचा और कॉपियां उन्हें लौटा दीं।

कई विद्यार्थियों को पूरे अंक मिले थे। कुछ विद्यार्थियों ने वर्तनी की गलतियाँ कीं और उन्हें अंक भी कम मिले। मैंने विद्यार्थियों से कहा कि जिन्हें सबसे ज्यादा अंक मिले हैं, वे अपने हाथ खड़े करें, इसके बाद जिन्हें कम मिले हैं, वे करें। जिन लोगों का प्रदर्शन कम अच्छा रहा था, मैंने उनसे कहा कि वे घर में फिर से इन शब्दों को लिखने का अभ्यास करें।

श्री दिवाकर, कानपुर के एक स्कूल में कक्षा पाँच के शिक्षक हैं।

पिछले कुछ पाठों में मेरे विद्यार्थियों ने जो शब्द सीखे, मैं उन शब्दों के लिए उनके वर्तनी कौशल का आकलन करना चाहता था। मैंने उनसे कहा: ‘आज हम श्रुतलेख (डिक्टेशन) गतिविधि करेंगे।’

’फिर मैंने विद्यार्थियों को चार के समूहों में काम करने को कहा। मैंने उन्हें समझाया कि मैं पाँच छोटे वाक्य पढ़कर सुनाऊंगा और लिखना शुरू करने से पहले उन्हें हर वाक्य को ध्यान से सुनना होगा। मैंने तसल्ली की कि हर कोई मेरे निर्देशों को समझ गया है। इसके बाद मैंने कुछ वाक्य पढ़कर सुनाए और उन वाक्यों को लिखने के लिए विद्यार्थियों को समय दिया।

जब उन्होंने अपना काम पूरा कर लिया, तो मैंने विद्यार्थियों से कहा कि वे अपने समूह के अन्य सदस्यों के साथ अपने वाक्यों पर चर्चा करें, उनके कार्य के साथ तुलना करें और यदि ज़रूरी हो, तो सुधार करें। अंत में, मैंने उनसे कहा कि वे अपने वाक्यों की तुलना ब्लैकबोर्ड पर मेरे लिखे वाक्यों से करें।

इस गतिविधि के दौरान, मैंने कक्षा का चक्कर लगाया और अवलोकन किया कि कौन चर्चा में भाग ले रहा है, किसने अपने वाक्य पहली ही बार में सही तरीके से लिख लिए और किन विद्यार्थियों को अपना काम बाद में सुधारना पड़ा। मैंने ये अवलोकन अपनी आकलन पुस्तिका में दर्ज किया।

अगले दिन, मैंने पूरी कक्षा को बताया कि पिछले दिन हुई गतिविधि के दौरान मुझे वर्तनी से जुड़ी किन विशिष्ट समस्याओं का पता चला है। मैंने ऐसा करके यह सुनिश्चित किया कि जिन विद्यार्थियों को उस कार्य में कठिनाई महसूस हुई थी, वे खुद को लज्जित महसूस न करें।

अब मैं हर विषय के बाद इस तरह की एक गतिविधि करता हूँ। मेरे विद्यार्थी भी इसके लिए उत्सुक दिखाई देते हैं। मुझे पता चला है कि यदि हर समूह में उच्च स्तर की उपलब्धि वाले एक विद्यार्थी को शामिल किया जाए, तो यह सबसे ज्यादा प्रभावी होता है, क्योंकि वे विद्यार्थी समूह के दूसरे विद्यार्थियों की सहायता कर सकते हैं।

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विचार के लिए रुकें

  • अपने विद्यार्थियों की वर्तनी क्षमता के आकलन के लिए सुश्री आरती और श्री दिवाकर द्वारा अपनाये गये अलग-अलग तरीकों केबारे में आपकी प्रतिक्रियाएँ क्या हैं?
  • आपके अनुसार प्रत्येक तरीके के लाभ और हानियाँ क्या हैं?
  • इनमें से कौन-सा तरीका आपके वर्तमान कक्षा अभ्यास को सबसे अच्छी तरह व्यक्त करता है?

सुश्री आरती के आकलन का लाभ यह है कि इसमें बहुत कम समय लगता है। हालांकि, यह टेस्ट को अन्य शिक्षण से अलग कर देता है और अच्छा प्रदर्शन न करने वाले विद्यार्थियों की ओर ध्यान केंद्रित करता है। श्री दिवाकर के आकलन का तरीका ज्यादा समय लेता है, लेकिन इस प्रक्रिया में उनके विद्यार्थियों को भी शामिल किया जाता है, सीखने के लिए बातचीत को शामिल किया जाता है, जिन्हें वर्तनी में कठिनाई हो उनकी सहायता की जाती है और बाद में उपयोगी फीडबैक भी दिया जाता है। स्पेलिंग टेस्ट भी ज्यादा सार्थक है क्योंकि इसमें शब्दों को वाक्यों में ही शामिल किया गया है, न कि उन्हें सन्दर्भ से बाहर रखकर मूल्यांकन किया जा रहा है। इस पद्धति के परिणामस्वरूप लंबी अवधि में सीखने के लाभ मिलने की संभावना ज्यादा है।

4 विद्यार्थियों को उनके स्वयं के लेखन का मूल्यांकन करने के लिए प्रोत्साहित करना

पारंपरिक रूप से, सीखने के आकलन को पूरी तरह शिक्षक की ज़िम्मेदारी माना जाता रहा है। हालांकि, कई देशों में शिक्षक अब यह महसूस करने लगे हैं कि विद्यार्थियों को भी उनकी स्वयं की प्रगति के मूल्यांकन में शामिल किया जा सकता है और किया जाना चाहिए। स्वतः निगरानी या स्वतः आकलन विद्यार्थियों में अपने खुद के कार्य का मूल्यांकन करने और इसे सुधारने के तरीकों की पहचान करने पर आधारित होता है।

अब केस स्टडी 2 पढ़ें।

केस स्टडी 2: एक मार्किंग लैडर का उपयोग करना

सुश्री मयूरी लखनऊ में एक शिक्षिका हैं। यहाँ वे एक स्वतः आकलन साधन के बारे में बता रही हैं, जिसका उपयोग उन्होंने अपने कक्षा पाँच के विद्यार्थियों के साथ सफलतापूर्वक किया है।

एक अध्यापन प्रकाशन पढ़ते समय मुझे ‘मार्किंग लैडर’ की अवधारणा का पता चला। मैंने अपने विद्यार्थियों के साथ इसे आज़माने का निर्णय किया। एक मार्किंग लैडर में, विद्यार्थी मेरे साथ मिलकर उनके लेखन के एक अंश का मूल्यांकन करते हैं। मैं सीखने के उद्देश्य निर्धारित करती हूँ और हम दोनों मिलकर तय करते हैं कि उन्हें पूरा किया गया या नहीं। [एक उदाहरण सारणी 1 में दर्शाया गया है।]

सारणी 1 एक कल्पनाशील कहानी लेखक का आकलन करने वाली मार्किंग लैडर का एक उदाहरण। (Symons and Currans, 2008 से लिया गया)

एक मार्किंग लैडर के साथ, विद्यार्थी पहले खुद का मूल्यांकन (बायाँ स्तंभ) मेरे द्वारा निर्धारित किए गए अधिगम उद्देश्यों के अनुसार करते हैं। इसके बाद मैं उनके कार्य का आकलन करती हूँ और उन्हें संक्षेप में लिखित फीडबैक (दायाँ स्तंभ) देती हूँ। इसके बाद वे लिखते हैं कि आगे उनकी क्या करने की योजना है (अंतिम पंक्ति)। इस प्रक्रिया में न सिर्फ विद्यार्थियों को उनकी प्रगति की निगरानी में शामिल किया जाता है, बल्कि इससे उन्हें पढ़ने और लिखने का अतिरिक्त अभ्यास भी मिलता है।

मैं आकलन लैडर का उपयोग लेखन विकास के अलग अलग क्षेत्रों में कर सकती हूँ, चाहे वे रचनात्मक हों या जानकारी-आधारित, और सभी क्षमताओं वाले विद्यार्थियों के साथ, उनके सीखने के उद्देश्यों को इसके अनुसार अनुकूलित करके कर सकती हूँ।

कभी-कभी मैं बड़े या ज्यादा सक्षम विद्यार्थी की छोटे या कम आत्मविश्वासी विद्यार्थी के साथ जोड़ी बनाकर उनके कार्य के अंश का एक साथ मूल्यांकन करती हूँ। मेरे विद्यार्थी अपनी अभ्यास पुस्तिका में उनकी मार्किंग लैडर रखते हैं, ताकि मैं समय-समय पर उनकी प्रगति की समीक्षा कर सकूँ।

अपने खुद के आकलन में शामिल होना मेरे विद्यार्थियों के लिए बहुत प्रेरक है। हमारे दो-तरफा लेखन विनिमय (लेन–देन) के परिणामस्वरूप मैंने उनके कार्य में सुधार देखा है।

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विचार के लिए रुकें

  • विद्यार्थियों और शिक्षकों के बीच इस तरह के संयुक्त आकलन के बारे में आप क्या सोचते हैं? इसके लाभ क्या हैं? इसमें क्या चुनौतियाँ हो सकती हैं?
  • मार्किंग लैडर से मिलने वाली जानकारी किस तरह आपके पाठों की योजना में योगदान कर सकती है?

गतिविधि 5: एक मार्किंग लैडर की रचना

मार्गदर्शिका के रूप में सारणी 1 में दिए गए उदाहरण का उपयोग करके लेखन विकास के उन क्षेत्रों के लिए अपनी स्वयं की मार्किंग लैडर बनाएँ, जिनमें आपके विद्यार्थी शामिल होते हैं।

सारणी 2 में वर्णनात्मक लेखन का आकलन करने वाली एक मार्किंग लैडर की शुरुआत दर्शाई गई है। आपके पाठ के लिए जो भी सबसे ज्यादा उपयुक्त है, आप उसके अनुसार अपनी लैडर को अनुकूलित कर सकते हैं।

सारणी 2 वर्णनात्मक लेखन का आकलन करने वाली एक मार्किंग लैडर की शुरुआत।

छात्र का नाम
कक्षा
लेखन कार्यवर्णनात्मक लेखन
विद्यार्थीलेखन उद्देश्यशिक्षक
जो समझाया जा रहा है, मैं उसे स्पष्ट करता/ती हूँ।
मैं कई तरह के विशेषण जोड़ता/ती हूँ।
मैं स्पष्ट, सटीक भाषा का उपयोग करता/ती हूँ।
मैं अपनी कहानी में सुधार लाने के लिए मैं क्या कर सकता/ती हूँ

जब आप अपनी मार्किंग लैडर बना लेते हैं, तो इसकी फोटोकॉपी करवाकर अपने विद्यार्थियों में इसे वितरित करें। यदि संभव हो, तो एक पूरी की गई लैडर का उदाहरण दिखाकर उन्हें समझाएँ कि यह किस तरह काम करती है।

इस लैडर का उपयोग एक महीने या सत्र की अवधि के दौरान करके देखें, और यह सुनिश्चित करें कि आपके सभी विद्यार्थियों को उस अवधि के दौरान फीडबैक दिया जाए।

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विचार के लिए रुकें

  • अपने विद्यार्थियों के साथ मार्किंग लैडर के उपयोग का अनुभव आपको कैसा लगा?
  • उन्होंने किस तरह की प्रतिक्रिया दी?

  • क्या आपको मार्किंग लैडर के उपयोग के कारण उनके भाषा और साक्षरता विकास में कोई सुधार दिखाई दिए?
  • आपने इस आकलन तकनीक का उपयोग अपने पाठों की योजना में किस तरह किया?

संसाधन 2, ‘प्रगति और प्रदर्शन का आकलन करना’, में प्रभावी आकलन अभ्यास के बारे में अधिक जानकारी और सुझाव दिए गए हैं।

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वीडियो: प्रगति और कार्यप्रदर्शन का आकलन करना

5 सारांश

यह इकाई आपके विद्यार्थियों की भाषा कक्षाओं में सतत एकीकृत निगरानी, आकलन और फीडबैक गतिविधियों को करने के तरीकों पर केंद्रित है। ऐसे अभ्यास के द्वारा आपके विद्यार्थियों में बोलने और लिखने के कौशल के विकास के बारे में मूल्यवान जानकारी मिल सकती हैं, जिससे आप प्रत्येक विद्यार्थी की और पूरी कक्षा की आवश्यकताओं के अनुसार अपने अध्यापन को अनुकूलित कर सकते हैं। अभ्यास के साथ-साथ अध्यापन, निगरानी, आकलन और फीडबैक का संयोजन कक्षा में आपकी भूमिका का एक स्वाभाविक अंग ही बन जाएगा।

संसाधन

संसाधन 1: निगरानी करना (मानीटिरंग) और फीडबैक देना

विद्यार्थियों के कार्यप्रदर्शन में सुधार करने में लगातार निगरानी करना और उन्हें प्रतिक्रिया देना शामिल होता है, ताकि उन्हें पता रहे कि उनसे क्या अपेक्षित है और उन्हें कामों को पूरा करने पर प्रतिक्रिया प्राप्त हो। आपकी रचनात्मक प्रतिक्रिया के माध्यम से वे अपने कार्यप्रदर्शन में सुधार कर सकते हैं।

निगरानी (मानीटिरंग) करना

प्रभावी शिक्षक अधिकांश समय अपने विद्यार्थियों की निगरानी करते हैं। सामान्य तौर पर, अधिकांश शिक्षक अपने विद्यार्थियों के काम की निगरानी। वे कक्षा में जो कुछ करते हैं उसे सुनकर और देखकर करते हैं। विद्यार्थियों की प्रगति की निगरानी करना महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इससे उन्हें निम्नलिखित में मदद मिलती है:

  • अधिक ऊँचे ग्रेड प्राप्त करना
  • अपने कार्यप्रदर्शन के बारे में अधिक सजग रहना और अपनी सीखने की प्रक्रिया के प्रति अधिक जिम्मेदार होना
  • अपनी सीखने की प्रक्रिया में सुधार करना
  • प्रादेशिक और स्थानीय मानकीकृत परीक्षाओं में उपलब्धि का पूर्वानुमान करना।

इससे आपको एक शिक्षक के रूप में निम्नलिखित बातें तय करने में भी मदद मिलती है:

  • कब प्रश्न पूछें या प्रोत्साहित करें
  • कब प्रशंसा करें
  • चुनौती दें या नहीं
  • एक काम में विद्यार्थियों के अलग अलग समूहों को कैसे शामिल करें
  • गलतियों के विषय में क्या करें।

विद्यार्थी सबसे अधिक सुधार तब करते हैं जब उन्हें उनकी प्रगति के बारे में स्पष्ट और शीघ्र प्रतिक्रिया दी जाती है। निगरानी (मानीटिरंग) करते रहने से आप बच्चों को नियमित रूप से प्रतिक्रियाएं दे पाने में सक्षम बनेंगे, जैसे– वे कैसे काम कर रहे हैं और उनके सीखने की प्रक्रिया को उन्नत बनाने में उन्हें किस चीज की जरूरत है।

आपके सामने आने वाली चुनौतियों में से एक होगी अपने विद्यार्थियों की उनके स्वयं के सीखने के लक्ष्यों को तय करने में मदद करना, जिसे स्व-निगरानी भी कहा जाता है। विद्यार्थी, विशेष तौर पर, कठिनाई अनुभव करने वाले विद्यार्थी, अपनी स्वयं की सीखने की प्रक्रिया का बोझ उठाने के आदी नहीं होते हैं। लेकिन आप किसी परियोजना के लिए अपने स्वयं के लक्ष्य या उद्देश्य तय करने, अपने काम की योजना बनाने और समय सीमाएं तय करने। एवं अपनी प्रगति की स्व-निगरानी करने में किसी भी विद्यार्थी की मदद कर सकते हैं। स्व-निगरानी के कौशल की प्रक्रिया का अभ्यास और उसमें महारत हासिल करना उनके लिए विद्यालय और उनके सारे जीवन में उपयोगी साबित होगा।

विद्यार्थियों की बात सुनना और प्रेक्षण करना

अधिकांश समय, शिक्षक स्वाभाविक रूप से विद्यार्थियों की बात सुनते और उनका प्रेक्षण करते हैं; यह निगरानी करने का एक सरल साधन है। उदाहरण के लिए, आप:

  • अपने विद्यार्थियों को ऊँची आवाज में पढ़ते समय सुन सकते हैं
  • जोड़ियों या समूहकार्य में चर्चाएं सुन सकते हैं
  • विद्यार्थियों को कक्षा के बाहर या कक्षा में संसाधनों का उपयोग करते देख सकते हैं
  • समूहों के काम काम करते समय उनकी शारीरिक भाषा का प्रेक्षण कर सकते हैं।

सुनिश्चित करें कि आप जो विचार एकत्रित करते हैं वे विद्यार्थियों के सीखने की प्रक्रिया या प्रगति का सच्चा प्रमाण हों। सिर्फ वही बात रिकार्ड करें जो आप देखसकते हैं, सुन सकते हैं, उचित सिद्ध कर सकते हैं या जिस पर आप विश्वास कर सकते हैं।

जब विद्यार्थी काम करें, तब कमरे में घूमें और संक्षिप्त प्रेक्षण नोट्स बनाएं। आप कक्षा सूची का उपयोग करके नोट कर सकते हैं कि किन विद्यार्थियों को अधिक मदद की जरूरत है, साथ ही किसी भी उभरती गलतफहमी को भी नोट कर सकते हैं। इन प्रेक्षणों और नोट्स का उपयोग आप सारी कक्षा को प्रतिक्रिया देने या समूहों अथवा व्यक्ति विशेष को प्रेरित और प्रोत्साहित करने के लिए कर सकते हैं।

प्रतिक्रिया देना

प्रतिक्रिया वह जानकारी होती है जो आप किसी विद्यार्थी को यह बताने के लिए देते हैं कि उन्होंने किसी घोषित लक्ष्य या अपेक्षित परिणाम के संबंध में कैसा कार्यकिया है। प्रभावी प्रतिक्रिया विद्यार्थी को:

  • जानकारी देती है कि क्या हुआ है
  • इस बात का मूल्यांकन करती है कि कोई कार्यवाही या काम कितनी अच्छी तरह से किया गया
  • मार्गदर्शन देती है कि कार्यप्रदर्शन को कैसे सुधारा जा सकता है।

जब आप हर विद्यार्थी को प्रतिक्रिया देते हैं, तब उसे यह जानने में उनकी मदद करनी चाहिए कि:

  • वे वास्तव में क्या कर सकते हैं
  • वे अभी क्या नहीं कर सकते हैं
  • उनका काम अन्य लोगों की तुलना में कैसा है
  • वे कैसे सुधार कर सकते हैं।

यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि प्रभावी प्रतिक्रिया विद्यार्थियों की मदद करती है। आप नहीं चाहते कि आपकी प्रतिक्रिया के अस्पष्ट या अन्यायपूर्ण होने के कारण सीखने की प्रक्रिया में कोई रूकावट आए। प्रभावी प्रतिक्रिया:

  • हाथ में लिए गए काम और विद्यार्थी द्वारा सीखी जा रही बात पर संकेंद्रित होती है
  • स्पष्ट और ईमानदार होती है और विद्यार्थी को बताती है कि उसके सीखने की प्रक्रिया के बारे में क्या अच्छी बात है और उसे कहाँ सुधार करना चाहिए
  • कार्यवाही के योग्य होती है और विद्यार्थी को ऐसा कुछ करने को कहती है जिसे करने में वे सक्षम होते हैं
  • विद्यार्थी के समझ सकने योग्य उपयुक्त भाषा में दी जाती है
  • सही समय पर दी जाती है – यदि वह बहुत जल्दी दी गई तो विद्यार्थी सोचेगा ‘मैं यही तो करने जा रहा था!’; बहुत देर से दी गई तो विद्यार्थी का ध्यान और कहीं चला जाएगा और वह वापस लौटकर वह नहीं करना चाहेगा जिसके लिए उसे कहा गया है।

प्रतिक्रिया चाहे बोली जाए या विद्यार्थियों की वर्कबुकों में लिखी जाए, वह तभी अधिक प्रभावी होती है यदि वह नीचे दिए गए दिशानिर्देशों का पालन करती है।

प्रशंसा और सकारात्मक भाषा का उपयोग करना

जब हमारी प्रशंसा की जाती है और हमें प्रोत्साहित किया जाता है तो आमतौर पर हम उस समय के मुकाबले काफी अधिक बेहतर महसूस करते हैं, जबकि हमारी आलोचना की जाती है या हमारी गलती सुधारी जाती है। पुर्नबलन और सकारात्मक भाषा समूची कक्षा और सभी उम्र के व्यक्तियों के लिए प्रेरणादायक होतीहै। याद रखें कि प्रशंसा विशिष्ट होनी चाहिए और उसका लक्ष्य विद्यार्थी की बजाय उसके द्वारा किया गया काम होना चाहिए, अन्यथा वह विद्यार्थी कीप्रगति में मदद नहीं करेगी। ‘शाबाश’ विशिष्ट शब्द नहीं है, इसलिए निम्नलिखित में से कोई बात कहना बेहतर होगा:

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संकेत देने के साथ-साथ सुधार का उपयोग करना

अपने विद्यार्थियों के साथ आप जो बातचीत करते हैं वह उनके सीखने की प्रक्रिया में मदद करती है। यदि आप उन्हें बताते हैं कि उनका उत्तर गलत है और संवाद को वहीं समाप्त कर देते हैं, तो आप सोचने और स्वयं प्रयास करने में उनकी मदद करने का अवसर खो देते हैं। यदि आप विद्यार्थियों को संकेत देते हैं या आगे कोई प्रश्न पूछते हैं, तो आप उन्हें अधिक गहराई से सोचने को प्रेरित करते हैं और उत्तर खोजने तथा अपने स्वयं के सीखने का दायित्व लेने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करते हैं। उदाहरण के लिए, आप बेहतर उत्तर के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। किसी समस्या पर किसी अलग दृष्टिकोण को प्रेरित करने के लिए निम्नलिखित जैसी बातें कह सकते हैं:

विद्यार्थियों को दी जाने वाली प्रतिपुष्टि संबंधी विचार - vidyaarthiyon ko dee jaane vaalee pratipushti sambandhee vichaar

दूसरे विद्यार्थियों को एक दूसरे की मदद करने के लिए प्रोत्साहित करना उपयुक्त हो सकता है। आप यह काम निम्नलिखित जैसी टिप्पणियों के साथ शेष कक्षा के लिए अपने प्रश्नों को प्रस्तुत करके कर सकते हैं:

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विद्यार्थियों को हां या नहीं के साथ सुधारना स्पेलिंग या संख्या के अभ्यास की तरह के कामों के लिए उपयुक्त हो सकता हैए लेकिन यहां पर भी आप विद्यार्थियों को उभरते प्रतिमानों (पैटर्न) पर नजर डालने या समान उत्तरों से संबंध बनाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं या चर्चा शुरू कर सकते हैं कि कोई उत्तर गलत क्यों है।

स्वयं सुधार करना और समकक्षों से सुधार करवाना प्रभावी होता है और आप इसे विद्यार्थियों से दिए गए कामों को जोड़ियों में करते समय स्वयं अपने और एक दूसरे के काम की जाँच करने को कहकर प्रोत्साहित कर सकते हैं। एक समय में एक पहलू को सही करने पर ध्यान केंद्रित करना सबसे अच्छा होता है ताकि भ्रम में डालने वाली ढेर सारी जानकारी न हो।

संसाधन 2: प्रगति और कार्यप्रदर्शन का आकलन करना

विद्यार्थियों के शिक्षण का मूल्यांकन करने के दो उद्देश्य हैं:

  • योगात्मक मूल्यांकन पीछे मुड़ कर देखता है और जो पहले से सीखा गया है उसका निर्णय करता है। यह सामान्यतया परीक्षाओं के स्वरूप में आयोजित किया जाता है, जहाँ विद्यार्थियों को परीक्षा में प्रश्नों के प्रति उनकी उपलब्धियों को बताते हुए श्रेणीकृत किया जाता है। इससे परिणामों की रिपोर्टिंग में मदद मिलती है।
  • निर्माणात्मक मूल्यांकन (या शिक्षण का मूल्यांकन) काफ़ी अलग है, जो अधिक अनौपचारिक तथा नैदानिक स्वरूप का होता है। शिक्षक उन्हें शिक्षण प्रक्रिया के अंग के रूप में उपयोग करते हैं, उदाहरण के लिए, जहाँ यह पता लगाने के लिए प्रश्न पूछने का इस्तेमाल किया जाता है कि क्या विद्यार्थियों ने किसी चीज़ को समझा है या नहीं। इस मूल्यांकन के परिणामों का फिर अगले शिक्षण अनुभव को बदलने के लिए उपयोग किया जाताहै। निगरानी और फ़ीडबैक निर्माणात्मक मूल्यांकन का हिस्सा है।

निर्माणात्मक मूल्यांकन शिक्षा-प्राप्ति को बढ़ाता है, क्योंकि सीखने के लिए, अधिकांश विद्यार्थियों को:

  • समझना चाहिए कि उनसे क्या सीखने की उम्मीद की जा रही है
  • जानना चाहिए कि अपनी पढ़ाई में वे इस समय किस स्तर पर हैं
  • समझना चाहिए कि वे किस प्रकार प्रगति कर सकते हैं (अर्थात क्या पढ़ना चाहिए और कैसे पढ़ना चाहिए)
  • जानना चाहिए कि कब उन्होंने लक्ष्य और अपेक्षित परिणाम हासिल कर लिए हैं।

शिक्षक के रूप में, अगर आप प्रत्येक पाठ में उपर्युक्त चार बिंदुओं पर ध्यान देंगे, तो आप अपने विद्यार्थियों से सर्वश्रेष्ठ परिणाम प्राप्त करेंगे। इस प्रकार पढ़ाने से पहले, पढ़ाते समय और पढ़ाने के बाद मूल्यांकन किया जा सकता है:

  • पहले: पढ़ाने से पहले मूल्यांकन से आपको यह जानने में मदद मिलती है कि विद्यार्थी क्या जानते हैं और पढ़ाने से पहले क्या कर सकते हैं। यह आधार-रेखा निर्धारित करता है और आपको अपनी शिक्षण योजना तैयार करने के लिए प्रारंभिक बिंदु देता है। विद्यार्थी क्या जानते हैं इस बारे में अपनी समझ को बढ़ाने से, विद्यार्थियों को जिसमें पहले से ही महारत हासिल है, उसे दुबारा पढ़ाने या संभवतः उन्हें जो जानना या समझना है (लेकिन नहींजानते), उसे छोड़ने के मौक़े कम होंगे।
  • पढ़ाते समय: कक्षा में पढ़ाते समय मूल्यांकन करने में यह देखना शामिल है कि क्या विद्यार्थी सीख रहे हैं और उनमें सुधार हो रहा है। इससे आपको अपनी शिक्षण पद्धति, संसाधनों और गतिविधियों का समायोजन करने में मदद मिलेगी। यह आपको यह समझने में मदद करेगा कि विद्यार्थी वांछित उद्देश्य की दिशा में किस प्रकार प्रगति कर रहा है और आपका शिक्षण कितना सफल है।
  • पढ़ाने के बाद: शिक्षण के बाद किया जाने वाला मूल्यांकन पुष्टि करता है कि विद्यार्थियों ने क्या सीखा है और आपको दर्शाता है कि किसने सीखा हैऔर किसे अभी मदद की ज़रूरत है। इससे आप अपने शिक्षण लक्ष्य का प्रभावी आकलन कर सकेंगे।

पहले: आपके विद्यार्थी क्या सीखेंगे इस बारे में स्पष्ट रहना

जब आप तय करते हैं कि विद्यार्थियों को पाठ या पाठों की श्रृंखला में क्या सीखना चाहिए, तो आपको उसे उनके साथ साझा करना चाहिए। सावधानी से अंतर करें कि विद्यार्थियों को आप क्या करने के लिए कह रहे हैं, और विद्यार्थियों से क्या सीखने की उम्मीद की जा रही है। ऐसा प्रश्न पूछिये जिससे कि आपको इस बात का आकलन करने का अवसर प्राप्त हो कि क्या उन्होंने वाक़ई समझा है या नहीं। उदाहरण के लिए:

विद्यार्थियों को दी जाने वाली प्रतिपुष्टि संबंधी विचार - vidyaarthiyon ko dee jaane vaalee pratipushti sambandhee vichaar

विद्यार्थियों को जवाब देने से पहले सोचने के लिए कुछ सेकंड दें, या शायद विद्यार्थियों को पहले जोड़े या छोटे समूहों में अपने जवाब पर चर्चा करने के लिये कहें। जब वे आपको अपना उत्तर बताएँ, आप जान जाएँगे कि क्या वे समझते हैं कि उन्हें क्या सीखना है।

पहले: जानना कि विद्यार्थी अपने शिक्षण के किस स्तर पर हैं

आपके विद्यार्थियों में सुधार के लिए मदद करने के क्रम में आपको और उन्हें, उनके ज्ञान और समझदारी की वर्तमान अवस्था को जानने की ज़रूरत पड़ेगी। जैसे ही आप वांछित शिक्षण परिणामों या लक्ष्यों को साझा कर लें, आप निम्न कर सकते हैं:

  • विद्यार्थियों को मानसिक मानचित्र बनाने या उस विषय के बारे में वे पहले से क्या जानते हैं, उसे सूचीबद्ध करने के लिए जोड़े में कार्य करने के लिए कहें, और उन्हें उसे पूरा करने के लिए पर्याप्त समय दें, लेकिन उन कुछ विचारों के लिए बहुत ज्यादा समय नहीं देना चाहिए। उसके बाद आप उन मानसिक मानचित्र या सूचियों की समीक्षा करें।
  • महत्वपूर्ण शब्दावली को बोर्ड पर लिखें और प्रत्येक शब्द के बारे में वे क्या जानते हैं, यह बताने के लिए स्वेच्छा से उन्हें आगे आने के लिए कहें। फिर बाक़ी कक्षा से कहें कि यदि वे शब्द समझते हैं, तो अपना अंगूठा थम्ब्स-अप की मुद्रा में ऊपर उठाएँ, यदि वे बहुत कम जानते हैं या बिल्कुल नहीं जानते हैं, तो थम्ब्स-डाउन की मुद्रा में नीचे करें और यदि वे कुछ जानते हैं, तो अंगूठे को क्षैतिज यानी बीच में रखें।

कहाँ से शुरुआत करनी है, यह जानने का मतलब है कि आप अपने विद्यार्थियों के लिए प्रासंगिक और रचनात्मक रूप से पाठ की योजना बना सकते हैं। यह भी महत्वपूर्ण है कि आपके विद्यार्थी यह मूल्यांकन करने में सक्षम हों कि वे कितनी अच्छी तरह सीख रहे हैं, ताकि आप और वे, दोनों जान सकें कि उन्हें आगे क्या सीखने की ज़रूरत है। आपके विद्यार्थियों को स्वयं अपने शिक्षण का भार उठाने का अवसर प्रदान करने से उन्हें आजीवन शिक्षार्थी बनने में मदद मिलेगी।

पढ़ाते समय: शिक्षा में विद्यार्थियों की प्रगति सुनिश्चित करना

जब आप विद्यार्थियों से उनकी वर्तमान प्रगति के बारे में बात करते हैं, तो सुनिश्चित करें कि उन्हें आपका फीडबैक उपयोगी और रचनात्मक, दोनों लगे। निम्नांकित के द्वारा इस काम को करें:

  • विद्यार्थियों को उनकी ताक़त और यह जानने में मदद करना कि वे कैसे और सुधार कर सकते हैं
  • इस बारे में स्पष्ट रहना कि आगे और किस चीज़ के विकास की ज़रूरत है
  • इस बारे में सकारात्मक रहना कि वे किस प्रकार अपनी शिक्षा का विकास कर सकते हैं, जाँचना कि वे समझते हैं और आपकी सलाह का उपयोग करने में सक्षम महसूस करते हैं।

आपको विद्यार्थियों के लिए उनके अधिगम को बेहतर बनाने के लिए अवसर मुहैया कराने की ज़रूरत पड़ेगी। इसका अर्थ यह हुआ कि पढ़ाई के मामले में विद्यार्थियों के वर्तमान स्तर और जहाँ आप उन्हें देखना चाहते हैं, इसके बीच के अंतराल को पाटने के लिए हो सकता है कि आपको अपनी पाठ योजना को संशोधित करना पड़े। ऐसा करने के लिए आपको निम्नतः करना होगा:

  • कुछ ऐसे कार्य पर वापस नज़र दौड़ाना होगा, जिनके बारे में आपने सोचा था कि वे पहले से जानते हैं
  • आवश्यकता के अनुसार विद्यार्थियों के समूह बनाना, उन्हें अलग-अलग कार्य देना
  • विद्यार्थियों को स्वयं यह निर्णय लेने के लिए प्रोत्साहित करना कि उन्हें किन संसाधनों को पढ़ने की ज़रूरत है ताकि वे ‘स्वयं अपना अंतराल पाट सकें’
  • निम्न प्रवेश, ऊँची सीमा’ वाले कार्यों का उपयोग करना, ताकि सभी विद्यार्थी प्रगति कर सकें - इन्हें इसलिए अभिकल्पित (डिजाइन) किया गया हैकि सभी विद्यार्थी काम शुरू कर सकें, लेकिन अधिक समर्थ को प्रतिबंधित न किया जाए और वे अपने ज्ञान के विस्तार के लिए प्रगति कर सकें।

पाठों की रफ्तार को धीमा करके, वास्तव में आप पढ़ाई को तेज़ करते हैं, क्योंकि आप विद्यार्थियों को उस पर सोचने और समझने का समय और आत्मविश्वास देते हैं, जिसमें उन्हें सुधार लाने की ज़रूरत होती है। विद्यार्थियों को आपस में अपने काम के बारे में बात करने का मौक़ा देकर, और इस बात पर चिंतन करके कि अंतराल कहाँ पर है और वे इसे किस प्रकार से ख़त्म कर सकते हैं, आप उन्हें स्वयं का आकलन करने के तरीक़े मुहैया करा रहे हैं।

पढ़ाने के बाद: प्रमाण एकत्रित करना और उसकी व्याख्या करना, और आगे की योजना बनाना

जब शिक्षण–अधिगम चल रहा हो और कक्षा-कार्य या गृह-कार्य निर्धारित कर दिया गया हो तो ज़रूरी है कि:

  • इस बात का पता लगाएँ कि आपके विद्यार्थी कितनी अच्छी तरह कार्य कर रहे हैं
  • इसे अगले पाठ के लिए अपनी योजना सूचित करने के लिए उपयोग में लाएँ
  • विद्यार्थियों को फीडबैक दें।

मूल्यांकन की चार प्रमुख स्थितियों की नीचे चर्चा की गई है।

सूचना या प्रमाण एकत्रित करना

प्रत्येक विद्यार्थी, स्वयं अपनी गति और शैली में, स्कूल के अंदर और बाहर अलग प्रकार से सीखता है। इसलिए, विद्यार्थियों का मूल्यांकन करते समय आपको दो चीज़ें करनी होंगी:

  • विविध स्रोतों से जानकारी एकत्रित करें - स्वयं अपने अनुभव से, विद्यार्थी, अन्य विद्यार्थियों, अन्य शिक्षकों, अभिभावकों और समुदाय के सदस्यों से।
  • विद्यार्थियों का व्यक्तिगत रूप से, जोड़ों में और समूहों में मूल्यांकन करें, तथा स्व-मूल्यांकन को बढ़ावा दें। अलग विधियों का प्रयोग महत्वपूर्ण है, क्योंकि कोई एक पद्धति आपको वह सभी जानकारी उपलब्ध नहीं कराती, जिसकी आपको ज़रूरत है। विद्यार्थियों के सीखने और प्रगति के बारे में जानकारी इकट्ठा करने के विभिन्न तरीक़ों में शामिल हैं देखना, सुनना, विषयों और प्रकरणों पर चर्चा तथा लिखित कक्षा कार्य और गृह-कार्य की समीक्षा करना।

रिकॉर्डिंग

भारत भर के सभी स्कूलों में रिकॉर्डिंग का सबसे आम स्वरूप रिपोर्ट कार्ड के उपयोग के माध्यम से होता है, लेकिन इसमें आपको एक विद्यार्थी के सीखने या व्यवहार के सभी पहलुओं को रिकॉर्ड करने की अनुमति नहीं हो सकती है। इस काम को करने के कुछ सरल तरीक़े हैं, जिन पर भी आप विचार कर सकते हैं, जैसे कि:

  • पढ़ाते–सीखते समय जो आप देखते हैं उसे डायरी/नोटबुक/रजिस्टर में नोट करना
  • विद्यार्थियों के कार्य के नमूने (लिखित, कला, शिल्प, परियोजनाएँ, कविताएँ आदि) पोर्टफ़ोलियो में रखना
  • प्रत्येक विद्यार्थी का प्रोफ़ाइल तैयार करना
  • विद्यार्थियों की किन्हीं असामान्य घटनाओं, परिवर्तनों, समस्याओं, शक्तियों और शिक्षण प्रमाणों को नोट करना।

प्रमाण की व्याख्या

जैसे ही सूचना और प्रमाण एकत्रित और अभिलिखित हो जाए, उसकी व्याख्या करना ज़रूरी है, ताकि यह समझ सकें कि प्रत्येक विद्यार्थी किस प्रकार सीख रहा है और प्रगति कर रहा है। इस पर सावधानी से विचार करने और विश्लेषण की आवश्यकता है। फिर आपको सीखने में सुधार करने, संभवतः विद्यार्थियों को फ़ीडबैक देकर या नए संसाधनों की खोज करके, समूहों को पुनर्व्यवस्थित करके, या शिक्षण बिंदु को दोहरा कर अपने निष्कर्षों पर कार्य करने की आवश्यककता है।

सुधार के लिए योजना बनाना

विशिष्ट और विभेदक अधिगम गतिविधियों की स्थापना द्वारा प्रत्येक विद्यार्थी को सार्थक रूप से सीखने के अवसर प्रदान करने, अधिक मदद के लिए ज़रूरतमंद विद्यार्थियों पर ध्यान देने और अधिक उन्नत विद्यार्थियों को चुनौती देने में मूल्यांकन आपकी मदद कर सकता है।

अतिरिक्त संसाधन

  • ‘Using marking ladders to support children’s self-assessment in writing’ by Victoria Symons and Deborah Currans: http://www.campaign-for-learning.org.uk/cfl/assets/ documents/CaseStudies/Wooler(%20final%20pdf).pdf
  • ‘Using marking ladders to support children’s self-assessment of writing’, a poster by Victoria Symons and Deborah Currans: http://www.campaign-for-learning.org.uk/cfl/assets/documents/CaseStudies/Yr1Wooler.pdf
  • Documentation and reports on continuous assessment in elementary education: http://www.ncert.nic.in/departments/nie/dee/publication/report.html#

References

Graham, J. and Kelly, A. (2010) ‘Monitoring and assessing writing’, Chapter 6 in Writing under Control: Teaching Writing in the Primary School. London: Routledge.

Graham, J. and Kelly, A. (2012) ‘Monitoring and assessing reading’, Chapter 4 in Reading under Control: Teaching Reading in the Primary School. London: Routledge.

Graves, D. (2003) Writing: Teachers and Children at Work. Portsmouth: Heinemann.

Symons, V. and Currans, D. (2008) ‘Using marking ladders to support children’s self-assessment in writing’ (online), Campaign for Learning. Available from: http://www.campaign-for-learning.org.uk/cfl/assets/documents/CaseStudies/Wooler(%20final%20pdf).pdf (accessed 31 October 2014). Additionally, a poster by the same authors is available from: http://www.campaign-for-learning.org.uk/cfl/assets/documents/CaseStudies/Yr1Wooler.pdf (accessed 31 October 2014).

Tibetan Teachers Professional Development Website (undated) ‘Source Book on Assessment for Classes I–V (Environmental Studies’ (online). Available from: http://www.tibetanteachers.com/book-list-assessment/386-source-book-on-assessment-for-classes-i-v-environmental-studies (accessed 19 November 2014).

Walker, M. (2014) ‘National assessment in India’ (online), Research Developments, Australian Council for Educational Research, 11 March. Available from: http://rd.acer.edu.au/article/national-assessment-in-india (accessed 19 November 2014).

Acknowledgements

अभिस्वीकृतियाँ

तृतीय पक्षों की सामग्रियों और अन्यथा कथित को छोड़कर, यह सामग्री क्रिएटिव कॉमन्स एट्रिब्यूशन-शेयरएलाइक लाइसेंस के अंतर्गत उपलब्ध कराई गई है (http://creativecommons.org/licenses/by-sa/3.0/). । नीचे दी गई सामग्री मालिकाना हक की है तथा इस परियोजना के लिए लाइसेंस के अंतर्गतही उपयोग की गई है, तथा इसका Creative Commons लाइसेंस से कोई वास्ता नहीं है। इसका अर्थ यह है कि इस सामग्री का उपयोग अननुकूलित रूप से केवल TESS-India परियोजना के भीतर किया जा सकता है और किसी भी बाद के OER संस्करणों में नहीं। इसमें TESS-India, OU और UKAID लोगो का उपयोग भी शामिल है।

इस यूनिट में सामग्री को पुनः प्रस्तुत करने की अनुमति के लिए निम्न स्रोतों का कृतज्ञतापूर्ण आभार:

सारणी 1:साइमंस, वी. और करंस, डी. (2008) के Using marking ladders to support children’s self-assessment in writing’, शिक्षा अभियान http://www.campaignforlearning.org.uk से लिया गया। (Table 1: adapted from Symons, V. and Currans, D. (2008) ‘Using marking ladders to support children’s self-assessment in writing’, Campaign for Learning, http://www.campaignforlearning.org.uk.)

कॉपीराइट के स्वामियों से संपर्क करने का हर प्रयास किया गया है। यदि किसी को अनजाने में अनदेखा कर दिया गया है, तो पहला अवसर मिलते ही प्रकाशकों को आवश्यक व्यवस्थाएं करने में हर्ष होगा।

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शिक्षक प्रतिपुष्टि से आप क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकेंइस सन्दर्भ में प्रतिपुष्टि (फीडबैक) का अर्थ है किसी विशिष्ट शिक्षण उद्देश्य के सन्दर्भ में छात्र-छात्राओं को उनके प्रदर्शन की जानकारी देना और इस बारे में उनका मार्गदर्शन करना कि वे किस तरह इसमें सुधार कर सकते हैं या आगे बढ़ सकते हैं

छात्रों को प्रेरित करने का सबसे अच्छा तरीका क्या है?

छात्रों को प्रेरित करने वाली ख़ास बातें.
छात्रों के स्तर के अनुरूप चुनौती रखें और उनको समाधान खोजने के लिए सकारात्मक प्रतिस्पर्धा का अवसर दें।.
अपने कालांश की शुरूआत सवालों के साथ करें, जवाब के साथ नहीं – सवालों का जवाब रटना बोरियत भरा होता है। ... .
छात्रों को अपने बेस्ट अनुभवों से आगे बढ़ने का अवसर और माहौल दें.

शिक्षण कक्षा में बच्चों को कैसे भी प्रेरित करें?

▪️1 उचित वातावरण बनाकर ➖ यहां पर उचित वातावरण का मतलब शिक्षक को अपने शिक्षण कार्य के दौरान ऐसा माहौल तैयार करना चाहिए जिससे बच्चे बेहतर रूप से अभिप्रेरित रहे।.
कक्षा का उचित वातावरण:- ... .
आवस्यकता की आइना दिखाकर:- ... .
सफलता/असफलता:- ... .
प्रतियोगी वातावरण/सहयोग:- ... .
प्रशंसा/निंदा:- ... .
पुरस्कार/दंड:- ... .
उम्मीद/आकांक्षा:-.

अध्यापक प्रतिपुष्टि कितने प्रकार की होती है?

धनात्मक प्रतिपुष्टि का छात्रों में प्रयोग दो प्रकार से किया जाता है- शाब्दिक और अशाब्दिक। शाब्दिक प्रतिपुष्टि में छात्रों को शब्दों के माध्यम से प्रेरित किया जाता हैं। जैसे उनके उत्तर देने में उनको शाबासी देना, अच्छा, बहुत अच्छा और अशाब्दिक पुनर्बलन में छात्रों को बिना शब्द प्रयोग किए उनके मनोबल में वृद्धि की जाती हैं।