Home » Class 11 Hindi » NCERT Solutions for Class XI Aaroh Part 1 Hindi Chapter 1-Premchand Show आरोह भाग -1 प्रेमचंद (निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए ) प्रश्न 1: कहानी का कौन-सा पात्र आपको सर्वाधिक
प्रभावित करता है और क्यों? प्रश्न
2:’नमक का दारोगा’ कहानी में पंडित अलोपीदीन के व्यक्तित्व के कौन से दो पहलू (पक्ष) उभरकर आते हैं? प्रश्न 3: कहानी के लगभग सभी पात्र समाज की किसी न किसी सच्चाई को उजागर करते हैं। निम्नलिखित पात्रों के संदर्भ में पाठ से उन अंशों को उद्धृत करते हुए बताइए कि यह समाज की किस सच्चाई को उजागर करते हैं- प्रश्न 4:निम्न पंक्तियों को ध्यान से पढ़िए- प्रश्न 5:’नमक का दारोगा’ कहानी के कोई दो अन्य शीर्षक बताते हुए उसके आधार को भी स्पष्ट कीजिए। प्रश्न 6: कहानी के अंत में अलोपीदीन के वंशीधर को नियुक्त करने के पीछे क्या कारण हो सकते हैं? तर्क सहित
उत्तर दीजिए। आप इस कहानी का अंत किस प्रकार करते? प्रश्न 7: दारोगा वंशीधर गैरकानूनी कार्यों की वजह से पंडित अलोपीदीन को गिरफ्तार करता है, लेकिन कहानी के अंत में इसी पंडित अलोपीदीन की सहायता से मुग्ध होकर उसके यहाँ मैनेजर की नौकरी को तैयार हो जाता है। आपके विचार से क्या वंशीधर का ऐसा करना उचित था? आप उसकी जगह होते तो क्या करते? वंशीधर जानता था कि उसकी बुरी दशा अलोपीदीन द्वारा हुई थी। इन दोनों के मध्य जो लड़ाई थी, वह धर्म की लड़ाई थी। एक अपनी नौकरी के प्रति ईमानदार था और एक समाज के प्रति अपनी छवि को लेकर ईमानदार था। अलोपीदीन ने जब यह अच्छी तरह जान लिया कि वंशीधर उसके लिए सही है, तो उसने बिना किसी की परवाह किए वंशीधर को अपनी सारी संपत्ति की देख-रेख का अधिकारी बना दिया। वंशीधर भी यह बात जान गया था कि अलोपीदीन ने उसके आदर्श, कर्तव्यनिष्ठा, ईमानदारी को समझा है। उसे वह व्यक्ति मिल गया जिसके साथ रहकर वह अपने धर्म की रक्षा कर सकता था। वंशीधर के लिए ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा उसका धर्म था। वंशीधर ने उसे अपने पास रखकर उसे अपने अनुसार जीने तथा कार्य करने की आज़ादी दी। इसमें दोनों का ही हित था। अतः वंशीधर ने जो किया वह उचित था। प्रश्न 8: नमक विभाग
के दरोगा पद के लिए बड़ों-बड़ों का ही जी ललचाता था। वर्तमान समाज में ऐसा कौन-सा पद होगा जिसे पाने के लिए लोग लालायित रहते होंगे और क्यों? प्रश्न 9: अपने अनुभवों के आधार पर बताइए कि जब आपके तर्कों ने आपके भ्रम को पुष्ट किया हो। प्रश्न 10: ‘पढ़ना-लिखना सब अकारथ गया‘- वृद्ध मुंशी द्वारा यह बात किस विशिष्ट संदर्भ में कही गई थी? अपने निजी अनुभव के आधार पर बताइए- प्रश्न 11:‘लड़कियाँ हैं, वह घास-फूस की तरह बढ़ती चली जाती हैं।’– वाक्य समाज में स्थिति की किस वास्तविकता को प्रकट करता
है? प्रश्न 12: ‘इसलिए नहीं कि अलोपीदीन ने क्यों यह कर्म किया बल्कि इसलिए कि वह कानून के पंजे में कैसे आए? ऐसा मनुष्य जिसके पास असाध्य
करनेवाला धन और अनन्य वाचालता हो, वह क्यों कानून के पंजे में आए। प्रत्येक मनुष्य उनसे सहानुभूति प्रकट करता था।’ अपने आस-पास अलोपीदीन जैसे व्यक्तियों को देखकर आपकी क्या प्रतिक्रिया होगी? लिखें। प्रश्न 13: नौकरी में ओहदे की ओर ध्यान मत देना। यह तो पीर की मजार है। निगाह चढ़ावे और चादर पर रखनी चाहिए। प्रश्न 14:इस विस्तृत संसार में उनके लिए धैर्य अपना मित्र, बुद्धि पथ-प्रदर्शक
और आत्मवलंबन ही अपना सहायक था। प्रश्न 15:तर्क ने भ्रम को पुष्ट किया। प्रश्न 16:न्याय और नीति सब लक्ष्मी के ही खिलौने हैं, वह जैसे चाहती है, नाचती है। प्रश्न 17:दुनिया सोती थी, पर दुनिया की जीभ जागती थी। प्रश्न 18:खेद ऐसी समझ पर! पढ़ना-लिखना सब अकारण गया। प्रश्न 19:धर्म ने धन को पैरों तले कुचल डाला। प्रश्न 20:न्याय के मैदान में धर्म और धन में युद्ध ठन गया। प्रश्न 21:भाषा की
चित्रात्मकता, लोकोक्तियों और मुहावरों का जानदार उपयोग तथा हिंदी-उर्दू के साझा रूप बोलचाल की भाषा के लिहाज से यह कहानी अद्भुत है। कहानी से ऐसे उदाहरण छाँटकर लिखिए और यह भी बताइए कि इनके प्रयोग से किस तरह कहानी का कथ्य असरदार बना है। प्रश्न 22: कहानी में मासिक वेतन के लिए किन-किन विशेषणों का प्रयोग किया गया है? इसके लिए आप अपनी ओर से दो विशेषण और बताइए। साथ ही विशेषणों के लिए आधार को तर्क सहित पुष्ट कीजिए। प्रश्न 23:नीचे दी गई भाषा की विशिष्ट अभिव्यक्तियों को पूरे वाक्य अथवा वाक्यों द्वारा स्पष्ट कीजिएः प्रश्न 24: इस कहानी को पढ़कर बड़ी-बड़ी डिग्रियाँ, न्याय और विद्वता के बारे में आपकी क्या धारण बनती है? वर्तमान समय को ध्यान में रखते हुए इस विषय पर शिक्षकों के साथ एक परिचर्चा आयोजित करें। वंशीधर के पिता ने वंशीधर को क्या समझाया?उनके पिता ने घर से निकलते समय उन्हें बहुत समझाया, जिसका सार यह था कि ऐसी नौकरी करना जिसमें ऊपरी कमाई हो और आदमी तथा अवसर देखकर घूस जरूर लेना। वंशीधर पिता से आशीर्वाद लेकर नौकरी की तलाश में निकल जाते हैं। भाग्य से नमक विभाग के दारोग पद की नौकरी मिली जाती है जिसमें वेतन अच्छा था साथ ही ऊपरी कमाई भी ज्यादा थी।
वंशीधर के पिता के अनुभवों का निचोड़ क्या है?(क) यह वंशीधर के पिता वृद्ध मुंशी की उक्ति है। (ख) जिस प्रकार पूर्णमासी में चाँद पूर्ण और चमकीला दिखाई देता है। वैसे ही वेतन एक महीने में एक बार मिलता है। उस एक दिन ही वेतनभोगी खुश रहता है।
वंशीधर के पिता के विचार से ऊपरी आय क्या है?उसी समय मुंशी वंशीधर नौकरी के तलाश कर रहे थे। उनके पिता अनुभवी थे अपनी वृद्धावस्था का हवाला देकर ऊपरी कमाई वाले पद को बेहतर बताया। वे कहते हैं कि मासिक वेतन तो पूर्णमासी का चांद है जो एक दिन दिखाई देता है और घटते-घटते लुप्त हो जाता है। ऊपरी आय बहता हुआ स्रोत है जिससे सदैव प्यास बुझती है।
बंशीधर पिता का क्या नाम था?इनके पिता पं॰ छेदीलाल शुक्ल सीधे-सादे सरल ह्रदय के किसान थे जो अच्छे अल्हैत के रूप में विख्यात थे और आसपास के क्षेत्र में उन्हें आल्हा गायन के लिए बुलाया जाता था। वे नन्हें बंशीधर को भी अपने साथ ले जाया करते थे। पिता द्वारा ओजपूर्ण शैली में गाये जाने वाले आल्हा को बंशीधर मंत्रमुग्ध होकर सुना करते थे।
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