Q.32: सीमांत उपभोग प्रवृत्ति किसे कहते हैं? यह किस प्रकार सीमांत बचत प्रवृत्ति से संबंधित है? Show Answer: सीमांत उपभोग प्रवृत्ति :- सीमांत उपभोग प्रवृत्ति कुल आय में वृद्धि तथा कुल उपभोग में वृद्धि के मध्य सम्बंध स्थापित करती है। इसे निम्न सूत्र द्वारा व्यक्त किया जाता है।
सीमान्त बचत प्रवृत्ति :- सीमांत बचत प्रवृत्ति आय में वृद्धि तथा कुल बचत में वृद्धि के अनुपात को बताती है। इसे निम्न सूत्र द्वारा व्यक्त किया जाता है।
सीमांत उपभोग प्रवृत्ति तथा सीमांत बचत प्रवृत्ति दोनों अलग-अलग हैं तथा दोनों अप्रत्यक्ष रूप से एक-दूसरे के साथ सम्बंधित हैं। उपभोग की सीमांत प्रवृत्ति क्या है यह बचत की सीमांत प्रवृति से किस प्रकार संबंधित है?Answer: सीमांत उपभोग प्रवृत्ति :- सीमांत उपभोग प्रवृत्ति कुल आय में वृद्धि तथा कुल उपभोग में वृद्धि के मध्य सम्बंध स्थापित करती है। इसे निम्न सूत्र द्वारा व्यक्त किया जाता है। सीमान्त बचत प्रवृत्ति :- सीमांत बचत प्रवृत्ति आय में वृद्धि तथा कुल बचत में वृद्धि के अनुपात को बताती है।
सीमांत उपभोग प्रवृत्ति से आप क्या समझते हैं?सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति (MPC) – आय में थोड़ी सी वृद्धि के फलस्वरूप उपभोग में जो वृद्धि होती है उसे सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति (MPC) कहते हैं। उदाहरण के लिए, जिस देश की कुल आय 1000 करोड़ रूपये की है वहाँ यदि कुल आय 1100 करोड़ रूपये हो जाती है।
सीमांत उपभोग प्रवृत्ति और गुणक के बीच क्या संबंध है?2 ) यदि सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति 0.8 हो तो निवेश गुणक का मान पता लगाए। उपभोग फलन एक ऊपर की ओर उठता हुआ वक्र है, जिसका आय स्तर के साथ सकारात्मक संबंध है । उपभोग की सीमांत प्रवृत्ति (एमपीसी) 0 और 1 के बीच मान लेती है । शेष अंश, यानी (1 c) को सीमांत उपभोग प्रवृत्ति (MPC) के रूप में जाना जाता है।
बचत प्रवृत्ति से आप क्या समझते हैं?आय में परिवर्तन के फलस्वरूप उपभोग में भी परिवर्तन हो जाता है अर्थात् जब आय में वृद्धि होती है तो उपभोग में भी वृद्धि होती है और जब आय में कमी होती है तो उपभोग भी धट जाता है। आय का कुछ भाग जो उपभोग के बाद शेष बचता है उसे बचत कहते है। बचत में परिवर्तन व आय में परिवर्तन का अनुपात सीमान्त बचत प्रवृत्ति कहते है।
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