देशांतर और अक्षांश का अर्थ क्या है? - deshaantar aur akshaansh ka arth kya hai?

विषुवत वृत्त के उत्तर के सभी अक्षांश उत्तरी अक्षांश तथा दक्षिण के सभी अक्षांश दक्षिणी अक्षांश कहलाते हैं। पृथ्वी पर खींचे गए अक्षांश रेेेेखाओं में विषुवत रेखा (Equator) सबसे बड़ा है, जिसकी लंबाई 40069 किमी है। दो अक्षांशों के मध्य की दूरी (1° अक्षांश) लगभग 111 किमी होती है पृथ्वी की गोलाभ आकृति के कारण यह दूरी विषुवत रेखा से ध्रुवों की ओर थोड़ी अधिक होती जाती है।

देशांतर और अक्षांश का अर्थ क्या है? - deshaantar aur akshaansh ka arth kya hai?
अक्षांश रेखा बनाना

कुछ महत्वपूर्ण अक्षांश रेखाएं निम्नलिखित हैं-

1. कर्क रेखा (Tropic of Cancer)- धरातल पर उत्तरी गोलार्ध में विषुवत रेखा से 23½° की कोणीय दूरी पर खींचा गया काल्पनिक रेखा।

2. मकर रेखा (Tropic of Capricorn)- धरातल पर दक्षिणी गोलार्ध में विषुवत रेखा से 23½° की कोणीय दूरी पर खींचा गया काल्पनिक रेखा।

3. आर्कटिक वृत्त ( Arctic Circle)- धरातल पर उत्तरी गोलार्ध में विषुवत रेखा से 66½° की कोणीय दूरी पर खींचा गया काल्पनिक रेखा।

4. अंटार्कटिक वृत्त (Antarctic Circle)- धरातल पर दक्षिणी गोलार्ध में विषुवत रेखा से 66½° की कोणीय दूरी पर खींचा गया काल्पनिक रेखा।

➡️देशांतर रेखाएं (Longitude)-

किसी भी स्थान की प्रधान याम्योत्तर (0° देशांतर या ग्रीनविच से पूर्व या पश्चिम) से कोणीय दूरी को उस स्थान का देशांतर कहा जाता है। समान देशांतर को मिलाने वाली काल्पनिक रेखा जो कि ध्रुवों से होकर गुजरती है, देशांतर रेखा कहलाती है। यह पूर्व एवं पश्चिम दिशा में 180° तक होती है। विषुवत रेखा पर दो देशांतर रेखाओं में 1° का अंतर होने पर उनके बीच की दूरी 111.32 किमी होती है, जो ध्रुवों की ओर घटकर शून्य हो जाती है। इन्हें वृहत वृत्त (Great Circle) भी कहते हैं।

देशांतर और अक्षांश का अर्थ क्या है? - deshaantar aur akshaansh ka arth kya hai?
देशांतर रेखा बनाना

इंग्लैंड की राजधानी लंदन के निकट ग्रीनविच स्थान से गुजरने वाली रेखा को 0° देशांतर या ग्रीनविच रेखा (प्रधान याम्योत्तर) कहते हैं। इसके पूर्व में 180° तक सभी देशांतर पूर्वी देशांतर और ग्रीनविच देशांतर से पश्चिम की ओर सभी देशांतर पश्चिमी देशांतर कहलाते हैं। पृथ्वी को 360° घूमने में 24 घंटे का समय लगता है, इस प्रकार 1° की दूरी तक तय करने में 4 मिनट का समय लगता है। इसलिए पृथ्वी की घूर्णन गति 15° देशांतर/घंटा या प्रति 4 मिनट में एक देशांतर होती है। चूंकि पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है अतः पूर्व का समय आगे एवं पश्चिम का समय पीछे रहता है।

कुछ महत्वपूर्ण देशांतर निम्नलिखित हैं-

1. अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा (International Date Line- IDL)- 

1884 ईसवी में वाशिंगटन में हुए एक समझौते के अनुसार 180° देशांतर को अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा कहते हैं। यह रेखा प्रशांत महासागर में उत्तर से दक्षिण तक फैली है। अनेक द्वीपों को काटने के कारण इस रेखा को 180° देशांतर से कहीं-कहीं खिसका दिया गया है जैसे- 

66½° उत्तर में पूर्व की ओर झुकाव बेरिंग जलसंधि तथा पूर्वी साइबेरिया में एक समय रेखा के लिए।

 52½° उत्तर में पश्चिम की ओर झुकाव एल्यूशियन द्वीप एवं अलास्का में एक ही समय दर्शाने के लिए।

 52½° दक्षिण में पूर्व की ओर झुकाव एलिस, वालिस, टोंगा, न्यूजीलैंड एवं ऑस्ट्रेलिया में एक ही समय रखने के लिए।

यदि अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा को पार किया जाता है तो तिथि में 1 दिन का परिवर्तन हो जाता है। कोई यात्री यदि पूर्व से पश्चिम (एशिया से उत्तरी अमेरिका) दिशा में अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा को पार करेगा तो वह 1 दिन पीछे (शुक्रवार से बृहस्पतिवार) हो जाएगा।इसी तरह कोई यात्री यदि पश्चिम से पूर्व (उत्तरी अमेरिका से एशिया) की ओर यात्रा करता है तो वह 1 दिन आगे (बृहस्पतिवार से शुक्रवार) हो जाएगा।

अगर अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा पर मध्य रात्रि हो तो  एशियाई भाग की तरफ शुक्रवार और अमेरिकी भाग की तरफ बृहस्पतिवार होगा।

2. ग्रीनविच मीन टाइम (Greenwich Mean Time - GMT)- 

इंग्लैंड के निकट 0° देशांतर पर स्थित ग्रीनविच वेधशाला से गुजरने वाली काल्पनिक रेखा को प्राइम मेरिडियन माना गया है। ग्रीनविच याम्योत्तर 0° देशांतर पर है जो कि ग्रीनलैंड व नॉर्वेजियन सागर व ब्रिटेन, फ्रांस, स्पेन, अल्जीरिया, माले, बुर्किना फासो, घाना व दक्षिणी अटलांटिक समुद्र से गुजरता है।

3. प्रामाणिक या मानक समय (Standard Time)- 

पृथ्वी पर किसी स्थान विशेष का सूर्य की स्थिति से परिकलित समय स्थानीय समय (Local Time) कहलाता है, एवं किसी देश के मध्य से गुजरने वाली देशांतर के अनुसार लिया गया समय उस देश का प्रमाणिक समय (Standard Time) कहलाता है।भारत में 82½° पूर्वी देशांतर रेखा को मानक मध्यान्ह रेखा माना गया है जो कि प्रयागराज के नैनी से होकर गुजरता है। इस मध्यान रेखा का स्थानीय समय सारे देश का मानक समय माना जाता है। इसी को भारतीय मानक समय (IST) कहा जाता है। भारत का प्रामाणिक समय ग्रीनविच माध्य समय से 5 घंटा 30 मिनट आगे है।

प्रमाणिक समय के निर्धारण में महत्वपूर्ण कारण होता है जैसे- विभिन्न देशांतर पर स्थित स्थानों का स्थानीय मान भिन्न-भिन्न होता है, इसके कारण एक बड़े विशाल देश में एक कोने से दूसरे कोने के स्थानों के बीच समय में बड़ा अंतर पड़ जाता है। फलस्वरूप तृतीयक व्यवसायों के सेवा कार्यों में बड़ी बाधा उत्पन्न हो जाती है। इस बाधा व समय की गड़बड़ी को दूर करने के लिए सभी देशों में किसी एक देशांतर रेखा के स्थानीय समय को सारे देश का प्रमाणिक समय मान लिया जाता है और उस देश की सभी घड़ियां उसी स्थान के स्थानीय समय के अनुसार चलती हैं।

4. पृथ्वी पर समय निर्धारण- 

समय का ज्ञान देशांतर रेखा से होता है। एक देशांतर का अंतर 4 मिनट होता हैै, जो कि पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है अतः पूर्व की ओर बढ़ने पर 4 मिनट बढ़ता जाता है और पश्चिम में 4 मिनट घटता जाता है।

5. स्थानीय समय (Local Time)- 

स्थानीय समय वह समय है जो कि सूर्य के अनुसार हर देशांतर पर निकाला जाता है, जब सूर्य उस देशांतर पर लंबवत चमके तो उसे दोपहर का 12:00 मान लेते हैं। इसे ही स्थानीय समय कहते हैं। यह प्रत्येक देशांतर पर 4 मिनट के अंतर से भिन्न होता है।

भारत में 82½° पूर्वी देशांतर रेखा को मानक मध्यान्ह रेखा माना गया है, जो प्रयागराज के नैनी से होकर गुजरता है। इस मध्यान्ह रेखा का स्थानीय समय सारे देश का मानक समय माना जाता है। इसी को भारतीय मानक समय (Indian Standard Time- IST) कहा जाता है। भारत का प्रामाणिक समय ग्रीनविच माध्य समय से 5 घंटा 30 मिनट आगे है।

☆ मध्य रात्रि की स्थिति 66½° उत्तर व दक्षिण आर्कटिक व अंटार्कटिक वृत्त अक्षांशों पर होती है, जहां ग्रीष्म काल में सूर्य क्षितिज से नीचे नहीं जा पाता है।

☆ विश्व को 24 समय जोनों में विभाजित किया गया है। समय जोनों को ग्रीनविच मीन टाइम व मानक समय में 1 घंटे के अंतराल के आधार पर विभाजित किया गया है।

देशांतर और अक्षांश का अर्थ क्या है? - deshaantar aur akshaansh ka arth kya hai?
विश्व के प्रमुख टाइम जोन

☆ सामान्यत: प्रत्येक देश की एक प्रामाणिक समय देशांतर रेखा होती है, परंतु यू.एस.ए. (USA) एवं रूस जैसे अधिक देशांतरीय विस्तार वाले देशों में क्रमश: 9 एवं 11 प्रामाणिक समय जोन हैं।


My App:- DOWNLOAD




शेयर करें

लेबल

Worldgeography

Labels: Worldgeography

शेयर करें

भारत का भूगोल सामान्य परिचय (Geography of India General Introduction)

नवंबर 13, 2021

भारत की स्थिति एवं विस्तार- भारत की विशालता के कारण इसे उपमहाद्वीप की संज्ञा दी गई है। यह एशिया महाद्वीप के दक्षिण में स्थित है। इसका प्राचीन नाम 'आर्यावर्त ' उत्तर भारत में बसने वाले आर्यों के नाम पर किया गया। इन आर्यों के शक्तिशाली राजा भरत के नाम पर यह भारतवर्ष कहलाया। वैदिक आर्यों का निवास स्थान सिंधु घाटी में था, जिसे ईरानियों ने ' हिन्दू नदी' तथा इस देेेश को 'हिन्दुस्तान' कहा। यूनानियों ने सिंधु को 'इंडस' तथा इस देेेश को 'इंडिया' कहा। भारत का भूगोल 1. भारत विषुवत रेखा के उत्तरी गोलार्ध में अवस्थित है। भारतीय मुख्य भूमि दक्षिण में कन्याकुमारी (तमिलनाडु)  (8°4' उत्तरी अक्षांश) से उत्तर में इन्दिरा कॉल (लद्दाख) (37°6' उत्तरी अक्षांश) तक तथा पश्चिम में द्वारका (गुजरात) (68°7' पूर्वी देशांतर) से कीबिथू ( अरुणाचल प्रदेश) (97°25' पूर्वी देशांतर) के मध्य अवस्थित है। 2.   82°30' पूर्वी देशांतर भारत के लगभग मध्य (प्रयागराज के नैनी  सेे) से होकर गुजरती है जो कि देश का मानक समय  है। यह ग्रीनविच समय से 5 घंटे 30 मिनट आग

शेयर करें

5 टिप्पणियां

Read more »

पर्यावरण किसे कहते हैं?(what is environment in hindi)

मार्च 06, 2022

पर्यावरण किसे कहते हैं?(what is environment)   पर्यावरण किसे कहते हैं? पर्यावरण फ्रेंच शब्द 'Environ'  से उत्पन्न हुआ है और environ का शाब्दिक अर्थ है घिरा हुआ अथवा आवृत्त । यह जैविक और अजैविक अवयव का ऐसा समिश्रण है, जो किसी भी जीव को अनेक रूपों से प्रभावित कर सकता है। अब प्रश्न यह उठता है कि कौन किसे आवृत किए हुए है। इसका उत्तर है समस्त जीवधारियों को अजैविक या भौतिक पदार्थ घेरे हुए हैं। अर्थात हम जीवधारियों के चारों ओर जो आवरण है उसे पर्यावरण कहते हैं। पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के अनुसार- पर्यावरण किसी जीव के चारों तरफ घिरे भौतिक एवं जैविक दशाएं एवं उनके साथ अंतःक्रिया को सम्मिलित करता है। सामान्य रूप में पर्यावरण की प्रकृति से समता की जाती है, जिसके अंतर्गत ग्रहीय पृथ्वी के भौतिक घटकों (स्थल, वायु, जल, मृदा आदि) को सम्मिलित किया जाता है, जो जीवमंडल में विभिन्न जीवों को आधार प्रस्तुत करते हैं, उन्हें आश्रय देते हैं, उनके विकास तथा संवर्धन हेतु आवश्यक दशाएं प्रस्तुत करते हैं एवं उन्हें प्रभावित भी करते हैं। वास्तव में विभिन्न समूहों द्वारा पर्यावरण का अर्थ विभिन्न दृष्टिक

शेयर करें

एक टिप्पणी भेजें

Read more »

भारत की भूगर्भिक संरचना, (Geological structure of India)

नवंबर 24, 2021

भारत की भूगर्भिक संरचना, (Geological structure of India) भारत की भूगर्भिक संरचना परिचय (Introduction) - किसी देश की भूगर्भिक संरचना हमें कई बातों की समझ में सहायता करती है, जैसे- चट्टानों के प्रकार, उनके चरित्र तथा ढलान, मृदा की भौतिक एवं रासायनिक विशेषताएं, खनिजों की उपलब्धता तथा पृष्ठीय एवं भूमिगत जल संसाधनों की जानकारी, इत्यादि। भारत का भूगर्भिय इतिहास बहुत जटिल है। भूपटल की उत्पत्ति के साथ ही इसमें भारत की चट्टानों की उत्पत्ति आरंभ होती है। इसकी बहुत सी चट्टानों की रचना अध्यारोपण (superimposition) के फलस्वरूप हुई। भूगर्भिक रूप से भारतीय उपमहाद्वीप गोंडवानालैंड अर्थात् दक्षिणी महाद्वीप का भाग था। अल्पाइन-पर्वतोत्पत्ति (orogeny) के उपरांत तृतीयक काल (tertiary period) में हिमालय पर्वत का उत्थान आरंभ हुआ और प्लिस्टोसीन (pleistocene)  युग में उत्तरी भारत के मैदान की उत्पत्ति आरंभ हुई। भारत की भूगर्भिक रचना का संक्षिप्त वर्णन आगे प्रस्तुत किया गया है। 1.आर्कियन शैल-समूह (Archaean or Pre- Cambrian Formations)- आर्कियन महाकल्प (Archaean Era) को प्री-कैम्ब्रियन (Pre-cambrian) युग भी कहा

शेयर करें

1 टिप्पणी

Read more »

महाद्वीप एवं महासागर की उत्पत्ति (The Origin of Oceans and Continents in hindi)

मार्च 11, 2022

  महाद्वीप एवं महासागर की उत्पत्ति (The Origin of Oceans and Continents) महाद्वीप और महासागर विश्व के दो प्रमुख भौगोलिक घटक हैं जो पृथ्वी के  प्रथम श्रेणी के उच्चावच  कहलाते हैं। संपूर्ण पृथ्वी का क्षेत्रफल लगभग  50.995  करोड़ वर्ग किमी है जिसमें से  36.106  करोड़ वर्ग किमी पर जल अवस्थित है तथा शेष  14.889  करोड़ वर्ग किमी पर स्थलमंडल अवस्थित है। संपूर्ण पृथ्वी का  70.8 %  जल तथा  29.2 %  भाग पर स्थल का विस्तार है।  महाद्वीप विश्व   का   क्षेत्रफल 1. एशिया 30.6 % 2. अफ्रीका 20.0 % 3. उत्तरी   अमेरिका 16.3 % 4. दक्षिणी   अमेरिका 11.8 % 5. अंटार्कटिका 9.6 % 6. यूरोप 6.5 % 7. ऑस्ट्रेलिया 5.2 %   ✧   केल्विन  के अनुसार पृथ्वी के शीतल होते समय संकुचन के कारण इसका कुछ भाग ऊंचा रह गया एवं कुछ भाग नीचे की ओर धंस गया। इस प्रकार ऊपर उठा हुआ स्थलीय भाग महाद्वीप बना एवं निचला भाग सागर की तली बना। इनकी उत्पत्ति, विकास एवं विस्तार के विषय में अनेक विद्वानों ने अलग-अलग मत प्रतिपादित किए हैं। कुछ महत्वपूर्ण मत निम्नलिखित हैं- ✧   जेम्स एवं जेफरीज  के अनुसार घूर्णन की स्थिरता को प्राप्त करने के क्रम मे

शेयर करें

एक टिप्पणी भेजें

Read more »

भारत का अपवाह तंत्र। (Drainage system of india in hindi)

फ़रवरी 01, 2022

अपवाह तंत्र किसे कहते हैं? या अपवाह तंत्र क्या है? अपवाह का अभिप्राय जल धाराओं तथा नदियों द्वारा जल के धरातलीय प्रवाह से है। अपवाह तंत्र या प्रवाह प्रणाली किसी नदी तथा उसकी सहायक धाराओं द्वारा निर्मित जल प्रवाह की विशेष व्यवस्था है यह एक तरह का जालतंत्र या नेटवर्क है जिसमें नदियां एक दूसरे से मिलकर जल के एक दिशीय प्रवाह का मार्ग बनाती हैं। किसी नदी में मिलने वाली सारी सहायक नदियां और उस नदी बेसिन के अन्य लक्षण मिलकर उस नदी का अपवाह तंत्र बनाते हैं।  भारत का अपवाह तंत्र एक नदी बेसिन आसपास की नदियों के बेसिन से जल विभाजक के द्वारा सीमांकित किया जाता है। नदी बेसिन को एक बेसिक जियोमॉर्फिक इकाई (Geomorphic Unit) के रूप में भी माना जाता है जिससे किसी क्षेत्र एवं प्रदेश की विकास योजना बनाने में सहायता मिलती है। नदी बेसिन के वैज्ञानिक अध्ययन का महत्व निम्न कारणों से होता है- (i) नदी बेसिन को एक अनुक्रमिक अथवा पदानुक्रम में रखा जा सकता है। (ii) नदी बेसिन एक क्षेत्रीय इकाई (Area Unit) है जिसका मात्रात्मक अध्ययन किया जा सकता है और आंकड़ों के आधार पर प्रभावशाली योजनाएं तैयार की जा सकती हैं। (i

अक्षांश और देशांतर का मतलब क्या होता है?

पृथ्वी में किसी स्थान की भौगोलिक स्थिति का निर्धारण अक्षांश (latitude) और देशांतर (Longitude) रेखाओं द्वारा किया जाता है। किसी स्थान का अक्षांश (latitude), धरातल पर उस स्थान की “उत्तर से दक्षिण” की स्थिति को तथा किसी स्थान का देशांतर (Longitude), धरातल पर उस स्थान की “पूर्व से पश्चिम” की स्थिति को प्रदर्शित करता है।

देशांतर से आप क्या समझते हैं?

पृथ्वी के तल पर स्थित किसी स्थान की भौगोलिक स्थिति बताने के लिए उस स्थान के अक्षांश (latitude) और देशान्तर (Longitude) का मान बताया जाता है। किसी स्थान का देशान्तर, धरातल पर उस स्थान की पूर्व-पश्चिम स्थित को बताता है। परम्परानुसार, सभी स्थानों के देशांतर को प्रधान यामोत्तर के सापेक्ष अभिव्यक्त किया जाता है।

अक्षांश रेखा का अर्थ क्या है?

(1) ग्लोब पर पश्चिम से पूरब की ओर खींची गईं काल्पनिक रेखाओं को ही अक्षांश रेखाएं कहते हैं. इन्‍हें अंश में प्रदर्शित किया जाता है. (2) अक्षांश रेखाओं की संख्या 181 है. (3) अक्षांश वह कोण है, जो विषुवत रेखा और किसी अन्य स्थान के बीच पृथ्वी के केन्द्र पर बनती हैं.

1 डिग्री देशांतर में कितने मिनट होते हैं?

सही उत्तर 4 है। 1 डिग्री देशांतर 4 मिनट के बराबर होता है। 15 डिग्री देशांतर 1 घंटा होता है। पृथ्वी की सतह पर अक्षांश का एक अंश 111 किमी है।