रेटिना का इलाज कैसे किया जाता है? - retina ka ilaaj kaise kiya jaata hai?

रेटिनल आँसू, टुकड़ी को त्वरित ध्यान देने की आवश्यकता है

कांच का कर्षण, या परिधीय रेटिना में खींचना आंख की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया का एक स्वाभाविक और सामान्य हिस्सा है, जिससे रेटिना में आंसू या टुकड़ी हो सकती है। इस घटना के संकेतों और लक्षणों में दृष्टि में चमक या फ्लोटर्स की अचानक बौछार शामिल है।

यदि ये लक्षण होते हैं, तो संभावित रेटिनल डिटेचमेंट के जोखिम का आकलन करने के लिए आपको 1-3 दिनों के भीतर आपके नेत्र देखभाल प्रदाता द्वारा मूल्यांकन किया जाना चाहिए।

रेटिनल टियर तब होता है जब विटेरस ऊतक की पतली ऊतक परत को खींचता और तोड़ता है रेटिना, आंख के पीछे की पतली परत जो कैमरे की फिल्म की तरह काम करती है।

रेटिना के आँसू, डिटेचमेंट की मरम्मत की जा सकती है

क्रायो (ठंड), या लेजर (प्रकाश), रेटिनोपेक्सी के उपयोग से रेटिना के आँसू का इलाज किया जा सकता है। ये प्रक्रियाएं पतली रेटिना ऊतक को आंख की दीवार पर वेल्डिंग स्पॉट के बराबर हैं। यह द्रव को रेटिना परत के भीतर टूटने से रोकता है, क्योंकि इससे रेटिना डिटेचमेंट हो सकता है। रेटिनोपेक्सी एक कार्यालय सेटिंग में किया जाता है, आमतौर पर सामयिक या स्थानीय संज्ञाहरण के साथ।

एक रेटिनल डिटेचमेंट तब होता है जब द्रव रेटिनल टियर के नीचे माइग्रेट होता है और आंख की दीवार के पीछे से रेटिना को हटा देता है। जहां भी रेटिना आंख की दीवार से नहीं जुड़ा होता है वहां दृष्टि की हानि होती है। इस प्रकार, रेटिना टुकड़ी को दृष्टि बहाल करने के लिए तत्काल शल्य चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता होती है।

सर्जरी रेटिना विशेषज्ञ द्वारा निर्देशित की जाएगी। कभी-कभी कार्यालय में सर्जरी की जा सकती है; इसे ऑपरेटिंग रूम में अधिक व्यापक प्रक्रियाओं की आवश्यकता हो सकती है।

रेटिनल डिटेचमेंट की मरम्मत क्रायोपेक्सी या लेजर रेटिनोपेक्सी, हवा या गैस के बुलबुले, विट्रोक्टोमी (कांच के जेल को हटाने), या एक स्क्लेरल बकल (आंख की दीवार के चारों ओर सिलिकॉन बैंड) के साथ की जाती है।

सर्जरी बेहद सफल

पिछले दशक में रेटिना डिटेचमेंट सर्जरी में काफी सुधार हुआ है। सर्जिकल परिणाम अब लगभग 97 प्रतिशत समय में शारीरिक रूप से सफल होते हैं, रेटिना के शारीरिक लगाव के साथ कम से कम कुछ दृश्य कार्य ठीक हो जाते हैं।

दृश्य परिणाम सबसे अच्छे होते हैं जब केंद्रीय दृष्टि की भागीदारी से पहले अलगाव की खोज की जाती है और बिना किसी देरी के इलाज किया जाता है।

गैस या हवा के बुलबुले का उपयोग करने वाली रेटिनल सर्जिकल तकनीकों को सर्जन के निर्देशानुसार स्थिति की आवश्यकता होती है। इस उपचार के लिए यह भी आवश्यक है कि आप उच्च ऊंचाई से बचें - जैसे कि पहाड़ों में यात्रा करना या उड़ना - जब तक कि बुलबुला पूरी तरह से गायब न हो जाए।

रेटिना (दृष्टिपटल) ऊतकों की एक पतली परत होती है, जो आंख के पिछले भाग में अंदर की तरफ फैली होती है। यह ऑप्टिक नर्व के पास स्थित होती है। रेटिना का मुख्य कार्य उस रौशनी को प्राप्त करना होता है, जिस पर आंख का लेंस फॉकस कर रहा होता है। उसके बाद इस रौशनी को तंत्रिका संकेतों में बदल कर उसे मस्तिष्क तक भेज दिया जाता है।

मैक्युला रेटिना का वह भाग होता है, जो दूर रखी चीजों और रंगों को बारीकी से देखने व पहचानने में मदद करता है। मैक्युला एक ऐसा हिस्सा है, जिसमें  किसी भी टीवी या मॉनिटर स्क्रीन के मुकाबले अधिक फोटोरिसेप्टर (रौशनी के प्रति संवेदनशील होने वाली कोशिकाएं) होते हैं।

(और पढ़ें - आंखों में दर्द के लक्षण)

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आंख के परदे में थे छोटे-छोटे छेद, रेटिनल सर्जरी कर मरीज को दिखाई रोशनी

रायपुर। अंबेडकर अस्पताल के नेत्र रोग विभाग के विशेषज्ञों ने कोलकाता से आए मरीज को आंख की जटिल समस्या का सरल व सफल ऑपरेशन करके नई रोशनी दी। कोलकाता के नदिया जिला स्थित ग्राम- कल्याणी में रहने वाला 42 वर्षीय विश्वजीत हालदार पिछले कई सालों से बायीं आंख से कम दिखाई देने की समस्या से परेशान था।

चिकित्सकीय भाषा में वह टोटल रिग्मेटोजिनस रेटिनल डिटैचमेंट विद प्रोलिफरेटिव विट्रोरेटिनोपैथी चेंजर लेफ्ट आईज् से पीड़ित था। डॉक्टरों ज्रेटिनल डिटैचमेंटज् सर्जरी के जरिये अचानक धुंधली हुई दृष्टि को पुनः वापस दिलाने में सफलता प्राप्त कर ली।

रोग विशेषज्ञ डॉ० एके चंद्राकर एवं रेटिना सर्जन डॉ० संतोष सिंह पटेल से नेत्र की जांच करवायी। जांच के दौरान पता चला कि मरीज की बायीं आंख की रेटिना जिसे सामान्य बोलचाल की भाषा में आंख का परदा कहा जाता है, में छोटे-छोटे छेद हैं। डॉक्टर पटेल द्वारा मरीज की पृष्ठभूमि पूछे जाने पर मरीज विश्वजीत हालदार ने बताया कि चार साल पहले मरीज को चेचक हुआ था उसके बाद डायबिटीज।

धीरे-धीरे मरीज की बायीं आंख के चश्मे का नम्बर बढ़ने लगा और एक स्थिति ऐसी आयी की मरीज को केवल प्रकाश और अंधकार का ही भान रहने लगा। बाकी चीजें उसे दिखनी बंद हो गयीं।

लेजर पद्धति से बन्द किया छेद
मरीज की पृष्ठभूमि जानने और प्रारंभिक जांच के बाद डॉक्टरों ने आंख की सर्जरी की तैयारी की। लगभग साढ़े तीन घंटे चले इस सर्जरी में सबसे पहले मरीज के आंख के रेटिना के छोटे-छोटे छेद को लेजर पद्धति से बंद किया गया। उसके बाद सिलिकॉन ऑइल से रेटिना को चिपकाया। इस पूरी प्रक्रिया को रेटिनल डिटैचमेंट के नाम से जाना जाता है। साथ ही मरीज की च्पार्स प्लेना विट्रेक्टोमीज् अथवा पीपीवी (आंख के कांचाभ द्रव को निकालने की एक शल्य प्रक्रिया) की गई।

ऑपरेशन के बाद मरीज को 13 दिन के बाद चिकित्सालय से डिस्चार्ज किया गया। तब से लेकर अब तक मरीज के बायी आंख की रौशनी 75 से 80 प्रतिशत तक बढ़ गई है।

  • विट्रेक्टोमी- आंख में एक छोटा-सा चीरा लगाया जाता है। रेटिना को आंख की दीवार से चिपकाने की प्रक्रिया अपनाई जाती है।
  • सिलिकॉन आईल इंजेक्शन- रेटिना बेहतर ढंग से चिपका रहे इसके लिये तरल सिलिकॉन को इंजेक्शन के जरिये आंख में प्रवेश कराया जाता है।
  • लेंस प्रत्यारोपण- रेटिनल डिटैचमेंट सर्जरी के छह महीने बाद सिलिकॉन आईल को आंख से निकाल कर लेंस प्रत्यारोपित किया जायेगा।

कम खर्च बेहतर उपचार
गौरतलब है कि चिकित्सालय में गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले एवं स्मार्ट कार्ड धारक मरीजों का निः शुल्क उपचार किया जाता है। चूंकि इस केस में मरीज राज्य के बाहर दूसरे राज्य यानी कोलकाता से आया था ऐसे में मरीज को उम्मीद थी की इलाज में कहीं ज्यादा खर्च तो नहीं होगा लेकिन अधिकतम 8 से 10 हजार रूपये में मरीज की आंख का बेहतर इलाज हो गया।

मरीज की पत्नी सीमा हालदार कहतीं हैं- अन्य अस्पतालों में इस ऑपरेशन का खर्च 60 से 70 हजार रूपये या इससे कहीं ज्यादा है। ऐसे में डर था कि ज्यादा रूपयों की जरूरत तो नहीं होगी लेकिन इतने कम रूपयों में यहां वैसा ही इलाज हुआ जैसा कि निजी अस्पतालों में होता है। हम सब यहां के विशेषज्ञों के आभारी हैं कि उन्होंने मेरे पति के आंख की खोयी हुई रौशनी लौटा दी।

उन्नत तकनीक की मशीनें
विदित हो कि डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय के नेत्र रोग विभाग में रेटिना की सभी प्रकार की सर्जरी उपलब्ध है। साथ ही साथ आंखों के चेकअप के लिये एडवांस्ड तकनीक की मशीनें भी उपलब्ध हैं जिसमें आंख के एंजियोग्रॉफी की मशीन, लेजर मशीन और विट्रेक्टोमी मशीन शामिल है। चिकित्सालय के नेत्र रोग विभाग में 2012 से शुरू हुई रेटिना सर्जरी में अब तक लगभग 300 लोगों की रेटिना सर्जरी हो चुकी है।

पहुंच रहे हैं देश भर के मरीज
कम खर्च में बेहतर उपचार की उम्मीद लेकर चिकित्सालय के नेत्र रोग विभाग में महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, ओड़ीशा और कोलकाता से भी मरीज पहुंच रहे हैं।

विशेषज्ञों की टीम
रेटिनल डिटैचमेंट सर्जरी में शामिल विशेषज्ञों की टीम में वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ- डॉ० ए० के० चंद्राकर, डॉ० संतोष सिंह पटेल, डॉ० राजेश, डॉ० सुयश और डॉ० जयश्री शामिल थीं। डॉ० संतोष सिंह पटेल के मुताबिक रेटिनल डिटैचमेंट सर्जरी के 6 महीने बाद मरीज के आंख का एक और ऑपरेशन होगा जिसके बाद मरीज की आंखों में लेंस लगाया जायेगा।

क्या रेटिना का इलाज संभव है?

रेटिना ट्रीटमेंट (Retina Treatment in Hindi) यदि किसी को यह समस्या हो जाए तो सही समय पर उपचार करवाया जा सकता है, जिससे भविष्य में होने वाली तकलीफ से बचा जा सकता है। इसमें मैक्युला और उसके आसपास असामान्य रक्त वाहिकाओं को ठीक किया जाता है। मैक्युलर के उपचार में दवाएं, लेजर और सर्जरी की जाती है।

क्या रेटिना की सर्जरी होती है?

रेटिना के अलग होने के उपचार अलग हुए रेटिना की मरम्मत के लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है। यह प्रक्रिया आमतौर पर एक रेटिनल विशेषज्ञ द्वारा की जाती है - ऐसा नेत्र रोग विशेषज्ञ जो रेटिना विकारों की चिकित्सा और शल्य चिकित्सा उपचार में उन्नत प्रशिक्षण से गुजरा होता है।

रेटिना मजबूत करने के लिए क्या खाएं?

अपने आहार में संतरे, अंगूर, नींबू और जामुन जैसे फलों को शामिल करने से आपकी आंखें और पूरे शरीर को स्वस्थ रखने में मदद मिल सकती है। खट्टे फलों में विटामिन सी और विटामिन ई पाए जाते हैं जो आंखों की रोशनी को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।

रेटिना डैमेज होने पर क्या होता है?

रेटिनल में छेद Retinal tear :- एक रेटिना में छेद तब होता है जब आपकी आंख (कांच) के केंद्र में स्पष्ट, जेल जैसा पदार्थ सिकुड़ जाता है और आपकी आंख (रेटिना) के पीछे ऊतक की पतली परत पर टग जाता है, जिससे ऊतक में एक विराम होता है। यह अक्सर फ्लोटर्स और चमकती रोशनी जैसे लक्षणों की अचानक शुरुआत के साथ होता है।