वृंदावन में संध्या समय क्या अनुभूति होती है और क्यो? - vrndaavan mein sandhya samay kya anubhooti hotee hai aur kyo?

वृदावन में संध्या समय क्या अनुभूति होती है और क्यो class 9?

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वृंदावन में शाम को क्या अनुभूति होती है?

वृंदावन में सुबह-शाम सैलानियों को सुखद अनुभूति होती है। वहाँ सूर्योदय पूर्व जब उत्साहित भीड़ यमुना की सँकरी गलियों से गुजरती है तो लगता है कि अचानक कृष्ण बंशी बजाते हुए कहीं से आ जाएँगे। कुछ ऐसी ही अनुभूति शाम को भी होती है। ऐसी अनुभूति अन्य स्थानों पर नहीं होती है।

वृंदावन में संध्या क्या अनुभूति होती है और क्यों?

वृंदावन का नाम सुनते ही हमारे मन में अलौकिक आनंद की अनुभूति होने लगती है क्योंकि यह राधा-कृष्ण के प्रेम की भूमि है। इसकी गलियों में हर वक्त राधे-राधे की गूंज सुनाई देती है क्योंकि यहां के लोगों का यही अभिवादन भी है। एक कहावत भी है-जहां कण-कण में बसे हों श्याम, वो ही है-वृंदावन धाम।

वृंदावन में सुबह शाम क्या अनुभूति होती है सांवले सपनों की याद पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए?

हर शाम सूरज ढलने से पहले, जब वाटिका का माली सैलानियों को हिदायत देगा तो लगता है जैसे बस कुछ ही क्षणों में वो कहीं से आ टपकेगा और संगीत का जादू वाटिका के भरे-पूरे माहौल पर छा जाएगा। वृंदावन कभी कृष्ण की बाँसुरी के जादू से खाली हुआ है क्या !