स्तन का हर गिल्टी कैंसर नहीं होतापटना। स्तन में होने वाला हर गिल्टी कैंसर नहीं होता पर गिल्टी भी कैंसर हो सकता है। गिल्टी है और कोई तकलीफ नहीं दे रहा है तो इसका मतलब यह नहीं कि उसे नजरअंदाज कर दिया जाय। गिल्टी की... Show
Sat, 04 Aug 2012 11:48 PM पटना। स्तन में होने वाला हर गिल्टी कैंसर नहीं होता पर गिल्टी भी कैंसर हो सकता है। गिल्टी है और कोई तकलीफ नहीं दे रहा है तो इसका मतलब यह नहीं कि उसे नजरअंदाज कर दिया जाय। गिल्टी की जांच और इलाज जरूरी है। स्तन कैंसर पर आयोजित सम्मेलन में शिरकत करने आए विशेषज्ञों ने गिल्टी की जांच और इलाज पर विस्तार से चर्चा की। विशेषज्ञों ने कहा कि जो महिलाएं मानसिक तनाव में रहती है उन्हें गिल्टी भी कैंसर लगने लगता है। वे हर वक्त उसके बारे में सोचती रहती हैं। उन्हे लगता है कि स्तन में दर्द हो रहा है या फिर फिर कुछ और हो रहा है जो उन्हें अच्छा नहीं लगता। इसलिए महिला को मानसिक तनाव से उबारने और गिल्टी का इलाज जरूरी है। गिल्टी को आपरेट करके निकाल दिया जाता है क्योंकि गिल्टी कहीं बाद में कैंसर का रूप न धारण कर ले। हैदराबाद से आए डॉ.मोहना वामसी ने गिल्टी पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि गिल्टी छोटा हो या बड़ा उसे निकालना जरूरी होता है। कोलकाता की डॉ. सुमा ने कैंसर के इलाज में रेडियोलॉजी के इस्तेमाल पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि कई बार देखा जाता है कि जिसकी जरूरत नहीं है उसकी भी जांच करा दी जाती है। जयपुर के डॉ. हेमंत मल्होत्रा ने कहा कि कैंसर के ऑपरेशन के पहले कीमोथेरेपी देने से फायदा होता है। मुंबई के डॉ.दिनेश पेनडारकर ने कैंसर के इलाज के बाद मरीज को आने वाली परेशानी पर चर्चा की। डॉ. ए नाथ ने पेस्टीसाइड से स्वास्थ्य पर कुप्रभाव और कैंसर की संभावना पर अपने विचार रखे। रांची के डॉ. अमर वर्मा ने खून जांच से कैंसर होने के संकेत मिलने पर चर्चा की जबकि मुंबई की डॉ. संगीता देसाई ने ‘प्रोगनोस्टिक एंड प्रीडिक्टवि मार्कर-र्पिोटिंग गाइडलाइंस’ पर विस्तार से चर्चा की। विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि परिवार में यदि किसी को कैंसर हैं तो ऐसे महिलाओं को ज्यादा सतर्क रहना चाहिए। मुख्य रूप से माता-पिता को। महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर से बचने के लिए नियमित जांच कराते रहना चाहिए। लेखक-महावीर कैंसर संस्थान के निदेशक और ब्रेस्ट कैंसर फाउंडेशन, इंडिया के राष्ट्रीय सचवि है। स्तन की गांठें क्या होती हैं ?स्तन की गांठें क्या होती हैं(What are breast lumps) ? स्तन में गांठ होना एक सामान्य स्थिति है और इसके होने के कई कारण होते हैं। यूं तो अधिकांश गांठें स्तन कैंसर नहीं होतीं, मगर स्तन में असामान्य बदलाव की जितनी जल्दी हो डॉक्टर से जांच जरूर करानी चाहिए। स्तन की कई तरह की गांठें कैंसर कारक नहीं होतीं। ये विभिन्न आकार या बनावट की होती हैं, जो इनके प्रकार पर निर्भर करता है। ज्यादातर स्तन की गांठें पूरे जीवनकाल में एक महिला के शरीर में समय-समय पर हॉर्मोन में होने वाले बदलाव के कारण हो जाती हैं। मिसाल के तौर पर माहवारी चक्र के दौरान जब महिलाओं का मासिक-धर्म होता है। कुछ बेहद सामान्य प्रकार की ऐसी स्तन गांठें होती हैं, जो घातक नहीं होतीं, उनमें शामिल है :
स्तन की गांठ होने के कारणों के बारे में अधिक जानकारी के लिए पढ़ें। डॉक्टर को कब दिखाएं? स्तनों में बदलाव नजर आने पर डॉक्टर को तुरंत दिखाना जरूरी है। स्तन में गांठ का पता चलना चिंता का कारण हो सकता है, मगर स्तन की ज्यादातर गांठें कैंसर-मुक्त होती हैं और इन्हें इलाज की जरूरत नहीं होती है। स्तन की गांठों के लक्षण और संकेतों के बारे में अधिक जानकारी के लिए पढ़ें। स्तनों की सेहत के बारे में जागरूक होना भी जरूरी है, जिससे आपको उनमें बदलाव की पहचान करने में मदद मिले और जल्द से जल्द जांच कराइ जा सके। ब्रेस्ट स्क्रीनिंग और स्तनों की सेहत के प्रति जागरूक होने की जानकारी के लिए स्तन के गांठों की रोकथाम के बारे में जानें। कौन होता है प्रभावित?स्तनों की गांठ काफी सामान्य बात है। ज्यादातर स्तन की गांठें, तकरीबन दस में से नौ कैंसर-मुक्त(benign) होती हैं। स्तन की गांठ का इलाज:अगर आपके स्तनों में दर्द है तो दवा से दर्द में आराम मिल सकता है। कुछ प्रकार की गांठें, जैसे सिस्ट या फोड़ा में पानी या पस हो सकता है, जिसे निकालना जरूरी होता है। कुछ अन्य मामलों में सर्जरी के जरिये गांठ को निकालना जरूरी हो सकता है। हालांकि यह अमूमन तब तक जरूरी नहीं होता, जब तक गांठ बड़ी न हो, बढ़ न रही हो या उसमें अन्य लक्षण भी न हों। स्तन की गांठ के इलाज के बारे में और जानकारी के लिए पढ़ें। स्तन की गांठ के लक्षणस्तन में गांठ होना कैसा महसूस होता है?स्तन की गांठ कैसी दिखती या महसूस होती है, इसे कई कारण निर्धारित कर सकते हैं जो अंतर्निहित वजहों पर निर्भर करते हैं। कुछ स्तन गांठें अन्य लक्षणों का भी कारण हो सकती हैं। डॉक्टर को कब दिखाएं?अगर आपको अपने स्तनों में निम्न बदलाव नजर आ रहे हैं तो डॉक्टर को जरूर दिखाना चाहिए, जैसे:
क्या स्तन की गांठ गंभीर हो सकती है? स्तन में किसी भी तरह के बदलाव दिखने पर आपको हमेशा डॉक्टर को दिखाना चाहिए, मगर बिनाइन(कैंसर-मुक्त) यानी जो गंभीर नहीं होतीं, ऐसी गांठें होने पर:
स्तन की कुछ गांठें, जैसे स्तन के फोड़े (पस या तरल पदार्थ का संक्रमित संग्रह) काफी दर्द वाले हो सकते हैं, और अन्य जैसे फाइब्रोएडिनोमा(fibro-adenomas), काफी बड़े महसूस हो सकते हैं। हालांकि ज्यादातर स्तन की गांठों को किसी इलाज की जरूरत नहीं होती है। स्तन की गांठों के प्रकार स्तन की गांठों के सामान्य प्रकारों में शामिल हैं :
इस तरह की स्तन की गांठों के लक्षण नीचे विस्तार से बताए जा रहे हैं। फाइब्रोएडिनोसिसफाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट रोग(Fibrocystic breast disease) को फाइब्रोएडिनोसिस को भी कहते हैं। इस शब्द का उपयोग स्तन को प्रभावित करने वाली कैंसर मुक्त अवस्थाओं के समूह का वर्णन करने के लिए किया जाता है। फाइब्रोएडिनोसिस के लक्षणों में शामिल हैं :
फाइब्रोएडिनोसिस एक या दोनों स्तनों में हो सकता है या इससे स्तन का सिर्फ एक हिस्सा प्रभावित हो सकता है। इसके लक्षण विभिन्न महिलाओं में काफी अलग-अलग हो सकते हैं। कुछ महिलाओं को ये हल्के तकलीफदेह लगते हैं, तो कुछ अन्य को काफी दर्द होता है। मासिक धर्म के बाद स्तन का गांठदार होना और दर्द आमतौर पर खत्म हो जाते हैं। फाइब्रोएडिनोसिस होने का कारण अभी पूरी तरह समझा नहीं जा सका है। मगर यह मासिक चर्क के दौरान शरीर में होने वाले हार्मोन परिवर्तन के प्रति स्तन के ऊतकों की असामान्य प्रतिक्रिया का नतीजा हो सकता है फाइब्रोएडिनोमा(Fibroadenoma)फाइब्रोएडिनोमा सुडौल, समान रूप से गोल और ठोस गांठ होती है, जो कभी-कभी दुग्ध-नलिका(मिल्क डक्ट) के बाहर विकसित हो जाती है। दुग्ध-नलिका स्तनों में मौजूद बेहद छोटी नलिकाएं होती हैं, जिनसे दूध का परवाह होता है। फाइब्रोएडिनोमा रेशेदार और ग्रंथिमय टिश्युस से बना होता है, जो देखने में रबर जैसा होता है और छूने पर आसानी से हिलता-डुलता है। फाइब्रोएडिनोमा कभी-कभी गायब भी हो जाता है, मगर यह बना रह सकता है और बड़ा हो सकता है, खासतौर पर गर्भावस्था के दौरान। ब्रेस्ट सिस्ट(Breast cyst)ब्रेस्ट सिस्ट तरल पदार्थ से भरी हुई एक पोटली की तरह होता है, जो स्तन के टिश्युस के भीतर विकसित होता है और छूने पर नर्म अंगूर जैसा मालूम होता है। सिस्ट, स्तन ऊतक(breast tissue) की उम्र बढ़ने के एक प्राकृतिक हिस्से के रूप में बनते हैं और आमतौर पर 35 से 50 साल की उम्र की महिलाओं में पाए जाते हैं। सिस्ट भिन्न-भिन्न आकार में होते हैं। कुछ बेहद छोटे होते हैं, जबकि कुछ कई सेंटीमीटर के व्यास में विकसित हो जाते हैं। एक या दोनों स्तनों में एक या कई सिस्ट हो सकते हैं। सिस्ट के आमतौर पर कोई लक्षण नहीं होते हैं, हालांकि कुछ महिलाओं को दर्द महसूस हो सकता है। खासतौर पर मासिक चक्र के दौरान उनके आकार में वृद्धि होने पर दर्द होता है। यह स्तन कैंसर होने का खतरा असामान्य रूप से नहीं बढ़ाते हैं। स्तन का फोड़ा(Breast abscesses):स्तन का फोड़ा एक मवाद का संग्रह है, जो काफी दर्द करता है और यह स्तन की त्वचा के नीचे बनता है। यह इन वजहों का कारण भी बन सकता है:
स्तन के फोड़ों के बारे में और जानकारी के लिए पढ़ें। स्तन की गांठ के कारणएक कैंसर रहित स्तन की गांठ या दर्द कई अलग-अलग अवस्थाओं के कारण हो सकती है। इनमें निम्न शामिल हैं :
कभी-कभी स्तन में दर्द मासिक चक्र के कारण भी हो सकता है। इसे चक्रीय स्तन का दर्द कहते हैं। स्तन का दर्द जो मासिक चर्क से संबंधित न हो, उसे गैर चक्रीय स्तन का दर्द कहते हैं। स्तन की गांठ की पहचान कैसे करें, इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए पढ़ें। हार्मोन्स सौम्य यानी कैंसर रहित स्तन की गांठ बनने का सबसे सामान्य कारण हार्मोन में परिवर्तन होता है। हार्मोन शरीर में बनने वाले ऐसे रसायन होते हैं, जिनके काफी विस्तृत प्रभाव होते हैं। कभी-कभी शरीर में हार्मोन्स के स्तर में बदलाव की वजह से स्तन में गांठ या सूजन महसूस हो सकती है। हार्मोन्स में बदलाव निम्न स्थितियों में हो सकते हैं :
स्तन की गांठ की पहचान कैसे की जाती है?स्तन की गांठ की पहचान कैसे की जाती है?यह ध्यान रखना जरूरी है कि आमतौर पर आपके स्तन कैसे दिखते और महसूस होते हैं, जिससे आप उनमें आने वाले किसी भी बदलाव को तुरंत पहचान सकें। स्तन पर गांठ नजर आने पर या दिखने में कोई अंतर या आकार में बदलाव लगने पर आप अपने डॉक्टर को तुरंत दिखाएं। डॉक्टर आपसे कई तरह के सवाल कर सकते हैं, जिनमें शामिल हैं :
डॉक्टर गांठ समेत आपके दोनों स्तनों की जांच करेंगे और आगे की जांच के लिए परामर्श दे सकते हैं। कुछ जांच जो आपको करवानी पड़ सकती हैं, उन्हें नीचे बताया जा रहा है। मैमोग्राम(Mammogram)मैमोग्राम एक साधारण प्रक्रिया है, जिसमें एक्स-रे का इस्तेमाल कर अंदर से स्तनों की तस्वीर देखी जाती है। मैमोग्राम की मदद से स्तन के टिश्युस में शुरुआती दौर में बदलाव की पहचान की जा सकती है। अधिक उम्र की महिलाओं के मुकाबले युवा महिलाओं के स्तन सघन होते हैं, जिससे उनमें बदलाव की पहचान करना मुश्किल होता है। इसलिए मैमोग्राम 35 साल से कम उम्र की महिलाओं में उतने प्रभावशाली नहीं साबित होते हैं। अगर आपकी उम्र 35 साल से कम है तो डॉक्टर आपको ब्रेस्ट अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दे सकते हैं (नीचे देखें)। अगर आपके लिए मैमोग्राम कराना जरूरी है तो रेडियोग्राफर(एक्स-रे विशेषज्ञ) दोनों में से एक स्तन को सपाट एक्स-रे प्लेट पर रखते हैं। एक दूसरी एक्स-रे प्लेट स्तन को ऊपर से दबाती है, ताकि दोनों प्लेटों के बीच वह अस्थायी रूप से चपटी हो जाए। इसके बाद एक्स-रे लिया जाता है, जो स्तन के अंदर की साफ तस्वीर दिखाता है। पहला एक्स-रे लेने के बाद दूसरे स्तन पर भी यही प्रक्रिया अपनाई जाएगी। एक मैमोग्राम करने में कुछ मिनट का समय ही लगता है, मगर आपको यह असहज करने वाला या हल्का दर्द देने वाला भी हो सकता है। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद किसी असामान्य बात का पता लगाने के लिए मैमोग्राम (स्तनों का चित्र) का परीक्षण किया जाता है। अल्ट्रासाउंडअगर आप 35 साल से कम उम्र की हैं तो आपको ब्रेस्ट अल्ट्रासाउंड कराने का सुझाव दिया जा सकता है, क्योंकि आपके स्तन के ऊतक मैमोग्राम के लिहाज से काफी सघन हो सकते हैं। हालांकि 35 साल से अधिक उम्र की महिलाएं स्तन की गांठ की जांच के लिए अक्सर मैमोग्राम और अल्ट्रासाउंड दोनों करवाती हैं। अगर डॉक्टर को लगता है कि स्तन की गांठ सख्त है या उसमें तरल पदार्थ भरा है, तो वह आपको ब्रेस्ट अल्ट्रासाउंड कराने की भी सलाह दे सकते हैं। अल्ट्रासाउंड में हाई फ्रीक्वेंसी की ध्वनि तरंगों की मदद से स्तन के भीतर की तस्वीर निकाली जाती है। अल्ट्रासाउंड प्रोब या सेंसर को एक स्तन के ऊपर रखकर उसके द्वारा तैयार की गई तस्वीर को मॉनीटर पर देखा जाता है। यह तस्वीर उसके अंदर मौजूद गांठों या असामान्यता को उजागर करती है। अल्ट्रासाउंड स्कैन्स के बारे में और पढ़ें। बायोप्सी(Biopsy)मैमोग्राम या अल्ट्रासाउंड कराने के बावजूद अगर आपके स्तन की गांठ की पहचान नहीं हो पा रही है तो स्तन की बायोप्सी करानी पड़ सकती है। बायोप्सी एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें गांठ के टिश्यु का नमूना निकाल कर आगे की जांच के लिए भेजा जाता है। टिश्यु के नमूने के लेने के लिए आमतौर पर नीडल बायोप्सी (सीएनबी) की जाती है। कभी-कभी टिश्युके नमूने लेने के लिए या सिस्ट में भरा पदार्थ खाली करने के लिए फाइन नीडल एस्पिरेशन (FNA) बायोप्सी का भी उपयोग किया जाता है। नमूने लेने के लिए एक खोखली सुई त्वचा के भीतर से उस स्थान में डाली जाती है, जहां की जांच की जानी है। अल्ट्रासाउंड या एक्स-रे की मदद से डॉक्टर सुई को निर्देशित कर सटीक स्थान तक पहुँचाते हैं। सही जगह पहुंचने पर सुई टिश्यु के नमूने निकाल लेती है। अगर आप नीडल बायोप्सी कराने जा रही हैं तो दर्द या असुविधा से बचने के लिए लोकल एनेस्थेटिक की मदद से टिश्यु का नमूना लेने वाले स्थान को सुन्न कर दिया जाता है। बायोप्सी के बारे और जानकारी के लिए पढ़ें। स्तन की गांठ का इलाज:अधिकांश मामलों में कैंसररहित स्तन की गांठ जब तक विशेष रूप से बड़ी न हो या दर्द न कर रही हो, तब तक किसी तरह के इलाज की जरूरत नहीं होती है। कारण की पहचान के बाद आपके डॉक्टर किसी भी जरूरी इलाज के लिए सुझाव दे सकते हैं। अगर इलाज जरूरी नहीं है तो भविष्य में स्तन में बदलाव नजर आने पर दोबारा जांच के लिए कह सकते हैं। स्तन में दर्दस्तन में दर्द महसूस होने पर जितनी जल्दी हो डॉक्टर को दिखाना चाहिए। वे उसकी गहन जांच करते हैं और जरूरी होने पर आगे के टेस्ट कराने का सुझाव देते हैं। मासिक चक्र से संबंधित स्तन में दर्द के इलाज की अधिक जानकारी के लिए चक्रीय स्तन में दर्द के बारे में पढ़ें। अगर आपके स्तनों में दर्द मासिक चक्र से संबंधित नहीं है, तो इसमें आराम के लिए आप निम्न तरीके अपना सकती हैं :
दर्द निवारक दवाएं लेते समय उसके पैकेट पर लिखे निर्देश या उसके साथ मरीज के लिए मिलने वाली निर्देशिका पर्ची को पढ़कर यह सुनिश्चित कर लें कि दवा आपके लिए सही है और उसकी सही खुराक क्या रहेगी। डेनाजोल(Danazol)डेनाजोल दवा का इस्तेमाल कैंसर रहित फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट डिजीज (फाइब्रोएडिनोसिस) से संबंधित दर्द के इलाज के लिए किया जाता है। डेनाजोल सिर्फ डॉक्टरी पर्ची पर ही दी जाती है और आमतौर पर निगलने वाले कैप्सूल के रूप में आती है। यह शिशु को दूध पिलाने वाली या गर्भवती महिलाओं के लिए उपयुक्त नहीं है और इसके दुष्परिणाम भी हो सकते हैं। इसमें उबकाई और वजन बढ़ना शामिल है। दुष्परिणामों की पूरी सूची देखने या इस दवा के बारे में अधिक जानकारी के लिए डेनाजोल दवा के साथ मिलने वाली मरीज की जानकारी वाली पर्ची को या डेनाजोल दवा से संबंधित जानकारी देखें। अन्य इलाजकुछ विशेषज्ञों का सुझाव है कि स्तन के दर्द में कमी निम्न चीजों का इस्तेमाल कम करके भी लाई जा सकती है: कैफीन – चाय, कॉफी और कोला में पाई जाती है। सैचुरेटेड फैट - मक्खन, कुरकुरे और तले हुए भोजन में पाया जाता है। हालांकि खानपान में इस तरह के बदलावों के फायदे अभी तक साबित नहीं किए जा सके हैं। सर्जरीअगर आपकी गांठ बड़ी है, बढ़ रही है या इसमें अन्य लक्षण नजर आ रहे हैं, तो आपको सर्जरी से इसे निकलवाना पड़ सकता है। मसलन, अगर आपको निम्न दिक्कतें हैं तो सर्जरी आपके लिए जरूरी हो सकती है :
फाइब्रोएडिनोमा(Fibroadenomas):कुछ महिलाएं फाइब्रोएडिनोमा के बड़ा आकार का होने पर इसे निकालने का फैसला करती हैं। स्तन में गांठ को सर्जरी के जरिये निकालने को लम्पेक्टोमी कहते हैं और इसे जनरल एनेस्थेटिक के अंतर्गत किया जाता है। फाइब्रोएडिनोमा को निकालने के लिए एक वैकल्पिक विधि एक लेजर की मदद से इसे नष्ट करना है। यह प्रक्रिया लोकल एनेस्थेटिक की सहायता से की जाती है, मतलब मरीज होश में रहता है। लेज़र एक फाइबर के अंदर होती है, जिसे सुई के जरिए अंदर पहुंचाकर गांठ में अवस्थित किया जाता है। रोशनी की तरंगें फाइबर के रास्ते गांठ को खत्म करने के लिए पहुँचाई जाती हैं। स्तन की गांठ के इलाज में लेज़र के इस्तेमाल की सुरक्षा और प्रभावशीलता अभी अनिश्चित है और एक अध्ययन में कहा गया है ज्यादातर महिलाओं को यह काफी तकलीफदेह लगती है। ब्रेस्ट सिस्ट(Breast cysts)ब्रेस्ट सिस्ट में भरे तरल पदार्थ को निकालने के लिए कभी-कभी एक छोटी सुई और सिरिंज का इस्तेमाल किया जाता है। इसे एस्पिरेशन कहते हैं। सिस्ट को खाली करने के बाद आमतौर पर गांठ गायब हो जाती है। इस पदार्थ में खून के निशान का पता लगाने के लिए माइक्रोस्कोप से जांच के लिए लैबोरेटरी में भेजा जाता है या अल्ट्रासाउंड स्कैन से सिस्ट में ठोस क्षेत्र की मौजूदगी की जांच की जाती है। कभी-कभी खाली किए जा चुके ब्रेस्ट सिस्ट दोबारा भर जाते हैं या किसी दूसरे स्थान पर नया सिस्ट बन जाता है। सिस्ट दोबारा भरने जैसे, स्तन में किसी भी तरह का बदलाव नजर आने पर आपको अपने डॉक्टर से जरूर संपर्क करना चाहिए। सिस्ट को फिर से खाली किया जा सकता है, लेकिन इसके बार-बार भरने पर सर्जरी कर निकालना बेहतर होता है। स्तन में फोड़ा(Breast abscesses):स्तन का फोड़ा मवाद का कष्टकारी संग्रह होता है, जिसका इलाज पस निकालकर किया जाता है। इसे अमूमन अस्पताल के ब्रेस्ट एक्स–रे विभाग में अल्ट्रासाउंड की मदद से सुई के जरिए मवाद निकालकर किया जाता है। दुर्लभ मामलों में फोड़े में एक छोटा चीरा लगाकर मवाद निकाला जाता है। यह प्रक्रिया अस्पताल में लोकल या जनरल एनेस्थेटिक की मदद से की जाती है। स्तन के फोड़े के इलाज के बारे में अधिक जानकारी के लिए पढ़ें। क्या आप स्तन में गांठें होने से रोक सकती हैं ?क्या आप स्तन में गांठें होने से रोक सकती हैं ?अधिकांश स्तन की गांठों को होने से नहीं रोका जा सकता है, क्योंकि ये हार्मोन परिवर्तन की वजह से होती हैं, जिन पर आपका कोई नियंत्रण नहीं होता है। हालांकि स्तन की गांठ बनने पर जितनी जल्दी हो सके उसकी पहचान की जानी जरूरी है और स्तन कैंसर की आशंका को दूर करने के लिए अपने डॉक्टर से इसकी जांच जरूर कराएं। स्तन को लेकर जागरूकता महिलाओं के लिए स्वास्थ्य विभाग का सुझाव है कि उन्हें अपने स्तनों के बारे में जागरूक होना चाहिए और उन्हें अपने स्तनों की नियमित रूप से जांच के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। स्तनों के बारे में जागरूक होने का अर्थ है कि आप जानें कि आपके स्तनों के लिए सामान्य क्या है। यह इसलिए जरूरी है, ताकि आप गांठ जैसे संकेत या लक्षण आसानी से और जल्दी पहचान सकें। नीचे दी जा रही सलाह आपको स्तनों के बारे में जागरूक बनाने में मदद कर सकती है। बेड पर लेटते समय या नहाते समय शावर में साबुन वाले हाथों से आप अपने स्तनों को छूकर महसूस कर सकती हैं। बॉडी लोशन के इस्तेमाल से मदद मिल सकती है। बाजुओं के बगल (कांख) समेत पूरे स्तन को महसूस करना जरूरी है। आईने में अपने स्तनों को देख सकती हैं। अपने हाथों को अपने सिर के ऊपर, कूल्हों के ऊपर या अपनी तरफ से घुमाएं ताकि आप स्तनों को नीचे की और हर कोण से देख सकें। अधिक उम्र की महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा अधिक होता है, लिहाजा मेनोपॉज के बाद असामान्य बदलाव की जानकारी होना बेहद जरूरी है। गर्भावस्था, स्तनपान, मासिक धर्म के दौरान और मेनोपॉज जैसी जीवन की घटनाओं और उम्र के साथ स्तनों में बदलाव आता है। इसलिए यह जानना जरूरी है कि आपके लिए सामान्य क्या है, ताकि किसी भी बदलाव की पहचान की जा सके। स्तनों के बारे में कैसे जागरूक बनें और संकेत व लक्षणों की अधिक जानकारी के लिए स्तन कैंसर के बारे में पढ़ें। स्तन पर गांठ का पता चलने पर जितनी जल्दी हो सके डॉक्टर से जांच जरूर कराएं। स्तन कैंसर स्क्रीनिंग: स्तनों की नियमित स्क्रीनिंग कराना भी बेहद जरूरी है, क्योंकि इससे दूसरे लक्षण या संकेत उभरने से पहले बहुत छोटे बदलाव की पहचान की जा सकती है। स्क्रीनिंग ऐसे लोगों की पहचान करने का एक तरीका है, जिनमें एक खास अवस्था विकसित होने का खतरा होता है। स्तन कैंसर के लिए मैमोग्राम्स का इस्तेमाल कर स्क्रीनिंग की जाती है। इस प्रक्रिया में एक्स-रे की मदद से स्तन के भीतर की तस्वीर ली जाती है। मैमोग्राम्स की अधिक जानकारी के लिए स्तन में गांठ की पहचान के बारे में पढ़ें। अगर आप स्क्रीनिंग की उम्र से नीचे हैं और स्तन में होने वाले बदलाव को लेकर चिंतित हैं या परिवार में स्तन कैंसर का इतिहास रहा है तो अपने डॉक्टर से बात करें। छाती में गिल्टी होने से क्या होता है?सौम्य यानी कैंसर रहित स्तन की गांठ बनने का सबसे सामान्य कारण हार्मोन में परिवर्तन होता है। हार्मोन शरीर में बनने वाले ऐसे रसायन होते हैं, जिनके काफी विस्तृत प्रभाव होते हैं। कभी-कभी शरीर में हार्मोन्स के स्तर में बदलाव की वजह से स्तन में गांठ या सूजन महसूस हो सकती है।
छाती में गांठ हो जाए तो क्या करना चाहिए?चाहिए इतना कि अगर ब्रेस्ट में गांठ जैसा कुछ भी महसूस हो तो इग्नोर करें। तुरंत डॉक्टर के पास जाएं, क्योंकि हो सकता है यह कैंसर हो। लेकिन ब्रेस्ट कैंसर के आखिरी स्टेज पर पता चलने का एक कारण हिचकिचाहट और शर्म भी है।
छाती में गांठ हो जाए तो क्या करें Gharelu Upay?गांठ पर रूई से रोज नींबू का पानी लगाए, इसमें एंटी इंफ्लेमेटरी गुण जाते हैं, जो सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं. सेब का सिरका भी गांठ पर लगाया जा सकता है क्योंकि इसके इस्तेमाल से शरीर डिटॉक्सीफाई होता है, इम्यून सिस्टम बेहतर होता है और रक्त संचार भी ठीक हो सकता है.
गिल्टी कौन सी बीमारी है?गिल्टी एक तरह का ट्यूमर यानी कि गाँठ है. इसकी वजह से कई लोगों को परेशानी होती है. गिल्टी, हमारे शरीर के विभिन्न हिस्सों जैसे कि हमारे गर्दन, जांघ और शरीर के अन्य हिस्सों में उत्पन्न होता है. कई लोग इसे इग्नोर करते हैं लेकिन हम आपको बता दें कि ये एक बेहद गंभीर बिमारी है.
|