( Introduction ) डिज़ाइन एक ऐसा लोकप्रिय समकालीन शब्द है , जिसका विभिन्न परिस्थितियों में अलग अलग अर्थ हो सकता है |
डिजाइन विश्लेषण ( Design Analysis )
संरचनात्मक
डिजाइन Structural Design
संरचनात्मक डिजाइन वस्त्र के मूल रूप पर निर्भर करता है न कि उसके ऊपर को जाने वाली सजावट पर ।
अलंकृत डिजाइन, मुख्य डिजाइन का ही एक भाग होता है । डिजाइन के तत्व
वस्त्रों में रंग का चुनाव निम्न बातों पर निर्भर करता है-
मुंसेल रंग चक्र अनुसार रंगों के तीन रूप
ह्यू - रंग का सामान्य नाम होता है। जैसे- लाल, नीला
मुंसेल रंग चक्र के अनुसार रंगों के तीन प्रकार
तृतीयक जब दो रंगों (एक प्राथमिक और एक द्वितीयक) को समान मात्रा में मिलाया जाता है, तो तृतीयक रंग बनते हैं। जैसे- लाल + नारंगी = लाल नारंगी लाल + बैंगनी = लाल बैंगनी पीला+ हरा = पीला हरा पीला + पीला नारंगी = पीला नारंगी नीला + हरा = नीला हरा नीला + बैंगनी= नीला बैंगनी उदासीन रंग/अवर्णक- ये बिना रंग के रंग कहलाते हैं जैसे सफेद, काला, धूसर, रजत, धात्विक।
वस्त्रों में रंग विविध स्तर पर किए जा सकते हैं -
( रंग योजना / रंग सुमेल ) विभिन्न रंगों को एक सुनियोजित ढंग से प्रयोग करना रंग योजना अथवा रंग सुमल कहलाता है। रंग योजनाओं के प्रकार i) सम्बन्धित
ii) विषम
(i) एक वर्णी सुमेल - यह रंग योजना एक रंग पर आधारित होती है। इसमें एक रंग, विभिन्न मान एवं तीव्रता के रूप में प्रयोग होता है। जैसे लाल, गुलाबी, मेहरुन। (ii) अवर्णी सुमेल इस रंग योजना में केवल उदासीन रंगों का प्रयोग किया जाता है जैसे- सफेद, काला। (ii) विशिष्टतापूर्ण उदासीन सुमेल इस रंग योजना में एक उदासीन रंग व एक अन्य रंग का प्रयोग किया जाता है जैसे सफंद और लाल, काला और पीला आदि। (iv) अनुरुप सुमेल - इस रंग योजना में वर्णचक्र के समीप के दो या तीन रेगों का प्रयोग किया जाता है। जैसे पीला, पीला हरा और हरा। विषम रंग योजनाएँ/ सुमेल-
बुनावट (texture)
बुनावट को निम्न तरीके से समझाया जा सकता है-
वस्त्र की बुनावट का निर्धारण करने वाले कारक i) रेशा रेशे के प्रकार (प्राकृतिक या मानव निर्मित), उसकी लम्बाई, उत्कृष्टता और इसके पृष्ठीय गुण। ii) धागे का संसाधन और धागे का प्रकार- संसाधन की विधि, संसाधन के समय समावेशित घुमाव, धागे की उत्कृष्टता और धागे का प्रकार। iii) वस्त्र निर्माण तकनीक बुनावट (बुनने का प्रकार और उसकी सघनता), बुनाई, नमदा बनाना, गुँथना, लेस या जाली बनाना। iv) वस्त्र सज्जा कड़ा करना (माँड लगाना, आकार मापन, गोंद लगाना), इस्तरी करना, कैलेंडरिंग, टेटरिंग, नैपिंग, परिष्करण करना। v) पृष्ठीय सजावट- गुच्छे से सजाना, मखमली मुद्रण, कसीदाकारी और सिलाई डिज़ाइन के प्रभाव। चिन्ह जो दो बिंदुओं को जोड़ें रेखा के प्रकार
वक्र रेखा
i) ऊर्ध्वाधर/लम्बतर रेखाएँ ये रेखाएँ ऊपर और नीचे गति पर बल देती हैं। ये लम्बाई का आभास देती हैं और तीव्र, सम्मानजनक व सुरक्षित प्रभाव देती हैं। ii) क्षैतिज रेखाएँ ये रेखाएँ एक ओर से दूसरी ओर गति पर बल देती हैं। ये चौड़ाई का आभास देती हैं और स्थायी व सौम्य प्रभाव देती हैं। iii) तिरछी । विकर्ण रेखाएँ ये रेखाएँ कोण की कोटि और दिशा पर निर्भर करते हुए चौड़ाई ओर ऊँचाई को बढ़ाती या घटाती हैं। ये एक सक्रिय, आश्चर्यजनक अथवा नाटकीय प्रभाव देती हैं। आकृतियाँ /आकार किसी भी डिजाइन की आकृति या आकर विभिन्न प्रकार की रेखाओं को जोड़कर ही बनाए जाते हैं | ये द्विविमीय हो सकती है जैसे वस्त्र पर कोई चित्रकारी | ये त्रिविमीय हो सकती है | आकृतियों के चार मूलभूत समूह i) प्राकृतिक आकृतियाँ ये प्रकृति या मानव निर्मित वस्तुओं की सामान्य आकृतियों जैसी होती ii) फैशनेबल शैली की आकृतियाँ-ये सरलीकृत या संशोधित प्राकृतिक आकृतियाँ होती हैं। इनका कुछ भाग विकृत या बढ़ा-चढ़ाकर बनाया होता है। iii) ज्यामितीय आकृतियाँ- ये गणितीय रूप से बनाई जाती हैं, जिन्हें पैमाना, कपास या अन्य मापक उपकरणों का उपयोग कर बनाया जाता है। (iv) अमूर्त आकृतियाँ - ये मुक्त रूप होती हैं। ये किसी विशिष्ट वस्तु जैसी दिखाई नहीं देती। अपने वैयक्तिक सम्बन्धों के कारण ये विभिन्न लोगों के लिए विभिन्न वस्तुएँ हो सकती हैं। एक या एक से अधिक प्रकार की आकृतियों के समूह को क्रमबद्ध शैली में समूहित करने पर जो प्रतिरूप प्राप्त होता है उसे पैटर्न कहते हैं | डिजाइन के सिद्धांत अनुपात
संतुलन
लय
सामंजस्यता
पोशाक में अनुपात लाने के विभिन्न तरीके हैं- 1) रंग का अनुपात स्वर्णिम माथ्य का उपयोग करते हुए, रंग का अनुपात उत्पन्न करने के लिए कमीज़ और पैंट के विभिन्न रंग पहने जा सकते हैं। 2) बुनावट का अनुपात- यह तत्र प्राप्त होता है जब पोशाक बनाने वाली सामग्री की विभिन्न बनावट, पोशाक पहनने वाले व्यक्ति का साइज़ बढ़ा या घटा देती हैं। जैसे एक पतले व्यक्ति पर भारी बुनावट वाली पोशाक अच्छी नहीं लगती। 3) आकृति तथा रूप में अनुपात एक पोशाक में कलाकृतियों अथवा छपाई का साइज़ पहनने वाले के साइज के अनुपात में होते हैं। छोटे बच्ची की पोशाक पर छोटे प्रिंट, बड़े व्यक्ति की पोशाक पर बड़े प्रिंट उचित लगते हैं। गर्भावस्था में स्त्री को कुर्ती ऊँची कमर को होनी चाहिए। असमान क्षैतिज विभाजन व्यक्ति को दिखने में पतला बना देते हैं।संतुलन - संतुलन का अर्थ है केन्द्र बिन्दु से भार का एक समान वितरण करना। अगर किसी पोशाक में बीच में ऊर्ध्वाधर रेखा खींची जाए, तो उसमें संतुलन होना आवश्यक होता है। डिज़ाइन के सभी तत्त्वों जैसे रेखा, रंग, बुनावट का संतुलन बनाते समय ध्यान रखा जाता है। संतुलन तीन प्रकार से लाया जा सकता है- (1) औपचारिक संतुलन
(iii) अनौपचारिक/ क्षैतिज संतुलन अगर किसी पोशाक में बीच में केंद्रीय ऊर्ध्वाधर रेखा (ii) रेडियल संतुलन इस प्रकार के संतुलन में डिज़ाइन पोशाक के एक कंन्द्र बिन्दु से दूसरी तरफ फैलता है। यह बनाना आसान नहीं है परन्तु पोशाक में नयापन देने के लिए किया जाता है। दबाव / महत्त्व
सामंजस्यता
वस्त्र एवं परिधान के लिए डिजाइन के क्षेत्र में जीविका के लिए निम्न ज्ञान होना ज़रूरी है
वस्त्र एवं परिधान के कार्यक्षेत्र (i) वस्त्र निर्माण डिज़ाइनर उद्योग में काम करना। अनुसंधान करना (ii) अनुसंधान करना (iii) वस्त्र निर्माण कम्पनियों और फैशन प्रतिष्ठानों के लिए कपड़े के डिज़ाइन का उत्पादन करना। (iv) डिजाइन एजेंसियों में काम करना- कॉस्ट्यूम डिज़ाइनर। (v) स्वतंत्र कार्यकर्ता डिज़ाइनर बनना। (vi) फॅशन समन्वयक बनना। (vi) फॅशन चित्रकार बनना। (vi) दृश्य व्यापारी बनना। (ix) कपड़े की मिल में खुदरा प्रबंधक बनना। (x) उद्यमी बनना (xi) फैशन व्यापारी बनना। VIDEO WATCH
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