सूर्य उदय होने से पहले क्या करना चाहिए? - soory uday hone se pahale kya karana chaahie?

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सूर्यास्त के पहले भोजन कर लेना चाहिए, इस परंपरा के पीछे है वैज्ञानिक कारण

रिलिजन डेस्क. जैन धर्म में भी अनेक परंपराओं की पालन किया जाता है। इनमें से एक परंपरा ये भी है सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करना चाहिए यानी रात में खाना खाने से बचना चाहिए। सूर्यास्त के बाद भोजन न करने के पीछे अहिंसा और स्वास्थ्य दो प्रमुख कारण है, जो इस प्रकार है...


इसलिए नहीं खाते सूर्यास्त के बाद खाना...


- यह वैज्ञानिक तथ्य है कि रात्रि में सूक्ष्म जीव बड़ी मात्रा में फैल जाते हैं। ऐसे में सूर्यास्त के बाद खाना बनाने से सूक्ष्म जीव भोजन में प्रवेश कर जाते हैं। 


- खाना खाने पर ये सभी जीव पेट में चले जाते हैं।जैन धारणा में इसे हिंसा माना गया है। इसी कारण रात के भोजन को जैन धर्म में निषेध माना गया है। 


- इस पंरपरा से जुड़ा दूसरा कारण स्वास्थ्य से जुड़ा है। सूर्यास्त के बाद हमारी पाचन शक्ति मंद पड़ जाती है। इसलिए खाना सूर्यास्त से पहले खाने की परंपरा जैनोँ के अलावा हिंदुओं में भी है। 


- यह भी कहा जाता है कि हमारा पाचन तंत्र कमल के समान होता है। जिसकी तुलना ब्रह्म कमल से की गई है। प्राकृतिक सिद्धांत है कि सूर्य उद्य के साथ कमल खिलता है।अस्त होने के साथ बंद हो जाता है। 


- इसी तरह पाचन तंत्र भी सूर्य की रोशनी मे खुला रहता है और अस्त होने पर बंद हो जाता है। ऐसे में यदि हम भोजन ग्रहण करें तो बंद कमल के बाहर ही सारा अन्न बिखर जाता है।


- वह पाचन तंत्र में समा नही पाता। इसलिए शरीर को भोजन से जो ऊर्जा मिलनी चाहिए। वह नहीं मिलती और भोजन नष्ट हो जाता है।

हिंदी न्यूज़ धर्मChhath Puja 2022 : भगवान सूर्य के उदय होते ही छंट जाता है संसार का अंधेरा, जानिए सूर्य को अर्घ्य देने की विधि

Chhath Puja 2022 : वैदिक काल से सूर्योपासना अनवरत चली आ रही है। ज्योतिषाचार्य पंडित वागीश्वरी प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि भगवान सूर्य के उदय होते ही संपूर्ण जगत का अंधकार नष्ट हो जाता है और चारों ओर प्र

सूर्य उदय होने से पहले क्या करना चाहिए? - soory uday hone se pahale kya karana chaahie?

Alakha Singhकार्यालय संवाददाता,भभुआSat, 29 Oct 2022 07:07 PM

Chhath Puja 2022 : वैदिक काल से सूर्योपासना अनवरत चली आ रही है। ज्योतिषाचार्य पंडित वागीश्वरी प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि भगवान सूर्य के उदय होते ही संपूर्ण जगत का अंधकार नष्ट हो जाता है और चारों ओर प्रकाश फैल जाता है। सूर्य देवता सृष्टि के महत्वपूर्ण आधार हैं। सूर्य की किरणों को आत्मसात करने से शरीर और मन स्फूर्तिवान होता है। नियमित सूर्य को अर्घ्य देने से हमारी नेतृत्व क्षमता में वृद्धि होती है। बल, तेज, पराक्रम, यश एवं उत्साह बढ़ता है। 

सूर्य को जल देने की विधि पर उन्होंने कहा कि सूर्य देव को जल अर्पित करने का सबसे पहला नियम यह है कि उनके उदय होने के एक घंटे के अंदर उनको अर्घ्य देना चाहिए। नियमित क्रियाओं से मुक्त होकर और स्नान करने के बाद ही ऐसा किया जाना चाहिए। सूर्य को जल देते समय आपका मुख पूरब दिशा की ओर ही होना चाहिए। अगर कभी पूरब दिशा की ओर सूर्य नजर ना आएं तब ऐसी स्थिति में उसी दिशा की ओर मुख करके ही जल अर्घ्य दे दें। सूर्य को जल देते समय आप उसमें पुष्प और अक्षत (चावल) मिला सकते हैं। अगर आप सूर्य मंत्र का जाप भी करते रहेंगे तो आपको विशेष लाभ प्राप्त होगा।

उन्होंने बताया कि लाल वस्त्र पहनकर सूर्य को जल देना ज्यादा प्रभावी माना गया है, जल अर्पित करने के बाद धूप, अगबत्ती से पूजा भी करनी चाहिए। अर्घ्य देते समय हाथ सिर से ऊपर होने चाहिए। ऐसा करने से सूर्य की सातों किरणें शरीर पर पड़ती हैं। सूर्य देव को जल अर्पित करने से नवग्रह की भी कृपा रहती है। मनोवांछित फल पाने के लिए प्रतिदिन ‘ऊं ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा’ मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।  

तांबे के पात्र का करें प्रयोग 
ज्योतिषाचार्य पंडित वागीश्वरी प्रसाद द्विवेदी बताते हैं कि सूर्य को जल देने के लिए शीशे, प्लास्टिक, चांदी आदि किसी भी धातु के बर्तन का प्रयोग नहीं करना चाहिए। सूर्य को जल देते समय केवल तांबे के पात्र का ही प्रयोग उचित है। सूर्य को जल अर्पित करने से अन्य ग्रह भी मजबूत होते हैं। 

सूर्य अर्घ्य देने की विधि :
1. सर्वप्रथम प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व शुद्ध होकर स्नान करें। 
2. इसके बाद उदित होते सूर्य के समक्ष आसन लगाए। 
3. आसन पर खड़े होकर तांबे के पात्र में पवित्र जल लें। 
4. उस जल में मिश्री भी मिलाएं। मीठा जल चढ़ाने से जन्मकुंडली के दूषित मंगल का उपचार होता है। 
5. मंगल शुभ हो तब उसकी शुभता में वृद्धि होती है। 
6. जैसे ही पूरब दिशा में सूर्यागमन से पहले नारंगी किरणें प्रस्फूटित होती दिखाई दें, आप दोनों हाथों से तांबे के पात्र को पकड़ कर इस तरह जल चढ़ाएं कि सूर्य जल चढ़ाते धार से दिखाई दें। 
7. प्रात:काल का सूर्य कोमल होता है उसे सीधे देखने से आंखों की ज्योति बढ़ती है। 
8. सूर्य को जल धीरे-धीरे इस तरह चढ़ाएं कि जलधारा आसन पर आ गिरे, ना कि जमीन पर।
9. जमीन पर जलधारा गिरने से जल में समाहित सूर्य-ऊर्जा धरती में चली जाएगी और सूर्य अर्घ्य का संपूर्ण लाभ आप नहीं पा सकेंगे। 
10. अपने स्थान पर ही तीन बार घूमकर परिक्रमा करें। 
11. आसन उठाकर उस स्थान को नमन करें।

क्या हैं सूर्य कृपा पाने के फायदे :
- मान्यता के अनुसार यदि आप पर सूर्य की कृपा है तो जीवन और कामकाज में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। साथ ही धन प्राप्ति के योग भी बनते हैं। 
- ग्रह दोष के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं और घर में सुख शांति का वातावरण बनता है।
- आपके कौशल मे निखार आता है जिससे आप का व्यापार और काम काज अच्छा होने लगता है।

सूर्य उदय होने से पहले क्या करना चाहिए? - soory uday hone se pahale kya karana chaahie?

सूर्योदय से ठीक पहले क्या होता है?

सुबह सूर्योदय के समय सभी दैवीय शक्तियां जागृत हो जाती हैं। जिस प्रकार सूर्य की पहली किरण से फूल खिल जाते हैं, ठीक इसी प्रकार सुबह-सुबह की सूर्य की किरणें हमारे शरीर के लिए भी बहुत फायदेमंद होती हैं। सुबह के समय सूर्य की किरणें हमारी त्वचा को लाभ पहुंचाती है, इन किरणों से त्वचा की चमक बढ़ती है।

सूर्य उदय से पूर्व उठने क्यों आवश्यक है?

सुबह जब हम उठते हैं तो शरीर तथा मस्तिष्क में भी स्फूर्ति व ताजगी बनी रहती है। प्राचीन भारत में ऋषि-मुनियों ने सूर्योदय से पहले जागने और नहाने की परंपरा को स्थापित किया था। मान्यता है कि इस नियम के पालन से हमारे व्यक्तित्व का तेज बढ़ता है। सुख-समृद्धि बढ़ती है और स्वास्थ्य बेहतर रहता है।

सूर्य उदय होने से क्या होता है?

वेदों में सूर्य को जगत की आत्मा कहा गया है, इसलिए सूर्य उदय होने पर हमारी प्रकृति में सकारात्मक परिवर्तन होते हैं। इसके फलस्वरुप वातावरण प्रकाशमय होता है साथ ही सात्विक ऊर्जा का भी संचार होता है।

सूर्य उदय कितने बजे है?

सूर्योदय 06:40, खगोलीय दोपहर: 12:05, सूर्यास्त: 17:30, दिन की अवधि: 10:50, रात की अवधि: 13:10.