स्पर्श वर्ण कौन कौन से हैं - sparsh varn kaun kaun se hain

क्या आपको पता हैं, sparsh vyanjan क्या हैं? तो इस article में हम sparsh vyanjan के बारे में जानेंगे। और आपको भी जानना है की sparsh vyanjan kitne hote hain हैं, तो यह article आपके लिए ही हैं।

यहां हम sparsh स्वर और sparsh vyanjan कितने हैं Detail में बता रहे हैं। तो हम उम्मीद करते हैं, आप sparsh स्वर और व्यंजन के बारे में बेहतर जान पाएंगे।

… तो चालिए शुरु करते हैं। 

  • स्पर्श व्यंजन किसे कहते है? Sparsh vyanjan kise kahate hain? 
  • स्पर्श व्यंजन कितने होते है? Sparsh vyanjan kitne hote hain? 
  • Sparsh vyanjan ke examples kya Hain? 
  • स्वनविज्ञान (phonetics) क्या हैं?
  • Sparsh vyanjan के 9 संबंध 
  • निष्कर्ष : 

स्पर्श व्यंजन किसे कहते है? Sparsh vyanjan kise kahate hain? 

स्पर्श वर्ण कौन कौन से हैं - sparsh varn kaun kaun se hain

आपको पता हैं, व्यंजन वर्ण को तीन अलग अलग प्रकारों में विभागा गया हैं। जिस में से एक हैं अन्तस्थ व्यंजन , दूसरा हैं उष्म व्यंजन और तीसरा हैं स्पर्श व्यंजन जिसके बारे में यहां हम जानकारी देने वाले है।

स्पर्श व्यंजन की परिभाषा – ऐसे वर्ण जिसे उच्चारण करते समय या बोलते समय जीभ मुंह से किसी न किसी अंग से स्पर्श होता हैं। उन वर्णों को विशेष रुप से स्पर्श व्यंजन कहा जाता हैं। 

स्पर्श व्यंजन को वर्गीय व्यंजन के नाम से भी जाना जाता हैं।

आपको व्यंजन की बेहतर जानकारी हों इसलिए हम अन्तस्थ और उष्म व्यंजन की परिभाषा भी देख लेते हैं।

अन्तस्थ व्यंजन की परिभाषा – य, र, ल, व, वर्ण अन्तस्थ व्यंजन के अंतर्गत आते हैं। इनका उच्चारण स्वरों और व्यंजनों के बीच के स्थान से होता हैं। 

अन्त इन्हें अन्तस्थ व्यंजन कहा जाता हैं।

उष्म व्यंजन की परिभाषा – जिन वर्णों के उच्चारण में मुंह से विशेष प्रकार की गर्म वायु निकलती हैं। उन्हें उष्म व्यंजन कहते हैं।

स्पर्श वर्ण कौन कौन से हैं - sparsh varn kaun kaun se hain

आपको पता तो होगा की, हिंदी वर्णमाला में कुल 33 व्यंजन होते हैं। और 11 स्वर होते हैं। उन 33 व्यंजनों में से 4 उष्म व्यंजन, 4 अन्तस्थ व्यंजन और 25 वर्णों को स्पर्श व्यंजन के रुप में गिना जाता हैं

 वैसे आपने जान गए होंगे की स्पर्श व्यंजन कितने होते हैं।

तो अब चलिए जानते हैं किन वर्णों को स्पर्श व्यंजन में शामिल किया जाता हैं।

वैसे हिंदी वर्णमाला में कुल पांच वर्ग होते है, जिन्हे स्पर्श व्यंजन में शामिल किया जाता हैं।

जैसे :

क वर्ग – क ,ख, ग ,घ, ङ

च वर्ग -च ,छ,ज ,झ ,ञ

ट वर्ग – ट ,ठ ,ड ,ढ ,ण

त वर्ग – त ,थ ,द ,ध ,न

प वर्ग प ,फ ,व ,भ ,म

Sparsh vyanjan ke examples kya Hain? 

नीचे sparsh vyanjan के उदाहरण दिए गए है, जिस से आपको sparsh vyanjan समझ ने में आसानी होगी।

  • ब और प को उच्चारित करने पर निचला और उपरी होठ आपस में मिलते हैं।
  • क और ग के उच्चारण में गले में वायु रुप जाती हैं।
  • त और द के उच्चारण में जीभ मुंह के अंदर उपरी तलवे को स्पर्श करती हैं।
  • ड और ट के उच्चारण में जीभ दांतों के उपर मसूड़ों को स्पर्श करती हैं।

स्वनविज्ञान (phonetics) क्या हैं?

स्वनविज्ञान (phonetics), भाषा विज्ञान की वह शाखा होती हैं। जिसमें इंसानों के द्वारा बोले जानें वाले ध्वनियों का अध्ययन किया जाता हैं। 

शारीरिक रूप से इन्सान की प्रक्रिया से ध्वनि उत्पन्न होती हैं। इसका अध्ययन स्वनविज्ञान के तहत किया जाता हैं।

इंसानों द्वारा बोली जाने वाली ध्वनियों के भौतिक गुण और तंत्रिका-शारीरिक बोध का सम्बन्ध और प्रक्रिया का अध्ययन स्वनविज्ञान (Phonetics) में किया जाता हैं।

Sparsh vyanjan के 9 संबंध 

  1. घोष तालव्य स्पर्श

घोष तालव्य स्पर्श (voiced palatal stop या voiced palatal plosive) एक प्रकार का व्यंजन है। जो कई भाषाओं में पाया जाता है।इसे हिन्दी और अंग्रेज़ी में नहीं पाया जाता हैं। अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला में इसे ‘c’ लिखा जाता है। 

  1. घोष द्वयोष्ठ्य स्पर्श

घोष द्वयोष्ठ्य स्पर्श (voiced bilabial stop) एक प्रकार का व्यंजन है। जो कई भाषाओं में पाया जाता है। 

इसे हिन्दी में ‘ब’ और अंग्रेज़ी तथा अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला में ‘b’ लिखा जाता है। 

  1. अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला

अंतर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला (अ॰ध्व॰व॰, अंग्रेज़ी: International Phonetic Alphabet, इंटरनैशनल फ़ोनॅटिक ऐल्फ़ाबॅट) एक ऐसी लिपि है। जिसमें विश्व की सारी भाषाओं की ध्वनियाँ लिखी जा सकती हैं। 

इसके हर अक्षर और उसकी ध्वनि का एक-से-एक का सम्बन्ध होता है। आरम्भ में इसके अधिकतर अक्षर रोमन लिपि से लिए गए थे, लेकिन जैसे-जैसे इसमें विश्व की बहुत सी भाषाओँ की ध्वनियाँ जोड़ी जाने लगी। तो बहुत से यूनानी लिपि से प्रेरित अक्षर लिए गए और कई बिलकुल ही नए अक्षरों का इजाद किया गया। 

इसमें सन् २०१० तक १६० से अधिक ध्वनियों के लिए चिह्न दर्ज किए जा चुके थे, लेकिन किसी भी एक भाषा को दर्शाने के लिए इस वर्णमाला का एक भाग की ही ज़रुरत होती है। 

इस प्रणाली के ध्वन्यात्मक प्रतिलेखन (ट्रान्सक्रिप्शन) में सूक्ष्म प्रतिलेखन के चिन्हों के बीच में और स्थूल प्रतिलेखन / / के चिन्हों के अन्दर लिखे जाते हैं। इसकी नियामक अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक संघ है। 

  1. अघोष तालव्य स्पर्श

अघोष तालव्य स्पर्श (voiceless palatal stop या voiceless palatal plosive) एक प्रकार का व्यंजन है। जो कई भाषाओं में पाया जाता है। 

इसे हिन्दी और अंग्रेज़ी में नहीं पाया जाता। अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला में इसे ‘c’ लिखा जाता है।

  1. अघोष द्वयोष्ठ्य स्पर्श

अघोष द्वयोष्ठ्य स्पर्श (voiceless bilabial stop) एक प्रकार का व्यंजन है। जो कई भाषाओं में पाया जाता है। 

इसे हिन्दी में ‘प’ और अंग्रेज़ी तथा अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला में ‘p’ लिखा जाता है। 

  1.  तालू

मानवों व अन्य स्तनधारियों में तालू (palate) मुँह की छत होती है। इसके नीचे मुँह का विवर (खुला क्षेत्र) होता है और इसके ऊपर नासिका विवर। 

तालू के दो भाग होते हैं: आगे का कठोर तालू और मूँह के पिछले भाग का नरम तालू। 

  1. होंठ

होंठ या ओंठ मनुष्य तथा कई अन्य जंतुओं के मुँह का बाहरी दिखने वाला भाग होता है। होंठ कोमल, लचीले तथा चलायमान होते हैं। और आहार ग्रहण छिद्र (मुँह) का द्वार होते हैं। 

इसके अलावा वह ध्वनि का उच्चारण करने में मदद भी करते हैं जिसकी वजह से मनुष्य गले से निकली ध्वनि को वार्तालाप में परिवर्तित कर पाने में सक्षम हो सका है। 

  1. जीभ

जीभ मुख के तल पर एक पेशी होती है, जो भोजन को चबाना और निगलना आसान बनाती है। यह स्वाद अनुभव करने का प्रमुख अंग होता है, क्योंकि जीभ स्वाद अनुभव करने का प्राथमिक अंग है, जीभ की ऊपरी सतह पेपिला और स्वाद कलिकाओं से ढंकी होती है। 

जीभ का दूसरा कार्य है स्वर नियंत्रित करना। यह संवेदनशील होती है। और लार द्वारा नम बनी रहती है, साथ ही इसे हिलने-डुलने में मदद करने के लिए इसमें बहुत सारी तंत्रिकाएं तथा रक्त वाहिकाएं मौजूद होती हैं। इन सब के अलावा, जीभ दातों की सफाई का एक प्राकृतिक माध्यम भी है। 

  1. व्यंजन वर्ण

व्यंजन (en:consonant) शब्द का उपयोग वैसी ध्वनियों के लिये किया जाता है। जिनके उच्चारण के लिये किसी स्वर की जरुरत होती है। 

ऐसी ध्वनियों का उच्चारण करते समय हमारे मुख के भीतर किसी न किसी अंग विशेष द्वारा वायु का अवरोध होता है। 

इस तालिका में सभी भाषाओं के व्यंजन दिए गये है।

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निष्कर्ष : 

इस article में हम ने स्पर्श व्यंजन के बारे में सारी जानकारी दी हैं। आपको स्पर्श व्यंजन क्या हैं, स्पर्श व्यंजन कितने होते हैं, स्पर्श व्यंजन के उदाहरण, स्वनविज्ञान क्या हैं और स्पर्श व्यंजन के 9 संबंध इतनी जानकारी पूरी detail में दी हैं।

आपको सब समझे ऐसी सरल भाषा में स्पर्श व्यंजन की जानकारी अच्छे से बताने की हम ने पुरी कोशिश की हैं। कोई सवाल और सुझाव हो तो निचे कमेंट करें!

हम आशा करते हैं, आप सब अच्छे से समझे होंगे की sparsh vyanjan kitne hote hain। अगर कुछ समझ ना आए तो article फिर एक बार पूरा पढ़ लेना। 

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स्पर्श वर्ण कितने होते है?

आपको पता तो होगा की, हिंदी वर्णमाला में कुल 33 व्यंजन होते हैं। और 11 स्वर होते हैं। उन 33 व्यंजनों में से 4 उष्म व्यंजन, 4 अन्तस्थ व्यंजन और 25 वर्णों को स्पर्श व्यंजन के रुप में गिना जाता हैं।

स्पर्श व्यंजन कौन कौन से हैं?

स्पर्शी व्यंजनों की कुल संख्या 16 है – क, ख, ग, घ, ट, ठ, ड, ढ, त, थ, द, ध, प, फ, ब, भ.

25 स्पर्श व्यंजन कौन कौन से हैं?

इसके साथ ही हम आपको ये भी बताना चाहेंगे की, स्पर्श व्यंजनों की कुल संख्या 25 की होती हैं, जिनमे निम्नलिखित वर्ण शामिल हैं, जैसे की; क, ख, ग, घ, ङ, च, छ, ज, झ, ञ, ट, ठ, ड, ढ, ण, त, थ, द, ध, न, प, फ, व, भ और म।

उच्चारण के आधार पर स्पर्श व्यंजन कितने होते हैं?

स्पर्श व्यंजनों की संख्या 16 होती है। हिंदी वर्णमाला में क-वर्ग, ट-वर्ग, त-वर्ग या प-वर्ग के प्रथम चार-चार वर्णों को स्पर्श व्यंजन कहते हैंस्पर्श व्यंजनों के प्रत्येक वर्ग का नाम पहले वर्ण के आधार पर होता है।