सुदामा अपनी बगल में चावल की पोटली क्यों दबा रहे थे - sudaama apanee bagal mein chaaval kee potalee kyon daba rahe the

विषयसूची

  • 1 द्वारपाल ने कृष्ण को सुदामा के बारे में क्या बताया?
  • 2 सुदामा की पत्न ने क ृ ष्ण के मलए क्या भेिा था?
  • 3 सुदामा को श्रीकृष्ण की कौन कौन सी बातें याद आ रही थीं?
  • 4 सुदामा अपनी बगल में चावलों की पोटली क्यों दबा रहे थे?

द्वारपाल ने कृष्ण को सुदामा के बारे में क्या बताया?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: द्वारपाल ने श्री कृष्ण से सुदामा के बारे में बताते हुए कहा, ”प्रभु! दरवाजे पर एक गरीब तथा दुर्बल ब्राह्मण खड़ा है। वह आपसे मिलना चाहता है। वह अपना नाम सुदामा बता रहा है।

सुदामा की पत्न ने क ृ ष्ण के मलए क्या भेिा था?

इसे सुनेंरोकेंAnswer. सुदामा की पत्नी ने श्रीकृष्ण के लिए भेंट स्वरूप कुछ चावल भिजवाए थे।

सुदामा श्री कृष्ण को अपनी पत्नी द्वारा भेजी गई भेंट क्यों नहीं देते?

इसे सुनेंरोकें(ख) सुदामा की पत्नी ने श्रीकृष्ण के लिए भेंट स्वरूप कुछ चावल भिजवाए थे। संकोचवश सुदामा श्रीकृष्ण को यह भेंट नहीं दे पा रहे हैं। क्योंकि कृष्ण अब द्वारिका के राजा हैं और उनके पास सब सुख-सुविधाएँ हैं। परन्तु श्रीकृष्ण सुदामा पर दोषारोपण करते हुए इसे चोरी कहते हैं और कहते हैं कि चोरी में तो तुम पहले से ही निपुण हो।

वापस अपने घर पहुँचने पर सुदामा ने घर के आगे क्या देखा?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: द्वारका से लौटकर सुदामा जब अपने गाँव वापस आएँ तो अपनी झोपड़ी के स्थान पर बड़े-बड़े भव्य महलों को देखकर सबसे पहले तो उनका मन भ्रमित हो गया कि कहीं मैं घूम फिर कर वापस द्वारका ही तो नहीं चला आया। फिर सबसे पूछते फिरते हैं तथा अपनी झोपड़ी को ढूँढ़ने लगते हैं। परन्तु ढूँढ नहीं पाते हैं।

सुदामा को श्रीकृष्ण की कौन कौन सी बातें याद आ रही थीं?

इसे सुनेंरोकेंसुदामा को श्री कृष्ण की कौन-कौन सी बातें याद आ रही थी? Answer: सुदामा को देखते ही कृष्ण का खुशी से भर उठना, गले लगाना, सिंहासन तक ले जाना और सिंहासन पर बिठाना, पैर धोना, आदर, सम्मान देना आदि बातें याद आ रही थीं।

सुदामा अपनी बगल में चावलों की पोटली क्यों दबा रहे थे?

इसे सुनेंरोकेंसुदामा अपनी बगल में चावलों की पोटली इसलिए दबा रहे थे, क्योंकि द्वारका में श्रीकृष्ण के ठाठ-बाट देखकर वे हीन भावना से ग्रसित हो गये थे। वे उसे अत्यन्त तुच्छ भेंट मान रहे थे।

सुदामा की पत्नी ने श्रीकृष्ण के लिए क्या भेजा है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: सुदामा की पत्नी ने श्रीकृष्ण के लिए उपहार में थोड़े से चावल भिजवाए थे। सुदामा उस उपहार को कहाँ और क्यों छिपा रहे थे? Answer: सुदामा चावल की पोटली को अपनी काख में इसलिए छिपा रहे थे क्योंकि उन्हें शर्म आ रही थी उन्हें लग रहा था कि इतने बड़े द्वारकाधीश को इतना छोटा भेंट कैसे प्रस्तुत करें।

सुदामा की पत्नी ने कृष्ण के लिए क्या भेजा class 8?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: (क) यहाँ श्रीकृष्ण अपने बालसखा सुदामा से कह रहे हैं। (ख) सुदामा की पत्नी ने श्रीकृष्ण के लिए भेंट स्वरूप कुछ चावल भिजवाए थे।

श्रीकृष्ण ने सुदामा को क्या उलाहना दिया?


श्रीकृष्ण ने सुदामा के पोटली छिपाने पर यह उलाहना दिया कि भाभी के अमृत भर चावल मुझ दंत क्या नहीं? क्या अभी भी तुम्हारी चोरी की आदत नहीं गई? उन्होंने बचपन में गुरुमाता द्वारा दिए चने, सुदामा द्वारा खा जाने की बात याद करवा दी।

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द्वारका से खाली हाथ लौटते समय सुदामा मार्ग में क्या-क्या सोचते जा रहे थे? वह कृष्ण के व्यवहार से क्यों खीझ रहे थे? सुदामा के मन की दुविधा को अपने शब्दों में प्रकट कीजिए। 


जब श्रीकृष्ण ने विदाई के समय सुदामा की कोई मदद न की तो उन्हें बहुत बुरा लगा। वे सोचने लगते हैं कि यह किसी को क्या देगा भले ही विपुल धन संपत्ति इसके पास है। बचपन में तो थोड़ी-सी दही के लिए सभी घरों में हाथ फैलाता था।
वे कृष्ण के व्यवहार से खीझ उठते हैं क्योंकि उन्हें कृष्ण से ऐसी उम्मीद न थी कि वे उसे खाली हाथ ही लौटा देंगे। सुदामा के मन में दुविधा आ जाती है कि इतने आदर सत्कार से स्वागत व विदाई देने वाले कृष्ण ने ऐसा क्यों किया?

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अपने गाँव लौटकर जब सुदामा अपनी झोंपड़ी नहीं खोज पाए तब उनके मन में क्या-क्या विचार आए? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।


सुदामा जब अपने गाँव लौटकर अपनी झोपड़ी न खोज पाए तो उनके मन में यह विचार आया कि कहीं फिर से द्वारिका तो नहीं पहुँच गए। जब उन्हे अपना घर ढ़ुँढ़े न मिला तो उन्होंने लोगों से सुदामा पांडे का घर पूछना चाहा।

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“पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सों पग धोए।” पंक्ति में वर्णित भाव का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।


जब सुदामा दीन-हीन अवस्था में कृष्ण के पास पहुँचे तो कृष्ण उन्हे देखकर व्यथित हो उठे। उनकी फटी हुई एड़ियाँ व काँटे चुभे पैरों की हालत उनसे देखी न गई। परात में जो जल सुदामा के चरण धोने हेतु मँगवाया गया था उसे कृष्ण ने हाथ न लगाया। अपने आँसुओं के जल से ही उनके पाँव धो डाले। कृष्ण के मैत्री भाव को देखकर सब चकित थे।

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“चोरी की बान में ही जू प्रवीने।” 
(क) उपर्युक्त पंक्ति कौन, किससे कह रहा है?
(ख) इस कथन की पृष्ठभूमि स्पष्ट कीजिए।
(ग) इस उपालंभ (शिकायत) के पीछे कौन-सी पौराणिक कथा है?


(क) यह पंक्ति श्रीकृष्ण ने सुदामा से कही।
(ख) जब श्रीकृष्ण कौ सुदामा अपनी पत्नी द्वारा भेजी गई चावलों की पोटली नहीं देते तै। उन्होंने कहा कि तुम चोरी करने में कुशल हो।
(ग) बचपन में जब कृष्ण और सुदामा साथ-साथ संदीपन ऋषि के आश्रम में पढ़ते थे तो एक बार गुरुमाता ने इन दोनों को चने देकर लकड़ी तोड़ने भेजा। कृष्ण पेड़ पर चढ़कर लकड़ियाँ तोड़ रहे थे तो नीचे खड़े सुदामा चने खाते जा रहे थे। कृष्ण को जब चने चबाने की आवाज आई तो उन्होंने सुदामा से पूछा कि क्या चने खा रहे हो? सुदामा ने झूठ बोलते हुए कहा, नही चने नहीं खा रहा यह तो ठंड के कारण मेरे दाँत बज रहे हैं। लेकिन जब श्रीकृष्ण नीचे उतरे तो सुदामा के पास चने न पाकर क्रोधित हो उठे। तब उन्होंने सुदामा को कहा कि सुदामा तुमने मेरे चनों की चोरी की है।

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सुदामा की दीनदशा देखकर श्रीकृष्ण की क्या मनोदशा हुई? अपने शब्दों में लिखिए। 


सुदामा की दीनदशा देखकर श्रीकृष्ण व्यथित हो गए और दूसरीं पर करुणा करने वाले दीनदयाल स्वयं रो पड़े।

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सुदामा अपने बगल में चावलों की पोटली क्यों दबा रहे थे?

सुदामा अपनी बगल में चावलों की पोटली क्यों दबा रहे थे? Solution : सुदामा अपनी बगल में चावलों की पोटली इसलिए दबा रहे थे, क्योंकि द्वारका में श्रीकृष्ण के ठाठ-बाट देखकर वे हीन भावना से ग्रसित हो गये थे

सुदामा जी कृष्ण के लिए पोटली में क्या लाए थे?

सुदामा संकोच के कारण अपने आने की वजह नहीं बताते। कृष्ण उनसे वह उपहार मांगते हैं, जो सुदामा की पत्नी सुशीला ने भिजवाए थेसुदामा संकोचवश चावल की उस पोटली को बगल में दबाने लगते हैं। कृष्ण उनसे पोटली छीनकर उसमें से दो मुट्ठी चावल खा जाते हैं।

सुदामा की कौन सी पुरानी आदत थी जो श्री कृष्ण ने हँस कर बताई थी?

श्रीकृष्ण ने सुदामा से हँसकर कहा, चोरी करने में तुम चतुर हो। (याद है न) एक बार गुरु-माता ने चने दिए थे और तुम हमें न दे कर सब चट कर गए थे। (और आज भी तुम वही कर रहे हो) भाभी के दिए हुए, सुधा रस से भीगे, चावलों की पोटली बगल में छिपाए बैठे हो। तुम्हारी चोरी की पुरानी आदत नहीं गई।

सुदामा बहुत खुश क्यों हुए?

उत्तर: द्वारका से खाली हाथ लौटते समय सुदामा रास्ते में सोचते जा रहे हैं। उनका सोचना है कि कृष्ण जी मुझे देखकर बहुत खुश हुए थे। उठकर प्रेमपूर्वक मिले थे।