राजस्थान डेयरी विभाग की स्थापना कब हुई? - raajasthaan deyaree vibhaag kee sthaapana kab huee?

National Dairy Development Board (Statutory Body in India)

चित्र:National Dairy Development Board.gif
प्रकार Institute of National Importance
उद्योग डेरी विकास, डेरी सहकारिता
स्थापना 16 July 1965
संस्थापक Dr. Verghese Kurien
मुख्यालय Anand, Gujarat, India
वेबसाइट www.nddb.coop/hi

राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड, भारतीय संसद के एक अधिनियम द्वारा स्थापित राष्ट्रीय महत्व का संस्थान है। इसका मुख्यालय गुजरात के आनन्द शहर में है तथा क्षेत्रीय कार्यालय देश के विभिन्न नगरों में फैले हुए हैं।

राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड की स्थापना उत्पादकों के स्वामित्व और उनके द्वारा नियंत्रित संगठनों को प्रोत्साहित करने और उन्हें आर्थिक सहायता देने के उद्देश्य से की गई थी। राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के कार्यक्रम और गतिविधियों का उद्देश्य कृषक सहकारी संस्थाओं को सुदृढ़ करना तथा उन राष्ट्रीय नीतियों का समर्थन करना है जो ऐसी संस्थाओं के विकास केअनुकूल हैं।

राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड की स्थापना 1965 में शोषण के स्थान पर सशक्तिकरण, परम्परा के स्थान पर आधुनिकता और स्थिरता के स्थान पर विकास लाने के लिए की गई थी। इसका उद्देश्य डेरी उद्योग को भारत के ग्रामीण लोगों के विकास के साधन के रूप में परिवर्तित करना है।

राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड ने अपना कार्य लाखों साधारण दूध उत्पादकों के जीवन में डेरी उद्योग को बेहतर भविष्य का साधन बनाने के मिशन के रूप में शुरू किया। इस मिशन को “ऑपरेशन फ्लड” कार्यक्रम के द्वारा गति और दिशा मिली। यह कार्यक्रम 26 वर्षों से भी अधिक समय तक चला। विश्व बैंक की ऋण सहायता से चले इस कार्यक्रम के फलस्वरूप भारत विश्व का सबसे अधिक दूध उत्पादन करने वाले देश के रूप में उभरा। ऑपरेशन फ्लड का तृतीय चरण 1996 में समाप्त हुआ। ऑपरेशन फ्लड की अनेक महत्वपूर्ण उपलब्धियां हैं।

मार्च 2019 की स्थिति के अनुसार, भारत की 1,90,500 ग्रामीण स्तर की सहकारी डेरियां 245 दुग्ध संघों तथा 22 महासंघों से जुड़ी हैं। इन्होंने प्रतिदिन औसतन, 508 लाख किलोग्राम दूध की अधिप्राप्ति की। वर्तमान में 1.69 करोड़ किसान ग्रामीण स्तर की सहकारी समितियों के सदस्य हैं।

अपने स्थापना काल से ही राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड ने भारत के डेरी उद्योग का आयोजन इस प्रकार किया है कि डेरी उद्योग के विकास की जिम्मेदारी दुग्ध उत्पादकों और उनके द्वारा रखे गए व्यावसायिकों को सौंपी है जो इनका संचालन करते हैं। साथ ही, राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड अन्य पण्य -वस्तु आधारित सहकारी संस्थाओं, संबंधित उद्योगों और पशु चिकित्सा जैविकों को सघन एवं राष्ट्रव्यापी स्तर पर बढ़ावा देता है।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • दुग्ध क्रांति

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड

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  • डेयरी सहकारिता एवं डेयरी विकास | Dairy development in Rajasthan
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  • डेयरी से संबंधित महत्वपूर्ण योजनाएं

👉 राजस्थान के पशुपालकों को दुग्ध का उचित मूल्य दिलाने एवं उपभोक्ताओं द्वारा शुद्ध व स्वास्थ्यवर्धक दुग्ध उत्पाद उचित मूल्य पर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से डेयरी सहकारिता की त्रिस्तरीय व्यवस्था लागू है।
👉 राजस्थान की डेयरी विकास कार्यक्रम गुजरात की आनंद सहकारी डेयरी संघ की अमूल्य पद्धति के आधार पर क्रियान्वयन किए जा रहे हैं, जिसका त्रिस्तरीय संस्थागत ढांचा निम्न है –

(i) शीर्ष स्तर – राजस्थान राज्य सहकारी डेयरी फेडरेशन
👉 मुख्यालय – जयपुर
👉 स्थापना – 1977
👉 उद्देश्य – राज्य में दुग्ध विकास कार्यक्रमों का संचालन करने के साथ ही उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर शुद्ध व स्वास्थ्यवर्धक दुग्ध उत्पाद उपलब्ध कराना एवं पशुपालकों को दुग्ध का उचित मूल्य दिलाना।

(ii) जिला स्तर – जिला दुग्ध उत्पादक संघ
👉 उद्देश्य – प्राथमिक दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों से दूध संकलन एवं दुग्ध उत्पादों का विपणन करना।
👉 RCDF से संबंध 21 जिला दुग्ध उत्पादक संघ कार्यरत हैं।

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(iii) प्राथमिक स्तर – प्राथमिक सहकारी दुग्ध उत्पादक समितियाँ
👉 ये समितियाँ दुग्ध उत्पादकों से दूध एकत्रित करके जिला दुग्ध उत्पादक संघ को उपलब्ध करवाने का कार्य करती है ऐसी 11095 समितियां राज्य में कार्यरत हैं।
👉 RCDF के अंतर्गत कार्यरत संस्थाएं एवं केंद्र
◾️ दुग्ध उत्पादक संयत्र – 17
◾️ दूध अवशीतन केंद्र – 17
◾️ दूध पाउडर उत्पादक संयंत्र – 6 (रानीवाड़ा, अजमेर, अलवर, जयपुर, हनुमानगढ़, बीकानेर)
◾️ पशु आहार केंद्र – 4 लालगढ़ (बीकानेर), नदबई (भरतपुर), तबीजी (अजमेर) एवं जोधपुर
◾️ बीज उत्पादक फार्म – रोजड़ी, पाल एवं बस्सी।
◾️ टैट्रापैक दूध संयंत्र – जयपुर
◾️ यूरिया मोलासिस ब्रिक प्लांट – 2 (अजमेर व जोधपुर)
◾️ फ्रोजन सीमन बैंक – बस्सी (जयपुर), ISO मानक प्राप्त प्रयोगशाला उत्पादन जहां पर कृत्रिम गर्भाधान हेतु देशी व विदेशी नस्ल के सांडों से हिमीकृत वीर्य संचित रहता है।

डेयरी से संबंधित महत्वपूर्ण योजनाएं

जनश्री बीमा योजना राजस्थान सहकारी डेयरी फेडरेशन की प्रदेश के दुग्ध उत्पादों की सामाजिक सुरक्षा एवं उनके बच्चों को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने की योजना, जो भारतीय जीवन बीमा निगम के सहयोग से संचालित की जा रही है।
👉 इस योजना के अंतर्गत ₹100 वार्षिक प्रीमियम में से 12.5% राशि आर.सी.डी.एफ., 12.5% जिला दुग्ध उत्पादक संघ, 30% प्राथमिक उत्पादक द्वारा वहन की जाति है।
👉 इसी बीमा योजना के अंतर्गत बीमित दुग्ध उत्पादक की दुर्घटना में मृत्यु या स्थाई अपंगता पर ₹75000 तथा अस्थाई अपंगता पर ₹37500 और स्वाभाविक मृत्यु पर ₹30000 की बीमा राशि दी जाती है।
👉 इसी बीमा योजना के अंतर्गत छात्र शिक्षा सहयोग निधि योजना दो बच्चों को ₹1200 प्रति छात्र प्रतिवर्ष की दर से अध्ययन हेतु दिया जाता है।

महिला डेयरी परियोजना – महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार की स्टेप योजना के अंतर्गत 20 जिलों में महिला डेयरी परियोजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इस परियोजना के अंतर्गत सबसे पहली महिला दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति भोजूसर गांव (बीकानेर) में प्रारंभ की गई।

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सरस सामूहिक आरोग्य बीमा योजना – RCDF द्वारा ICICI-Lombard Company के सहयोग से संचालित इस योजना के अंतर्गत दुग्ध उत्पादक, उसकी पत्नी व दो बच्चों का स्वास्थ्य बीमा कराया जाता है जिसमें साधारण बीमारी में ₹100000 की सीमा तक के चिकित्सीय खर्चे एवं असाधारण बीमारी की स्थिति में ₹200000 के चिकित्सीय खर्चे का पुनर्भरण किया जाता है।
👉 मेट्रो डेयरी परियोजना बस्सी (जयपुर) में निर्माणाधीन है
👉 प्रथम जर्म प्लाज्म केंद्र – बस्सी (जयपुर)
👉 द्वितीय जर्म प्लाज्म केंद्र – नारवा खिचियांन (जोधपुर)
👉 विदेशी पशु प्रजनन फार्म – बस्सी (जयपुर), जर्सी नस्ल के उन्नत सांडों का उत्पादन

👉 दुग्ध विज्ञान (डेयरी) महाविद्यालय, उदयपुर – महाराणा प्रताप कृषि एवं तकनीकी विश्वविद्यालय के अधीन संचालित राज्य का एकमात्र डेयरी महाविद्यालय 1978 में स्थापित किया गया।

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राजस्थान में डेयरी विभाग की स्थापना कब की गई?

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राजस्थान में Dairy उद्योग की शुरुआत कब हुई?

एक डेयरी फार्म दूध का उत्पादन करता है और एक डेयरी कारखाना संसाधन द्वारा कई किस्म के डेयरी उत्पाद तैयार करता है।

राजस्थान की सबसे बड़ी दूध डेयरी कौन सी है?

रानीवाड़ाजालोर-सिरोही जिला दुग्ध संघ, रानीवाड़ा डेयरी द्वारा इस दुग्ध संघ से जुडे जालोर एवं सिरोही जिले दुग्ध उत्पादक सदस्यों के आर्थिक हितों को मध्य नजर नजर रखते हुए दिनांक 21 अप्रैल से दुग्ध की खरीद की दर में 15/-रू प्रति किलों फैट में बढ़ोतरी की गई हैं।