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प्रगतिवादप्रगतिवाद एक राजनैतिक एवं सामाजिक शब्द है। ‘प्रगति शब्द का अर्थ है ‘आगे बढ़ना, उन्नति। प्रगतिवाद का अर्थ है ”समाज, साहित्य आदि की निरन्तर उन्नति पर जोर देने का सिद्धांत।’ प्रगतिवाद छायावादोत्तर युग के नवीन काव्यधारा का एक भाग हैं। यह उन विचारधाराओं एवं आन्दोलनों के सन्दर्भ में प्रयुक्त किया जाता है जो आर्थिक एवं सामाजिक नीतियों में परिवर्तन या सुधार के पक्षधर हैं। ऐतिहासिक दृष्टि से अमेरिका में प्रगतिवाद २०वीं शती के आरम्भ में अपने शीर्ष पर था जब गृह-युद्ध समाप्त हुआ और बहुत तेजी से औद्योगीकरण आरम्भ हुआ। प्रगतिवाद का जन्मप्रगतिवाद (1936 ई०से…): संगठित रूप में हिन्दी में प्रगतिवाद का आरंभ ‘प्रगतिशील लेखक संघ’ द्वारा 1936 ई० में लखनऊ में आयोजित उस अधिवेशन से होता है जिसकी अध्यक्षता प्रेमचंद ने की थी। इसमें उन्होंने कहा था, ‘साहित्य का उद्देश्य दबे-कुचले हुए वर्ग की मुक्ति का होना चाहिए।’ 1935 ई० में इ० एम० फोस्टर ने प्रोग्रेसिव राइटर्स एसोसिएशन नामक एक संस्था की नींव पेरिस में रखी थी। इसी की देखा देखी सज्जाद जहीर और मुल्क राज आनंद ने भारत में 1936 ई० में प्रगतिशील लेखक संघ’ की स्थापना की। मुख्य तथ्य
प्रगतिवादी काव्य का मूलाधार मार्क्सवादी दर्शन है पर यह मार्क्सवाद का साहित्यिक रूपांतर मात्र नहीं है। प्रगतिवादी आंदोलन की पहचान जीवन और जगत के प्रति नये द्रष्टिकोण में निहित है। यह नया दृष्टिकोण था :-
प्रवृत्तियाँ
प्रगतिवाद साहित्य को सोद्देश्य मानता है और उसका उद्देश्य है ‘जनता के लिए जनता का चित्रण करना’ दूसरे शब्दो में, वह कला ‘कला के लिए’ के सिद्धांत में यकीन नहीं करता बल्कि उसका यकीन तो ‘कला जीवन के लिए’ के फलसफे में है। मतलब कि प्रगतिवाद आनंदवादी मूल्यों के बजाय भौतिक उपयोगितावादी मूल्यों में विश्वास करता है।
प्रगतिवादी काव्य की विशेषताएं
छायावाद व प्रगतिवाद में अंतर
छायावादोत्तर युग की नवीन काव्यधारा
नमस्कार दोस्तों ! आज के नोट्स में हम आपके लिए लेकर आये है : Pragativad Ke Kavi | प्रगतिवाद की विशेषताएं और प्रमुख कवि एवं रचनाएँ । आज हम समझेंगे कि प्रगतिवाद क्या है ? प्रगतिवादी कविता की प्रमुख विशेषताएं क्या है ? तथा साथ ही Pragativad | प्रगतिवाद के प्रमुख कवियों और उनकी रचनाओं का भी विस्तार से अध्ययन करने जा रहे है। तो आइए समझ लेते है : आपको बता दे कि जर्मनी के विद्वान कार्ल मार्क्स ने ऐतिहासिक भौतिकवाद में मनुष्य इतिहास के पांच सोपान माने हैं :
प्रगतिवादी कविता को मार्क्सवाद की काव्यात्मक अभिव्यक्ति कह सकते हैं। कार्ल मार्क्स के द्वंदात्मक भौतिकवाद को प्रगतिवाद का प्रेरणास्रोत कहा जा सकता है। कार्ल मार्क्स के चारों सिद्धांतों से यह कविता प्रभावित है। ये चार सिद्धांत इस प्रकार है :
प्रगतिवादी काव्य में कार्ल मार्क्स के समाजवादी विचारधारा का स्वर महत्वपूर्ण रहा है। Pragativad Ki Visheshtaye | प्रगतिवाद की प्रमुख विशेषताएंPragativad | प्रगतिवाद की प्रमुख विशेषताओं को हम निम्न बिन्दुओं के माध्यम से समझ सकते है :
प्रगतिवादी कविता के संदर्भ में प्रमुख विशेषताएं :
Pragativad Ke Kavi | प्रगतिवाद के प्रमुख कवि और रचनाएँदोस्तों ! हम आपको Pragativad Ke Kavi Aur Rachnaye| प्रगतिवाद के कुछ प्रमुख कवियों और उनकी मुख्य रचनाओं के बारे में बता रहे है। जो निम्न प्रकार से है : नागार्जुन | Nagarjunइनका जन्म 30 जून 1911 ई. में हुआ। यह हिंदी के लेखक और कवि थे। इनका वास्तविक नाम वैद्यनाथ मिश्र था। ये मैथिली में “यात्री” उपनाम से लिखते थे। इनके घर का नाम ढक्कन था। यह बिहार के मधुबनी के रहने वाले थे। नागार्जुन जनता के “चारण कवि” हैं। इनकी खड़ी बोली की पहली कविता “राम के प्रति” है। जो 1925 ई. में लाहौर से निकलने वाली “विश्वबंधु पत्रिका” में प्रकाशित हुई थी। नागार्जुन “गरीबों के कवि” माने जाते हैं। इनका अंतिम उपन्यास “गरीबदास” है। ये प्रगतिशील काव्य आंदोलन की रीढ़ भी माने जाते हैं।इन्हें प्रगतिवाद का “शलाका पुरुष” भी कहा जाता है। व्यंग्य और विद्रोह के संदर्भ में जो स्थान छायावाद में निराला का है, वही स्थान प्रगतिवाद में नागार्जुन का है। इनके “पत्रहीन नग्न गाछ” नामक काव्य संग्रह – मैथिली रचना को साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला है। नागार्जुन की प्रमुख रचनाएँ :काव्य संग्रह :
खंडकाव्य :
उपन्यास :
कविताएँ :
नागार्जुन की चर्चित पंक्तियां :
केदारनाथ अग्रवाल | Kedarnath Agarwalये प्रमुख हिंदी कवियों में एक है । इनका जन्म 1911 ईस्वी में उत्तर प्रदेश में हुआ। इन्होंने मार्क्सवादी दर्शन के आधार पर जनसाधारण के जीवन की व्यापक अभिव्यक्ति की है। इनका पहला काव्य संग्रह “युग की गंगा” आजादी के पहले मार्च,1947 में रचित है। केदारनाथ अग्रवाल की रचनाएँ :रचनाएँ :
काव्य संग्रह :
रामविलास शर्मा | Ram Vilas Sharmaये उत्तर प्रदेश के उन्नाव में 10 अक्टूबर 1912 में पैदा हुए। ये आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध आलोचक, निबंधकार और कवि थे। रामविलास शर्मा की प्रमुख रचनाएँ :
त्रिलोचन शास्त्री | Trilocanaहिंदी साहित्य में त्रिलोचन शास्त्री प्रगतिशील काव्य धारा के प्रमुख कवि हैं। इनका वास्तविक नाम वासुदेव सिंह है। त्रिलोचन की प्रमुख रचनाएँ :
त्रिलोचन की चर्चित पंक्ति :
शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ | Shivmangal Singh ‘Suman’इनका जन्म 5 अगस्त,1915 में उत्तर प्रदेश में हुआ। यह भी एक प्रसिद्ध हिंदी कवि रहे है। शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ की प्रमुख रचनाएँ :
रांगेय राघव | Rangeya Raghavइनका जन्म 17 जनवरी, 1923 को आगरा में हुआ। ये एक कवि होने के साथ-साथ एक प्रसिद्ध आलोचक, निबंधकार, कहानीकार एवं उपन्यासकार सभी कुछ है। रांगेय राघव की प्रमुख रचनाएँ :काव्य :
उपन्यास :
कहानियाँ :
इसप्रकार दोस्तों ! आज आपने जाना कि Pragativad | प्रगतिवाद क्या है ? तथा इसकी प्रमुख विशेषताएँ कौन-कौनसी है ? इसके अलावा Pragativad Ke Kavi | प्रगतिवाद के प्रमुख कवियों और उनकी मुख्य रचनाओं के बारे में भी आपको ज्ञात हो गया होगा। उम्मीद करते है कि आपको आज की जानकारी अच्छी और उपयोगी अवश्य लगी होगी। यह भी जरूर पढ़े :
एक गुजारिश :दोस्तों ! आशा करते है कि आपको “Pragativad Ke Kavi | प्रगतिवाद की विशेषताएं और प्रमुख कवि एवं रचनाएँ“ के बारे में हमारे द्वारा दी गयी जानकारी पसंद आयी होगी I यदि आपके मन में कोई भी सवाल या सुझाव हो तो नीचे कमेंट करके अवश्य बतायें I हम आपकी सहायता करने की पूरी कोशिश करेंगे I नोट्स अच्छे लगे हो तो अपने दोस्तों को सोशल मीडिया पर शेयर करना न भूले I नोट्स पढ़ने और Hindishri पर बने रहने के लिए आपका धन्यवाद..! प्रगतिवाद के प्रमुख कवि कौन कौन है?प्रगतिवाद के प्रमुख कवि और उनकी रचनाओं के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य:. केदारनाथ अग्रवाल (1911-2000): केदारनाथ अग्रवाल का जन्म 1911 ई. ... . राम विलास शर्मा (1912-2000): रामविलास शर्मा का जन्म 1912 ई. ... . नागार्जुन (1910-1998): नागार्जुन का जन्म 1911 ई. ... . रांगेय-राघव (1923-1962): ... . शिव-मंगल सिंह 'सुमन' (1915-2002): ... . त्रिलोचन (1917-2007):. प्रगतिवाद के जनक कौन है?प्रगतिवादी काव्य के प्रवर्तक हैं सुमित्रानंदन पंत : डॉ सिद्धेश्वर
प्रगतिवाद का प्रारंभ कब हुआ?प्रगतिवाद (1936 ई०से…): संगठित रूप में हिन्दी में प्रगतिवाद का आरंभ 'प्रगतिशील लेखक संघ' द्वारा 1936 ई० में लखनऊ में आयोजित उस अधिवेशन से होता है जिसकी अध्यक्षता प्रेमचंद ने की थी।
प्रगतिवादी कविता की प्रमुख प्रवृत्तियां कौन सी है?प्रगतिवादी कविता की प्रवृत्तियां. सामाजिक यथार्थवाद : इस काव्यधारा के कवियों ने समाज और उसकी समस्याओं का यथार्थ चित्रण किया है। ... . मानवतावाद का प्रकाशन : वह मानवता की अपरिमित शक्ति में विश्वास प्रकट करता है और ईश्वर के प्रति अनास्था प्रकट करता है;धर्म उसके लिए अफीम का नशा है -. प्रगतिवादी किसकी रचना है?'प्रगतिवाद' शिवदान सिंह चौहान द्वारा रचित रचना है। अत: सही उत्तर विकल्प 1 शिवदान सिंह चौहान है। 'प्रगतिवाद' शिवदान सिंह चौहान द्वारा रचित रचना है। इसमें मार्क्सवाद और प्रगतिवादी चेतना के विवध आयामों को स्पष्ट किया गया है।
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