प्रश्न 7-1: इस गीत की किन पंक्तियों को तुम अपने आसपास की जिदगी में घटते हुए देख सकते हो? Show उत्तर 7-1: इस गीत की निम्न पंक्तियों को हम आसपास की ज़िदगी में घटते देखते हैं। प्रश्न 7-2: ‘सागर ने रस्ता छोड़ा, परबत ने सीस झुकाया’ साहिर ने ऐसा क्यों कहा है? लिखो। उत्तर 7-2: कवि ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि संगठन में ही षक्ति होती है, और इस ताकत के सामने बड़े से बड़े तूफान भी हार मान लेते हैं। इसी के बल पर हमनें सागर को भी अपने अधीन कर लिया। पर्वत को भी अपने आगे झुका लिया। गीत में सीने और बाहों को फैला दी क्यों कहा गया है?गीत में सीने और बाँहों को फौलादी क्यों कहा गया है? Solution : सीने और बाँहों को फौलादी इसलिए कहा गया है कि सदा काम करने या मेहनत करते रहने से हमारा शरीर, हमारी भुजाएँ और छाती मजबूत हो गई हैं। हमें मेहनत करने से सदा सफलता मिलती है और हमारे सीने और भुजाएँ कभी हार नहीं मानती हैं।
सागर के रास्ता छोड़ने का क्या अभिप्राय है 1 Point?Question 7:. सागर ने रास्ता कब छोड़ा?प्रश्न 3. सागर ने रास्ता कब छोडा ? उत्तर: मेहनतवालों ने जब मिलकर कदम बढाया, तब सागर ने रास्ता छोडा।. एक अकेला, थक जाएगा, मिलकर बोझ उठाना।. साथी हाथ बढाना ।. मेहनत अपने लेख, की रेखा, मेहनत से क्या डरना।. अपनी मंजिल सच की मंजिल, अपना रस्ता नेक।. एक से एक मिले तो इंसाँ बस में कर ले किस्मत ।. सागर ने रास्ता छोड़ा पर्वत ने सिर झुकाया कवि ने ऐसा क्यों कहा है?प्रश्न 7-2: 'सागर ने रस्ता छोड़ा, परबत ने सीस झुकाया' साहिर ने ऐसा क्यों कहा है? लिखो। उत्तर 7-2: कवि ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि संगठन में ही षक्ति होती है, और इस ताकत के सामने बड़े से बड़े तूफान भी हार मान लेते हैं। इसी के बल पर हमनें सागर को भी अपने अधीन कर लिया।
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