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खबर की भाषा और शीर्षक से आप संतुष्ट हैं? खबर के प्रस्तुतिकरण से आप संतुष्ट हैं? खबर में और अधिक सुधार की आवश्यकता है? जीवन मंत्र डेस्क। अभी अगहन मास चल रहा है। इस माह में सूर्य पूजा का विशेष महत्व है। रोज सुबह सूर्योदय से पहले उठ जाना चाहिए और स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए। इस काम से धर्म लाभ के साथ ही स्वास्थ्य लाभ भी मिलते हैं। सूर्य को जल चढ़ाने से मन शांत होता है, आलस्य दूर होता है, आंखों की रोशनी बढ़ती है। भविष्य पुराण के ब्राह्म पर्व में श्रीकृष्ण और सांब के सूर्य संबंधित संवाद हैं। हिंदू धर्म में उगते सूर्य को जल चढ़ानेे की परंपरा सदियों से चली आ रही है. शास्त्रों के अनुसार सूर्यदेव को जल अर्पित करने से सभी देवताओं का आशीर्वाद मिलता है.Surya Dev Puja Tips: हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार सूर्यदेव को जल अर्पित करना बेहद ही शुभ माना जाता है और प्राचीन काल से ही सूर्य को जल चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है. वैसे तो हिंदू धर्म में करीब 36 करोड़ देवी-देवता हैं लेकिन सूर्य एक देवता हैं जिन्हें आप रोजाना उगते हुए और अस्त होते हुए देखते हैं. यानि सूर्यदेव साक्षात दर्शन देते हैं. लेकिन सूर्य को जल अर्पित करते समय आपको कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. आइए जानते हैं सूर्य को जल अर्पित करने का सही तरीका और इसके फायदे. इस विधि से सूर्य को करें जल अर्पित
इन बातों का रखें विशेष ध्यान
सूर्य को जल अर्पित करने के फायदे
डिस्क्लेमर: यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं. India.Com इसकी पुष्टि नहीं करता. इसके लिए किसी एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें. ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें. India.Com पर विस्तार से पढ़ें धर्म की और अन्य ताजा-तरीन खबरें सारी सृष्टि को ऊर्जा और प्रकाश देने वाला सूर्य ही हैं. ज्योतिष में सूर्य को स्वास्थ्य, पिता, आत्मा का कारक माना जाता है. अगर कुंडली में सूर्य मजबूत होता है तो व्यक्ति को यश की प्राप्ति होती है. इसके अलावा कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का कारण भी सूर्य को माना जाता है. Photo credit- pixabay Satyanarayan Vrat December 2022: मार्गशीर्ष पूर्णिमा को मृगशिरा पूर्णिमा भी कहा जाता है. इस दिन लोग श्री सत्यनारायण व्रत करते हैं और यह व्रत हिंदुओं के बीच एक धार्मिक महत्व रखता है. मान्यता है कि भगवान विष्णु जी को प्रसन्न करने के लिए सत्यनारायण कथा किया जाता है. सत्यनारायण व्रत केवल पूर्णिमा के दिन (पूर्णिमा तिथि) को मनाया जाता है क्योंकि पूर्णिमा श्री सत्यनारायण का पसंदीदा दिन है. द्रिक पंचांग के अनुसार इस माह मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को यानी 7 दिसंबर 2022 को सत्यनारायण व्रत किया जाएगा. Satyanarayan Vrat December 2022: महत्व
Satyanarayan Vrat December 2022: तिथि और समयपूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - 7 दिसंबर 2022 -08:01 पूर्वाह्न पूर्णिमा तिथि समाप्त - 8 दिसंबर 2022 - 09:37 AM Satyanarayan Vrat December 2022: पूजा विधि
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