विजय बाबू एक ग्राहक थे और मुरलीवाला एक विक्रेता दोनों अपने पक्ष के समर्थन में क्या तर्क पेश करते? - vijay baaboo ek graahak the aur muraleevaala ek vikreta donon apane paksh ke samarthan mein kya tark pesh karate?

विजय बाबू एक ग्राहक थे और मुरलीवाला एक विक्रेता। दोनों अपने-अपने पक्ष के समर्थन में क्या तर्क पेश करते हैं?

एक ग्राहक के रूप में विजय बाबू अपना तर्क पेश करते हुए कहते है कि तुम लोगों को झुठ बोलने की आदत होती है। सबको एक ही भाव से सामान बेचते हो ग्राहक को अधिक दाम बताकर उलटा ग्राहक पर ही एहसान का बोझ लाद देते हो।

एक विक्रेता के रूप में मुरलीवाला अपना तर्क पेश करता हुआ कहता है - आपको चीज़ों की असली लागत का अंदाजा नहीं है इसलिए दुकानदार चाहे हानि उठाकर ही चीज़ें क्यों न बेचे पर ग्राहक को हमेशा यही लगता है कि हम उन्हें लूट रहे हैं। ग्राहक को दुकानदार पर विश्वास नहीं होता है। मुरलीवाला कहता है कि असली दाम - दो पैसा ही है, मैंने पूरी एक हज़ार बनवाई थी।

Concept: गद्य (Prose) (Class 7)

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विजय बाबू एक ग्राहक थे और मुरलीवाला एक विक्रेता दोनों अपने अपने पक्ष के समर्थन में क्या तर्क पेश करते हैं?

विजय बाबू एक ग्राहक थे और मुरलीवाला एक विक्रेतादोनों अपने-अपने पक्ष के समर्थन में क्या तy7र्क पेश करते हैं? उत्तर:- एक ग्राहक के तौर पर विजय बाबू तर्क देते हैं कि दुकानदार को झूठ बोलने की आदत होती है। सामान सबको एक ही भाव में देते हैं पर पहले अधिक और फिर कम दाम बताकर ग्राहक पर अहसान का बोझ डाल देते हो।

विजय बाबू मुरली वाले की कौन सी बात पर मुस्कुरा दिए?

विजय बाबू क्यों मुस्करा दिए ? उत्तर: विजय बाबू मुरलीवाले की इस बात पर मुस्करा दिए कि वैसे तो तीन पैसे की मुरली है परंतु आपको दो पैसे की ही लगेगी।

प्रश्न अभ्यास कहानी से 1 मिठाईवाला अलग अलग चीजें क्यों बेचता था और वह महीनों बाद क्यों आता था?

1. मिठाईवाला अलग-अलग चीज़ें क्यों बेचता था और वह महीनों बाद क्यों आता था? मिठाईवाला अलग-अलग चीज़ें इसलिए बेचता ताकि एक ही चीज़ बार-बार मिलने से बच्चे ऊब ना जाएँ और वह महीनों बाद इसलिए आता था क्योंकि उसे सभी बच्चों के लिए चीज़ें इंतजाम करनी होती थीं। इससे बच्चों में उत्सुकता भी बनी रहती थी।

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