पैरा ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय कौन हैं? - paira olampik svarn padak jeetane vaale pahale bhaarateey kaun hain?

समर ओलंपिक में जहां शुरुआत से भारतीय हॉकी टीम का वर्चस्व रहा। वहीं, पैरालंपिक में व्यक्तिगत एथलीटों ने देश को गौरव दिलाने के लिए अपनी महत्वूर्ण भूमिका निभाई। पैरालंपिक खेलों की शुरुआत साल 1960 में हुई और तब से इस खेल के 11 संस्करण हो चुके हैं। जिसमें भारत ने 6 स्वर्ण, 10 रजत और 9 कांस्य सहित 25 पदक जीते हैं।

आइए एक नज़र डालते हैं उन भारतीय एथलीटों पर, जिन्होंने पैरालंपिक खेलों में पदक हासिल किए हैं।

मुरलीकांत पेटकर, गोल्ड मेडल, मेंस 50मीटर फ्रीस्टाइल 3, हीडलबर्ग 1972

1965 के भारत-पाक युद्ध में अपना योगदान देने वाले अनुभवी मुरलीकांत पेटकर भारत के पहले पैरालंपिक पदक विजेता हैं। मुरलीकांत पेटकर ने साल 1972 के हीडलबर्ग खेलों में पुरुषों की 50 मीटर फ्रीस्टाइल 3 इवेंट में स्वर्ण पदक जीता था। इस भारतीय पैरा तैराक ने शीर्ष पुरस्कार जीतने के लिए अपने 37.33 सेकेंड के साथ विश्व रिकॉर्ड बनाया था।

पेटकर भारतीय सेना में कोर ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियर्स (EME) में एक जवान थे। इसके साथ ही मुरलीकांत पेटकर एक मुक्केबाज थे, जिन्हें बाद में बुलेट इंजरी के कारण अपना एक हाथ खोना पड़ा और बाद में वह तैराकी में चले गए। मुरलीकांत को साल 2018 में भारत के चौथे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।

भीमराव केसरकर, सिल्वर मेडल, मेंस जेवलिन थ्रो L6, स्टोक मैंडविल और न्यूयॉर्क 1984

साल 1984 के पैरालंपिक खेलों की स्टोक मैंडविल, यूनाइटेड किंगडम और न्यूयॉर्क, यूएसए द्वारा सह-मेजबानी की गई थी। जो भारत के सबसे सफल पैरालंपिक खेलों में से एक था। इस दौरान भीमराव केसरकर ने पुरुषों की जेवलिन थ्रो L6 में 34.55 मीटर के थ्रो के साथ रजत पदक जीता था। इस भारतीय एथलीट ने पुरुषों की 100 मीटर फ्रीस्टाइल L6 इवेंट में भी हिस्सा लिया, लेकिन वह शुरुआती राउंड से आगे नहीं बढ़ सके और अपनी हीट में पांचवें स्थान पर रहे।

जोगिंदर सिंह बेदी, सिल्वर मेडल, मेंस शॉट पुट L6, स्टोक मैंडविल और न्यूयॉर्क 1984

जोगिंदर सिंह बेदी तीन पदक के साथ भारत के एक सफल पैरालंपियन हैं। उन्होंने साल 1984 के स्टोक मैंडविल और न्यूयॉर्क में खेले गए पैरालंपिक खेल में पुरुषों के शॉट पुट L6 में रजत पदक जीता था। जहां इस भारतीय ने अपने 10.08 मीटर के प्रयास के साथ यह कारनामा कर दिखाया था।

जोगिंदर सिंह बेदी, ब्रॉन्ज़ मेडल, मेंस जेवलिन थ्रो L6, स्टोक मैंडविल / न्यूयॉर्क 1984

जोगिंदर सिंह बेदी ने स्टोक मैंडविल और न्यूयॉर्क में 1984 में पुरुषों की जेवलिन थ्रो L6 इवेंट में अपना दूसरा पैरालंपिक पदक हासिल किया था। जहां उन्होंने उसी इवेंट में 34.18 मीटर के थ्रो के साथ कांस्य पदक जीता, जिसमें भीमराव केसरकर ने रजत पदक हासिल किया था।

जोगिंदर सिंह बेदी, डिस्कस थ्रो L6, स्टोक मैंडविल और न्यूयॉर्क 1984

साल 1984 के पैरालंपिक खेलों में जोगिंदर सिंह बेदी ने मेंस डिस्कस थ्रो L6 इवेंट में अपने 28.16 मीटर के थ्रो के साथ कांस्य पदक जीता।

देवेंद्र झाझरिया, गोल्ड मेडल, मेंस जेवलिन थ्रो F44/46, एथेंस 2004

भारत ने साल 1984 के बाद से हर पैरालंपिक खेलों में हिस्सा लिया, लेकिन उन्हें अगले पदक विजेता के लिए एथेंस में 2004 के पैरालंपिक खेलों तक इंतजार करना पड़ा।

जहां जेवलिन थ्रोअर देवेंद्र झाझरिया थे, जिन्होंने पुरुषों के जेवलिन थ्रो F44/46 इवेंट में स्वर्ण पदक हासिल कर भारत के पदक का इंतजार खत्म किया। देवेंद्र ने 62.15 मीटर की दूरी के साथ उस समय का विश्व रिकॉर्ड भी अपने नाम किया। बता दें कि देवेंद्र झाझरिया को साल 2012 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।

राजिंदर सिंह रहेलू, ब्रॉन्ज़ मेडल, मेंस पॉवरलिफ्टिंग 56 किग्रा, एथेंस 2004

राजिंदर सिंह रहेलू ने एथेंस 2004 के खेलों में भारत को पदक दिलाया। जहां इस भारतीय पावरलिफ्टर ने पुरुषों के 56 किग्रा भार वर्ग में 157.5 किग्रा भार उठाकर कांस्य पदक अपने नाम किया था। वहीं, राजिंदर ने साल 2008 बीजिंग पैरालंपिक खेलों में फिर से कोशिश की, जहां वह पांचवें स्थान पर रहे। बता दें कि राजिंदर सिंह को साल 2005 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

गिरीश एन गौड़ा, सिल्वर मेडल, मेंस हाई जम्प F42, लंदन 2012

गिरीश एन गौड़ा ने साल 2012 लंदन पैरालंपिक खेलों में भारत के एकमात्र पदक विजेता थे, जिन्होंने रजत पदक अपने नाम किया था। बता दें कि यह पदक उन्होंने मेंस हाई जम्प में हासिल किया था।

पुरुषों की हाई जम्प F42 इवेंट में प्रतिस्पर्धा करते हुए गिरीश ने काउंटबैक पर स्वर्ण पदक हासिल करने से चूक गए। जब उन्होंने और फिजी के इलीसा डेलाना दोनों ने 1.74 मीटर का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। वहीं, गिरीश एन गौड़ा को साल 2013 में पद्म श्री और एक साल बाद अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

मरियप्पन थंगावेलु, गोल्ड मेडल, मेंस हाई जम्प F42, रियो 2016

तमिलनाडु के मरियप्पन थंगावेलु ने रियो 2016 पैरालंपिक खेलों में पुरुषों के हाई जम्प F42 इवेंट में स्वर्ण पदक हासिल किया था। जहां उन्होंने 1.89 मीटर की छलांग लगाते ये पदक अपने नाम किया।

मरियप्पन को उसके बाद पद्म श्री और अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वहीं, उन्हें पिछले साल भारत के सर्वोच्च खेल सम्मान मेजर ज्ञानचंद खेल रत्न से नवाजा गया था।

वरुण सिंह भाटी, ब्रॉन्ज़ मेडल, मेंस हाई जम्प F42, रियो 2016

2016 के रियो पैरालंपिक खेलों में ऊंची कूद प्रतियोगिता भारत के लिए खास खेल रहा, क्योंकि वरुण सिंह भाटी पोडियम पर मरियप्पन थंगावेलु के साथ शामिल हुए रहे। उन्होंने पुरुषों की ऊंची कूद F42 में कांस्य पदक जीता था। जहां उनका प्रयास 1.86 मीटर था। वहीं, वरुण को साल 2018 में अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था।

देवेंद्र झाझरिया, गोल्ड मेडल, मेंस जेवलिन थ्रो F46, रियो 2016

देवेंद्र झाझरिया, जिसे आठ साल की उम्र में एक बिजली के तार के संपर्क में आने के बाद उन्हें अपना बायां हाथ गंवाना पड़ा था। उन्होंने रियो डी जनेरियो में 2016 पैरालंपिक खेलों में अपना दूसरा स्वर्ण पदक हासिल किया था। जहां उन्होंने 63.97 मीटर का थ्रो करते हुए एक रिकॉर्ड बनाया था। इस भारतीय पैरालिंपियन को साल 2017 में मेजर ध्यानचंद खेल रत्न से सम्मानित किया गया था।

दीपा मलिक, सिल्वर मेडल, वूमेंस शॉट पुट F53

दीपा मलिक पैरालंपिक पदक जीतने वाली एकमात्र भारतीय महिला हैं। जिन्होंने साल 2016 के रियो खेलों में 4.61 मीटर के थ्रो के साथ महिलाओं के शॉट पुट F53 इवेंट में रजत पदक जीता था। दीपा मलिक को 2012 में अर्जुन पुरस्कार, 2017 में पद्म श्री और 2019 में मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार मिला। इसके साथ ही दीपा मलिक भारत की पैरालंपिक कमेटी की अध्यक्ष हैं।

भाविना पटेल, रजत पदक, वूमेंस सिंगल्स टेबल टेनिस क्लास 4, टोक्यो 2020

भाविना पटेल पैरा खेलों में पदक जीतने वाली पहली भारतीय टेबल टेनिस खिलाड़ी हैं।

अपने डेब्यू पैरालंपिक में भाविना पटेल ने फाइनल में पहुंचने के लिए सर्बिया की मौजूदा चैंपियन बोरिसलावा पेरीक को हराया। स्वर्ण पदक मैच में, भारतीय खिलाड़ी चीन की वर्ल्ड नंबर 1 झोउ यिंग से हार गईं, जिसके बाद उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा।

निषाद कुमार - रजत पदक - मेंस हाई जंप T47, टोक्यो 2020

भारत के निषाद कुमार ने 2.06 मीटर की छलांग के साथ खुद का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया और एशियन रिकॉर्ड की भी बराबरी की। इसकी बदौलत टोक्यो पैरालंपिक में मेंस हाई जंप T47 स्पर्धा में रजत पदक जीतने में सफल रहे।

यूएसए के रोडरिक टाउनसेंड-रॉबर्ट्स ने 2.15 मीटर की जंप मारकर ना केवल वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया बल्कि गोल्ड मेडल भी अपने नाम किया। जबकि उनके साथी अमेरिकी डलास वाइज ने निषाद कुमार के साथ सिल्वर मेडल जीता।

अवनि लखेरा - स्वर्ण पदक - महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल शूटिंग स्टैंडिंग SH1, टोक्यो 2020

अपने ओलंपिक डेब्यू में अवनि लखेरा ने महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल शूटिंग में SH1 वर्ग के फाइनल में स्वर्ण पदक जीतने के लिए 249.6 का नया पैरालंपिक रिकॉर्ड बनाया। यह इस कैटेगरी में वर्ल्ड रिकॉ़र्ड के बराबर है।

19 साल की अवनि लखेरा ने फाइनल में शानदार फॉर्म दिखाई और उन्होंने चीन की पैरालंपिक चैंपियन क्यूपिंग झांग और यूक्रेन की मौजूदा विश्व चैंपियन इरीना शचेतनिक को पीछे छोड़ गोल्ड मेडल जीता।

देवेंद्र झजारिया - रजत पदक - मेंस जेवलिन थ्रो F46, टोक्यो 2020

देवेंद्र झजारिया मेंस जेवलिन थ्रो F46 वर्ग में रजत पदक जीतकर भारत के सबसे सफल पैरालंपियन में से एक बन गए हैं। इससे पहले उन्होंने दो पैरालंपिक एथेंस 2004 और रियो 2016 में गोल्ड मेडल जीता था।

देवेंद्र ने फाइनल में 64.35 मीटर का नए विश्व रिकॉर्ड का थ्रो फेंका, जिसकी बदौलत उन्होंने अपना ही पिछला रिकॉर्ड तोड़ दिया।

हालांकि, श्रीलंका के दिनेश हेराथ ने 67.79 मीटर का और भी बेहतर थ्रो फेंका, जिसकी बदौलत उन्होंने ना केवल नया पैरालंपिक रिकॉर्ड बनाया बल्कि गोल्ड मेडल पर भी कब्जा जमाया।

सुंदर सिंह गुर्जर - कांस्य पदक - मेंस जेवलिन थ्रो F46, टोक्यो 2020

सुंदर सिंह गुर्जर ने मेंस जेवलिन थ्रो F46 वर्ग में कांस्य पदक जीता, इस दौरान वह देवेंद्र झजारिया से पीछे रहे।

सुंदर सिंह गुर्जर ने अपना पहला पैरालंपिक पदक जीतने के लिए 64.01 मीटर का इस सीजन का अपना सर्वश्रेष्ठ थ्रो किया।

योगेश कथुनिया - रजत पदक - मेंस डिस्कस थ्रो F56, टोक्यो 2020

योगेश कथुनिया ने मेंस डिस्कस थ्रो F56 क्लास में 44.58 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ रजत पदक जीता।

भारतीय का यह खिलाड़ी केवल ब्राजील के क्लॉडीनी बतिस्तिया डॉस सैंटोस से पीछे रहा, जिन्होंने स्वर्ण पदक जीतने के लिए 45.59 मीटर के साथ गोल्ड जीता। इस दौरान उन्होंने नया पैरालंपिक रिकॉर्ड भी बनाया।

सुमित अंतिल - स्वर्ण पदक - मेंस जेवलिन थ्रो F64, टोक्यो 2020

सुमित अंतिल ने मेंस जेवलिन थ्रो F64 कैटेगरी में स्वर्ण जीतने के लिए अपना ही वर्ल्ड रिकॉर्ड तीन बार तोड़ा।

23 साल के इस एथलीट ने अपने पिछले विश्व रिकॉर्ड 62.88 मीटर को पीछे छोड़ते हुए 66.95 मीटर थ्रो के साथ शुरुआत की। सुमित अंतिल ने अपने दूसरे प्रयास में एक बार फिर 68.08 मीटर थ्रो के साथ एक नया विश्व रिकॉर्ड बनाया।

आखिरी में उन्होंने नया वर्ल्ड रिकॉर्ड क्या 68.55 मीटर के साथ बनाया। यह फाइनल में सुमित का 5वां प्रयास था, जिसकी बदौलत वह पोडियम पर पहला स्थान हासिल करने में कामयाब रहे।

सिंहराज अदाना, कांस्य पदक, मेंस10 मीटर एयर पिस्टल शूटिंग SH1, टोक्यो 2020

सिंहराज अदाना ने मेंस 10 मीटर एयर पिस्टल SH1 क्लास में कांस्य के साथ पैरालंपिक में भारत का दूसरा शूटिंग मेडल जीता।

39 साल के सिंहराज अदाना ने फाइनल में 216.8 के स्कोर के साथ कांस्य पदक जीता। गत चैंपियन चीन के चाओ यांग ने पैरालंपिक रिकॉर्ड 237.9 के स्कोर के साथ स्वर्ण पदक जीता। वहीं चीन के ही जिंग हुआंग ने रजत पदक अपने नाम किया।

रियप्पन थंगावेलु - रजत पदक - मेंस हाई जंप T42

मरियप्पन थंगावेलु ने मेंस हाई जंप T42 क्लास में रजत पदक हासिल किया, जो कि दूसरा पैरालंपिक पदक है

शुरुआती अंक आसानी से हासिल करने के बाद, मरियप्पन थंगावेलु ने 1.83 मीटर और 1.86 मीटर के निशान तक पहुंचने के लिए तीन-तीन प्रयास किए। उनकी कोशिश 1.88 मीटर तक पार करके स्वर्ण हासिल करने की थी लेकिन तीन कोशिश पूरी होने जाने के बाद वे आगे नहीं बढ़ सके, और उन्हे रजत पदक हासिल हुआ।

यूएसए के सैम ग्रेवे ने अपनी तीसरी और अंतिम छलांग में 1.88 मीटर की दूरी तय कर स्वर्ण पदक जीता।

रद कुमार - कांस्य पदक - मेंस हाई जंप T42

पोडियम पर हमवतन थंगावेलु के साथ शरद कुमार थे, जिन्होंने मेंस हाई जंप T42 में कांस्य पदक जीता।

शरद कुमार ने 1.83 के पहले चार मार्क को पूरा किया जिसमें उनका पहला जंप उनके लिए पदक को सुनिश्चित करता था। हालांकि अपनी तीन कोशिश के बाद भी वे 1.86 मीटर को पार नहीं कर पाए और आखिरकर उन्हे कांस्य पदक हासिल हुआ।

प्रवीण कुमार - रजत पदक - मेंस हाई जंप T64

प्रवीण कुमार ने टोक्यो पैरालंपिक में मेंस हाई जंप T64 स्पर्धा में रजत के साथ भारत के लिए एथलेटिक्स में आठवां और हाई जंप में चौथा पदक हासिल किया।

प्रवीण कुमार ने फ़ाइनल में 2.07 मीटर की जंप को सफलतापूर्वक पार किया, और पोडियम पर पहुंचने के लिए एक व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ और नया एशियाई रिकॉर्ड बनाया। उन्हें केवल ग्रेट ब्रिटेन के विश्व चैंपियन जोनाथन ब्रूम-एडवर्ड्स ने पछाड़ दिया, जिन्होंने स्वर्ण पदक जीतने के लिए 2.10 मीटर दूरी की हाई जंप की।

अवनि लखेरा - कांस्य पदक - वूमेंस 50 मीटर राइफल 3 पोजीशन शूटिंग SH1

टोक्यो पैरालंपिक में स्वर्ण जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनने के बाद अवनि लखेरा ने वूमेंस 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन SH1 स्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया। इसने उन्हें दो पैरालंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बना दिया।

19 वर्षीय अवनि ने फाइनल में 445.9 अंक के साथ कांस्य पदक जीता, चीन के क्यूपिंग झांग, जिन्होंने पैरालंपिक में रिकॉर्ड 457.9 के स्कोर के साथ स्वर्ण पदक हासिल किया. तो वहीं जर्मनी की नताशा हिलट्रॉप ने 457.1 के स्कोर के साथ रजत पदक जीता।

हरविंदर सिंह - कांस्य पदक - मेंस इंडिविजुअल रिकर्व - ओपन आर्चरी

हरविंदर सिंह ने इतिहास की किताबों में अपना नाम दर्ज कर लिया है, टोक्यो 2020 में मेंस इंडिविजुअल रिकर्व - ओपन आर्चरी में उन्होंने कांस्य पदक हासिल किया।

हरियाणा में जन्में 30 वर्षीय तीरंदाज ने एक रोमांचक प्लेऑफ मैच में दक्षिण कोरिया के किम मिन सु को 6-5 से हराकर पैरालंपिक गेम्स में भारत को अपना पहला तीरंदाजी कांस्य पदक दिलाया।

मनीष नरवाल, गोल्ड मेडल, मेंस 50 मीटर पिस्टल SH1, टोक्यो 2020

भारत के मनीष नरवाल ने टोक्यो में पैरालंपिक में रिकॉर्ड बनाते हुए मेंस 50 मीटर पिस्टल SH1 शूटिंग के स्वर्ण पदक पर दावा किया।

उन्होंने क्वालीफाइंग में सातवें स्थान पर रहते हुए फाइनल के लिए क्वालीफाई किया, लेकिन मेडल राउंड में शानदार प्रदर्शन किया और 218.2 का स्कोर बनाया, जो पैरा खेलों में एक नया रिकॉर्ड है।

सिंहराज अधाना, सिल्वर मेडल, मेंस 50 मीटर पिस्टल SH1, टोक्यो 2020

मनीष नरवाल के हमवतन सिंहराज अधाना ने रजत पदक जीतकर भारत के लिए इस इवेंट में पहला और दूसरा दोनों स्थान हासिल किए।

सिंहराज, जिन्होंने पहले टोक्यो में मेंस 10 मीटर एयर पिस्टल SH1 में कांस्य जीता था, वह क्वालीफाइंग में चौथे स्थान पर रहे। नरवाल से पीछे रहते हुए उन्होंने फाइनल में 216.7 का स्कोर किया। आरपीसी के सर्गेई मालिशेव ने 196.8 के साथ कांस्य पदक जीता।

प्रमोद भगत, गोल्ड मेडल, मेंस सिंगल्स बैडमिंटन SL3, टोक्यो 2020

प्रमोद भगत मेंस सिंगल्स बैडमिंटन SL3 कैटेगरी में पहले पैरालंपिक चैंपियन बने। बैडमिंटन ने पैरालंपिक खेलों में अपना डेब्यू किया।

प्रमोद भगत ने सेमीफाइनल के लिए क्वालीफाई करने के लिए ग्रुप ए में शीर्ष स्थान हासिल किया, जहां उन्होंने जापान के डाइसुके फुजिहारा को 21-11, 21-16 से हराकर स्वर्ण पदक जीता। फाइनल में भारतीय शटलर ने ग्रेट ब्रिटेन के डेनियल बेथेल को 21-14, 21-17 से हराकर पोडियम के शीर्ष स्थान पर दावा किया।

मनोज सरकार, बॉन्ज़ मेडल, मेंस सिंगल्स बैडमिंटन SL3, टोक्यो 2020

भारत के मनोज सरकार ने इस इवेंट में तीसरे स्थान पर रहते हुए कांस्य पदक जीता।

मनोज सरकार सेमीफाइनल में पहुंचने के दौरान ग्रुप ए में प्रमोद भगत से पीछे रहे, जहां वह अंतिम रजत पदक विजेता डेनियल बेथेल से हार गए। हालांकि, मनोज सरकार ने सेमीफाइनल में हारने वाले जापान के डाइसुके फुजिहारा को 22-20, 21-13 से हराकर कांस्य पदक हासिल किया।

सुहास यतिराज, सिल्वर मेडल, मेंस सिंगल्स बैडमिंटन SL4, टोक्यो 2020

सुहास यतिराज ने टोक्यो पैरालंपिक में मेंस सिंगल्स SL4 में रजत पदक के साथ भारत का तीसरा बैडमिंटन पदक हासिल किया।

भारत में एक आईएएस अधिकारी के रूप में कार्यरत इस भारतीय शटलर ने ग्रुप ए में फ्रांस के विश्व चैंपियन लुकास मजूर के पीछे दूसरे स्थान पर रहने के बाद सेमीफाइनल के लिए क्वालीफाई किया। उन्होंने अंतिम चार में इंडोनेशिया के फ्रेडी सेतियावान को हराया।

फाइनल में सुहास यतिराज का सामना फिर से लुकास मजूर से हुआ। ग्रुप स्टेज में सीधे गेम में उसे हराने वाले फ्रेंचमैन के खिलाफ भारतीय ने कड़ी टक्कर दी, लेकिन वह यह मैच 21-15, 15-21, 17-21 से हार गए।

कृष्णा नागर, गोल्ड मेडल, मेंस सिंगल्स बैडमिंटन SH6, टोक्यो 2020

कृष्णा नागर ने मेंस सिंगल्स बैडमिंटन SH6 वर्ग में स्वर्ण पदक जीतने के बाद टोक्यो पैरालंपिक में भारत के अभियान को शीर्ष स्तर पर खत्म किया।

राजस्थान में जन्मे इस शटलर ने शुरू से अंत तक इस प्रतियोगिता में अपना दबदबा बनाए रखा। उन्होंने ग्रुप चरण में मलेशिया के दीदीन तारेसोह और ब्राजील के विटोर गोंसाल्वेस तवारेस पर सीधे गेम में जीत हासिल की। सेमीफाइनल में भी उन्होंने ग्रेट ब्रिटेन के क्रिस्टन कॉम्ब्स के खिलाफ सीधे गेम में जीत हासिल की।

हांगकांग के चू मान काई के खिलाफ फाइनल थोड़ा मुश्किल रहा, लेकिन भारतीय ने यह मैच 21-17, 16-21, 21-17 से जीतकर स्वर्ण पदक हासिल कर लिया।

पैरालंपिक खेलों में भारत के पदक विजेताओं की सूची पर नज़र डालें

एथलीटगेम्सइवेंटमेडल
मुरलीकांत पेटकर हीडलबर्ग 1972 स्विमिंग, मेंस 50मीटर फ्रीस्टाइल 3 गोल्ड
जोगिंदर सिंह बेदी स्टोक मैंडविल/न्यूयॉर्क 1984
मेंस जेवलिन थ्रो L6 ब्रॉन्ज़
भीमराव केसरकर स्टोक मैंडविल/न्यूयॉर्क 1984
मेंस जेवलिन थ्रो L6 सिल्वर
जोगिंदर सिंह बेदी स्टोक मैंडविल/न्यूयॉर्क 1984
मेंस जेवलिन थ्रो L6 सिल्वर
जोगिंदर सिंह बेदी स्टोक मैंडविल/न्यूयॉर्क 1984 मेंस डिस्कस थ्रो L6 ब्रॉन्ज़
देवेंद्र झजारिया एथेंस 2004 मेंस जेवलिन थ्रो F44/ 46 गोल्ड
राजिंदर सिंह रहेलू एथेंस 2004 मेंस 56 किग्रा ब्रॉन्ज़
गिरीश एन गौड़ा लंदन 2012 मेंस हाई जम्प F42 सिल्वर
मरियप्पन थंगावेलु रियो 2016 मेंस हाई जम्प F42 गोल्ड
वरुण सिंह भाटी रियो 2016 मेंस हाई जम्प F42 ब्रॉन्ज़
देवेंद्र झजारिया रियो 2016 मेंस जेवलिन थ्रो F46 गोल्ड
दीपा मलिक रियो 2016 वूमेंस शॉट पुट F53 सिल्वर
भाविना पटेल टोक्यो 2020 वूमेंस सिंगल्स टेबल टेनिस क्लास 4 सिल्वर
निषाद कुमार टोक्यो 2020 मेंस हाई जंप T47 सिल्वर
अवनि लखेरा टोक्यो 2020 वूमेंस 10 मीटर एयर राइफल शूटिंग स्टैंडिंग SH1 गोल्ड
देवेंद्र झजारिया टोक्यो 2020 मेंस जेवलिन थ्रो F46 सिल्वर
सुंदर सिंह गुर्जर टोक्यो 2020 मेंस जेवलिन थ्रो F46 ब्रॉंज
योगेश कथुनिया टोक्यो 2020 मेंस डिस्कस थ्रो F56 सिल्वर
सुमित अंतिल टोक्यो 2020 मेंस जेवलिन थ्रो F64
गोल्ड
सिंहराज अदाना टोक्यो 2020 मेंस10 मीटर एयर पिस्टल शूटिंग SH1 ब्रॉन्ज़
मरियप्पन थंगावेलु टोक्यो 2020 मेंस हाई जंप T42 सिल्वर
शरद कुमार टोक्यो 2020 मेंस हाई जंप T42 ब्रॉन्ज़
प्रवीण कुमार टोक्यो 2020 मेंस हाई जंप T64 सिल्वर
अवनि लखेरा टोक्यो 2020 वूमेंस 50 मीटर राइफल 3 पोजीशन शूटिंग SH1 ब्रॉन्ज़
हरविंदर सिंह टोक्यो 2020 मेंस इंडिविजुअल रिकर्व, आर्चरी ब्रॉन्ज़
मनीष नरवाल टोक्यो 2020 मेंस 50 मी पिस्टल SH1 गोल्ड
सिंहराज अधाना टोक्यो 2020 मेंस 50 मी पिस्टल SH1 सिल्वर
प्रमोद भगत टोक्यो 2020 मेंस सिंगल्स बैडमिंटन SL3 गोल्ड
मनोज सरकार टोक्यो 2020 मेंस सिंगल्स बैडमिंटन SL3 ब्रॉन्ज़
सुहास यतिराज टोक्यो 2020 मेंस सिंगल्स बैडमिंटन SL4 सिल्वर
कृष्णा नागर टोक्यो 2020 मेंस सिंगल्स बैडमिंटन SH6 गोल्ड

पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय कौन हैं?

जिसमें भारत ने 6 स्वर्ण, 10 रजत और 9 कांस्य सहित 25 पदक जीते हैं। आइए एक नज़र डालते हैं उन भारतीय एथलीटों पर, जिन्होंने पैरालंपिक खेलों में पदक हासिल किए हैं। 1965 के भारत-पाक युद्ध में अपना योगदान देने वाले अनुभवी मुरलीकांत पेटकर भारत के पहले पैरालंपिक पदक विजेता हैं

ओलम्पिक खेलों में भारत ने हॉकी में पहली बार स्वर्ण पदक कब जीता था?

एम्सटर्डम 1928: जब भारत ने हॉकी में प्रथम ओलंपिक स्वर्ण पदक जीता

पैरा ओलंपिक खेलों का जनक कौन है?

सबसे पहले नियोरोलॉजिस्ट डॉक्टर गुट्टमान 400 व्हीलचेयर लेकर ओलंपिक शहर में पहुंचे, जहां उन्होंने पैरा लोगो के लिए खेल का आयोजन किया. वहीं से शुरुआत हुई मॉर्डन पैरालंपिक खेलों की. ब्रिटेन के मार्गेट माघन ने पैरालंपिक खेलों में गोल्ड मेडल जीतने वाले पहला एथलीट बनने का गौरव हासिल किया.

ओलंपिक खेलों में भाग लेने वाली प्रथम महिला कौन थी?

ओलम्पिक में भाग लेने वाली प्रथम भारतीय महिला जिम्नास्ट दीपा करमाकर (Dipa Karmakar) हैं।