प्रश्न 16 : वाष्पोत्सर्जन किसे कहते हैं ? रन्ध्रों के खुलने तथा बंद होने की प्रक्रिया को विस्तार से समझाइये। Show
उत्तर– वाष्पोत्सर्जन (Transpiration)- पौधे अपने मूलतंत्र द्वारा मृदा से भारी मात्रा में जल को अवशोषण करते हैं। इस प्रकार अवशोषित जल का परिवहन जड़ों से पादप के विभिन्न भागों तथा अंगों में होता है। अवशोषित जल का केवल कुछ भाग पादप की वृद्धि व अन्य जैविक क्रियाओं के लिए प्रयुक्त होता है तथा शेष जल पादप के वायवीय भागों द्वारा जल के वाष्प के रूप में ह्रास की प्रक्रिया वाष्पोत्सर्जन (Transpiration) कहलाती है। रन्ध्र के खुलने का सारांश- प्रकाश → प्रकाश संश्लेषण → CO2 की सान्द्रता कम होना → PH का बढ़ना- स्टॉर्च का शर्करा में परिर्वतन → परासरण सान्द्रता में वृद्धि → जल का चूषण → स्फीत दाब में वृद्धि → बाहरी भित्तियों का बाहर की ओर खींचना → रन्ध्र का खुलना। रन्ध्र बन्द होने का सारांश- रात्रि → प्रकाश संश्लेषण बन्द → CO2 की सान्द्रता बढ़ना → pH का मान कम होना → शर्करा का स्टॉर्च में परिर्वतन → परासरण सान्द्रता में कमी → बाह्य परासरण- स्फीत दाब में कमी → भित्तियों का पूर्व स्थिति में होन → रन्ध्र छिद्र बन्द होना। स्टीवार्ड (1964) के अनुसार द्वार कोशिकाओं के परासरण दाब में तर्क विशेष परिवर्तन नहीं होगा जब तक कि ग्लूकोस -I- फॉस्फेट, ग्लूकोस एवं अकार्बनिक फॉस्फेट में नहीं टूट जाता है।
इसी प्रकार स्टीवार्ड ने बताया कि रन्ध्र बन्द होते समय ATP की आवश्यकता होती है।
चित्र-स्टीवार्ड परिकल्पना का चित्र रन्ध्र खुलने तथा बन्द होने की क्रियाएँ (2) ग्लाइकोलेट उपापचय सिद्धान्त- इस सिद्धान्त को जिटिट्क (1936) ने प्रतिपादित किया। इसके अनुसार CO2 की सान्द्रता कम होने से द्वार कोशिकाओं में ग्लाइकोलिक अम्ल बनता है। ग्लाइकोलेट से कार्बोहाइड्रेट संश्लेषण होता है। ग्लाइकोलेट के बनने से द्वार कोशिकाओं का OP बढ़ जाता है। इस क्रिया के लिए एटीपी (ATP) की आवश्यकता होती है। यह क्रिया निम्न प्रकार से सम्पन्न होती है।
(3) सक्रिय पौटेशियम आय स्थानान्तरण सिद्धान्त- इस सिद्धान्त को लेविट (Levitt) ने अपने प्रोटॉन स्थानान्तरण मत (proton transport concept) में प्रस्तुत किया। इस मत के अनुसार पोटेशियम आयन (K+) का महत्वपूर्ण कार्य होता है। रन्ध्रों की रक्षक कोशिकाओं (guard cells) में K+ का सक्रिय स्थानान्तरण उसके अन्दर तथा बाहर होने के कारण ही रन्ध्र क्रमशः खुलते तथा बन्द होते रहते हैं। इन K+ का संग्रह, रक्षक कोशिकाओं के समीप स्थित एपीडर्म कोशिकाओं में होता है। अधिकांश K+ को सन्तुलित करने वाले आयन्स कार्बनिक अम्ल, जैसे- मैलिक अम्ल (malic acid) से प्राप्त एनायन्स (anions) पाये जाते हैं।
इस प्रकार H+, K+ से बदल जाते हैं और H+ बाहर निकल जाते हैं तथा K+ अन्दर चले जाते हैं। प्रकाश की उपस्थिति में रक्षक कोशिकाओं (guard cells) के भीतर K+ द्वारा मैलिक अम्ल (malate) का संश्लेषण होता रहता है। जो मैलेट (malate) बनता है। K+ मैलेट से क्रिया करके पौटेशियम मैलेट (postassium malate) का निर्माण करता और एपीडर्मल कोशिकाओं से जल परासरण क्रिया द्वारा रक्षक कोशिकाओं (guard cells) से बाहर निकल जाते हैं।
चित्र-रन्ध्र के खुलने तथा बन्द होने पर सक्रिय K+ का स्थानान्तरण का प्रदर्शन इस क्रिया को निम्न प्रकार से भी व्यक्त कर सकते हैं-
रन्ध्र का खुलना उद्देश्यहमारा उद्देश्य पत्ती की ऊपरी और निचले सतहों के बीच वाष्पोत्सर्जन की दर की तुलना करना है। सिद्धांतवाष्पोत्सर्जन क्या है?वाष्पोत्सर्जन पौधे के माध्यम से होने वाले पानी के आवागमन और इसके हवाई भागों से वातावरण में होने वाले वाष्पीकरण की प्रक्रिया है। पत्तियों में और युवा कलियों में एपिडर्मल (बाह्यत्वचा) परत में सूक्ष्म रंध्र की तरह की संरचनाएं होतीं है, इसे स्टोमेटा कहा जाता है। वाष्पोत्सर्जन मुख्य रूप से पत्तियों के स्टोममेटा के माध्यम से होता है। स्टोमेटा मुख्य रूप से प्रकाश संश्लेषण और श्वसन की प्रक्रिया के दौरान गैसों के आदान-प्रदान से संबंधित होता हैं। हरेक स्टोममेटा में दरार जैसे निकासमुख होते हैं । इन्हें स्टोमेटल रंध्र कहा जाता है। यह पहरेदार कोशिकाओं (गार्ड सेल्) नामक दो विशेष कोशिकाओं से घिरा रहता है। ये विशेष कोशिकाएं स्टोमेटा को खोल और बंद करके वाष्पोत्सर्जन की दर को विनियमित करने में मदद करती हैं। वाष्पोत्सर्जन का महत्व
वाष्पोत्सर्जन की दर को प्रभावित करने वाले पर्यावरणीय कारक
अलग-अलग पौधों में स्टोमेटा का वितरण, संख्या, आकार और प्रकार अलग-अलग होता है। यहां तक कि पौधे के अंदर ही पत्ती की ऊपरी और निचली सतहों में अलग-अलग वितरण हो सकता है। कुछ पौधों में पत्ती की ऊपरी सतह की तुलना में निचली सतह पर बड़ी संख्या में स्टोमेटा मौजूद होते हैं। इसलिए, निचली सतह से होनेवाली पानी की हानि ऊपरी सतह से ज्यांदा होती है। हम पत्ती की दो सतहों से होने वाली जलवाष्प की हानि की तुलना करके पत्ती की दो सतहों से होने वाले वाष्पोत्सर्जन की दर का अध्ययन कर सकते हैं। वाष्पोत्सर्जन की दर को आसानी से कोबाल्ट क्लोराइड पेपर परीक्षण के जरिए प्रदर्शित किया जा सकता है। नीले रंग वाला सूखा कोबाल्ट क्लोराइड पेपर जब पानी के संपर्क में आता है तो गुलाबी हो जाता है। कोबाल्ट क्लोराइड पेपर के इस गुणधर्म का उपयोग करके हम वाष्पोत्सर्जन के दौरान होने वाली पानी की हानि का प्रदर्शन कर सकते हैं । हम पेपर का रंग नीले से गुलाबी में बदलने में लगने वाले समय का उपयोग करके वाष्पोत्सर्जन की दर का मापन कर सकते हैं। सीखने के परिणाम● छात्र वाष्पोत्सर्जन की अवधारणा समझते हैं। ● छात्र वाष्पोकत्सर्जन का महत्व समझते हैं। ● छात्र वाष्पोत्सर्जन की दर को प्रभावित करने वाले कारकों को समझते हैं। ● एक बार जब छात्र एनीमेशन और सिमुलेशन के माध्यम से चरणों को समझ लेंगें वे वास्तविक प्रयोगशाला में और ज्यादा सही ढंग से प्रयोग करने में सक्षम हो जाएंगे स्टोमेटा के खुलने और बंद होने को कौन नियंत्रित करता है?स्टोमेटा के खुलने और बंद होने की प्रक्रिया को कौन नियंत्रित करता है? रुधिरों का खुलना एवं बंद होना रक्षक कोशिकाओं की सक्रियता पर निर्भर करता है। इसकी कोशिका भित्ति असमान मोटाई की होती है। जब यह कोशिका स्फीत दशा में होती है तो छिद्र खुलता है व इसके ढीली हो जाने पर यह बंद हो जाता है।
रंध्र के खुलने और बंद होने का नियमन कैसे होता है?रंध्रों का खुलना और बंद होना द्वार-कोशिकाओं में स्फीति-परिवर्तनों के कारण होता है। द्वार-कोशिकाएँ जब स्फीति होती हैं तब रंध्र खुल जाते हैं, जबकि शिथिल अवस्था में रंध्र बंद हो जाते हैं।
कौन सी कोशिकाएं रंध्र के खुलने और बंद होने को नियंत्रित करती हैं?द्वार कोशिकाओं में क्लोरोप्लास्ट होता है और यह रंध्र के खुलने तथा बंद होने के क्रम को नियमित करता है।
रंध्र को खोलने में बंद करने का कार्य किसका है?
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