वीर कुंवर सिंह ने अपने रियासत की जिम्मेदारी कब संभाली? - veer kunvar sinh ne apane riyaasat kee jimmedaaree kab sambhaalee?

Bihar Board Class 9Th Non – Hindi chapter 5 वीर कुँवर सिंह Solutions | Bseb class 9Th Chapter 5 वीर कुँवर सिंह Notes

  • January 3, 2023
  • 0
  • BR 9TH NON - HINDI

Bihar Board Class 9Th Non – Hindi chapter 5 वीर कुँवर सिंह Solutions | Bseb class 9Th Chapter 5 वीर कुँवर सिंह Notes

प्रश्न- वीर कुँवर सिंह से संबंधित किसी एक प्रसंग का उल्लेख कीजिए जो आपको अविश्वसनीय लगता है।

उत्तर— यह सामान्य धारणा है कि जो काम कोई स्वयं नहीं कर पाता है, यदि वह काम किसी के द्वारा किया जाता है तो वह अविश्वसनीय लगता है। मुझे भी वीर कुँवर सिंह से संबंधित यह प्रसंग अविश्वसनीय लगता है। प्रसंग इस प्रकार है :

‘एक समय की बात है। अंग्रेज फौज बाबू कुँवर सिंह का पीछा करते हुए गंगा नदी के तट पर पहुँच गई। बाबू कुँवर सिंह नाव से गंगा नदी पार कर रहे थे। अचानक अंग्रेजों की एक गोली उनके बाँये हाथ में आ लगी। गोली का जहर पूरे शरीर में नहीं फैले, अत: बिना एक क्षण की देरी किए बाबू कुँवर सिंह ने अपनी तलवार से उस हाथ को काटकर गंगा में बहा दिया।

प्रश्न- वीर कुंवर सिंह के जीवन से जुड़े कुछ घटनाक्रम तिथियों के साथ स्तंभ ‘क’ एवं स्तंभ ‘ख’ में दिए गए हैं, सही-सही उनका मिलान कीजिए।

उत्तर— (i) वीर कुँवर सिंह द्वारा स्वाधीनता की विजय पताका फहराना — 23 अप्रैल, 1858

(ii) दानापुर सैनिक छावनी की सैनिक टुकड़ी द्वारा विद्रोह  —  25 जुलाई, 1857

(iii) वीर कुँवर सिंह की मृत्यु  — 26 अप्रैल, 1858

(iv) अंग्रेजी फौज द्वारा जगदीशपुर पर अधिकार  — 13 अगस्त, 1857

(v) आरा पर विजय  —  27 जुलाई, 1857

प्रश्न- निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए :- 

(क) वीर कुँवर सिंह का जन्म कहाँ हुआ था?

(ख) उनके माता-पिता का नाम क्या था?

(ग) ब्रिटिश झंडे को किस नाम से जानते हैं ?

(घ) वीर कुँवर सिंह ने अपनी रियासत की जिम्मेदारी कब संभाली ?

(ङ) कुँवर सिंह को किस क्षेत्र में ज्यादा रूचि थी ?

उत्तर— (क) वीर कुँवर सिंह का जन्म भोजपुर जिला के जगदीशपुर गाँव में हुआ था।

(ख) इनके पिता का नाम साहबजादा सिंह तथा माता का नाम पंचरतन कुँवर था।

(ग) ब्रिटिश झंडे को ‘यूनियन जैक’ कहते हैं।

(घ) वीर कुँवर सिंह ने अपने पिता की मृत्यु के पश्चात् 1827 ई० में रियासत की जिम्मेदारी संभाली।

(ङ) कुँवर सिंह को घुड़सवारी, तलवारबाजी तथा कुश्ती लड़ने में विशेष रूचि थी।

प्रश्न- वीर कुँवर सिंह के किस कार्य से आप ज्यादा प्रभावित हैं और क्यों ?

उत्तर— अंग्रेजों के अत्याचार एवं अन्याय के विरूद्ध विद्रोह का शंखनाद करने वाले वीर कुँवर सिंह निश्चय ही पौरुष के प्रतीक थे। उनके इस प्रयास से मैं अति प्रभावित हूँ, क्योंकि 1857 ई० के बाद ही भारतीयों में स्वतंत्रता प्राप्ति की चाह बढ़ी थी। कुँवर सिंह ने अपने साहस तथा बलिदान से यह साबित कर दिया था कि यदि हम संगठित होकर स्वाधीनता प्राप्ति का प्रयास करें तो आसानी से आजादी मिल सकती है।

प्रश्न- 1857 की क्रांति के समय कुँवर सिंह की जगह आप होते तो क्या करते ?

उत्तर— 1857 की क्रांति के समय कुँवर सिंह की जगह यदि मैं होता तो मैं भी वहीं करता जो कुँवर सिंह ने किया। बिना अपने जीवन की परवाह किये मैं भी युद्ध में सम्मिलित हो जाता और अंग्रेज फिरंगियों के नाको चने चबवा देता !

प्रश्न- 23 अप्रैल को बिहारवासी किस रूप में मनाते हैं ? 

उत्तर— 23 अप्रैल को बिहारवासी ‘विजय दिवस के रूप में मनाते हैं।

प्रश्न- ‘वीर कुँवर सिंह एक योद्धा ही नहीं बल्कि एक कुशल नेतृत्वकर्ता भी थे।” इस कथन के संबंध में अपना विचार व्यक्त कीजिए। 

These NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 17 वीर कुवर सिंह Questions and Answers are prepared by our highly skilled subject experts.

वीर कुवर सिंह NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 17

Class 7 Hindi Chapter 17 वीर कुवर सिंह Textbook Questions and Answers

निबंध से

प्रश्न 1.
वीर कुंवर सिंह. के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषताओं ने आपको प्रभावित किया ?
उत्तर:
वीर कुंवर सिंह के व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताएँ प्रभावित करने वाली हैं :

  1. वीर कुंवर सिंह में देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी। वे वीर थे।
  2. वीर कुंवर सिंह युद्ध कला में बहुत निपुण थे। वे छापामार युद्ध करना जानते थे। अंग्रेज उनके रण-कौशल को समझने में पूरी तरह असमर्थ रहे।
  3. उनमें नेतृत्व की भावना कूट-कूट कर भरी थी वे जहाँ भी गए लोग उनके साथ हो लिए।
  4. वे एक उदार एवं संवेदनशील व्यक्ति थे। उन्होंने अनेक सामाजिक कार्य किए। वे सभी धर्मों का समान आदर करते थे।
  5. वे बहुत ही चतुर थे। अपनी इसी चतुराई से उन्होंने अंग्रेज सेनापति डगलस को धोखा दिया।

प्रश्न 2.
कुँवर सिंह को बचपन में किन कामों में मजा आता था? क्या उन्हे उन कामों से स्वतंत्रता सेनानी बनने में कुछ मदद मिली ?
उत्तर:
कुँवर सिंह को बचपन में घुड़सवारी, तलवारबाजी और कुश्ती लड़ने में मजा आता था। इन कामों के कारण वे एक अच्छे योद्धा एवं  स्वतंत्रता सेनानी बन सके। क्योंकि उन दिनों घुड़सवारी ही युद्ध में सबसे अधिक काम आती थी और युद्ध तलवारों से लड़े जाते थे। कुश्ती से उनका शरीर बलिष्ठ हो गया था और उनका दम खम बढ़ गया था।

प्रश्न 3.
सांप्रदायिक सद्भाव में कुँवर सिंह की गहरी आस्था थी-पाठ के आधार पर कथन की पुष्टि किजिए ?
उत्तर:
सांप्रदायिक सद्भाव में कुँवर सिंह की गहरी आस्था थी। उनकी सेना में मुसलमान भी उच्च पदों पर आसीन थे। उनके यहाँ हिन्दुओं और मुसलमानों के सभी त्योहार एक साथ मिलकर मनाए जाते थे। उन्होंने पाठशालाओं के साथ-साथ मकतब की बनवाए जिनमें मुस्लिम छात्र पढ़ सकें।

प्रश्न 4.
पाठ के किन प्रसंगों से आपको पता चलता है कि कुँवर सिंह साहसी, उदार एवं स्वाभिमानी व्यक्ति थे?
उत्तर:
पाठ के निम्नलिखित प्रसंगों से पता चलता है वे साहसी, उदार और स्वाभिमानी व्यक्ति थे।

  1. साहसी-कुँवर सिंह ने जगदीशपुर में हारकर भी अपना साहस नहीं खोया। वे सेना एकत्र कर आगे बढ़ते चले गए और लखनऊ तक विजय पताका फहराते चले गए। घायल होने के बाद भी उन्होंने अपने हाथ से ही अपनी बाजू काट कर गंगा में अर्पित कर दी।
  2. उदार-कुँवर सिंह की स्थिति अच्छी नहीं थी फिर भी वे निर्धनों की सहायता करने से नहीं चूकते थे। उन्होंने अनेक कुँए खुदवाए व सड़कें बनवाईं। उनकी सेना में मुसलमान ऊँचे पदों पर आसीन थे।
  3. स्वाभिमानी-कुँवर सिंह स्वाभिमानी व्यक्ति थे। उन्होंने अंग्रेजों के सामने हार नहीं मानी। बूढ़े होने पर भी वे अपनी आन और अपने देश के स्वाभिमान के लिए लड़ते रहे।

प्रश्न 5.
आमतौर पर मेले मनोरंजन, खरीद-फरोख्त एवं मेलजोल के लिए होते हैं। वीर कुंवर सिंह ने मेले का उपयोग किस रूप में किया ?
उत्तर:
वीर कुंवर सिंह ने मेले का उपयोग क्रांति की योजनाएँ बनाने के लिए किया। उन्होंने इस मेले में गुप्त बैठकें की तथा अनेक योजनाएँ बनाईं। इन योजनाओं के कारण ही वे पूरे उत्तरी भारत में युद्ध का बिगुल बजा सके।

वीर कुंवर सिंह ने अपने रियासत की जिम्मेदारी कब संभाली? - veer kunvar sinh ne apane riyaasat kee jimmedaaree kab sambhaalee?

निबंध से आगे

प्रश्न 1.
सन् 1857 के आंदोलन में भाग लेने वाले किन्हीं चार सेनानियों पर दो-दो वाक्य लिखिए ?
उत्तर:
रानी लक्ष्मीबाई- झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ने अपने पति की मृत्यु के बाद अपनी झाँसी को बचाने के लिए अंग्रेजों के साथ युद्ध किया और वीरगति को प्राप्त हुई।
तात्या टोपे- तात्या टोपे, झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के सेनापति थे। इन्हें 18 अप्रैल, 1857 को फाँसी दे दी गई थी।
बहादुरशाह ज़फर- बहादुरशाह ज़फर अंतिम मुगल बादशाह थे। इनको 11 मई को पुनः भारत का शासक घोषित किया गया।
नाना साहब- नाना साहब रानी लक्ष्मीबाई अर्थात् मनु के बचपन के साथी थे। वे पेशवा बाजीराव के दत्तक पुत्र थे। इन्होंने 1857 के विद्रोह में सक्रिय भूमिका निभाई।

प्रश्न 2.
सन् 1857 के क्रांतिकारियों से संबंधित गीत विभिन्न भाषाओं और बोलियों में गाए जाते हैं। ऐसे कुछ गीतों को संकलित कीजिए।
उत्तर:
छात्र अपने पुस्तकालय से गीतों का संकलन करें।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1.
वीर कुंवर सिंह का पढ़ने के साथ-साथ कुश्ती और घुड़सवारी में अधिक मन लगता था आपको पढ़ने के अलावा और किन-किन गतिविधियों या कामों में खूब मजा आता है? लिखिए।
उत्तर:
मुझे पढ़ने के अलावा खेलने-कूदने, योगासन करने, पुरानी फिल्मों के गीत सुनने व टी. वी. देखने का शौक है।

प्रश्न 2.
सन् 1857 में अगर आप 12 वर्ष के होते तो क्या करते? कल्पना करके लिखिए।
उत्तर:
सन् 1857 में अगर मैं 12 वर्ष का होता तो अंग्रेजों को देश से निकालने के लिए लोगों को जागरूक बनाता। मैं वे सभी कार्य करता जिससे मैं एक अच्छा सैनिक बन सकता। मैं घुड़सवारी सीखता व बच्चों को इकट्ठे करके एक सेना बनाता जो अंग्रेजों के साथ युद्ध लड़ने को तैयार रहती।

प्रश्न 3.
आपने भी कोई मेला देखा होगा। सोनपुर के मेले और इस मेले में आप क्या अंतर पाते हैं?
उत्तर:
हमने दिल्ली में प्रगति मैदान में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला देखा है। सोनपुर के मेले में पशुओं की बिक्री होती है और प्रगति मैदान में विभिन्न तरह की वस्तुएँ बेची जाती हैं। इस मेले में दुनिया के कोने-कोने-से व्यापारी आते हैं। इस मेले में प्रतिदिन कई-लाख व्यक्ति आते हैं। इस मेले के सभी राज्यों की विशेष प्रदर्शनियाँ भी लगती हैं।

वीर कुंवर सिंह ने अपने रियासत की जिम्मेदारी कब संभाली? - veer kunvar sinh ne apane riyaasat kee jimmedaaree kab sambhaalee?

भाषा की बात

1. आप जानते हैं कि किसी शब्द को बहुवचन में प्रयोग करने पर उसकी वर्तनी में बदलाव आता है। जैसे-सेनानी एक व्यक्ति के लिए प्रयोग करते हैं और सेनानियों एक से अधिक के लिए। सेनानी शब्द की वर्तनी में बदलाव यह हुआ है कि अंत के वर्ण ‘नी’ की मात्रा दीर्घी’ (ई) से ह्रस्व (इ) हो गई है। ऐसे शब्दों को, जिनके अंत में दीर्घ ईकार होता है, बहुवचन बनाने पर वह इकार हो जाता है, यदि शब्द के अंत में ह्रस्व इकार होता है, तो उसमें परिवर्तन नहीं होता जैसे-दृष्टि से दृष्टियों।
नीचे दिए गए शब्दों का वचन बदलिए-
नीति …………….. ज़िम्मेदारियों …………… सलामी
स्थिति ……………. स्वाभिमानियों ………….. गोली …………….
उत्तर:
नीति – नीतियाँ
जिम्मेदारियों – जिम्मेदारी
सलामी – सलामियाँ
स्थिति – स्थितियाँ
स्वाभिमानियों – स्वाभिमानी
गोली – गोलियाँ

गद्याशों पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

1. सन् 1857 के व्यापक ………………… कब्जा रहा।

प्रश्न 1.
1857 में बैरकपुर में क्या घटना घटी ?
उत्तर:
1857 में बैरकपुर छावनी में मंगल पांडे ने अंग्रेजों के खिलाफ बगावत कर दी। 8 अप्रैल, 1857 को मंगल पांडे को अंग्रेजों ने फाँसी दे दी।

प्रश्न 2.
10 मई का क्या विशेष महत्त्व है?
उत्तर:
10 मई, 1857 को मेरठ में भारतीय सैनिकों ने ब्रिटिश अधिकारियों के विरुद्ध आंदोलन कर दिया। उन्होंने दिल्ली की ओर कूच करके दिल्ली पर कब्जा कर लिया।

प्रश्न 3.
बहादुरशाह जफर कौन थे?
उत्तर:
बहादुरशाह ज़फर अंतिम मुगल बादशाह थे। 11 मई को दिल्ली पर कब्जा करने के बाद उनको ही भारत का शासक घोषित किया गया।

2. वीर कुंवर सिंह के बचपन के बारे में बहुत अधिक जानकारी नहीं मिलती। कहा जाता है कि कुँवर सिंह का जन्म बिहार में शाहाबाद जिले के जगदीशपुर में सन् 1782 में हुआ था। उनके पिता का नाम साहबजादा सिंह और माता का नाम पंचरतन कुँवर था। उनके पिता साहबजादा सिंह जगदीशपुर रियासत के ज़मींदार थे, परंतु उनको अपनी ज़मींदारी हासिल करने में बहुत संघर्ष करना पड़ा। पारिवारिक उलझनों के कारण कुँवर सिंह के पिता बचपन में ठीक से देखभाल नहीं कर सके। जगदीशपुर लौटने के बाद ही वे कुँवर सिंह की पढ़ाई-लिखाई की ठीक से व्यवस्था कर पाए।

कुँवर सिंह के पिता वीर होने के साण साथ स्वाभिमानी एवं उदार स्वभाव के व्यक्ति थे। उनके व्यक्तित्व का प्रभाव कुँवर सिंह पर भी पड़ा। कुँवर सिंह की शिक्षा-दीक्षा की व्यवस्था उनके पिता ने घर पर ही की।

प्रश्न 1.
वीर कुंवर सिंह का जन्म कब और कहाँ हुआ?
उत्तर:
वीर कुंवर सिंह का जन्म सन् 1782 में बिहार के शाहाबाद जिले की जगदीशपुर रियासत में हुआ था।

प्रश्न 2.
वीर कुंवर सिंह के माता-पिता का क्या नाम था?
उत्तर:
वीर कुंवर सिंह के पिता का नाम साहबज़ादा सिंह और माता का नाम पंचरतन कुँवर था। उनके पिता जगदीशपुर रियासत के जमींदार थे।

प्रश्न 3.
कुँवर सिंह की देख भाल सुचारू रूप से क्यों नहीं हो पाई?
उत्तर:
कुंवर सिंह के पिता को अपनी जमींदारी हासिल करने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा। पारिवारिक परेशानियों के कारण कुँवर सिंह की देख-भाल ठीक प्रकार से नहीं हो पाई।

प्रश्न 4.
कुँवर सिंह पर अपने पिता का कैसा असर पड़ा?
उत्तर:
कुँवर सिंह के पिता बहुत ही स्वाभिमानी एवं उदार हृदय व्यक्ति थे। उनके इन गुणों का असर कुंवर सिंह पर भी पड़ा।

वीर कुंवर सिंह ने अपने रियासत की जिम्मेदारी कब संभाली? - veer kunvar sinh ne apane riyaasat kee jimmedaaree kab sambhaalee?

3. जगदीशपुर के जंगलों में ‘बसुरिया बाबा’ नाम के एक सिद्ध संत रहते थे। उन्होंने ही कुँवर सिंह में देशभक्ति एवं स्वाधीनता की भावना उत्पन्न की थी। उन्होंने बनारस, मथुरा, कानपुर, लखनऊ आदि स्थानों पर जाकर विद्रोह की सक्रिय योजनाएँ बनाईं। वे 1845 से 1846 तक काफी सक्रिय रहे और गुप्त ढंग से ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ विद्रोह की योजना बनाते रहे। उन्होंने बिहार के प्रसिद्ध सोनपुर मेले को अपनी गुप्त बैठकों की योजना के लिए चुना। सोनपुर के मेले को एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला माना जाता है। यह मेला कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लगता है। यह हाथियों के क्रय-विक्रय के लिए भी विख्यात है। इसी ऐतिहासिक मेले में उन दिनों स्वाधीनता के लिए लोग एकत्र होकर क्रांति के बारे में योजना बनाते थे।

प्रश्न 1.
बसुरिया बाबा का स्वाधीनता आंदोलन में क्या योगदान है?
उत्तर:
बसुरिया बाबा ने कुँवर सिंह जैसे रणबांकुरे के मन में देशभक्ति की भावना भरी। जिसके फलस्वरूप पूरे उत्तरी भारत में स्वतंत्रता की लहर दौड़ उठी। उसने ऐसे अनेक व्यक्तियों के मन में देशभक्ति की ज्योति जगाई। वे गुप्त रूप से सक्रिय रहे और ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ़ विद्रोह की योजना बनाते रहे।

प्रश्न 2.
बसुरिया बाबा ने सोनपुर के पशु मेले को अपनी गुप्त बैठकों की योजना बनाने के लिए क्यों चुना?
उत्तर:
सोनपुर में दूर-दूर से लोग पशु खरीदने व बेचने आते हैं। यह एशिया का सब से बड़ा पशु मेला था। यहाँ एक स्थान. पर ही अनेक लोगों से संपर्क हो सकता था। मेले में किसी को शक भी नहीं होता था कि ये लोग इकट्ठे होकर क्या कर रहे हैं?

4. दानापुर और आरा की ………………. हुए वे लखनऊ पहुंचे।

प्रश्न 1.
जगदीशपुर के पतन का क्या कारण था?
उत्तर:
जगदीशपुर के पतन का कारण था देशी सैनिकों की अनुशासनहीनता और आधुनिकतम शस्त्रों की कमी, साथ ही स्थानीय जमींदारों का अंग्रेजों के साथ सहयोग।

प्रश्न 2.
कुँवर सिंह आजादी की लौ जलाते हुए कहाँ-कहाँ गए?
उत्तर:
कुँवर सिंह जगदीशपुर में अंग्रेजों से परास्त होकर भावी संग्राम की योजना बनाने में तत्पर हो गए। वे सासाराम से मिर्जापुर होते हुए रीवा, कालपी, कानपुर और लखनऊ तक गए।

प्रश्न 3.
कुंवर सिंह ने लखनऊ न जाकर आजमगढ़ की ओर क्यों प्रस्थान किया?
उत्तर:
उन दिनों लखनऊ में शांति नहीं थी इसलिए उन्होंने आजमगढ़ की ओर प्रस्थान किया।

5. वीर कुंवर सिंह …………………… के रूप में आज भी गाई जाती है।

प्रश्न 1.
वीर कुंवर सिंह ने कौन-कौन से सामाजिक कार्य किए?
उत्तर:
वीर कुंवर सिंह ने पाठशालाएँ और मकतब बनवाए। आरा से जगदीशपुर व आरा से बलिया तक सड़क बनवाई व कुएँ खुदवाए।

प्रश्न 2.
कुँवर सिंह की धार्मिक भावमा कैसी थी?
उत्तर:
कुँवर सिंह एक धर्मनिरपेक्ष एवं संवेदनशील व्यक्ति थे। उनकी सेना में मुसलमान उच्च पदों पर आसीन थे। उनके यहाँ हिन्दुओं एवं मुसलमानों के सभी त्योहार मिलकर मनाए जाते थे।

प्रश्न 3.
बिहार के लोग कुँवर सिंह को आज भी किस प्रकार याद करते हैं?
उत्तर:
बाबू कुँवर सिंह बहुत ही लोकप्रिय व्यक्ति थे। बिहार की लोक भाषाओं में उनकी प्रशस्ति लोक गीतों के रूप में आज भी गाई जाती है।

वीर कुंवर सिंह ने अपने रियासत की जिम्मेदारी कब संभाली? - veer kunvar sinh ne apane riyaasat kee jimmedaaree kab sambhaalee?

वीर कुवर सिंह Summary

पाठ का सार

1857 में कलकत्ता की बैरकपुर छावनी में अंग्रेजों के विरुद्ध बगावत करने के जुल्म में मंगल पांडे को 8 अप्रैल, 1857 को फाँसी पर लटका दिया गया। 10 मई, 1857 को मेरठ में भारतीय सैनिकों ने ब्रिटिश अधिकारियों के विरुद्ध आंदोलन शुरू किया और 11 मई को दिल्ली पर कब्जा करके अंतिम मुगल शासक बहादुरशाह ज़फर को शासक घोषित कर दिया। दिल्ली के अतिरिक्त कानपुर, लखनऊ, बरेली, बुंदेलखंड और आरा में भी भीषण युद्ध हुआ। विद्रोह के मुख्य नेताओं में नाना साहेब, तात्या टोपे, बख्त खान, रानी लक्ष्मीबाई, कुँवर सिंह आदि थे।

1857 के युद्ध में वीर कुंवर सिंह का नाम कई दृष्टियों से उल्लेखनीय है। उनके पिता का नाम साहबजादा सिंह और माता का नाम पंचरतन कुँवर था। उनके पिता जगदीशपुर रियासत के ज़मींदार थे परन्तु उनको अपनी जमींदारी हासिल करने में बहुत संघर्ष करना पड़ा। कुँवर सिंह की पढ़ाई-लिखाई की भी ठीक से व्यवस्था नहीं हो सकी। बाबू कुँवर सिंह ने अपने पिता की मृत्यु के बाद 1827 में रियासत की जिम्मेदारी संभाली। इस समय ब्रिटिश हुकूमत का अत्याचार अपने चरम पर था। कुँवर सिंह ने ब्रिटिश हुकूमत से लोहा लेने का संकल्प लिया। कुँवर सिंह ने कई स्थानों पर जाकर अंग्रेजों के विरुद्ध योजनाएँ बनाईं। 25 जुलाई, 1857 को दानापुर की सैनिक टुकड़ी ने विद्रोह कर दिया। कुँवर सिंह से उनका संपर्क पहले से ही था। वे कुंवर सिंह का जयघोष करते हुए आरा पहुंचे और जेल की सलाखों को तोड़ दिया। 27 जुलाई को उन्होंने आरा पर विजय प्राप्त कर ली। दानापुर और आरा की इस लड़ाई की ज्वाला बिहार में सर्वत्र फैल गई थी परन्तु देशी सैनिकों में अनुशासन की कमी थी एवं आधुनिक अस्त्र-शस्त्र भी नहीं थे इस कारण जगदीशपुर के पतन को रोका नहीं जा सका। कुँवर सिंह सासाराम से मिर्जापुर होते हुए रीवा, कालपी, कानपुर और लखनऊ तक गए। कुँवर सिंह की कीर्ति पूरे उत्तर भारत में फैल गई थी। उनकी आजादी की यह यात्रा आगे बढ़ती गई। लोग शामिल होते गए। इस प्रकार ग्वालियर, जबलपुर के सैनिकों के सहयोग से सफल सैन्य प्रदर्शन करते हुए वे लखनऊ पहुँचे। वे इलाहाबाद एवं बनारस पर आक्रमण कर शत्रुओं को पराजित करना चाहते थे। उन्होंने 22 मार्च, 1858 को आजमगढ़ पर कब्जा कर लिया। 23 अप्रैल को स्वाधीनता की पताका फहराते हुए वे जगदीशपुर पहुँच गए। परन्तु बूढ़े शेर को अधिक दिनों तक इस विजय का आनंद लेने का सौभाग्य नहीं मिला। अंग्रेजों के साथ लड़ते हुए 26 अप्रैल, 1858 को वह वीरगति को प्राप्त हो गया।

वीर कुंवर सिंह छापामार युद्ध करने में बहुत निपुण थे। उनके रण कौशल को अंग्रेजी सेनानायक नहीं समझ पाते थे। 1857 के संग्राम में इन्होंने तलवार की जिस धार से अंग्रेजी सैनिकों को मौत के घाट उतारा उसकी चमक आज भी भारतीयों के हृदय में थी। वीर कुंवर सिंह ने अनेक सामाजिक कार्य भी किए। उन्होंने आरा जिला स्कूल के लिए जमीन दान दी। उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी फिर भी वे निर्धन व्यक्तियों की सहायता करने के लिए सदा तत्पर रहते थे। उन्होंने आरा-जगदीशपुर व आरा-बलिया सड़क का निर्माण कराया तथा अनेक कुँए खुदवाए। उनकी सेना में इब्राहीम खाँ और किफायत हुसैन उच्च पदों पर आसीन थे। हिन्दू और मुसलमान मिलकर त्योहार मनाते थे। कुँवर सिंह की प्रशस्ति लोक गीतों के रूप में आज भी गाई जाती है।

शब्दार्थ : वीरवर-श्रेष्ठ-वीर; अभिराम-सुंदर; व्यापक-दूर-दूर तक फैला हुआ; विस्तृत-लंबा चौड़ा; संकल्प-निश्चय; तत्पर-तैयार; पताका-झंडा; रण कौशल-युद्धकला; संवेदनशील-संवेदना वाला; शौर्य-वीरता।

वीर कुंवर सिंह ने अपनी रियासत की जिम्मेदारी कब संभाली?

बाबू कुँवर सिंह ने अपने पिता की मृत्यु के बाद 1827 में रियासत की जिम्मेदारी सँभाली।

वीर कुंवर सिंह ने इंग्लैंड को कब पराजित किया था?

वीरगति इन्होंने 23 अप्रैल 1858 में, जगदीशपुर के पास अंतिम लड़ाई लड़ी। ईस्ट इंडिया कंपनी के भाड़े के सैनिकों को इन्होंने पूरी तरह खदेड़ दिया। उस दिन बुरी तरह घायल होने पर भी इस बहादुर ने जगदीशपुर किले से "यूनियन जैक" नाम का झंडा उतार कर ही दम लिया।

बिहार में 1857 की क्रांति के नेता कुंवर सिंह का देहात कब हुआ?

उन्होंने 27 अप्रैल, 1857 को दानापुर के सिपाहियों, भोजपुरी जवानों और अन्य साथियों के साथ मिलकर आरा नगर पर कब्जा कर लिया. इस तरह कुंवर सिंह का अभियान आरा में जेल तोड़ कर कैदियों की मुक्ति तथा खजाने पर कब्जे से प्रारंभ हुआ. कुंवर सिंह ने दूसरा मोर्चा बीबीगंज में खोला जहां 2 अगस्त, 1857 को अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए.

1 वीर कुंवर सिंह ने क्या क्या काम किए?

वह बिहार में अंग्रजों के खिलाफ लड़ाई के मुख्य महानायक थे। उन्हें वीर कुंवर सिंह के नाम से जाना जाता है। वीर कुंवर सिंह ने बिहार में वर्ष 1857 के भारतीय विद्रोह का नेतृत्व किया। वह तब लगभग 80 वर्ष के थे जब उन्हें हथियार उठाने के लिये बुलाया गया और उनका स्वास्थ्य भी खराब था।