राजस्थान के वन एवं पर्यावरण मंत्री कौन है - raajasthaan ke van evan paryaavaran mantree kaun hai

राजस्थान के वन मंत्री हेमाराम चौधरी है। हेमाराम चौधरी वर्तमान समय में राजस्थान सरकार के कैबिनेट मंत्री है। हेमाराम चौधरी जो वर्तमान में गुडामालानी के विधायक है। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान गुडामालानी में विधायक पद पर बहुमत के साथ जीते थे। 

हेमाराम चौधरी कांग्रेस पार्टी के एक प्रमुख नेता माने जाते हैं। हेमाराम चौधरी जो कांग्रेस पार्टी से विधानसभा चुनाव में गुड़ामालानी निर्वाचन क्षेत्र से छह बार विधायक रहे हैं।

हेमाराम चौधरी का परिचय

  • पूरा नामः हेमाराम चौधरी 
  • निकनेमः हेमजी
  • जन्म दिनांकः 18 जनवरी 1948 
  • उम्रः 74 वर्ष 
  • जन्म स्थानः बायतु बाड़मेर
  • राजनीतिक दलः भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 
  • पढ़ाईः जय नारायण व्यास यूनिवर्सिटी जोधपुर 
  • राष्ट्रीयताः भारतीय 
  • पदः विधायक और वन मंत्री

हेमाराम चौधरी इन विभाग में भी शामिल

  • पर्यावरण विभाग 
  • वन विभाग

वन मंत्री के उद्देश्य

  • पर्यावरण प्रदूषण को कम करने की जिम्मेदारी
  • पर्यावरण को साफ-सुथरा रखने में जागरूकता फैलाना
  • लुप्त होने की कगार पर वन्य जीवो को संरक्षित करना
  • वनोन्मूलन को कम करना
  • वन व वन्य जीवो से संबंधित उचित प्रबंधन की जिम्मेदारी

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  • After 31 Years, Hemaram Was The Second Forest And Environment Minister From Barmer, There Was Discussion Of Revenue Because This Department Has Been In This District For 13 Years.

बाड़मेरएक वर्ष पहले

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राजस्थान के वन एवं पर्यावरण मंत्री कौन है - raajasthaan ke van evan paryaavaran mantree kaun hai

हेमाराम चौधरी, वन एवं पर्यावरण मंत्री

गहलोत सरकार के नए मंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह में सबसे पहले गुड़ामालानी विधायक हेमाराम चौधरी ने कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली थी। इससे चर्चाएं शुरू हो गई थी कि चौधरी को राजस्व या इससे महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी मिलेगी। सोमवार को मंत्रालय आवंटित किए गए। हेमाराम चौधरी को वन एवं पर्यावरण मंत्री बनाया गया। 31 साल बाद बाड़मेर को वापस वन मंत्रालय मिला है।

इससे पहले वर्ष 1990 में भैरोसिंह शेखावत की सरकार में पचपदरा विधायक मदनकौर को वन एवं पर्यावरण मंत्री बनाया था। हेमाराम चौधरी को कैबिनेट मंत्री की शपथ दिलाने के बाद राजस्व विभाग मिलने की बाड़मेर से जयपुर तक चर्चाओं के पीछे कारण यह था कि पिछले 26 साल में छह सरकारों में चार बार राजस्व मंत्री बाड़मेर के नेता रहे हैं। पिछले तीन कार्यकाल से बाड़मेर के पास लगातार राजस्व मंत्रालय रहा है।

वर्ष 1993 से अब तक 26 साल में छह सरकारें बनी, चार बार राजस्व मंत्री बाड़मेर जिले के विधायक बने

पावर: अब बाड़मेर के सत्ता में दो पावर सेंटर, जिम्मेदारी भी बढ़ी
गहलोत सरकार के मंत्रिमंडल में बायतु विधायक हरीश चौधरी को राजस्व मंत्री बनाया गया। तीन साल का कार्यकाल पूरा होने से पहले पार्टी स्तर पर पंजाब प्रभारी की जिम्मेदारी सौंपी गई। इसके बाद चौधरी ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। अब गुड़ामालानी विधायक हेमाराम चौधरी को वन एवं पर्यावरण मंत्री बनाया है। अब सत्ता में बाड़मेर के दो पॉवर सेंटर होंगे। क्योंकि हरीश चौधरी संगठन में होने के साथ राष्ट्रीय नेतृत्व तक पहुंच रखते हैं। वहीं हेमाराम चौधरी कैबिनेट मंत्री बनने से मजबूत हो गए हैं। इस स्थिति में दोनों नेताओं की जिम्मेदारी भी बढ़ गई है।

वजह: बेबाक व साफ छवि के कारण हेमाराम को मिला मंत्री पद
कैबिनेट मंत्री हेमाराम चौधरी की बेबाकी से बात रखने व जुबां के पक्के होने के कारण अलग ही पहचान है। विधानसभा का सत्र हो या फिर पार्टी स्तर की बैठक। वे अपनी बात खुलकर रखते हैं। गहलोत सरकार के दूसरे कार्यकाल के दौरान हेमाराम चौधरी राजस्व मंत्री थे। लीलाला में रिफाइनरी की जमीन को लेकर आंदोलन चल रहा था।

उस दौरान तत्कालीन बायतु विधायक कर्नल सोनाराम चौधरी से हेमाराम चौधरी की रिफाइनरी के मुद्दे को लेकर बहस हो गई। उस दौरान हेमाराम चौधरी ने राजस्व मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। विधानसभा चुनाव 2013 में वे पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने को तैयार नहीं हुए।

पार्टी नेताओं ने दबाव बनाया तो भी नहीं माने। आखिर राहुल गांधी की समझाइश के बाद चुनाव लड़े। मई 2021 में सरकार से नाराज होकर विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा दिया था। हालांकि इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया।

इतिहास: 1993 में पहले राजस्व मंत्री बने थे गंगाराम चौधरी
प्रदेश में पिछले 26 साल में छह सरकारें बनी है। वर्ष 1993 में भैरोसिंह शेखावत के नेतृत्व में भाजपा की सरकार सत्ता में आई। विधायक गंगाराम चौधरी को राजस्व मंत्री बनाया गया। विधानसभा चुनाव 2008 में दूसरी बार गहलोत सरकार सत्ता में लौटी और गुड़ामालानी विधायक हेमाराम चौधरी को राजस्व मंत्री बनाया गया। 2013 में वसुंधराराजे सरकार में पचपदरा विधायक अमराराम चौधरी को राजस्व राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया। वर्ष 2018 में तीसरी बार गहलोत सरकार सत्ता में आई। इस दौरान मंत्रिमंडल में बायतु विधायक हरीश चौधरी को राजस्व मंत्री बनाया। यानी पिछले 26 साल में 6 सरकारों में चार राजस्व मंत्री बाड़मेर के नेता ही बने।

इतिहास: 1993 में पहले राजस्व मंत्री बने थे गंगाराम चौधरी
प्रदेश में पिछले 26 साल में छह सरकारें बनी है। वर्ष 1993 में भैरोसिंह शेखावत के नेतृत्व में भाजपा की सरकार सत्ता में आई। विधायक गंगाराम चौधरी को राजस्व मंत्री बनाया गया। विधानसभा चुनाव 2008 में दूसरी बार गहलोत सरकार सत्ता में लौटी और गुड़ामालानी विधायक हेमाराम चौधरी को राजस्व मंत्री बनाया गया। 2013 में वसुंधराराजे सरकार में पचपदरा विधायक अमराराम चौधरी को राजस्व राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया। वर्ष 2018 में तीसरी बार गहलोत सरकार सत्ता में आई। इस दौरान मंत्रिमंडल में बायतु विधायक हरीश चौधरी को राजस्व मंत्री बनाया। यानी पिछले 26 साल में 6 सरकारों में चार राजस्व मंत्री बाड़मेर के नेता ही बने।

राजनीति विश्लेषक : हेमाराम के पास राजस्व का अनुभव वन एवं पर्यावरण में काम चुनौतीपूर्ण
हेमाराम चौधरी राजस्व मंत्री रह चुके हैं। राजस्व विभाग का अच्छा नॉलेज भी है। राजस्व विभाग को लेकर बाड़मेर का मजबूत दावा था। क्योंकि पिछले ढाई दशक में चार राजस्व मंत्री बाड़मेर के नेता ही रहे हैं। इसकी वजह है किसान व राजस्व की समझ रखने वाले नेताओं को महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई। इस बार हेमाराम चौधरी को राजस्व की जगह वन एवं पर्यावरण मंत्रालय दिया गया।

  • नए विभाग को समझने में समय लगेगा। सबसे बड़ी चुनौती है कि धरातल पर काम करने की। क्योंकि विभाग में तीस से चालीस फीसदी पद खाली है। पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने की संभावनाएं खूब है, लेकिन काम करने के लिए धरातल पर कार्मिक चाहिए। इतना ही नहीं विभाग का सिस्टम भी दूसरे विभागों की तुलना में अलग है। इतना ही नहीं दूसरे विभागों की तुलना में बजट व पॉवर भी कम है। वन क्षेत्र व संरक्षण से जुड़े कार्यों के प्लान व क्रियान्विति करने की जिम्मेदारी है। -मदनकौर, पूर्व वन एवं पर्यावरण मंत्री।

एक्सपर्ट व्यू : राजस्थान में वन क्षेत्र बढ़ाना बड़ी चुनौती, सिर्फ 4 फीसदी है वन क्षेत्र
प्रदेश में वन एवं पर्यावरण की गाइड लाइन के अनुसार 33 फीसदी वन क्षेत्र होना चाहिए, लेकिन मौजूदा समय में सिर्फ 4 फीसदी वन क्षेत्र है। पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से वन क्षेत्र को बढ़ाना सबसे बड़ी चुनौती है। कोरोना काल में ऑक्सीजन का संकट गहराया और कई लोगों की जानें चली गई। वन व पर्यावरण का दायरा नहीं बढ़ेगा तो ऑक्सीजन की भरपाई कहां से होगी। वन एवं पर्यावरण मंत्री को महत्वपूर्ण निर्णय लेने होंगे तभी नतीजे सकारात्मक आएंगे।

राज्य सरकार की सभी योजनाओं में खर्च होने वाले बजट का एक फीसदी हिस्सा पौधरोपण पर खर्च करने का प्रावधान रखना चाहिए। जैसे किसी योजना से एक लाख रुपए खर्च हो रहे हैं तो उसमें से सिर्फ एक हजार रुपए पौधरोपण पर खर्च करें। मनरेगा योजना में करोड़ों रुपए खर्च हो रहे हैं। इस योजना में किसान व आम आदमी को हरित क्षेत्र बढ़ाने व पौधरोपण के लिए बजट आवंटन का प्रावधान रखा जाए। जब तक सरकार स्तर पर ठोस निर्णय नहीं होंगे तब तक पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अच्छे नतीजे सामने नहीं आएंगे।
(जैसा वन एवं पर्यावरण क्षेत्र में पद्मश्री से सम्मानित नागौर के हिम्मताराम भांभू ने भास्कर को बताया।)

राजस्थान के वर्तमान में वन एवं पर्यावरण मंत्री कौन है?

श्री भूपेंद्र यादव ने आज पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री के रूप में अपना पदभार ग्रहण कर लिया है।

वर्तमान में पर्यावरण मंत्री कौन हैं?

पर्यावरण मंत्री होने के साथ-साथ श्री प्रकाश जावड़ेकर भारत के सूचना और प्रसारण मंत्री भी हैं। वे इन दोनों मंत्रालयों के केंद्रीय मंत्री हैं। वे केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। भारत के वर्तमान कानून मंत्री कौन है?

भारत के पर्यावरण मंत्री कौन हैं 2022?

मार्च 2022 में भारत के केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने भारत की पर्यावरण स्थिति रिपोर्ट 2022 जारी की।

वर्तमान में राजस्थान के कृषि मंत्री कौन है?

लालचंद कटारिया भारतीय राजनीतिज्ञ तथा वर्तमान राजस्थान सरकार में कृषि मंत्री हैं। वे राजस्थान विधानसभा में झोटवाड़ा से विधायक हैं।