रहीम के दोहे पाठ में हमें क्या शिक्षा मिलती है? - raheem ke dohe paath mein hamen kya shiksha milatee hai?

उत्तर – सगे-संबंधी रूपी संपति कई प्रकार के रीति-रिवाजों से बनते हैं। पर जो व्यक्ति आपके मुश्किल के समय में आपकी मदद करता है या आपको मुसीबत से बचाता है वही आपका सच्चा मित्र होता है।

प्रश्न-3 पेड़ और सरोवर का उदाहरण देकर रहीम जी क्या समझाना चाहते हैं?

उत्तर - पेड़ और सरोवर का उदाहरण देकर रहीम जी समझाना चाहते हैं कि जिस प्रकार पेड़ अपने ऊपर लगा हुआ फल कभी नहीं खाता है और सरोवर अपना पानी स्वंय नहीं पीता है उसी प्रकार सज्जन व्यक्ति भी अपना इक्कठा किया हुआ धन स्वंय पर न खर्च करके दूसरों के भले के लिए उपयोग में लाता है। 

प्रश्न-4 निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित-हिंदी रूप लिखिए-

जैसे-परे-पड़े (रे, ड़े)

उत्तर – (i) बिपति – विपत्ति

(ii)  बादर – बादल

(iii)  मछरी – मछली

(iv)  सीत –     शीत

प्रश्न-5 नीचे दिए उदाहरण पढ़िए-

(क) बनत बहुत बहु रीत।

(ख) जाल परे जल जात बहि।

उपर्युक्त उदाहरणों की पहली पंक्ति में ‘ब’ का प्रयोग कई बार किया गया है और दूसरी में ‘ज’ का प्रयोग। इस प्रकार बार-बार एक ध्वनि के आने से भाषा की सुंदरता बढ़ जाती है। वाक्य रचना की इस विशेषता के अन्य उदाहरण खोजकर लिखिए।

उत्तर – 1. चारू चंद्र की चंचल किरणें (यहाँ ‘च’ वर्ण की आवृति बार-बार हुई है)

2. रघुपति राघव राजा राम (यहाँ ‘र’ वर्ण की आवृति बार-बार हुई है)

प्रश्न-6 रहीम ने क्वार के मास में गरजने वाले बादलों की तुलना ऐसे निर्धन व्यक्तियों से क्यों की है जो पहले कभी धनी थे और बीती बातों को बताकर दूसरों को प्रभावित करना चाहते हैं? दोहे के आधार पर आप सावन के बरसने और गरजने वाले बादलों के विषय में क्या कहना चाहेंगे?

उत्तर – क्वार के मास में जो बादल आसमान में होते हैं वे सक्रिय नहीं होते। उन बादलों के पास पानी नहीं होता इसलिए केवल गरज कर ही रह जाते हैं, बरसते नहीं हैं। उसी प्रकार जो निर्धन हो गए हैं उनके पास धन नहीं होता वे केवल पुरानी बातें करते रहते हैं, कुछ कर नहीं पाते हैं। इसलिए कवि ने दोनों में समानता दिखाई है। दोहे के आधार पर सावन के बरसने वाले बादल धनी और क्वार के गरजने वाले बादल निर्धन कहे जा सकते हैं।

प्रश्न-7 पाठ में दिए गए दोहों की कोई पंक्ति कथन है और कोई कथन को प्रमाणित करने वाला उदाहरण। इन दोनों प्रकार की पंक्तियों को पहचान कर अलग-अलग लिखिए।

उत्तर - उदाहरण वाले दोहे –

(i) तरूवर फल नहिं खात है, सरवर पियत न पान। (उदाहरण)

   कहि रहीम परकाज हित, संपति-सचहिं सुजान|| (कथन)

(ii) थोथे बादर क्वार के, ज्यों रहीम घहरात। (उदाहरण)

   धनी पुरूष निर्धन भए, करें पाछिली बात|| (कथन)

(iii) धरती की-सी रीत है, सीत घाम औ मेह। (उदाहरण)

   जैसी परे सो सहि रहे, त्यों रहीम यह देह|| (कथन)

कथन वाले दोहे –

(1) कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीत।

  बिपति कसौटी जे कसे, तेई साँचे मीत||

(2) जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह।

     रहिमन मछरी नीर को, तऊ न छाँड़ति छोह||

प्रश्न-8 नीचे दिए गए दोहों में बताई गई सच्चाइयों को यदि हम अपने जीवन में उतार लें तो उनके क्या लाभ होंगे? सोचिए और लिखिए-

(क) तरुवर फल……………….सचहिं सुजान||

(ख) धरती की-सी……………….यह देह||

उत्तर -  (क) अर्थ- रहीम दास जी इन पंक्तियों में कहते हैं जिस प्रकार पेड़ अपने ऊपर फले हुए फल को कभी नहीं खाते हैं, तालाब कभी अपने अन्दर जमा किये हुए पानी को कभी नहीं पीता है उसी प्रकार सज्जन व्यक्ति भी अपना इक्कठा किये हुआ धन से दूसरों का भला करते हैं।

इस दोहे में बताई गई सच्चाई को यदि हम अपने जीवन में उतार लें तो हममें सहनशीलता आएगी और हम आने वाले कष्ट के लिए हमेशा तैयार रहेंगे, हमें दुख की अनुभूति कम होगी।

Haryana State Board HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 11 रहीम की दोहे Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 11 रहीम की दोहे

HBSE 7th Class Hindi रहीम की दोहे Textbook Questions and Answers

दोहे से

रहीम के दोहे Class 7 व्याख्या HBSE प्रश्न 1.
पाठ में दिए गए दोहों की कोई पंक्ति कथन है और कोई कथन को प्रमाणित करनेवाला उदाहरण। इन दोनों प्रकार की पंक्तियों को पहचान कर अलग-अलग लिखिए।
उत्तर :
वास्तविकता का वर्णन करने वाले दोहे कहि रहीम संपति सर्ग, बनत बहुत बहु रीति। विपति कसौटी जे कसे, तेई साँचे मीत।। अन्य सभी दोहे उदाहरण के माध्यम से संदेश देते हैं खैर खून खाँसी खुसी, और प्रीति मदपान। रहिमन दा न दवें, जानत सकल जहाना। जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह। रहिमन मछरी नीर को, तऊ न छाँड़ति छोह।। तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियत न पान। कहि रहीम परकाज हित, संपति-संचहि सुजान।। थोथे बादर पवार के, ज्यों रहीम पहरात। धनी पुरुष निर्धन भए, करें पाछिली बात।। धरती की-सी रीत है, सीत घाम औं मेह जैसी परे सो सहि रहे. त्यों रहीम यह देह।

पाठ 11 रहीम के दोहे HBSE 7th Class प्रश्न 2.
रहीम ने क्वार के मास में गरजनेवाले बादलों की तुलना ऐसे निर्धन व्यक्तियों से क्यों की है जो पहले कभी धनी थे और बीती बातों को बताकर दूसरों को प्रभावित करना चाहते हैं? दोहे के आधार पर आप सावन के बरसने और गरजनेवाले बदलों के विषय में क्या कहना चाहेंगे?
उत्तर :
रहीम ने आश्विन (क्वार) के महीने में आकाश में छाने वाले बादलों की तुलना निर्धन हो गए व्यक्तियों से इसलिए की है क्योंकि दोनों बड़बड़ा कर रह जाते हैं, कुछ कर नहीं पाते। बादल बरस नहीं पाते, निर्धन व्यक्ति का धन लौटकर नहीं आता।

दोहों से आगे

Chapter 11 Rahim Ke Dohe HBSE 7th Class प्रश्न 1.
नीचे दिए गए दोहों में बताई गई सच्चाइयों को यदि हम अपने जीवन में उतार लें तो उनके क्या लाभ होंगे? सोचिए और लिखिए :
(क) तरुवर फल ………………. सहि सुजान।।
(ख) धरती की-सी ………” यह देह।।
उत्तर :
(क) हम परोपकारी बन जाएँगी, लालच त्याग देंगे।
(ख) यदि हम इस दोहे के वर्णित यथार्थ को जीवन में स्वीकार कर लें तो हम कभी दुःखी नहीं रहेंगे। हम हर स्थिति में संतुष्ट रहेंगे।

HBSE 7th Class Hindi रहीम की दोहे Important Questions and Answers

अति लघुत्तरात्मक प्रश्न

रहीम के दोहे Class 7 HBSE  प्रश्न 1.
सच्चा मित्र कब साथ नहीं छोड़ता?
उत्तर :
सच्चा मित्र विपत्ति काल में साथ नहीं छोड़ता।

Class 7 Hindi Chapter 11 Hindi प्रश्न 2.
परोपकार की शिक्षा किन-किनके उदाहरण से मिलती है?
उत्तर :
तरुवर (पेड़) और सरवर (तालाब) के उदाहरण से।

रहीम के दोहे HBSE 7th Class प्रश्न 3.
किस मास के गरजने वाले बादल व्यर्थ हैं?
उत्तर :
क्वार मास के गरजने वाले बादल व्यर्थ हैं।

रहीम की दोहे प्रश्न उत्तर HBSE 7th Class प्रश्न 4.
धरती हमें क्या शिक्षा देती है?
उत्तर :
धरती हमें सहनशीलता की शिक्षा देती है।

लघुत्तरात्मक प्रश्न

रहीम के दोहे Class 7 HBSE प्रश्न 1.
रहीम ने सच्चे मित्र की क्या पहचान बताई है?
उत्तर :
रहीम ने सच्चे मित्र की यह पहचान बताई है कि वह विपत्ति की घड़ी में हमारे साथ खड़ा रहता है। जो मित्र विपत्ति की कसौटी पर खरा उतरता है, वही सच्चा मित्र है।

प्रश्न 2.
रहीम के दोहों से अनुप्रास अलंकार के उदाहरण छाँट कर लिखिए।
उत्तर :
अनुप्रास अलंकार के उदाहरण :

  1. बनत बहुत बहु रोति। (‘व’ वर्ण की आवृत्ति)
  2. खैर खून खाँसी खुसी (‘ख’ वर्ण की आवृत्ति)
  3. जाल पर जल जात (‘ज’ वर्ण की आवृत्ति)
  4. छाँडति छोह (‘छ’ वर्ण की आवृत्ति)
  5. संपत्ति संचहि सुजान (‘स’ वर्ण की आवृत्ति)।

रहीम की दोहे दोहों की सप्रसंग व्याख्या

1. कहि रहीम ……….. साँचे मीत॥

शब्दार्थ : संपत्ति सगे = धन होने पर अपने (Wealth)। बहुत रीत = तरह-तरह से (Different type)। विपत्ति = मुसीबत (Trouble)। कसौटी = जाँच (Test)। कसे = जो कसा जाए,खरा उतरे (Tested)।

सप्रसंग व्याख्या:
प्रसंग : प्रस्तुत दोहा रहीमदास द्वारा रचित है।

व्याख्या : रहीम कहते हैं कि जब धन मनुष्य के पास रहता है तब अनेक प्रकार के लोग सगे-संबंधी और रिश्तेदार बनने लगते हैं पर ऐसे लोगों को सच्चा मित्र नहीं कहा जा सकता। सच्चा मित्र तो वही होता है, जो मुसीबत रूपी कसौटी पर खरा उतरता है। जैसे खरा सोना कसौटी के पत्थर पर खरा उतरता है, उसी प्रकार सच्चा मित्र हर विपत्ति की घड़ी में साथ निभाता है।

विशेष : ‘विपत्ति-कसौटी’ में रूपक अलंकार है। ‘बनत बहुत बहु’ में अनुप्रास अलंकार है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. लोग कब सगे बनने का प्रयास करते हैं?
2. सच्चा मित्र कौन होता है?
उत्तर:
1. जब किसी के पास धन-सम्पत्ति होती है तब लोग उसके सगे बनने का प्रयास करते हैं।
2. सच्चा मित्र वह होता है जो विपत्ति की कसौटी पर खरा उतरता है अर्थात् मुसीबत के समय काम आता है।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. ‘संपत्ति सगे’ में किस अलंकार का प्रयोग है?
(क) अनुप्रास
(ख) पुनरुक्ति
(ग) यमक
(घ) श्लेष
उत्तर :
(क) अनुप्रास

2. साँचा मीत किसे कहा गया है?
(क) विपति की कसौटी पर खरा उतरने वाला
(ख) सच बोलने वाला
(ग) संपत्ति हड़पने वाला
(घ) मिलने वाला
उत्तर :
(क) विपति की कसौटी पर खरा उतरने वाला

2. खैर खून ………………… सकल जहान॥

शब्दार्थ : खैर – कत्था (Catechu)। बैर – शत्रुता (Enmity)। प्रीति = प्रेम (Love)। मदपान = शराब पीना (Drinking alcohol)। दाबै ” दबाने से (To press)। सकल = सारा (Whole)। जहान = संसार (I World)!

सप्रसंग व्याख्या:
प्रसंग : प्रस्तुत दोहा रहीमदास द्वारा रचित है। इसमें नीति संबंधी बात बताई गई है।

व्याख्या : रहीमदास बताते हैं कि कत्था, खून, खाँसी, खुशी, शत्रुता और प्रेम तथा शराब पीना दबाने या छिपाने से दबते-छिपते नहीं हैं। इनको सारा संसार जान ही जाता है। पान में कत्थे का रंग लाली लाता ही है. खून दिख जाता है, खाँसी रोकी या छिपाई नहीं जा सकती, बैर-प्रीति भी प्रकट होकर रहती है. शराबी की चाल भी उसका पता बता देती है। इनको दबाया नहीं जा सकता।

विशेष : ‘ख’ वर्ण की आवृत्ति के कारण अनुप्रास अलंकार का प्रयोग हुआ है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. किस-किसको दबाया नहीं जा सकता?
2 ‘जानत सकल जहान’ का क्या अर्थ है?
उत्तर:
1. कत्था, खून, खाँसी, खुशी, बैर-प्रीति और मदिरा सेवन को दबाया नहीं जा सकता।
2. इसका अर्थ है– इस बात को सारा संसार जानता है।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. ‘खैर खून खाँसी खुसी’ में किस अलंकार का प्रयोग है?
(क) पुनरुक्ति
(ख) अनुप्रास
(ग) यमक
(घ) श्लेष
(ख) अनुप्रास

2. ‘जहान’ शब्द किस भाषा का है?
(क) हिंदी का
(ख) उर्दू का
(ग) पंजाबी का
(घ) अंग्रेजी का
उत्तर :
(ख) उर्दू का

3. जाल परे ………………… छाँड़ति छोह॥

शब्दार्थ : तजि – त्यागना (To leave)। मीन – मछली (Fish)। नीर – पानी (Water)। छाँड़ति – छोड़ती (To leave)।

सप्रसंग व्याख्या:
प्रसंग : प्रस्तुत दोहा रहीमदास द्वारा रचित है।

व्याख्या : जब नदी या तालाब के पानी में जाल पड़ता है तब पानी तो मछलियों का मोह त्याग कर बह जाता है लेकिन मछली तब भी पानी का मोह नहीं त्यागती। वह या तो पानी में ही रहती है या पानी के बिना अपने प्राण त्याग देती है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. ‘जल को मछलियों से कोई मोह नहीं होता’-कैसे?
2. मछलियाँ किसके प्रति अपना लगाव नहीं छोड़ पाती?
उत्तर:
1. जल को मछलियों से कोई मोह (लगाव) नहीं होता, इसका प्रमाण है, जाल में मछलियों के फंसते ही जल उन्हें छोड़कर आगे बह जाता है।
2. मछलियाँ जल के प्रति अपना मोह नहीं छोड़ पाती। वे जल के लिए तड़पती रहती हैं और जल से बाहर होते ही अपने प्राण त्याग देती हैं।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. ‘छाँडति छोह’ में किस अलंकार का प्रयोग है?
(क) अनुप्रास
(ख) यमक
(ग) श्लेष
(घ) पुनरुक्ति
उत्तर :
(क) अनुप्रास

2. इस दोहे के रचयिता हैं
(क) रहीम
(ख) कबीर
(ग) तुलसी
(घ) सूर
उत्तर :
(क) रहीम

4. तरूवर फल ………… संचहि सुजान।

शब्दार्थ: तरुवर = वृक्ष (Tree)। सरवर – नदी (River)। पान = पानी (IWater)। परकाज = दूसरों का काम, परोपकार (For others)। संचहि . जोड़ता है (Collects)। सुजान – चतुर, बुद्धिमान (Intelligent)

सप्रसंग व्याख्या:
प्रसंग : प्रस्तुत दोहा रहीमदास द्वारा रचित है और हमारी पाठ्यपुस्तक ‘वसंत भाग-2’ में संकलित है।

व्याख्या : रहीमदास परोपकार का महत्त्व बताते हुए कहते हैं कि वृक्ष कभी अपने फल नहीं खाते और नदियाँ कभी अपना पानी स्वयं नहीं पीतीं। वे इन्हें दूसरों को ही देती हैं। इसी प्रकार बुद्धिमान लोग दूसरों की भलाई के लिए ही धन-संपत्ति का संग्रह करते हैं।

विशेष : ‘संपति-संचहि सुजान’ में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
1. तरुवर क्या नहीं करते?
2. तालाब क्या करता है?
3. बुद्धिमान लोग किसके लिए सम्पत्ति जोड़ते हैं?
उत्तर:
1. तरुवर अर्थात् पेड़ अपने फल नहीं खाते।
2 तालाब अपना पानी कभी नहीं पीते।
3. बुद्धिमान दूसरों की भलाई करने के लिए सम्पत्ति जोड़ते

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. इस दोहे से हमें किसकी शिक्षा मिलती है?
(क) परोपकार की
(ख) धन जोड़ने की
(ग) फल खाने की
(घ) पानी पीने की
उत्तर :
(क) परोपकार की

5. थोथे बादर …………. पाछिली बात।

शब्दार्थ : थोथे = खाली (Empty)। घहरात = घहराते हैं (To make noise)। पाछिली – पिछली (Previous)।

सप्रसंग व्याख्या:
प्रसंग : प्रस्तुत दोहा रहीमदास द्वारा रचित है।
व्याख्या : रहीमदास बताते हैं कि जिस प्रकार क्वार के महीने में खाली बादल केवल घहरा कर रह जाते हैं, बरस नहीं पाते, उसी प्रकार धनी व्यक्ति यदि गरीब हो जाए तो पिछली बातों याद को करके ही रह जाता है। वह कुछ कर नहीं पाता।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. कवि ने क्वार मास के बादलों को कैसा बताया है?
2. यदि धनी पुरुष निर्धन हो जाए तो वह क्या करता है?
उत्तर:
1. कवि ने क्वार मास के बादलों को थोथा अर्थात् बेकार गरजने वाला बताया है।
2 यदि कोई धनी पुरुष निर्धन हो जाए तो वह पिछली बातों का जिक्र करता रहता है, जो व्यर्थ है।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. ‘थोथे बादर’ में रेखांकित शब्द क्या है?
(क) संज्ञा
(ख) सर्वनाम
(ग) विशेषण
(घ) क्रिया
उत्तर :
(ग) विशेषण

2. ‘पाछिली’ शब्द कैसा है?
(क) तत्सम
(ख) तद्भव
(ग) देशज
(घ) विदेशी
उत्तर :
(ग) देशज

6. धरती की ……………. यह देह॥

शब्दार्थ : रीत = नियम (Rule)। सीत – सर्दी (Winter)। घाम = धूप, गर्मी (Summer)। मेह – वर्षा (Rain)। देह = शरीर (Body)।

सप्रसंग व्याख्या:
प्रसंग : यह दोहा रहीमदास द्वारा रचित है। दो चीजों की समानता बताते हुए रहीम कहते हैं

व्याख्या : जिस प्रकार यह धरती सर्दी, गर्मी और वर्षा सभी ऋतुओं को सह लेती है उसी प्रकार हमारा शरीर भी सभी प्रकार के कष्टों को सहन कर लेता है। जिस पर जैसी विपत्ति पड़ती है, उसे सह लेता है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. धरती क्या-क्या सह लेती है?
2. हमारा शरीर भी कैसा है?
उत्तर:
1. धरती शीत (सर्दी), घाम (धूप) और मेह (वर्षा) आदि ऋतुओं के प्रभाव को सह लेती है।
2. हमारा शरीर भी सभी प्रकार की स्थितियों को सहने वाला है।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. ‘घाम’ शब्द कैसा है?
(क) तत्सम
(ख) तद्भव
(ग) देशज
(घ) विदेशी
उत्तर :
(क) तत्सम

2. इए दोहे के रचयिता हैं
(क) रहीम
(ख) कबीर
(ग) तुलसी
(घ) सूरदास
उत्तर :
(ग) तुलसी

अपूर्व अनुभव Summary in Hindi

रहीम की दोहे कवि-परिचय

जीवन-परिचय :
रहीम का पूरा नाम अब्दुर्रहीम खानखाना था। रहीम अपने समय के वीर योद्धा, कुशल राजनीतिज्ञ और सहृदय कवि थे। इनका जन्म सन् 1556 ई. में लाहौर (पश्चिम पंजाब, पाकिस्तान) में हुआ था। ये अकबर के संरक्षण बैरमखाँ के पुत्र थे। रहीम अकबर के दरबार के नवरत्नों में से एक थे। ये अकबर के प्रधान सेनापति और मंत्री भी थे। ये वीर योद्धा थे और बड़े कौशल से सेना का संचालन करते थे। इनकी दानशीलता भी काफी प्रसिद्ध थी। कहते हैं अंत समय तक इनके यहाँ से किसी याचक को निराश नहीं लौटना पड़ा। सन् 1627 में इनकी मृत्यु हो गई। इनका मकबरा दिल्ली में बना हुआ है।

अध्ययन और ज्ञानार्जन में रुचि होने पर भी इन्हें युद्ध-क्षेत्र में ही अपने जीवन का अधिकतर समय व्यतीत करना पड़ा। इन्होंने अपने जीवन में अनेक उतार-चढाव देखे। अपनी बहादुरी और पराक्रम के लिए सूबेदारी और जागीरें भी मिलीं, सम्राट जहाँगीर के कोप के कारण दारिद्र्य भी भोगना पड़ा। अरबी, तुर्की, फारसी तथा संस्कृत के ये पंडित थे। हिंदी काव्य के ये मर्मज्ञ थे और हिंदी कवियों का बड़ा सम्मान करते थे।

रचनाएँ :
रहीम ने अनेक काव्य-ग्रंथों का प्रणयन किया है जिनमें से ‘रहीम सतसई’, ‘शृंगार सतसई’, ‘मदनाष्टक’, ‘रहीम रत्नावली’, ‘रासपंचाध्यायी’ तथा ‘बरवै नायिका भेद वर्णन’ प्रमुख हैं। इनकी रचनाओं का पूर्ण संग्रह ‘रहीम रत्नावली’ के नाम से प्रकाशित हुआ है। इन्होंने फारसी भाषा में भी ग्रंथों की रचना की है।

विशेषताएँ :
रहीम बड़े लोकप्रिय कवि थे। इनके नीति के दोहे तो सर्वसाधारण की जिह्वा पर रहते हैं। इनके दोहों में कोरी नीति की नीरसता नहीं है। उनमें मार्मिकता तथा कवि हृदय की सच्ची संवेदना भी मिलती है। दैनिक जीवन की अनुभूतियों पर आधारित दृष्टांतों के माध्यम से इनका कथन सीधे हृदय पर चोट करता है। इनकी रचना में नीति के अतिरिक्त भक्ति तथा शृंगार की भी सुंदर व्यंजना हुई है।

अगर रहीम जन-साधारण में अपने दोहों के लिए प्रसिद्ध थे, तो उन्होंने कवित्त, सवैया, सोरठा तथा बरवै छंदों में भी सफल काव्य रचना की है। रहीम का ब्रज और अवधी भाषाओं पर समान अधिकार था। इनकी भाषा सरल, स्पष्ट तथा प्रवाहपूर्ण है। इनकी रचना में भारतीय जीवन के सजीव चित्र अंकित हैं। रहीम ने खड़ी बोली में भी कुछ पद्य लिखे हैं।

रहीम दास जी के दोहे से हमें क्या शिक्षा मिलती है?

रहीम के दोहों से हमें सीख मिलती है कि हमें अपने मित्र का सुख-दुख में बराबर साथ देना चाहिए। हमारे मन में परोपकार की भावना होनी चाहिए। जिस प्रकार प्रकृति हमारे लिए सदैव परोपकार करती है, उसी प्रकार हमें दूसरों की मदद करनी चाहिए। रहीम वृक्ष और सरोवर की ही तरह संचित धन को जन कल्याण में खर्च करने की सीख देते हैं।

मछली के माध्यम से रहीम ने क्या शिक्षा दी है?

इस दोहे में रहीम दास जी ने मछली के जल के प्रति घनिष्ट प्रेम को बताया है। वो कहते हैं मछली पकड़ने के लिए जब जाल पानी में डाला जाता है तो जाल पानी से बाहर खींचते ही जल उसी समय जाल से निकल जाता है। परन्तु मछली जल को छोड़ नहीं सकता और वह पानी से अलग होते ही मर जाता है।

रहीम के दोहे काव्य पाठ के आधार पर धरती से हमें क्या सीख मिलती है?

रहीम मनुष्य को धरती से सीख देना चाहता है कि जैसे धरती सरदी, गरमी व बरसात सभी ऋतुओं को समान रूप से सहती है, वैसे ही मनुष्य को भी अपने जीवन में सुख-दुख को सहने की क्षमता होनी चाहिए।

रहीम के दोहे का मुख्य अर्थ क्या है?

Rahim Das Ke Dohe With Meaning in Hindi. बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय. रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय. अर्थ: मनुष्य को सोचसमझ कर व्यवहार करना चाहिए,क्योंकि किसी कारणवश यदि बात बिगड़ जाती है तो फिर उसे बनाना कठिन होता है, जैसे यदि एकबार दूध फट गया तो लाख कोशिश करने पर भी उसे मथ कर मक्खन नहीं निकाला जा सकेगा.

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