बच्चों के कमरे की संरचना (Child’s Room Structure )
1.दिशा (Direction) - बच्चों का मन पढाई में लगाने के लिए बच्चों का कमरा पूर्व, उत्तर या उत्तर – पूर्व दिशा की ओर बनवाएं तथा कमरे का दरवाजा भी इसी दिशा में लगवाएं. इससे आपके बच्चे का मन पढाई में लगने लगेगा.
2.शौचालय (Toilet) – बच्चों की पढाई का कमरा शौचालय के नीचे न बनवाएं. इसके साथ ही कमरे में शीशे को ऐसे स्थान पर न लगायें जहाँ से किताबों के ऊपर शीशे की छाया पड़ें. इससे बच्चे के ऊपर पढाई का दबाव बनता हैं. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT वास्तु के अनुसार घर में क्या न रखें ...
3.मुख (Face) – बच्चों को वायव्य दिशा में इस प्रकार बैठाएं कि उनका मुख उत्तर दिशा की ओर हो.
4.एकाग्रता (Concentration) – पढाई करते समय बच्चों को किसी भी फर्नीचर जैसे – पलंग, दीवार या खुली हुई अलमारी का सहारा न लेने दें. इससे बच्चे की मन स्थिर नहीं रह पाता.
5.बच्चों के सोने की दिशा (Correct Sleeping Direction for Children ) – जिन बच्चों का मन पढाई में बिल्कुल नहीं लगता उनको उत्तर दिशा की ओर पैर करके सोना चाहिए. CLICK HERE TO READ MORE ABOUT व्यवसाय व्यापार के लिए विशेष वास्तु टिप्स ...
6. खिड़की (Window) – बच्चों के कमरे के खिड़की पूर्व दिशा की ओर बनवाएं. और उसे अधिक समय खुला रखें. इससे कमरे में ताज़ी हवा का प्रवेश होगा और बच्चे के मन में नकारात्मकता नहीं आएगी तथा बच्चे के कमरे से विषाक्त तत्वों को बाहर रखेगी.
7.किताबों की अलमारी (Books Wardrobe) – बच्चों की किताबें रखने की अलमारी कभी भी उसके स्टडी टेबल के ऊपर न बनवाएं. क्योंकि इससे भी बच्चों के ऊपर पढाई का दबाव बनता हैं.
8.स्टडी टेबल (Study Table) – बच्चो की स्टडी टेबल को हमेशा खिड़की के सामने रखें. जिससे उस पर सूर्य का प्रकाश पड सके. इसके साथ ही बच्चों की स्टडी टेबल को पूर्व या उत्तर पूर्व दिशा में रखें तथा उस पर यदि खेलने का समान हो तो उसे हटा दें. टेबल को हमेशा साफ रखें. उस पर किताबों को फैला कर न रखें. इससे बच्चा पढाई में अधिक ध्यान केन्द्रित कर पायेगा. कमजोर बच्चों को पढ़ाने के तरीके: आज के आधुनिक युग में पढ़ाई हम सभी के लिए कितनी जरूरी है ये बताने की जरूरत नहीं है। देश में जितने भी महान लोग हुए हैं सब ने पढ़ाई को एक सुर में बेहद जरूरी बताया है। संविधान निर्माता बाबा साहब अम्बेडकर ने तो यहां तक कहा है कि ‘शिक्षा वह शेरनी का दूध है जो पिएगा वही दहाड़ेगा’ लेकिन आज के समय में बच्चों का पढ़ाई के लिए प्रेरित करना करना किसी चुनौती से कम नहीं है। Contents show बच्चों को पढ़ाने के लिए कैसे प्रेरित करें
बच्चों को पढ़ाने के लिए कैसे प्रेरित करें?
नंबर लाने के लिए नही कुछ सीखने के लिए प्रेरित करें
कभी भी को नंबर कम आने पर बच्चे को डांट ना लगाएं
बच्चे के समझने के तरीके को समझें
बच्चे के मन की बात भी सुनें
फेल होने पर कभी उसे शर्मिदा ना करें
कभी भी अपने सपने बच्चे पर थोपे नहीं
बच्चे के टीचर से भी मिलते रहें
घर में पढ़ाई का माहौल बनाएं
अपने बच्चे को समय दें
पढ़ाई के साथ अन्य चीजों पर भी ध्यान दें
Conclusion
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क्योंकि आज की युवा पीढ़ी पढ़ाई से दूर होने के तरह तरह के बहाने बनाती है। जिससे आगे चलकर उनका भविष्य अंधकारमय होता दिखाई दे रहा है। इसलिए इस लेख में हम यह बताने वाले है कि बच्चों को पढ़ाने के लिए कैसे प्रेरित करें?
ऐसे मे यदि आपका बच्चे का भी पढ़ाई में मन नहीं लगता है या वो हमेशा पढ़ाई से दूर भागता रहता है तो आप हमारी ये पोस्ट अंत तक पढि़ए। अपनी इस पोस्ट में हम आपको पढ़ाई से जुड़ी वो तमाम बातें बताएंगे जिनकी मदद से आप अपने बच्चे को पढ़ाई के बेहद करीब ला सकते हैं। साथ ही इसके लिए किसी तरह से उसे डांटने फटकारने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी।
बच्चों को पढ़ाने के लिए कैसे प्रेरित करें?
यहाँ हम कुछ ऐसे कमजोर बच्चों को पढ़ाने के तरीके बताने वालें है जिनकी मदद से आप अपने बच्चे का मन पढाई पर लगा सकते है।
नंबर लाने के लिए नही कुछ सीखने के लिए प्रेरित करें
अक्सर हम सुनते हैं कि माता पिता अपने बच्चों को हमेशा अच्छे नंबर लाने के लिए उनसे जोर जबरजस्ती पढ़ने के लिए कहते हैं। ये तरीका माता पिता के लिए भले ही अच्छा हो सकता हो पर बच्चों पर इससे बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। क्योंकि जब आप बच्चे को हमेशा नंबर नंबर की बात करते रहते हैं तो उसके दिमाग में एक बात बैठ जाती है कि पढ़ाई का मतलब सिर्फ अच्छे नंबर ही लाना होता है।
जबकि आप बच्चों को प्रेरित करने के लिए हमेशा इस तरह कहें कि आपने आज स्कूल में क्या किया। स्कूल में कितनी क्लास लगी। कौन सी क्लास में क्या हुआ। यदि आप इस तरह से बच्चे से पूछेंगे तो बच्चे पर कभी भी नंबरों का दबाव नहीं बनेगा। जिससे कभी भी बच्चा नंबरों के दबाव में नहीं आएगा। ना ही उस पर नंबर लाने का मानसिक तौर पर तनाव रहेगा।
कभी भी को नंबर कम आने पर बच्चे को डांट ना लगाएं
आप सोच रहे होंगे किे भला बच्चे को डांटने को हम क्यों मना कर रहे हैं। कौन सा बच्चा है जो बिना डांट के डर से सही रास्ते पर आ जाए। तो हम आपको कहना चाहते हैं कि यदि आप सोचते हैं कि बच्चे को डांट कर आप बेहतर बना सकते हैं तो हम आप से कहेंगे कि आप बच्चे को डांट तभी तक सकते हैं जब तक बच्चा आपके साथ रहता है। जब बच्चा आगे की पढ़ाई के लिए कहीं बाहर चला जाएगा तो उसे कैसे डांटेंगे।
इसका समाधान ये है किे आप हमेशा बच्चे को और ज्यादा पढ़ने के लिए प्रेरित करें। जब भी कभी उसकी परीक्षा या टेस्ट का नतीजा आए तो हमेशा उसे नंबर पूछते ही ये ना कहें कि आपके नंबर इतने कम क्यों आए। आप इस बात को इस तरह से भी कह सकते हैं कि अगली बार आप और मेहनत करना। इस बार आपसे जो कमी रह गई होगी उसे अगली बार दूर कर लेना। साथ ही आप चाहे तो बच्चे को कोई उपहार का भी लालच दे सकते हैं।
जैसे कि बच्चों को प्रेरित करने के लिए यदि आपके बारहंवीं में 90 प्रतिशत नंबर आए तो आपको एक नई बाइक या नया फोन गिफ्ट मिलगा। इसमें आप अपने बजट के हिसाब से तय कर सकते हैं। लेकिन हम आपसे कहना चाहते हैं कि आपने अपने बच्चे से जो भी वादा किया है उसे नतीजे के साथ ही जरूर दिलवाएं। भले ही यदि वो आपके दिए लक्ष्य से थोड़ा पीछे ही क्यों ना रह जाए। इससे उसके अंदर आगे और मेहनत करके उसकी भरपाई करने का उत्साह बना रहेगा।
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बच्चे के समझने के तरीके को समझें
बच्चों को प्रेरित करने के लिए ये बेहद जरूरी है कि आप बच्चे के पढ़ने के तरीके को समझें। बहुत से बच्चे चुपचाप पढ़ते हैं। बहुत से बच्चे बोल बोल कर पढ़ते हैं। साथ ही बहुत से बच्चे चाहते हैं कि वो अपने विषय को एक दूसरे के साथ बात करते हुए समझें। इसके बाद आपके बच्चे को जिस तरह से बेहतर समझ आता है आप अपने बच्चे को उसी तरह से पढ़ाएं। इससे कम मेहनत के बाद भी आपके बच्चे के नतीजे बेहतर आ सकते हैं। इसलिए आप इस तरीके को जरूर अपनाएं।
बच्चे के मन की बात भी सुनें
बहुत से माता पिता ऐसे होते हैं जो हमेशा अपने बच्चे पर इतने हावी होते हैं कि उनके बच्चे को हमेशा लगता है कि यदि वो कुछ भी बोलेगा तो माता पिता उसे मारने लगेंगे या डांट फटकार के चुप करवा देंगे। इसलिए जरूरी है कि आप भले ही उससे बड़े हैं पर आप अपने बच्चे की बात को भी पूरी अहमियत दें और उसे सुनें।
फिर उसकी कही बात पर विचार भी करें। ताकि उसे लगे कि मेरी भी बात का भी पूरा महत्व है। यदि आप इसे अपनाते हैं तो इससे आपका बच्चा आगे चलकर कभी भी अपनी बात रखने में हिचकिचाहट नहीं महसूस करेगा। जो कि आज के बच्चों की सबसे बड़ी परेशानी है। इससे आपके बच्चे को आगे चलकर किसी भी मंच पर बात रखनी होगी तो हमेशा सबसे आगे मिलेगा।
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फेल होने पर कभी उसे शर्मिदा ना करें
फेल और पास होना हमारे जीवन का एक हिस्सा है। हमारे जीवन में मिली हार हमें वो सब कुछ सिखा सकती है। जो शायद यदि हम पास हो जाते तो जीवन भर ना सीख पाते। लेकिन हमारी बात से ये मतलब कतई नहीं है कि अब आपके बच्चे को फेल होना बेहद जरूरी है।
बच्चों को प्रेरित करने के लिए हम बस ये कहना चाहते हैं कि यदि आपका बच्चा फेल हो जाता है तो उसे आप ये कहते हुए डांटे ना कि आप फेल हो गए या मेरी नाक कटवा दी। मेरा सारा पैसा बर्बाद कर दिया। इसकी बजाय आप बच्चे को ये कहिए कि आप इस हार से सीखिए कि आगे आप कैसे बेहतर कर सकते हैं इस पर विचार कीजिए। यदि आप हर दिन बच्चे को फेल होने का दोष गिनाते रहेंगे तो आपका बच्चा कभी भी इस हार से ऊबर नहीं पाएगा।
साथ ही आगे चलकर वो तनाव का शिकार भी हो सकता है। इसलिए ऐसे समय में जरुरत होती है कि हर माता पिता अपने बच्चे के साथ खड़े हों ना कि वो उसे अपमानित करें। क्योंकि जो हो गया उसे बदला नहीं जा सकता है। इसलिए हमेशा संभावनाओं की तरफ ही प्रयास करना चाहिए।
कभी भी अपने सपने बच्चे पर थोपे नहीं
बहुत से माता पिता हमेशा चाहते हैं कि मेरा बच्चा आगे चलकर डॉक्टर या इंजीनियर ही बने। उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि उनके बच्चे की क्या इच्छा है। वो आगे चलकर किस विषय की तरफ जाना चाहता है। इसलिए आज के दौर में तमाम सारे करियर के विकल्प मौजूद हैं। आप अपने बच्चे को खुले मन से आजादी दें कि वो जीवन में जो भी बनना चाहता हो वही बने। बस शर्त ये रखें कि वो उस दिशा में कड़ी मेहनत करेगा।
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बच्चे के टीचर से भी मिलते रहें
वैसे तो यदि आपका बच्चा स्कूल में पढ़ता है तो कुछ दिन के अंतराल के बाद स्कूलों में PTM का आयोजन होता ही रहता है। लेकिन यदि आपके बच्चे के स्कूल में ऐसा नहीं है तो आप फिर भी आप अपने बच्चे के टीचर से जरुर मिलते रहें। इस तरह से मिलने से आपके बच्चे के बारे में जानकारी मिलती रहती है। साथ ही टीचर और आपका एक संवाद भी बना रहता है जिससे हमेशा टीचर आपके बच्चे पर पूरा ध्यान देता है।
घर में पढ़ाई का माहौल बनाएं
बच्चों को प्रेरित करने के लिए यदि आपके घर में पढाई का माहौल नहीं है तो आप सबसे पहले अपने घर में पढ़ाई का माहौल बनाएं। यदि आपके घर में पढ़ाई का माहौल ही नहीं होगा तो आप अपने बच्चे को कितना भी कह लें वो आपको कभी भी बेहतर नतीजे नहीं दे पाएगा। इसलिए सबसे पहले आप अपने घर के सभी सदस्यों का उस दौरान चुप करवा दें जब आपका बच्चा पढ़ रहा हो।
साथ ही यदि कोई उसकी उसकी पढ़ाई में व्यवधान पैदा करता है तो उसे भी समझा दें। इससे आपके बच्चे को भी लगेगा कि मेरे माता पिता जब मेरी पढ़ाई के लिए इतने सचेत हैं तो मुझे भी मन लगाकर पढ़ना चाहिए।
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अपने बच्चे को समय दें
बहुत से माता पिता अपने जीवन में इतने व्यस्त रहते हैं कि उन्हें अपने बच्चे की पढ़ाई की याद सिर्फ नतीजे के दिन आती है या जब स्कूल से किसी तरह की उसकी शिकायत आ जाती है। इसके बाद वो अपने बच्चे को खूब भला बुरा कहते हैं। लेकिन इसमें माता पिता की गलती होती है।
बच्चों को प्रेरित करने के लिए उन्हें चाहिए कि वो लगातार अपने अपने बच्चे को समय दें। उसकी क्या जरूरतें हैं या उसकी क्या परेशानी है उस पर ध्यान दें। यदि वो ऐसा करेंगे तो उनके बच्चे को कभी अकेलापन भी नहीं महसूस होगा। इसलिए आप अपने जीवन में कितने भी व्यस्त रहते हों अपने बच्चे के लिए जरूर थोड़ा सा समय निकालिए।
पढ़ाई के साथ अन्य चीजों पर भी ध्यान दें
यदि आप सोचते हैं कि आज के समय में केवल पढ़ कर ही सफलता हासिल की जा सकती है। तो आप बेहद गलत हैं। आज के दौर में जरूरत है हमारी युवा पीढ़ी बहुमुखी हो। जिसके पास पढ़ाई के साथ और भी कई तरह के गुण हों।
बच्चों को प्रेरित करने के लिए हमेशा इस बात पर भी ध्यान दीजिए कि कहीं आपका बच्चा केवल किताबों तक ही सिमट कर ना रह जाए। ऐसे में जब उसके सामने जीवन में किसी तरह की चुनौती आएगी तो उसका सामना नहीं कर पाएगा। इसलिए जरूरी है कि आप अपने बच्चे के खेल कूद, मनोरंजन, लोगों से मेल जोल पर भी ध्यान दें। ताकि आने वाले समय के लिए वो पूरी तरह से तैयार हो सके।
Conclusion
आज आपने जाना कि बच्चों को पढ़ाने के लिए कैसे प्रेरित करें? और कमजोर बच्चों को पढ़ाने के तरीके क्या है? यदि आपका इस लेख से सम्बंधित सवाल और सुझाव है तो हमें कमेंट में लिखे।