इस लेख में हम भारतीय ध्वज संहिता यानी कि Indian flag code पर सरल और सहज चर्चा करेंगे, एवं इसके विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं को समझने का प्रयास करेंगे; Show
जैसे कि झंडा कब आधा झुका होता है, झंडे को कैसे फहराया जाना चाहिए, झंडे का अपमान कैसे होता है इत्यादि, तो लेख को अंत तक जरूर पढ़ें। आपको बहुत कुछ नया जानने को मिलेगा। | भारतीय ध्वज़ संहिता की पृष्ठभूमि (Background of Indian Flag Code)झण्डा किसी भी देश का हो वो देश का आन, बान और शान होता है और उसमे भी अगर भारत की बात करें; जहां झंडे का सम्मान देश का सम्मान माना जाता है। तो ये और भी जरूरी हो जाता है कि लोग झंडे के प्रति अपने व्यवहार को सम्मानजनक रखें। विधि एक उपयुक्त व्यवस्था है जिसके द्वारा झंडे के प्रति सम्मान को सुनिश्चित किया जा सकता है। इसी को ध्यान में रखकर इंडियन फ्लैग कोड (Indian flag code) नामक एक गाइडलाइंस 2002 में जारी किया गया जो कि झंडे का सार्वजनिक और निजी इस्तेमाल आदि के बारे में विस्तार से चर्चा करता है। यहाँ आपके दिमाग में एक बात आ सकता है कि अगर ये 2002 में बना है तो क्या इसके पहले इससे जुड़ा कोई कानून या गाइडलाइंस नहीं था? यहाँ ये समझना जरूरी है कि इससे संबन्धित 2 अधिनियम पहले से ही अस्तित्व में था: संप्रतीक और नाम (अनुचित प्रयोग का निवारण) अधिनियम 1950 और राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971। इसके अलावा 1976 में मूल कर्तव्य में भी झंडे के प्रति सम्मान की बात कही है फिर सवाल यही आता है कि जब ये सब पहले से था तो फिर Indian Flag Code लाने की क्या जरूरत पड़ी? दरअसल बात ये था कि अलग-अलग क़ानूनों के चलते चीज़ें बहुत ज्यादा स्पष्ट नहीं था। जैसे कि – ये कानून ये तो बताता था कि अगर कोई राष्ट्रीय झंडे का अपमान करता है या राष्ट्रीय प्रतीकों का गलत तरीके से इस्तेमाल करता है तो उसे कितनी और कौन सी सजाएँ मिल सकती है पर ये कानून ये नहीं बताता था कि झंडे को किस तरह फहराया जाना चाहिए या फिर झंडा फहराने का सही तरीका क्या है, इत्यादि। यही कारण था कि भारतीय ध्वज संहिता (Indian Flag Code) को लाया गया। ताकि झंडे से संबंधित सभी कानून, परम्पराएँ या निर्देश आदि एक जगह उपस्थित रहे। | इंडियन फ्लैग कोड अस्तित्व में कैसे आया? (How did the Indian flag code come into existence?)आपने नवीन जिंदल का नाम जरूर सुना होगा। ये बहुत बड़े उद्यमी और नेता है। (काँग्रेस के शासन काल में लोकसभा सांसद और कई संसदीय समितियों के सदस्य रह चुके है) कोलगेट घोटाले के बाद इनको बहुत प्रसिद्धि मिली थी क्योंकि इनका भी नाम इस घोटाले में शामिल था। पर जनाब ने कुछ अच्छे काम भी किए है। दरअसल हुआ ये कि 1990 के दशक में जनाब अमेरिका से एमबीए करके इंडिया लौटे थे, वहाँ रहने के दौरान उन्होने देख रखा था कि अमेरिकी झंडे का इस्तेमाल आप अपने विवेकानुसार जिस तरह से चाहे कर सकते है। इसीलिए 1992 में इंडिया लौटने के बाद उन्होने रायगढ़ (छतीसगढ़) स्थित अपने फैक्ट्री में एक बड़ा सा झंडा लगा दिया। पर बिलासपुर के आयुक्त (Commissioner) ने ये कहकर झंडा न फहराने का आदेश दिया कि किसी खास दिन को छोड़कर निजी तौर पर झंडा फहराना कानूनन अवैध है। तब जनाब ने हाइ कोर्ट में एक याचिका डाली कि कोई भी कानून भारत के किसी भी नागरिक को झंडा फहराने से कैसे रोक सकता है? तब ये बात बहुत ज़ोर-शोर से उछली और बहुत दूर तक गयी यानी कि सुप्रीम कोर्ट तक। लगभग 10 सालों तक कोर्ट मे ये मामला कोर्ट में अटके रहने के बाद 2002 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर तत्कालीन सरकार ने इंडियन फ्लैग कोड (Indian flag code) जारी किया। | फ्लैग फ़ाउंडेशन ऑफ इंडियाउसके बाद नवीन जिंदल ने फ्लैग फ़ाउंडेशन ऑफ इंडिया नामक एक गैर-सरकारी संस्था की स्थापना की जो कि बड़े-बड़े शहरों में बड़े-बड़े झंडे लगवाने के लिए प्रसिद्ध है। दिल्ली के Cannaught Place में जो बड़ा सा झंडा लगा है वो फ़्लैग फ़ाउंडेशन ऑफ इंडिया के द्वारा ही लगाया गया है। ⚫ भारत के ध्वज संहिता को सुविधा की दृष्टि से 3 भागों में बाँट दिया गया है। आइये प्रत्येक भाग का जो सबसे प्रमुख प्रावधान है उसे जानने की कोशिश करते हैं, | झंडे का सामान्य विवरण (General description of the flag)◾ झंडे के साइज़ का अनुपात हमेशा 3:2 होगा। यानी कि अगर झंडे की लंबाई 6 फुट है तो झंडे की चौराई जरूर 4 फुट होगा। ◾ झंडे की सबसे ऊपरी पट्टी हमेशा केसरिया रंग का, सबसे निचली पट्टी हमेशा हरा रंग का और मध्य भाग की पट्टी हमेशा सफ़ेद रंग का होगा। उस सफ़ेद पट्टी के अंदर एक नीले रंग का चक्र होगा जिसमें 24 तिलियाँ होगी। ◾ झंडा, ऊनी सूती, खादी या सिल्क का बना होना चाहिए और उस कपड़े की गुणवत्ता ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड के द्वारा निर्धारित मानकों पर खड़ा उतरना चाहिए (खासकर के तब जब उसे सरकारी तौर पर फहराया जाना हो)। | आम जनता, निजी संगठनों और शैक्षणिक संस्थानों द्वारा झंडा फहराने के नियम◾ झंडे का प्रयोग न किसी प्रकार की पोशाक या वर्दी के किसी भाग के रूप में किया जाएगा और न ही इसे तकियों, रुमालों, नैपकिनों अथवा ड्रेस सामग्री पर कढ़ाई या मुद्रित किया जाएगा। ◾ झंडे पर किसी प्रकार के अक्षर नहीं लिखे जाएँगे। [G] ◾ झंडे को किसी वस्तु के लेने, देने, पकड़ने अथवा ले जाने के आधार के रूप में प्रयोग नहीं किया जाएगा। हाँ, लेकिन स्वतंत्रता दिवस जैसे अवसर पर झंडे में गुलाब की पंखुड़ियाँ रखने में कोई आपत्ति नहीं होगी। ◾ झंडे का प्रयोग किसी प्रतिमा अथवा स्मारक को ढंकने के लिए नहीं किया जाएगा। [G] ◾ झंडे का प्रयोग न तो वक्ता की मेज़ को ढकने के लिए और न ही मंच के ऊपर लपेटने के लिए किया जाएगा। [G]
◾ झंडे को जानबूझकर जमीन अथवा फर्श को छूने या पानी में डूबने नहीं दिया जाएगा। ◾ झंडे को वाहन, रेलगाड़ी, नाव या वायुयान के ऊपर, बगल अथवा पीछे से ढकने के काम में नहीं लाया जाएगा। ⚫ साधारण जनता, किसी गैर-सरकारी संगठन के सदस्य या विद्यालय के सदस्य किन्ही अवसरों, समारोहों आदि पर झंडे को प्रदर्शित कर सकता है लेकिन निम्नलिखित शर्तों के अंदर;
नोट – यहाँ जहां-जहां ब्रैकेट में G लिखा हुआ है; इसका मतलब ये है कि वो नियम सरकार या सरकारी एजेंसियों के लिए भी Same ही है। दोहराव से बचने के लिए ऐसा किया गया है। | सरकार या सरकारी एजेंसियों द्वारा झंडा फहराने के नियम| झंडा फहराने का सही तरीका ◾ जब भी झंडा फहराया जाए तो उसे सम्मानपूर्ण स्थान दिया जाना चाहिए और उसे ऐसी जगह पर लगाना चाहिए जहां यह साफ-साफ दिखाई दे सके। ◾ सार्वजनिक इमारत पर झंडा सभी दिन और किसी भी मौसम में सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराया जा सकता है। विशेष स्थिति में ऐसे जगहों पर रात में भी झंडा फहराया जा सकता है। ◾ झंडे को तेजी के साथ ऊपर चढ़ाया जाएगा लेकिन धीरे-धीरे और आदर के साथ उसे उतारा जाएगा। ◾ यदि झंडा इमारत के अगले हिस्से या बालकनी या खिड़की पर आड़े या तिरछे फहराया जाए तो झंडे का केसरी रंगवाला भाग डंडे के उस सिरे की ओर जो खिड़की के छज्जे या बालकनी से सबसे दूर हो। ◾ यदि झंडा किसी कार पर अकेले फहराया जाएगा तो उसे कार के सामने दाईं ओर कसकर लगाए हुए एक डंडे पर फहराया जाएगा। | दुरुपयोग ◾ राज्य/सेना/केन्द्रीय अर्द्ध सैनिक बलों की ओर से किए जाने वाले मृतक संस्कारों के अलावा, झंडे का प्रयोग किसी भी रूप में लपेटने के लिए नहीं किया जाएगा। ◾ झंडा किसी गाड़ी, रेल-गाड़ी अथवा नाव के हुड, सिरे, बाजू या पिछले भाग पर नहीं लपेटा जाएगा। | राष्ट्रीय झंडे का दूसरे राष्ट्रों के झंडों तथा संयुक्त राष्ट्र संघ के झंडे के साथ फहराया जाना ◾ यदि राष्ट्रीय झंडा दूसरे राष्ट्रों के झंडों के साथ एक सीधी पंक्ति में फहराया जाए तो उसे सबसे दाईं ओर रखा जाएगा, जैसे कि आप इस चित्र में देख सकते हैं। ◾ दूसरे राष्ट्रों के झंडे राष्ट्रीय झंडे के बाद उन राष्ट्रों के अंग्रेजी नामों के वर्ण क्रम के अनुसार रखे जाएंगे। इस स्थिति में झंडे की पंक्ति के शुरू और अंत में राष्ट्रीय झंडा रखा जा सकता है और साथ ही वहाँ भी रखा जा सकता है जहां वर्णक्रम के अनुसार राष्ट्रों में उसका स्थान स्वाभाविक रूप से आता है। राष्ट्रीय झंडा सबसे पहले फहराया जाएगा और सबसे बाद में नीचे उतारा जाएगा। ◾ जब राष्ट्रीय झंडा और कोई दूसरा झंडा एक साथ किसी दीवार पर दो ऐसे डंडों पर फहराए जायें, जो एक-दूसरे को काटते हों, तो राष्ट्रीय झंडा दायीं ओर, अर्थात झंडे के अपने दाएं की ओर होगा और उसका डंडा दूसरे झंडे के डंडे के ऊपर रहेगा। जैसा कि नीचे की तस्वीर में दिखाया गया है; ◾ जब राष्ट्रीय झंडा दूसरे झंडों के साथ फहराया जाएगा तो सारे ध्वज-दंड बराबर आकार के होंगे। अंतर्राष्ट्रीय परंपरा के अनुसार शांति काल में किसी एक राष्ट्र के झंडे को दूसरे राष्ट्र के झंडे से ऊपर फहराना वर्जित है। ◾ वाहनों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने का विशेषाधिकार राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, मुख्य न्यायाधीश और उच्चतम न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों, प्रधान मंत्री और राज्यों के राज्यपालों और उपराज्यपालों, मुख्यमंत्रियों, राज्यों के उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों तथा केंद्रीय मंत्रियों, भारत की संसद के सदस्यों और भारतीय राज्यों (विधानसभा और विधान परिषद) के सदस्यों, और सेना, नौसेना और वायु सेना के चुनिंदे अधिकारी तक ही सीमित है। | भारतीय ध्वज संहिता के कुछ दिलचस्प नियम◾ जब भारतीय झंडे को अन्य राष्ट्रीय झंडे के साथ भारतीय क्षेत्र पर फहराया जाता है, तो सामान्य नियम यह है कि भारतीय ध्वज सभी झंडों का प्रारंभिक बिंदु होना चाहिए। और जब भी झंडे को एक सीधी रेखा में रखा जाता है, तो सबसे दाहिना झंडा भारतीय ध्वज होता है, जिसके बाद अन्य राष्ट्रीय ध्वज भी वर्णमाला के क्रम में होते हैं। ◾ अगर एक सर्कल में रखा जाता है, तो भारतीय ध्वज पहला बिंदु होता है और इसके बाद अन्य झंडे वर्णानुक्रम में होते हैं। इस तरह के प्लेसमेंट में, अन्य सभी झंडे लगभग एक ही आकार के होने चाहिए, जिसमें कोई भी दूसरा झंडा भारतीय ध्वज से बड़ा न हो। ◾ प्रत्येक राष्ट्रीय ध्वज को भी अपने स्वयं के पोल से फहराया जाना चाहिए और किसी भी ध्वज को दूसरे से ऊंचा नहीं रखा जाना चाहिए। इस नियम का एकमात्र अपवाद तब है जब इसे संयुक्त राष्ट्र के ध्वज के साथ फहराया जाता है, जिसे भारतीय ध्वज के दाईं ओर रखा जा सकता है। ◾ इन संवैधानिक पोस्ट राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधान मंत्री, भारत के मुख्य न्यायाधीश, स्पीकर [लोकसभा] को विदेश यात्रा पर ले जाने वाले विमान पर झंडा प्रिंट किया जा सकता है या उस विमान में फहराया जा सकता है। ◾ जब सरकार द्वारा प्रदान की गई कार में एक विदेशी गणमान्य व्यक्ति यात्रा करता है, तो झंडे को कार के दाईं ओर फहराया जाना चाहिए, जबकि विदेश के झंडे को बाईं ओर फहराया जाना चाहिए। | झंडे का आधा झुका होनानिम्नलिखित गणमान्य व्यक्तियों की मृत्यु की स्थिति में, राष्ट्रीय ध्वज गणमान्य व्यक्ति की मृत्यु के दिन निश्चित स्थानों पर आधा झुकाया जाएगा। ◾ प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति का ड्यूटी अवधि के दौरान मृत्यु पर राष्ट्रव्यापी रूप से झंडे को आधा झुका दिया जाता है। ◾ भारत के मुख्य न्यायाधीश या लोकसभा अध्यक्ष की मृत्यु पर दिल्ली में झंडा आधा झुका दिया जाता है। ◾ राज्यपालों, उप-राज्यपालों और मुख्यमंत्रियों तथा उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश की मृत्यु पर भी झंडे को आधा झुका दिया जाता है। भारत के ध्वज संहिता में हालिया संशोधनकेंद्र सरकार ने हाल ही में ‘हर घर तिरंगा’ अभियान शुरू करने में सहायता के लिए भारतीय ध्वज संहिता, 2002 में संशोधन किया है। आइए जानते हैं सरकार द्वारा किए गए बदलाव…..! संशोधन ने कपास, ऊन, रेशम और खादी के अलावा हाथ से काते, हाथ से बुने हुए और मशीन से बने झंडे बनाने के लिए पॉलिएस्टर के उपयोग की अनुमति दी। इससे पहले पॉलिएस्टर और मशीन से बने उपयोग की अनुमति नहीं थी। संशोधित ध्वज संहिता इतने बड़े पैमाने पर झंडों की उपलब्धता को सुगम बनाएगी और उन्हें आम जनता के लिए किफायती भी बनाएगी। संशोधन राष्ट्रीय ध्वज को खुले में प्रदर्शित करने या जनता के घर पर प्रदर्शित करने की अनुमति देता है और इसे दिन-रात फहराया जा सकता है। इससे पहले, तिरंगे को केवल सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराने की अनुमति थी, चाहे मौसम कुछ भी हो। संस्कृति मंत्रालय के अनुसार, 15 अगस्त, 75वें स्वतंत्रता दिवस तक देश भर में 20 करोड़ से अधिक घरों तक पहुंचने की योजना है। तो ये थी इंडियन फ़्लैग कोड (Indian flag code) की महत्वपूर्ण बातें फिर भी अगर आप इंडियन फ़्लैग कोड के एक-एक प्रावधान को पढ़ना चाहते है तो पीडीएफ़ यहाँ से डाउनलोड कर लीजिये। | Important LinksIndian Flag Code – Download Hindi PDF ???? | अन्य महत्वपूर्ण लेखबेरोजगारी क्या
है राष्ट्रीय ध्वज फहराने के कौन कौन से नियम हैं?ध्वजारोहण के नियम कानून
भारतीय झंडा हाथ से काते गए, हाथ से बुने गए ऊनी/ सूती/ सिल्क या खादी के कपड़े से बना होना चाहिए। झंडे की लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 ही होना चाहिए। ध्वजारोहण करते समय झंडे को आधा झुकाकर नहीं फहराना चाहिए। बिना आदेश तिरंगे को आधा नहीं फहराया जा सकता।
तिरंगे के अपमान में कौन सी धारा लगती है?ऐसे लोगों के खिलाफ भारतीय ध्वज आचार संहिता 2002 व राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971 की धारा-2 के तहत कार्रवाई की जाएगी जिसमें ३ वर्ष की सजा व जुर्माने का प्रावधान है या फिर दोनों ही हो सकते हैं।
राष्ट्रीय ध्वज कब और कहां फहराया जा सकता है?भारतीय ध्वज संहिता के अनुसार पहले केवल सूर्योदय के बाद राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता था, लेकिन इस नियम को अब निरस्त कर दिया गया है. तिरंगा अब दिन के 24 घंटों में किसी भी समय देश में किसी भी व्यक्ति के घर पर प्रदर्शित किया जा सकता है.
तिरंगे का अपमान कब होता है?स्वतंत्रता दिवस के बाद झंडे का क्या करें? देश में कागज के झंडे का चलन काफी ज्यादा है, लेकिन इस तरह के झंडे बाद में लोग फेंक देते हैं, ये पैरों के नीचे या कूड़े के ढेर में दिखाई देते हैं, जो राष्ट्रीय ध्वज का अपमान है। तिरंगे का इस्तेमाल करने के बाद में उसे मर्यादित तरीके से एकांत में रखना जरूरी है।
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