वास्को डी गामा कहाँ का निवासी था? - vaasko dee gaama kahaan ka nivaasee tha?

विषयसूची

  • 1 वास्कोडिगामा से पहले भारत कौन आया था?
  • 2 कोलंबस और वास्को डी गामा क्या थे?
  • 3 वास्कोडिगामा के जहाज का क्या नाम था?
  • 4 पुर्तगाल की राजधानी कहाँ है?
  • 5 वास्कोडिगामा कौन था कहां से आया था?
  • 6 वास्कोडिगामा ने किसकी खोज की थी?

वास्कोडिगामा से पहले भारत कौन आया था?

इसे सुनेंरोकेंसमुद्र मार्ग से भारत की खोज सर्वप्रथम सन् 20 मई 1498 को वास्को दा गामा ने की थी| वह नौ सेना के कमांडर थे, उनका प्रमुख उद्देश्य भारत में मसाले का व्यापार था। वास्को द गामा से पहले किसी और ने समुद्र मार्ग से भारत की खोज नहीं की थी । परंतु वास्कोडिगामा से पहले आर्यों का आगमन हो चुका था।

पुर्तगाल कहाँ है?

इसे सुनेंरोकेंपुर्तगाल (Portugal) दक्खिनी-पच्छिमी यूरोप में, आइबेरियन प्रायदीप पर एगो संप्रभु राज्य, मने कि आजाद देस बाटे। ई यूरोप के मुख्य जमीन के सभसे पच्छिमी देस हवे जेकरे पच्छिम में अटलांटिक महासागर बा आ उत्तर आ पूरुब में ई स्पेन के साथे सीमा बनावे ला।

कोलंबस और वास्को डी गामा क्या थे?

इसे सुनेंरोकेंवास्‍को डी गामा से पहले कोलंबस भारत की खोज के लिए निकला था लेकिन रास्‍ता भटक जाने की वजह से वो अमेरिका पहुंच गया था। 20 मई 1498 को वास्‍को डी गामा पहली बार भारत के दक्षिण में कालीकट पहुंचा था। नई दिल्‍ली (ऑनलाइन डेस्‍क)। वास्‍को डी गामा, एक ऐसा नाम है जिसको भारत की खोज करने का श्रेय दिया जाता है।

वास्को डी गामा भारत कब पहुंचे?

इसे सुनेंरोकेंपणजी/कोच्ची. आज ही के दिन यानी 8 जुलाई 1497 को पुर्तगाली नाविक वास्को डी गामा भारत की खोज में निकला था। वह 20 मई 1498 को केरल के कोझीकोड जिले के कालीकट(काप्पड़ गांव) पहुंचा था। यहीं से कुछ दूर कोच्ची में वास्को की कब्र है।

वास्कोडिगामा के जहाज का क्या नाम था?

इसे सुनेंरोकें- वास्को डि गामा ने 8 जुलाई, 1497 को पुर्तगाल से अपनी यात्रा शुरू की थी, उसके साथ चार जहाज और 170 से ज्यादा आदमी साथ चल रहे थे। – उन जहाजों का नाम सैन गैब्रिएल, साओ राफाएल और बेरियो था।

वास्कोडिगामा ने क्या खोज की?

इसे सुनेंरोकेंकोलंबस की यात्रा के करीब 5 साल बाद पुर्तगाल के नाविक वास्को डा गामा जुलाई 1498 में भारत का समुद्री मार्ग खोजने निकले। वास्को डी गामा ने समुद्र के रास्ते कालीकट पहुंचकर यूरोपावासियों के लिये भारत पहुंचने का एक नया मार्ग खोज लिया था।

पुर्तगाल की राजधानी कहाँ है?

लिस्बन
पुर्तगाल/राजधानियां

वास्कोडिगामा कौन था इन हिंदी?

इसे सुनेंरोकेंवास्को द गामा का जन्म अनुमानतः १४६० में या १४६९ में साइन्स, पुर्तगाल के दक्षिण-पश्चिमी तट के निकट हुआ था। इनका घर नोस्सा सेन्होरा दास सलास के गिरिजाघर के निकट स्थित था। १४९२ में पुर्तगाल के राजा जॉन द्वितीय ने गामा को सेतुबल बंदरगाह, लिस्बन के दक्षिण में भेजा। उन्हें वहां से फ्रांसीसी जहाजों को पकड़ कर लाना था।

वास्कोडिगामा कौन था कहां से आया था?

इसे सुनेंरोकेंआरंभिक जीवन वास्को द गामा का जन्म अनुमानतः १४६० में या १४६९ में साइन्स, पुर्तगाल के दक्षिण-पश्चिमी तट के निकट हुआ था। इनका घर नोस्सा सेन्होरा दास सलास के गिरिजाघर के निकट स्थित था। तत्कालीन साइन्स जो अब अलेन्तेजो तट के कुछ बंदरगाहों में से एक है, तब कुछ सफ़ेद पुती, लाल छत वाली मछुआरों की झोंपड़ियों का समूह भर था।

वास्कोडिगामा कहाँ का निवासी था?

इसे सुनेंरोकेंवास्कोडिगामा गांव साइन्स, पुर्तगाल का रहने वाला था इनका घर नोस्सा सेन्होरा दास सलास के गिरिजाघर के निकट स्थित था वास्कोडिगामा (वास्को द गामा) समुंद्र के रास्ते भारत पहुँचने वाला प्रथम व्यक्ति था।

वास्कोडिगामा ने किसकी खोज की थी?

गोवा में एक जगह है जिसे वास्को डी गामा के नाम से जाना जाता है। सचमुच भारत खोया हुआ था और जिसके बारे में दुनिया कुछ नहीं जानती थी। क्या वास्को डी गामा के पहले भारत में कोई विदेशी नहीं आया था? और क्या भारत कोई ऐसी चीज है जिसे खोजा जाए? हजारों वर्ग किलोमीटर के भू भाग को वास्को डी गामा ने खोज लिया। क्या आपको यह हास्यापद नहीं लगता? यह ऐसा ही है कि आप अपने पड़ोसी के घर को खोज लें और दुनिया में इतिहास प्रसिद्ध हो जाएं।


हालांकि आजकल पढ़ाया जाता है कि भारत के समुद्री मार्ग की वास्को डी गामा ने खोज की थी। सचमुच यह हद दर्जे की मूर्खता है कि भारतीय बच्चों को यह पढ़ाया जा रहा है कि वास्को डी गामा ने भारत की खोज की। पढ़ाया यह जाना चाहिए कि वास्को डी गामा ने योरप को पहली बार भारत तक पहुंचने का समुद्री मार्ग बताया। दरअसल, पहले यूरोपी देशों के लिए भारत एक पहेली जैसा था। यूरोप अरब के देशों से मसाले, मिर्च आदि खरीदता था लेकिन अरब देश के कारोबारी उसे यह नहीं बताते थे कि यह मसाले वह पैदा किस जगह करते हैं। यूरोपीय इस बात को समझ चुके थे कि अरब कारोबारी उनसे जरूर कुछ छुपा रहे हैं।

ये कारोबारी अरब के उस पार पूर्वी देशों से ज्यादा परिचित नहीं थे। जहां तक सवाल भारत का है तो इसके एक ओर हिमालय की ऐसी श्रंखलाएं हैं जिसे पार करना उस दौर में असंभव ही था। भारत के दूसरी ओर तीन ओर से भारत को समुद्र ने घेर रखा था। ऐसे में यूरोप वासियों के लिए भारत पहुंचने के तीन रास्ते थे। पहला रशिया पार करके चीन होते हुए बर्मा में पहुंचकर भारत में आना जोकि अनुमान से कहीं ज्यादा लंबा ओर जोखिम भरा था। दूसरा रास्ता था अरब और ईरान को पार करके भारत पहुंचना। लेकिन यह रास्ता अरब के लोग इस्तेमाल करते थे और वे किसी अन्य को अंदर घुसने नहीं देते थे। तीसरा रास्ता समुद्र का था जिसमें चुनौती देने वाला सिर्फ समुद्र ही था।

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ऐसे में एक ऐसे देश के समुद्री मार्ग को खोज करने यूरोप के नाविक निकल पड़े जिसके बारे में सुना बहुत था लेकिन देखा नहीं। इन नाविकों में से एक का नाम क्रिस्टोफर कोलंबस था जो कि इटली के निवासी थे। भारत का समुद्री मार्ग खोजने निकले कोलंबस अटलांटिक महासागर में भम्रित हो गए और अमेरिका की तरफ पहुंच गए। कोलंबस को लगा कि अमेरिका ही भारत है। इसी कारण वहां के मूल निवासियों को रेड इंडियंस के नाम से जाना जाने लगा। कोलंबस की यात्रा के करीब 5 साल बाद पुर्तगाल के नाविक वास्को डा गामा जुलाई 1498 में भारत का समुद्री मार्ग खोजने निकले। वास्को डी गामा ने समुद्र के रास्ते कालीकट पहुंचकर यूरोपावासियों के लिये भारत पहुंचने का एक नया मार्ग खोज लिया था।

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20 मई 1498 को वास्को डा गामा कालीकट तट पहुंचे और वहां के राजा से कारोबार के लिए हामी भरवा ली। कालीकट में 3 महीने रहने के बाद वास्को पुर्तगाल लौट गए। कालीकट अथवा 'कोलिकोड' केरल राज्य का एक नगर और पत्तन है। वर्ष 1499 में भारत की खोज की यह खबर फैलने लगी।

वास्को डी गामा ने योरप के लुटेरों, शासकों और व्यापारियों के लिए एक रास्ता बना दिया था। इसके बाद भारत पर कब्जा जमाने के लिए योरप के कई व्यापारी और राजाओं ने कोशिश की और समय-समय पर वे आए और उन्होंने भारत के केरल राज्य के लोगों का धर्म बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पुर्तगालियों की वजह से ब्रिटिश लोग भी यहां आने लगे। अंतत: 1615 ई. में यह क्षेत्र ब्रिटिश अधिकार में आया। 1698 ई. में यहां फ्रांसीसी बस्तियां बसीं। फ्रांस और ब्रिटेन के बीच के युद्ध के काल में इस क्षेत्र की सत्ता बदलती रही।

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1503 में वास्को पुर्तगाल लौट गए और बीस साल वहां रहने के बाद वह भारत वापस चले गए। 24 मई 1524 को वास्को डी गामा की मृत्यु हो गई। लिस्बन में वास्को के नाम का एक स्मारक है, इसी जगह से उन्होंने भारत की यात्रा शुरू की थी। दरअसल, 1492 में नाविक राजकुमार हेनरी की नीति का अनुसरण करते हुए किंग जॉन ने एक पुर्तगाली बेड़े को भारत भेजने की योजना बनाई, ताकि एशिया के लिए समुद्री मार्ग खुल सके। उनकी योजना मुसलमानों को पछाड़ने की थी, जिनका उस समय भारत और अन्य पूर्वी देशों के साथ व्यापार पर एकाधिकार था। एस्टावोडिगामा को इस अभियान के नेतृत्व के लिए चुना गया, लेकिन उनकी मृत्यु के बाद वास्को द गामा ने उनका स्थान लिया।

8 जुलाई 1497 को वास्को द गामा चार जहाजों के एक बेड़े के साथ लिस्बन से निकले थे। वास्को द गामा के बेड़े के साथ तीन दुभाषिए भी थे जिसमें से दो अरबी बोलने वाले और एक कई बंटू बोलियों का जानकार था। बेड़े में वे अपने साथ एक पेड्राओ (पाषाण स्तंभ) भी ले गए थे जिसके माध्यम से वह अपनी खोज और जीती गई भूमि को चिन्हित करता था।

वास्कोडिगामा कहाँ के निवासी थे?

वास्को द गामा का जन्म अनुमानतः १४६० में या १४६९ में साइन्स, पुर्तगाल के दक्षिण-पश्चिमी तट के निकट हुआ था। इनका घर नोस्सा सेन्होरा दास सलास के गिरिजाघर के निकट स्थित था।

वास्को डी गामा भारत क्यों आया था?

वास्‍को डी गामा, एक ऐसा नाम है जिसको भारत की खोज करने का श्रेय दिया जाता है। इस खोज के पीछे उसका मकसद पूरी तरह से व्‍यापारिक था। अपनी लंबी यात्रा के दौरान वो पहली बार 20 मई को 1498 को भारत के दक्षिण में कालीकट पहुंचा था

वास्कोडिगामा के जहाज का नाम क्या था?

वास्को डि गामा ने 8 जुलाई, 1497 को पुर्तगाल से अपनी यात्रा शुरू की. उसके साथ चार जहाज और 170 आदमी थे. 5. उन जहाजों का नाम सैन गैब्रिएल, साओ राफाएल और बेरियो था.

वास्को डी गामा भारत में कितनी बार आया?

डॉम वास्कोगामा (पुर्तगाली: Vasco da Gama) (लगभग 1460 या 1469 - 24 दिसंबर, 1524) एक पुर्तगाली अन्वेषक, यूरोपीय खोज युग के सबसे सफल खोजकर्ताओं में से एक और यूरोप से भारत सीधी यात्रा करने वाले जहाज़ों का कमांडर था, जो केप ऑफ गुड होप, अफ्रीका के दक्षिणी कोने से होते हुए भारत पहुँचा। वह जहाज़ द्वारा तीन बार भारत आया