Show ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता पर्वतीय सौंदर्य को व्यक्त करने वाली कविता है। प्रकृति का यह सौंदर्य वर्षा में और भी बढ़ जाता है। वर्षा काल में प्रकृति में क्षण-क्षण होने वाला परिवर्तन देखकर लगता है कि प्रकृति सजने-धजने के क्रम में पल-पल अपना वेश बदल रही है। विशाल आकार वाला मेखलाकार पर्वत है जिस पर फूल खिले हैं। पर्वत के पास ही विशाल तालाब है जिसमें पर्वत अपना सौंदर्य निहारता है और आत्ममुग्ध होता है। तालाब का जल इतना स्वच्छ है जैसे दर्पण हो। पर्वतों से गिरते झरने सफ़ेद मोतियों की लड़ियों जैसे लगते हैं। अचानक बादल उमड़ते हैं। बादलों में पर्वत और झरने अदृश्य हो जाते हैं। ऐसा लगता है जैसे पर्वत विशालकाय पक्षी की भाँति पंख फड़फड़ाकर उड़ जाते हैं। मूसलाधार वर्षा आरंभ हो जाती है। शाल के पेड़ भयभीत होकर धरती में धंसने से लगते हैं। तालाब से धुआँ उठने लगता है। ऐसा लगता है जैसे इंद्र अपनी जादूगरी दिखा रहा है। पर्वत प्रदेश में पावस कविता का प्रतिपाद्य क्या है?'पर्वत प्रदेश में पावस' कविता पर्वतीय सौंदर्य को व्यक्त करने वाली कविता है। प्रकृति का यह सौंदर्य वर्षा में और भी बढ़ जाता है। वर्षा काल में प्रकृति में क्षण-क्षण होने वाला परिवर्तन देखकर लगता है कि प्रकृति सजने-धजने के क्रम में पल-पल अपना वेश बदल रही है। विशाल आकार वाला मेखलाकार पर्वत है जिस पर फूल खिले हैं।
पर्वत प्रदेश में पावस कविता में तालाब की तुलना किससे की गई है और क्यों?तालाब का आकार बहुत बड़ा है। तालाब का जल अत्यंत निर्मल और साफ़ है। तालाब के इस स्वच्छ जल में पर्वत अपना महाकार देख रहा है।
पर्वत प्रदेश में पावस कविता में कवि का वर्ण्य विषय क्या है अपने शब्दों में लिखिए?इसके कवि 'सुमित्रानंदन पंत जी 'हैं। इसमें कवि ने झरनों की सुंदरता का वर्णन किया है। व्याख्या -: इस पद्यांश में कवि कहता है कि मोतियों की लड़ियों के समान सुंदर झरने झर झर की आवाज करते हुए बह रहे हैं ,ऐसा लग रहा है की वे पहाड़ों का गुणगान कर रहे हों। उनकी करतल ध्वनि नस नस में उत्साह अथवा प्रसन्नता भर देती है।
है टूट पड़ा भू पर अंबर ं पर्वत पर्व प्रदेश में पावस कविता में कवि नेऐसा क्यों कहा है?ऐसा कविता में इसलिए कहा गया है क्योंकि जब आकाश में चारों तरफ असंख्य तथा घने बादल छा जाते हैं तो वातावरण धुंधमय हो जाता है उस समय कुछ भी दिखाई नहीं देत, केवल झरनों की झर-झर ही सुनाई देती है, तब ऐसा प्रतीत होता है कि मानों धरती पर आकाश टूट पड़ा हो।
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