व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (सीटीबीटी) को ही कांप्रेहेन्सिव टेस्ट बैन ट्रीटी कहा जाता है। यह एक ऐसा समझौता है जिसके जरिए परमाणु परीक्षणों को प्रतिबंधित किया गया है। यह संधि 24 सितंबर 1996 को अस्तित्व में आयी। उस समय इस पर ७१ देशों ने हस्ताक्षर किया था। अब तक इस पर १७८ देशों ने हस्ताक्षर कर दिए हैं। भारत और पाकिस्तान ने सीटीबीटी पर अब तक हस्ताक्षर नहीं किया है। इसके तहत परमाणु परीक्षणों को प्रतिबंधित करने के साथ यह प्रावधान भी किया गया है कि सदस्य देश अपने नियंत्रण में आने वाले क्षेत्रें में भी परमाणु परीक्षण को नियंत्रित करेंगे। सीटीबीटी संद्घि में भागीदारी
सन्दर्भ[संपादित करें][[श्रेणी:बीसवीं शताब्दी की संधियां] समग्र परीक्षण प्रतिबंध संधि के प्रमुख प्रावधान क्या है बताइए?अब तक इस पर १७८ देशों ने हस्ताक्षर कर दिए हैं। भारत और पाकिस्तान ने सीटीबीटी पर अब तक हस्ताक्षर नहीं किया है। इसके तहत परमाणु परीक्षणों को प्रतिबंधित करने के साथ यह प्रावधान भी किया गया है कि सदस्य देश अपने नियंत्रण में आने वाले क्षेत्रें में भी परमाणु परीक्षण को नियंत्रित करेंगे।
परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि कब हुई?सीमित परमाणु परीक्षण संधि ( एल.टी. बी.टी. ) [ Limited Test Ban Treaty ( LTBT ) ] : इस संधि पर 5 अगस्त 1963 को अमेरिका , सोवियत संघ तथा ब्रिटेन द्वारा मास्को में हस्ताक्षर किये गए इसके द्वारा वायुमंडल , बाहरी अंतरिक्ष तथा जल के अंदर परमाणु परीक्षणों को प्रतिबंधित कर दिया गया । यह संधि 10 अक्तूबर , 1963 से प्रभावी गई ।
1995 में व्यापक परीक्षण प्रतिबंध संधि पर भारत का रुख क्या था?भारत ने सुझाव दिए। भारत ने इसका विरोध किया और इसकी जगह एक नई संधि की। भारत ने इस पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया।
भारत ने सीटीबीटी पर हस्ताक्षर क्यों नहीं किया?भारत का यह मानना है कि इस संधि के बिंदु परमाणु संपन्नता को लेकर देशों के बीच भेदभाव करने वाले हैं। यही वजह है कि भारत ने अभी तक सीटीबीटी पर हस्ताक्षर नहीं किया है।
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