सूर्य देव को जल देते समय जल में क्या क्या डालना चाहिए? - soory dev ko jal dete samay jal mein kya kya daalana chaahie?

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जीवन मंत्र डेस्क। अभी अगहन मास चल रहा है। इस माह में सूर्य पूजा का विशेष महत्व है। रोज सुबह सूर्योदय से पहले उठ जाना चाहिए और स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए। इस काम से धर्म लाभ के साथ ही स्वास्थ्य लाभ भी मिलते हैं। सूर्य को जल चढ़ाने से मन शांत होता है, आलस्य दूर होता है, आंखों की रोशनी बढ़ती है। भविष्य पुराण के ब्राह्म पर्व में श्रीकृष्ण और सांब के सूर्य संबंधित संवाद हैं।

हिंदू धर्म में उगते सूर्य को जल चढ़ानेे की परंपरा सदियों से चली आ रही है. शास्त्रों के अनुसार सूर्यदेव को जल अर्पित करने से सभी देवताओं का आशीर्वाद मिलता है.

सूर्य देव को जल देते समय जल में क्या क्या डालना चाहिए? - soory dev ko jal dete samay jal mein kya kya daalana chaahie?

Surya Dev Puja Tips: हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार सूर्यदेव को जल अर्पित करना बेहद ही शुभ माना जाता है और प्राचीन काल से ही सूर्य को जल चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है. वैसे तो हिंदू धर्म में करीब 36 करोड़ देवी-देवता हैं लेकिन सूर्य एक देवता हैं जिन्हें आप रोजाना उगते हुए और अस्त होते हुए देखते हैं. यानि सूर्यदेव साक्षात दर्शन देते हैं. लेकिन सूर्य को जल अर्पित करते समय आपको कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. आइए जानते हैं सूर्य को जल अर्पित करने का सही तरीका और इसके फायदे.

इस विधि से सूर्य को करें जल अर्पित

  • सूर्यदेवता को जल अर्पित करते समय हमेशा तांबे का लोटा ही इस्तेमाल करना चाहिए. जल हमेशा नहा-धोकर ही अर्पित करें.
  • सूर्य को जल चढ़ाते समय पानी में लाल फूल, कुमकुम और अक्षत डालने चाहिए.
  • सबसे महत्वपूर्ण है कि सूर्य को जल अर्पित करते समय जल की गिरती धार में सूर्य की किरणों को देखना शुभ माना जाता है.
  • सूर्य को जल अर्पित करते समय मुंह हमेशा पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए.

इन बातों का रखें विशेष ध्यान

  • सूर्य को जल अर्पित करते समय भूलकर भी पैर में जूते-चप्पल नहीं पहनने चाहिए. जल हमेशा नंगे पैर अर्पित करना चाहिए.
  • इस बात का विशेष ध्यान रखें कि जल अर्पित करने के बाद वह पैरों तक न पहुंचें.

सूर्य को जल अर्पित करने के फायदे

  • सूर्य को रोजाना जल अर्पित करना उन लोगों के लिए विशेष लाभकारी होता है जिनकी कुडंली में सूर्य कमजारे है. इससे उनका आत्मविश्वास मजबूत होता है और समाज में मान-सम्मान बढ़ता है.
  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार आत्मशुद्धि और आत्मबल को बढ़ाने के लिए भी रोजाना सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए.
  • यदि किसी व्यक्ति को नौकरी या तरक्की में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है तो उसे नियमित रूप में सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए.

डिस्क्लेमर: यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं. India.Com इसकी पुष्टि नहीं करता. इसके लिए किसी एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें.

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सारी सृष्टि को ऊर्जा और प्रकाश देने वाला सूर्य ही हैं. ज्योतिष में सूर्य को स्वास्थ्य, पिता, आत्मा का कारक माना जाता है. अगर कुंडली में सूर्य मजबूत होता है तो व्यक्ति को यश की प्राप्ति होती है. इसके अलावा कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का कारण भी सूर्य को माना जाता है.

Photo credit- pixabay

Satyanarayan Vrat December 2022: मार्गशीर्ष पूर्णिमा को मृगशिरा पूर्णिमा भी कहा जाता है. इस दिन लोग श्री सत्यनारायण व्रत करते हैं और यह व्रत हिंदुओं के बीच एक धार्मिक महत्व रखता है. मान्यता है कि भगवान विष्णु जी को प्रसन्न करने के लिए सत्यनारायण कथा किया जाता है. सत्यनारायण व्रत केवल पूर्णिमा के दिन (पूर्णिमा तिथि) को मनाया जाता है क्योंकि पूर्णिमा श्री सत्यनारायण का पसंदीदा दिन है. द्रिक पंचांग के अनुसार इस माह मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को यानी 7 दिसंबर 2022 को सत्यनारायण व्रत किया जाएगा.

Satyanarayan Vrat December 2022: महत्व

  • हर पूर्णिमा का अपना धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा पृथ्वी के करीब आता है और भक्तों को अपनी दिव्य किरणें प्रदान करता है.

  • वैदिक ज्योतिष के अनुसार, चांदनी आध्यात्मिक और शारीरिक शक्ति को बढ़ा सकती है जो सुखी और स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक है.

  • यह भी माना जाता है कि जो लोग मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर सत्यनारायण व्रत का पालन करते हैं, भगवान विष्णु उन्हें स्वास्थ्य, धन और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं और विशेष रूप से जो लोग सही जीवन साथी की तलाश कर रहे हैं या जल्द ही शादी करना चाहते हैं, उन्हें भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए इस व्रत का पालन करना चाहिए.

  • ऐसा माना जाता है कि जो भक्त प्रत्येक पूर्णिमा को श्री सत्यनारायण का व्रत करते हैं, उन्हें सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. साथ ही भक्तों के जीवन से सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करने के लिए श्री हरि स्तोत्रम का जाप या श्रवण करना चाहिए.

Satyanarayan Vrat December 2022: तिथि और समय

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - 7 दिसंबर 2022 -08:01 पूर्वाह्न

पूर्णिमा तिथि समाप्त - 8 दिसंबर 2022 - 09:37 AM

Satyanarayan Vrat December 2022: पूजा विधि

  • पूर्णिमा का व्रत सबसे शुभ माना जाता है. पूर्णिमा का व्रत रखने वाले भक्तों को जल्दी उठकर पवित्र स्नान करना चाहिए.

  • एक लकड़ी की चौकी लें और सत्यनारायण की मूर्ति रखें, इसे केले के पत्तों से सजाएं, फूल चढ़ाएं, कुमकुम लगाएं और हल्दी का तिलक लगाएं, जल से भरा कलश रखें और देसी घी का दीया जलाएं.

  • सत्यनारायण पूजा कभी भी की जा सकती है.

  • भक्तों को भुने हुए आटे, सफेद चीनी पाउडर से बना प्रसादम तैयार करना चाहिए, केले को टुकड़ों में काटकर इसे प्रसादम में डाल देना चाहिए. इस मिश्रण में तुलसी पत्र डालना ना भूलें.

  • पंचामृत तैयार करें जो पांच चीजों (दूध, दही, शहद, चीनी और घी) का मिश्रण हो और पंचामृत में तुलसी पत्र डालकर भगवान सत्यनारायण को भोग लगाएं.

  • जो भक्त भगवान सत्यनारायण को प्रसन्न करना चाहते हैं उन्हें तुलसी पत्र अवश्य चढ़ाना चाहिए और ऐसा माना जाता है कि तुलसी पत्र के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है.

    सूर्य देव को जल चढ़ाते समय जल में क्या क्या डालना चाहिए?

    सूर्य देव को हमेशा तांबे के लोटे में ही जल चढ़ाना चाहिए. पानी में फूल, कुमकुम और अक्षत डालना शुभ माना जाता है. मुंह हमेशा पूर्व दिशा में होना चाहिए. ध्यान रखें कि सूर्य को जल चढ़ाते समय जूते-चप्पल नहीं पहनना चाहिए.

    सूर्य देव को सुबह कितने बजे जल देना चाहिए?

    सूर्य देव को हमेशा तांबे के पात्र से ही जल अर्पित करना चाहिए। एक बात का ध्यान रखें कि सूर्य को जल प्रातः काल यानी सूर्योदय के समय ही चढ़ाएं। सुबह के समय जल अर्पित करना फायदेमंद माना जाता है। सूर्य को जल देते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए

    सूर्य को जल देते समय कौन सा पैर उठाना चाहिए?

    सूर्य कौन सा एतराज कर रहा है। चाहे तो दोनो पैर ऊपर उठा कर जल दे।

    सूर्य को कितनी बार जल देना चाहिए?

    अर्घ्य देते समय सूर्य की किरणों पर भी ध्यान देना चाहिए कि किरणें हल्की हो न कि बहुत तेज। अर्घ्य देते समय सूर्य मंत्र 'ओम सूर्याय नमः' का 11 बार जप करना चाहिए, इसके बाद सूरज की ओर मुंह करते हुए 3 बार परिक्रमा करनी चाहिएसूर्य को अर्घ्य देने के लिए केवल तांबे के बर्तन या ग्लास का ही इस्तेमाल करना चाहिए