दलिया को अंग्रेजी में क्या बोले हैं? - daliya ko angrejee mein kya bole hain?

नमक नहीं है दलिया में, बाबा बोले!

दलिया को अंग्रेजी में क्या बोले हैं? - daliya ko angrejee mein kya bole hain?

नागार्जुन बुजुर्गों के साथ बुजुर्ग, जवानों के साथ जवान और बच्चों के साथ बच्चे बन जाते थे। जिन्होंने उन्हें महिलाओं के साथ घुल- मिलकर बातें करते देखा है, वे लिस्ट को और बढ़ाएंगे। एक बार नागार्जुन ने मेरे घर पर भी कृपा की। घर पहुंचते ही उन्होंने परिवार के सभी लोगों से सीधा संबंध जोड़ लिया। सबेरे दलिया में नमक कम था। बोले, `नमक नहीं पड़ा है दलिया में।'

पत्नी ने कहा, `कम डाला है, इन्हें ब्लड प्रेशर रहता है, कम खाते हैं।' बाबा के शरीर में जाने कहां से फुर्ती आ गई। कटोरा लेकर सीधे किचन में पहुंचे, `खा मैं रहा हूं-नमक का पता मुझे है या तुम्हें। दलिया ऐसे नहीं बनाया जाता। पहले थोड़ा घी में भून लो, फिर पकाओ तो खिलता है।'

पत्नी मुझसे अकेले में बोली, `यह तुम मेरी सासू कहां से ले आए। ऐसी डांट और ऐसी शिक्षा तो अम्मा ने भी कभी नहीं दी।' मेरी बड़ी नातिन चार-पांच साल की थी। उससे नागार्जुन की सबसे ज्यादा पटी। एक दिन तीसरे पहर मैं भोजनोपरांत शयन के बाद उठा, तो देखा कि नागार्जुन बहुत देर तक फर्श पर पड़ी किसी चीज को बड़ी गंभीरता से देखने में तन्मय हैं। समाधि लगी हो मानो। जब उन्हें मेरी आहट मिली, तो बोले, `देखो, कविता है यह।' नातिन की छोटी-छोटी चप्पलों को वे देख रहे थे। रचना समाधि में लीन उनका चेहरा मैं कभी नहीं भूल सकता।

तीन-चार दिनों के बाद वह जाने लगे, तो पत्नी रोने लगीं। बोलीं, `बड़े भाग्य से ऐसे लोग घर में आते हैं। जानो सचमुच मां-बाप हों।' उन्हीं दिनों मुझसे कहा, `मौका मिलने पर चार-पांच महीने में एक बार दिल्ली से बाहर हो आया करो। स्वास्थ्य ठीक रहेगा। ब्लडप्रेशर वगैरह के लिए अच्छा रहेगा।'

राहुल सांकृत्यायन की घुमक्कड़ी की बात होती है। मुझे लगता है नागार्जुन की भी घुमक्कड़ी की बात होनी चाहिए। फर्क होगा, भी तो उन्नीस-बीस का ही होगा। नागार्जुन का यात्री जीवन ज्यादा सहज होगा, अनुकरणीय तो निश्चय ही ज्यादा।

मैंने पहली बार नागार्जुन को बनारस में, 1951 में देखा। साहित्यिक संघ का समारोह था। उसी में पहली बार रामविलास शर्मा, शमशेर, उपेंद्रनाथ `अश्क' को देखा। समारोह के प्रारंभ में नागार्जुन ने `हे कोटि बाहु, हे

कोटि शीश' कविता पढ़ी। अजब पोशाक थी। शायद कंबल का कोट और पैंट पहने थे। दिल्ली मॉडल टाउन में रहने लगा, तो अकसर दिखाई पड़ते। कर्णसिंह चौहान, सुधीश पचौरी, अशोक चक्रधर के सामूहिक निवास पर। मैं दोमंजिले पर एक बरसातीनुमा मकान में रहता था। एक दिन सुबह-सुबह खट-खट सीढ़ियां चढ़ते हुए आए। बोले, `एक महीने इलाहाबाद रहकर आया हूं। रोज सबेरे अमरूद खाता था। दमा ठीक हो गया है।' बहुत प्रसन्न, स्वस्थ, प्रमन लगे। इमरजेंसी के कुछ दिन पहले उन्होंने एक लंबी कविता इंदिरा गांधी पर लिखी। मैं इंदिरा गांधी को फासिस्ट, तानाशाह नहीं मानता था। कविता में उन्हें यही बताया गया था। फिर भी कविता मुझे बहुत अच्छी लगी। खासतौर पर यह पंक्ति -

पूंछ उठाकर नाच रहे हैं लोकसभाई मोर

मोर आत्ममुग्धता का प्रतीक है। अंग्रेजी में पीकाकिश का भी यही अर्थ है। पूंछ उठाकर नाचने में जो बिंब बनता है, उसका अर्थ न भी खुले, तो भी वह सुनने-पढ़ने वालों को लहालोट कर देने में समर्थ है। अर्थ खुलने पर तो व्यंग्यार्थ गजब ढाता है। आत्ममुग्ध मोर नाच रहा है। आत्ममुग्धता की चरमावस्था में उसकी पूंछ ऊपर उठ जाती है। पूंछ ऊपर उठाए वह चारों ओर घूमता है। समझता है कि दर्शक भी उस पर मुग्ध हैं और दर्शकों का यह हाल है कि या तो हंसी के मारे पेट में बल पड़ रहे हैं या घृणा-जुगुप्सा से मुंह फेरकर इधर-उधर देख रहे हैं-या आंख मूंदे, नाक दाबे हैं। पूंछ उठाने से जो अंग दिखलाई पड़ने लगता है, मोर को इसकी खबर ही नहीं है, उल्टे वह प्रसन्न, मत्त है। आत्ममुग्ध, अहंकारी, सत्ता-मत्त शासक-शोषकों का यही हश्र होता है।

नागार्जुन संपूर्ण क्रांति में शामिल हुए-जयप्रकाश नारायण और रेणु के साथ। लालू यादव से उनकी प्रगाढ़ता उसी समय हुई होगी। आपातकाल में जेल गए, फिर छूट आए। संपूर्ण क्रांति से मोहभंग हुआ। मोहभंग क्यों हुआ? संपूर्ण क्रांति के समर्थक दलों का वर्ग चरित्र क्या था? इस सबका प्रभाव नागार्जुन पर जेल में पड़ा होगा।

बेलछी कांड हुआ। 13 दलितों को सवर्णों ने जिंदा आग में डाल दिया। यह अभूतपूर्व था। नागार्जुन ने कविता लिखी, `हरिजन गाथा।' `हरिजन गाथा' में हरिजन बालक कलुआ को संपूर्ण क्रांति का भावी नेता कहा गया है-
श्याम सलोना यह अछूत शिशु
हम सबका उद्धार करेगा।
अजी यही संपूर्ण क्रांति का
बेड़ा सचमुच पार करेगा।

इतना यश और इतनी उम्र! फिर भी इतने संतुलित। मेरा अनुमान है कि नागार्जुन हमेशा संतुलित रहते हैं- चिड़चिड़ाते वह अपनों पर ही हैं। जिस पर क्रुद्ध हों, समझो वह उनका आत्मीय है। `नापसंदों' को मुंह नहीं लगाते, उनके मुंह लगते भी नहीं। जिसको पसंद नहीं करते, उसके साथ खाना-पीना उन्हें अच्छा नहीं लगता। उन्हें वह अपने यहां खिलाते भी नहीं। खाने-खिलाने का बेहद शौक है। जिभ-चटोर हैं। चिउरा-मछली विशेष प्रिय है। उनकी कविताओं में चिउरा, मछली, गन्ना, मखाना, शहद, कटहल, धान- और भी कई-कई चीजों की भरमार है-कविताओं में इसका मजा अलग है। जिन कविताओं में ऐसी खाने की चीजें आती हैं, मुझे विशेष पसंद हैं।

संतुलन का एक वाकया। 1980 ई. में भोपाल में `महत्व केदारनाथ अग्रवाल' का आयोजन हुआ। आयोजन मध्य प्रदेश प्रगतिशील लेखक संघ ने किया था। सभा में नागार्जुन अध्यक्ष, वक्ताओं में त्रिलोचन, केदारनाथ सिंह, धनंजय वर्मा, इन पंक्तियों का लेखक भी। धनंजय और पंक्ति लेखक ने पर्चा पढ़ा। किसी के पर्चे में ऐंद्रिय शब्द आया था। त्रिलोचन को बोलने को कहा गया। त्रिलोचन ने लगभग पैंतालीस मिनटों तक ऐंद्रिय शब्द का अर्थ, ऐंद्रिय और ऐंद्रिक में अंतर, हिंदी शब्दकोशों का महत्व, उनके निर्माण का इतिहास आदि बताया। केदार का पूरे भाषण में नामोल्लेख तक नहीं। 46वें मिनट में धैर्य टूट गया। श्रोता तो सांस दबाए रहे। केदारनाथ अग्रवाल ने डपटकर कहा, `त्रिलोचन तुम शब्दकोशों पर बोलने आए हो या मुझपर, मेरी कविताओं पर। यह (उन्होंने एक चकार का प्रयोग करते हुए कहा) बंद करो।' त्रिलोचन वाक्य बीच में छोड़कर बैठ गए। कुछ हुआ ही नहीं मानो। सभा में, मौन में स्पंदित वातावरण विषम छा गया।

नागार्जुन अध्यक्ष थे। बोले, `केदार त्रिलोचन से उम्र में बड़े हैं। हमारे बीच ऐसा होता आया है। केदार जहां आदरणीय होते हैं, वहां हम फादरणीय हो जाते हैं। जहां हम आदरणीय होते हैं, वहां वह फादरणीय हो जाते हैं। आज तो केदार आदरणीय हैं और फादरणीय भी हो गए।' हंसी-ठहाके से विषम मौन टूटा।

दलिया को अंग्रेजी में क्या कहते हैं?

Porridge is a thick sticky food made from oats cooked in water or milk and eaten hot, especially for breakfast.

गेहूं के दलिया को क्या कहते हैं?

दलिया संज्ञा पुं॰ [हिं॰ दलना । तुल॰ फा़॰ दलीदह्] दलकर कई टुकड़े किया हुआ अनाज । जैसे, गेहूँ का दलिया

दलिया खाने से क्या फायदा होता है?

दूध और दलिया खाने के फायदे- benefits of dalia with milk in hindi.
वजन घटाने में फायदेमंद अगर आप मोटापे से परेशान हैं, तो रोज सुबह नाश्ते में दलिया का सेवन कर सकते हैं। ... .
पोषक तत्वों की कमी दूर करे दूध और दलिया दोनों ही पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। ... .
पाचन ठीक करे ... .
हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ाए ... .
मेटाबॉलिज्म को स्वस्थ रखे.