राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत में अंतर wikipedia - raashtragaan aur raashtrageet mein antar wikipaidi

आखिर राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान में क्या अंतर होता है?

फीचर डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: नवनीत राठौर Updated Fri, 14 Aug 2020 08:00 PM IST

'राष्ट्रगीत' और 'राष्ट्रगान' देश के उन धरोहरों में से हैं, जिनसे देश की पहचान जुड़ी होती है। प्रत्येक राष्ट्र के 'राष्ट्रगीत' और 'राष्ट्रगान' की भावनाएं भले ही अलग हों, लेकिन उनसे राष्ट्रभक्ति की भावना की ही अभिव्यक्ति होती है। स्वतंत्रता दिवस की 74वीं वर्षगांठ के मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं भारत के 'राष्ट्रगीत' और 'राष्ट्रगान' के बारे में, जिसको लेकर लोग अक्सर संशय में पड़ जाते हैं। दरअसल, दोनों के प्रति लोगों के मन में सम्मान का भाव रहता है, लेकिन कई बार लोग ठीक से बता नहीं पाते। तो चलिए सबसे पहले जानते हैं भारत के राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत के बारे में...

क्या है भारत का राष्ट्रगान?
जन-गण-मन अधिनायक जय हे
भारत भाग्य विधाता। 
पंजाब-सिंधु-गुजरात-मराठा
द्राविड़-उत्कल-बंग
विंध्य हिमाचल यमुना गंगा
उच्छल जलधि तरंग
तव शुभ नामे जागे, तव शुभ आशीष मांगे
गाहे तव जय-गाथा।
जन-गण-मंगलदायक जय हे भारत भाग्य विधाता।
जय हे, जय हे, जय हे, 
जय जय जय जय हे।

यह भारत का राष्ट्रगान है, जिसे अनेक अवसरों पर बजाया या गाया जाता है। इसकी रचना प्रख्यात कवि रविंद्रनाथ टैगोर ने की थी। यह मूल रूप से बांग्ला भाषा में लिखा गया था, लेकिन बाद में इसका हिंदी और अंग्रेजी में भी अनुवाद कराया गया। रविंद्रनाथ टैगोर ने राष्ट्रगान की रचना वर्ष 1911 में ही कर ली थी। इसे पहली बार 27 दिसंबर, 1911 को कोलकाता (तत्कालीन कलकत्ता) में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बैठक में गाया गया था। 24 जनवरी, 1950 को संविधान सभा द्वारा इसे स्वीकार किया गया। राष्ट्रगान के पूरे संस्करण को गाने में कुल 52 सेकेंड का समय लगता है।

राष्ट्रगान बजते समय ये सावधानी बरतना न भूलें
अधिकतर लोगों को नहीं पता होता कि राष्ट्रगान बजते समय क्या सावधानी बरतनी चाहिए। दरअसल, राष्ट्रगान जब भी कहीं बजाया जाता है तो देश के प्रत्येक नागरिक का ये कर्तव्य होता है कि वो अगर कहीं बैठा हुआ है तो उस जगह पर खड़ा हो जाए और सावधान मुद्रा में रहे। साथ ही नागरिकों से ये भी अपेक्षा की जाती है कि वो भी राष्ट्रगान को दोहराएं।

क्या है राष्ट्रगान 'जन-गण-मन' का अर्थ?
राष्ट्रगान वैसे तो मूल रूप से बांग्ला भाषा में लिखा गया था, जिसमें सिंध का भी नाम था। लेकिन बाद में इसमें संशोधन कर सिंध की जगह सिंधु कर दिया गया, क्योंकि देश के विभाजन के बाद सिंध पाकिस्तान का एक अंग हो चुका था।

राष्ट्रगान को अगर हम हिंदी में अनुवादित करें तो इसका मतलब होता है...

'सभी लोगों के मस्तिष्क के शासक, कला तुम हो,
भारत की किस्मत बनाने वाले।
तुम्हारा नाम पंजाब, सिन्धु, गुजरात और मराठों के दिलों के साथ ही बंगाल, ओडिसा, और द्रविड़ों को भी उत्तेजित करता है,
इसकी गूंज विन्ध्य और हिमालय के पहाड़ों में सुनाई देती है।
गंगा और जमुना के संगीत में मिलती है और भारतीय समुद्र की लहरों द्वारा गुणगान किया जाता है।
वो तुम्हारे आशीर्वाद के लिये प्रार्थना करते हैं और तुम्हारी प्रशंसा के गीत गाते हैं।
तुम्हारे हाथों में ही सभी लोगों की सुरक्षा का इंतजार है,
तुम भारत की किस्मत को बनाने वाले।
जय हो जय हो जय हो तुम्हारी।'

भारत का राष्ट्रगीत क्या है?
भारत का राष्ट्रगीत 'वंदे मातरम्' है। इसके रचयिता बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय हैं। उन्होंने इसकी रचना साल 1882 में संस्कृत और बांग्ला मिश्रित भाषा में किया था। यह स्वतंत्रता की लड़ाई में लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत था। इसे भी भारत के राष्ट्रगान 'जन-गण-मन' के बराबर का ही दर्जा प्राप्त है। इसे पहली बार साल 1896 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सत्र में गाया गया था। राष्ट्रगीत की अवधि लगभग 52 सेकेंड है। राष्ट्रगीत कुछ इस प्रकार है...

वंदे मातरम्, वंदे मातरम्!
सुजलाम्, सुफलाम्, मलयज शीतलाम्,
शस्यश्यामलाम्, मातरम्!
वंदे मातरम्!
शुभ्रज्योत्सनाम् पुलकितयामिनीम्,
फुल्लकुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्,
सुहासिनीम् सुमधुर भाषिणीम्,
सुखदाम् वरदाम्, मातरम्!
वंदे मातरम्, वंदे मातरम्॥

राष्ट्रगान देश प्रेम से परिपूर्ण एक ऐसी संगीत रचना है, जो उस देश के इतिहास, सभ्यता, संस्कृति और उसकी प्रजा के संघर्ष की व्याख्या करती है। यह संगीत रचना या तो उस देश की सरकार द्वारा स्वीकृत होती है या परंपरागत रूप से प्राप्त होती है।

इतिहास[संपादित करें]

सबसे पुराना राष्ट्रगान ग्रेट ब्रिटेन का 'गॉड सेव दि क्वीन' है, जिसे 1826 में राष्ट्रगान के रूप में वर्णित किया गया था, हालांकि 18 वीं सदी के मध्य से ही यह देश प्रेम के गीत के रूप में लोकप्रिय रहा तथा राजसी समारोहों में गाया जाता था। 19 वीं तथा 20 वीं सदी के आरंभ में अधिकांश यूरोपीय देशों ने ब्रिटेन का अनुसरण किया, कुछ राष्ट्रगान खास उद्देश्य से लिखे गए, जबकि अन्य को पहले से मौजूद धूनोन से अपनाया गया और भारत के राष्ट्रगान का नाम जन गण मन है|

प्रारंभिक रचनाएँ[संपादित करें]

कुछ ही राष्ट्रगान विख्यात कवियों या रचयिताओं द्वारा लिखे गए हैं। प्रथम ऑस्ट्रियाई राष्ट्रगान गॉड एरहाल्ते फ़्रेंज़ डेन कैसर (ईश्वर सम्राट फ़्रांसीसी की रक्षा करे) इसका विशिष्ट अपवाद है। इसकी रचना 1797 में जोज़ेफ़ हेडन ने की थी तथा बाद में (1929) पाठ को बदलकर सेई गेसनेट ओन एन्डे (हमेशा सौभाग्यशाली रहें) गाया गया। हेडन की धुन का जर्मन राष्ट्रगान ड्युश्लैंड, ड्युश्लैंड ऊबर ऐले जर्मनी, में भी उपयोग किया गया था। जिसे 1922 में अंगीकार किया गया था। इसके तीसरे छंद ईनिकी अंड रेश अंड फ्रीही (एकता, अधिकार और स्वतंत्रता) से आरंभ करके इसका नाम बदलकर ड्यूश्लैंडलेड के नाम से जर्मनी के राष्ट्रगान के रूप में उपयोग जारी है। 1922 के पूर्व जर्मनी का राष्ट्रगान हील डिर इम सीगक्रांज़ (विजय की माला धारण करने वालों का अभिवाद) था। यह गॉड सेव द क्वीन की धुन पर गाया जाता था।

भारत का राष्ट्रगान[संपादित करें]

  • जन गण मन अधिनायक जय है (गान)
  • जन गण मन अधिनायक जय है (धुन)

भारत का राष्ट्रगान 'जन गण मन' है, जो मूलतः बांग्ला भाषा में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा लिखा गया था, जिसे भारत सरकार द्वारा 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रगान के रूप में अंगीकृत किया गया। इसके गायन की अवधि लगभग 52 सेकेण्ड निर्धारित है। गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर विश्व के एकमात्र व्यक्ति हैं, जिनकी रचना को एक से अधिक देशों में राष्ट्रगान का दर्जा प्राप्त है। उनकी एक दूसरी कविता 'आमार सोनार बाँग्ला' को आज भी बांग्लादेश में राष्ट्रगान का दर्जा प्राप्त है।

राष्ट्रगान के प्रकार[संपादित करें]

राष्ट्रगानों की भावनाएँ अलग होती हैं, इनमें शासकों के लिए प्रार्थना से लेकर राष्ट्रीय महत्त्व के युद्धों या बग़ावतों के संकेत से लेकर राष्ट्रभक्ति की भावना की अभिव्यक्ति होती है। संगीतात्मक गुणों की दृष्टि से राष्ट्रगान में अत्यधिक भिन्नता होती है; यह आवश्यक नहीं है कि संगीत की तरह ही पाठ या पद्य उसी राष्ट्र या देश के नागरिक द्वारा लिखा गया हो। राजनीतिक अथवा अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में परिवर्तन के कारण अक्सर पाठ परिवर्तित किया जाता है या नए राष्ट्रगान को अपना लिया जाता है। उदाहरणार्थ, भूतपूर्व सोवियत संघ ने 19वीं सदी के अंत में दो फ़्रांसीसी मज़दूरों द्वारा रचित एवं संगीतबद्ध कम्युनिस्ट इंटरनेशनल की जगह 1944 में गिम्न सोवेतस्कोगो सोयुन को राष्ट्रगान के रूप में अपनाया।

दक्षिण अफ्रीका का राष्ट्रगान अपने आप में कुछ अलग है, जिसमें पाँच देशों की ग्यारह आधिकारिक भाषाओं का प्रयोग किया गया है। राष्ट्रगान का पहला पद एक अलग भाषा में तथा शेष तीन पद प्रत्येक के साथ दो भाषाओं के बीच विभाजित है।

सावधानियाँ[संपादित करें]

  • जब राष्‍ट्रगान गाया या बजाया जाता है तो श्रोताओं को सावधान की मुद्रा में खड़े रहना चाहिए। यद्यपि जब किसी चल चित्र के भाग के रूप में राष्‍ट्रगान को किसी समाचार की गतिविधि या संक्षिप्‍त चलचित्र के दौरान बजाया जाए तो श्रोताओं से अपेक्षित नहीं है कि वे खड़े हो जाएँ, क्‍योंकि उनके खड़े होने से फ़िल्‍म के प्रदर्शन में बाधा आएगी और एक असंतुलन और भ्रम पैदा होगा तथा राष्‍ट्रगान की गरिमा में वृद्धि नहीं होगी।
  • जैसा कि राष्‍ट्रीय ध्‍वज को फहराने के मामले में होता है, यह लोगों की अच्‍छी भावना के लिए छोड़ दिया गया है कि वे राष्‍ट्रगान को गाते या बजाते समय किसी अनुचित गतिविधि में संलग्‍न नहीं हों।

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • सारे राष्ट्रगान (मिडी फ़ॉरमैट में)
  • विश्व के सभी राष्ट्रगानों की संगीत लिपि
  • संगीत शब्द और संगीत लिपि (विश्व के सभी राष्ट्रगानों की)
  • विश्व के सभी राष्ट्रगानों की रेकार्डिंग (यू एस नेवी के बैड द्वारा)
  • राष्ट्रों व अन्य क्षेत्रों के राष्ट्रगानों का संग्रह एमपी३ प्रारूप में. Vocal renditions are included.

राष्ट्रगान and राष्ट्रगीत में क्या अंतर?

राष्ट्रगान का उस देश की सभी राष्ट्रीय महत्व के अवसरों पर गाना अनिवार्य होता है। जबकि राष्ट्र गीत हर उस अवसर पर गाना अनिवार्य नहीं है। वहीं राष्ट्रगान 'जन-गण-मन अधिनायक जय हे, भारत भाग्य विधाता' को संवैधानिक दर्जा प्राप्त है। लेकिन वंदे मातरम्' को राष्ट्रीय गीत (National Song ) का दर्जा प्राप्त है।

गीत और गान में क्या अंतर है?

इसे भी भारत के राष्ट्रगान 'जन-गण-मन' के बराबर का ही दर्जा प्राप्त है। इसे पहली बार साल 1896 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सत्र में गाया गया था। राष्ट्रगीत की अवधि लगभग 52 सेकेंड है।