समुदाय को सामान्य जीवन का एक क्षेत्र कहकर किसने परिभाषित किया - samudaay ko saamaany jeevan ka ek kshetr kahakar kisane paribhaashit kiya

समुदाय का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं और समुदाय और समाज में अंतर

समुदाय की अवधारणा | Concept of Community

व्यक्ति समुदाय में रहकर ही अपना जीवन व्यतीत करता है। उदाहरण के लिए हम जिस गांव में रहते हैं वह समुदाय ही है। व्यक्तियों के किसी भी संगठन को समुदाय कहा जाता है। परंतु यह ठीक नहीं है, समाजशास्त्र में समुदाय शब्द का प्रयोग विशिष्ट अर्थ में किया जाता है। केवल व्यक्तियों का समूह ही समुदाय नहीं है। यह व्यक्तियों का एक ऐसा समूह है जो किसी निश्चित भूभाग पर निवास करता है। समुदाय में सदस्यों का सामान्य जीवन व्यतीत होता है।

समुदाय किसे कहते हैं?

समुदाय व्यक्तियों का एक विशिष्ट समूह है, जो कि निश्चित भौगोलिक सीमाओं में निवास करता है।

समुदाय का अर्थ

समुदाय शब्द अंग्रेजी भाषा के कम्युनिटी Community शब्द का हिंदी रूपांतर है, जोकि लैटिन भाषा के 'कॉम' (Com) तथा 'म्यूनीस' (Munis) शब्दों से मिलकर बना है।

  • यहां 'कॉम' शब्द का अर्थ 'एक साथ' (Together) है।
  • और 'म्यूनीस' शब्द का अर्थ सेवा करना (To sarve) है।

अतः समुदाय का शाब्दिक अर्थ ही एक साथ सेवा करना है। समुदाय व्यक्तियों का वह समूह है जिसमें उनका सामान्य जीवन व्यतीत होता है। इसी आधार पर समुदाय समिति से भिन्न है। समुदाय के निर्माण के लिए व्यक्तियों के समूह के दो बातों का होना अनिवार्य है।

1. निश्चित भू-भाग

2. इनमें रहने वालों में सामुदायिक भावना का होना।

समुदाय की परिभाषा

बोगर्ड्स के अनुसार- “समुदाय एक ऐसा सामाजिक समूह है जहां रहने वाले लोगों में हम की भावना होती है तथा एक निश्चित भूभाग पर निवास करते हैं।”

डेविस के अनुसार- “समुदाय सबसे छोटा समूह है, जिसमें सामाजिक जीवन के सभी पहलु आ जाते हैं।”

ऑगबर्न तथा निमकॉफ के अनुसार- “किसी निश्चित क्षेत्र में रहने वाले सामाजिक जीवन के संपूर्ण संगठन को समुदाय का होता है।”

ग्रीन के अनुसार - “व्यक्तियों का वह समूह जो जीवन की सामान्य ढंग को अपनाते हैं एक स्थानीय क्षेत्र समूदाय है।”

मैन्जर के अनुसार- “वह समाज जो एक निश्चित भू-भाग में रहता है, समुदाय कहलाता है।”

समुदाय की प्रमुख विशेषताएं | समुदाय का महत्व लिखिए

1. सामुदायिक भावना- सामुदायिक भावना ही समुदाय की नींव है। समुदाय के सदस्य अपने हितों की पूर्ति के लिए ही नहीं सोचते बल्कि वे सभी समुदाय का ध्यान रखते हैं।

2. हम की भावना- समुदाय में रहने वाले लोगों में हम की भावना निहित होती है। हम की भावना दायित्व तथा निर्भरता की भावना समुदाय के सभी सदस्यों को एक सूत्र में बांधने में सहायता कर देती है।

3. आत्मनिर्भरता- सामान्य जीवन एवं जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए समुदाय में आत्मनिर्भरता पाई जाती है। प्राचीन समाज में समुदाय काफी सीमा तक आत्मनिर्भर थे। परंतु आज यह विशेषता प्रायः समाप्त हो गई है।

4. अनिवार्य सदस्यता- समुदाय की सदस्यता अनिवार्य होती है। यह व्यक्ति के इच्छाओं पर निर्भर करती है। व्यक्ति जन्म से ही समुदाय का सदस्य बन जाता है, जिसमें उसका जन्म हुआ है। सामान्य जीवन के कारण समुदाय से अलग रह कर व्यक्ति की आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं हो सकती है।

5. स्थायित्व- इसकी अवधि व्यक्ति के जीवन से लंबी होती है। व्यक्ति समुदाय में पैदा होते हैं, तथा चले जाते हैं। लेकिन इसके बावजूद समुदाय का अस्तित्व बना रहता है। इसी कारण या स्थाई संस्था है।

6. विशिष्ट नाम- प्रत्येक समुदाय का कोई ना कोई नाम अवश्य होता है। इस नाम के कारण ही समुदाय की एकता का जन्म होता है। समुदाय का नाम ही व्यक्तियों में अपनेपन की भावना को प्रोत्साहित करता है।

7. सामान्य नियम- समुदाय की प्रमुख विशेषता यह है कि समुदाय के समस्त सदस्यों के व्यवहार सामान्य नियमों द्वारा नियंत्रित होते हैं। जब सभी व्यक्ति सामान्य नियमों के अंतर्गत कार्य करते हैं, तब उनमें समानता की भावना का विकास होता है। यह भावना समुदाय में पारस्परिक सहयोग की वृद्धि करती है।

8. सामान्य जीवन- प्रत्येक सप्ताह में रहने वाले सदस्यों का रहन-सहन, भोजन का ढंग व धर्म सभी काफी सीमा तक सामान्य होते हैं। समुदाय का कोई विशिष्ट लक्ष्य नहीं होता है। समुदाय के सदस्य अपना सामान्य जीवन समुदाय में ही व्यतीत करते हैं।

9. व्यक्तियों का समूह- समुदाय निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में निवास करने वाले व्यक्तियों का समूह है। समुदाय का निर्माण एक व्यक्ति नहीं करता है लेकिन समुदाय के लिए व्यक्तियों का समूह होना अति आवश्यक है।

मूर्त क्या है?

मूर्त अर्थात जिनसे हम बातें कर सकते हैं, देख सकते हैं और छू सकते हैं वह मूर्त कहलाता है। उदाहरण के लिए समुदाय, आपको पता होगा समुदाय व्यक्तियों का समूह है और उनसे हम बातें कर सकते हैं देख सकते हैं और छू सकते हैं।

अमूर्त क्या है?

अमूर्त अर्थात जिनसे हम ना ही बातें कर सकते हैं और ना ही देख सकते हैं अमूर्त कहलाता है। उदाहरण के लिए 'समाज' समाज को हम ना ही देख सकते हैं और ना छू सकते हैं और ना ही बातें कर सकते हैं इसलिए इसे अमूर्त कहते हैं।

समुदाय और समाज में अंतर | समाज और समुदाय में अंतर

समुदाय

1. समुदाय व्यक्तियों का एक समूह है।

2. व्यक्तियों का समूह होने के कारण समुदाय मूर्त है।

3. समुदाय के लिए सामुदायिक भावना अत्यंत आवश्यक है। समुदाय में सहयोगी सामाजिक संबंधों पर विशेष जोर दिया जाता है।

4. समुदाय का अपना एक विशिष्ट नाम होता है।

5. समुदाय समाज का एक भाग है। एक समुदाय में एक से अधिक समाज नहीं हो सकते।

समाज

6. समुदाय की प्रकृति क्षेत्रीय स्थानीय है। इसमें अनेक समूह समितियां संघ आदि होते हैं। समुदाय को विभिन्न भागों में बांटकर अध्ययन किया जा सकता है।

1. समाज सामाजिक संबंधों का जाल है।

2. सामाजिक संबंधों का जाल होने के कारण समाज अमूर्त है।

3. समाज के लिए सामुदायिक भावना आवश्यक नहीं है। समाज में सहयोगी और सहयोगी दोनों प्रकार के सामाजिक संबंध पाए जाते हैं।

4. समाज का अपना कोई नाम नहीं होता है।

5. समाज व्यापक है समाज में कई समुदाय हो सकते हैं।

6. समाज की प्रकृति समग्रता या संपूर्णता की होती है, जिसे विभिन्न भागों में बांट कर नहीं समझा जा सकता है।

इन्हे भी पढ़ें-

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समुदाय सामान्य जीवन का एक क्षेत्र है यह कथन किसका है?

एच0 मजूमदार के अनुसार, ''समुदाय किसी निश्चित भू-क्षेत्र, क्षेत्र की सीमा कुछ भी हो पर रहने वाले व्यक्तियों के समूह है जो सामान्य जीवन व्यतीत करते हैं''।

क्षेत्र समुदाय क्या है?

जब किसी समूह के सदस्य एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र से संबंधित हों, एक सामान्य जीवन व्यतीत करते हों और जीवन की किन्हीं एक या दो बातों मे ही नही बल्कि सामान्य जीवन की बहुत कुछ आधारभूत बातों को लेकर सम्बध्द हो तो उस समूह को समुदाय कहा जाता हैं।

समुदाय की सबसे अच्छी परिभाषा क्या है?

समुदाय उस छोटे या बड़े समूह को कहते हैं, जिसके सभी सदस्य किसी क्षेत्र की सीमा में इस प्रकार समग्र जीवन बिताते हैं, कि वे किसी विशेष हित की पूर्ति मात्र ही नहीं, बल्कि सामान्य जीवन की सभी बुनियादी शर्तों की पूर्ति में पारस्परिक सहयोग करte हैं।

समुदाय क्या है समुदाय की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए?

समुदाय में 'हम' भावना की व्यापकता का मुख्य कारण उनकी सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक समीपता से है । सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक रूप से समीप सदस्यों की समस्याओं एवं आवश्यकताओं में भी एकरूपता होने के कारण लोग एक दूसरे के काफी सन्निकट रहते हैं तथा एक दूसरे पर निर्भर रहते हैं ।