In this article, we will share MP Board Class 8th Hindi Book Solutions Chapter 1 मेरा देश महान् बने Pdf, These solutions are solved subject experts from the latest edition books. प्रश्न-अभ्यास अनुभव विस्तार 1. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (ख) दिए गए विकल्पों से रिक्त स्थान को पूर्ति कीजिए प्रश्न 2. प्रश्न 3.
प्रश्न 4. भाषा की बात प्रश्न 1. (ब) अधोलिखित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए महिमावान् हम भारतीयों का यही ध्यान रहना चाहिए कि हमारा भारत देश महिमावान बना रहे। प्रश्न 2. प्रश्न 3. ध्यान दीजिए प्रश्न 1. इन पंक्तियों में आए प्राणवान एवं महिमावान् शब्द प्राण एवं महिमा में वान् प्रत्यय को जोड़कर बने हैं जो नवीन अर्थ प्रदान करते हैं। प्रश्न 2. प्रश्न 3. पद्यांशों की संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्याएँ 1. एक ध्येय हो, एक श्रेय हो, एक समान विधान बने संदर्भ-प्रस्तुत पंक्तियां हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सुगम भारती’ (हिंदी सामान्य) भाग-8 के पाठ-1 ‘मेरा देश महान् बने’ कविता से ली गई हैं। इसके रचयिता श्री उदयशंकर भट्ट हैं। प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने अपने देश को महान् बनने के भाव को व्यक्त किया है। व्याख्या-हमारा देश महान् तभी बन सकता है-जब सभी देशवासियों का यही एकमात्र उद्देश्य हो। इसी मंगलभावना से सब काम करें। इसके लिए सारा शासन-विधान बनकर लागू हो। विशेष-
2. एक देश हो,
एक वेश हो, शब्दार्थ-वेश-स्वरूप। प्राणवान-सजीव। उठान-उमंग। संदर्भ-पूर्ववत् प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने जीवन को मरण-वरण एक समान बनाकर अपने देश को महान् बनाने की प्रेरणा देते हुए कहा है कि- व्याख्या-हमारा देश अलग-अलग भागों में बँटा हुआ न होकर एक हो। उसका स्वरूप एक हो। वह सजीव और शक्तिशाली हो। उसका सदुद्देश्य हो। उसमें अपने बड़प्पन का ध्यान हो। उसमें हिमालय पर्वत के समान ऊँचा उठने की उमंग हो। उसका जीवन एक समान मरण-वरण का जीवन बना रहे। इस प्रकार मेरा देश महान् बने। विशेष-
3. सिहों से लड़ने वाले हों, शब्दार्थ-अवसर-मौका। वज्र-कठोर। संदर्भ-पूर्ववत्। प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने अपने देश को महान बनाने के लिए देशवासियों को अपनी अद्भुत वीरता का परिचय देने की सीख देते हुए कहा है कि- व्याख्या-अपने देश को महान् बनाने के लिए देशवासियों को चाहिए कि वे सिंहों से लड़ने वाले हों, वे आवश्यकतानुसार अपने संकल्प को पूरा करने के लिए अड़ने वाले हों, वे खुशी-खुशी मौत को मात देकर अपने आसमानी उत्साह से आगे बढ़ने वाले हों। इस प्रकार वे अपने शत्रुओं के लिए वज्र बनकर अपने प्रिय देश के लिए फूलों की तरह मुस्कराते रहें। ऐसे ही अद्भुत वीरों से मेरा देश महान् बने। विशेष-
4. उठें, देश के लिए उठें हम, शब्दार्थ-गलें-मिटें। तन-शरीर। संदर्भ-पूर्ववत्। प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने अपने देश को महान् बनाने के लिए देशवासियों को अपना सब-कुछ त्याग-बलिदान करने की सीख देते हुए कहा है कि- व्याख्या-हम जिएँ तो केवल अपने देश-हित के लिए ही जिएँ। हम गलें तो केवल अपने देश-हित के लिए ही गल। हम मरें तो केवल अपने देश-हित के लिए मरें। हमारे तन-मन में इस प्रकार का ध्यान हमेशा बना रहे कि किसी कीमत पर हमारा देश भारत महिमावान् बना रहे। इस प्रकार हमारा देश महान् बने। विशेष-
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