ऑनलाइन या ऑफलाइन कौन सी कक्षाएं बेहतर और क्यों? - onalain ya ophalain kaun see kakshaen behatar aur kyon?

लॉकडाउन में बंद पड़े स्कूलों के चलते शुरू की गई ऑनलाइन पढ़ाई में छात्र ज्यादा दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। यही कारण है कि इन कक्षाओं से करीब आधे छात्र ही जुड़ पाए हैं। इसके अलावा कहीं नेट की रफ्तार तो कहीं संसाधनों की कमी ऑनलाइन पढ़ाई को प्रभावित कर रही है। अभिभावक बच्चों के असाइनमेंट तैयार करने में जुटे हैं तो अधिकतर शिक्षक भी इसे कई कारणों से ज्यादा प्रभावी नहीं मान रहे। हिन्दुस्तान टीम की रिपोर्ट...

कक्षा के लिए बने ग्रुप में नहीं जुड़े पूरे छात्र
दिल्ली शिक्षा निदेशालय की तरफ से शुरू की गई ऑनलाइन कक्षाओं के तहत संसाधनों की कमी का सबसे अधिक सामना 10वीं और 12वीं के छात्रों को करना पड़ रहा है। निदेशालय के एक शिक्षक के मुताबिक जिन बच्चों ने अभी 9वीं व 11वीं पास की है। उन्हें ऑनलाइन शिक्षा देने के लिए कक्षा शिक्षक ने व्हाट्सएप ग्रुप बनाए हैं। इन ग्रुप के माध्यम से ही ऑनलाइन कक्षाओं का आयोजन व निगरानी होती है। कक्षा में पंजीकरण के हिसाब से एक कक्षा के लिए बनाए गए ग्रुप में 40 से 50 छात्र होने चाहिए। लेकिन, इन ग्रुपों में बड़ी संख्या में छात्र ही नहीं जुड़े हैं। आलम यह है कि किसी ग्रुप में 50 फीसद तो किसी ग्रुप में 60 फीसदी छात्र ही जुड़े हैं।
शिक्षक के मुताबिक इसके पीछे जो प्रथम दृष्टया कारण समझ आ रहा है, वह यह है कि कई छात्रों के पास इन ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल होने के लिए जरूरी संसाधन नहीं है। इसमें स्मार्ट फोन, लैपटॉप या इंटरनेट जैसे संसाधन प्रमुख हैं।

ऑनलाइन कक्षाओं के फायदे और नुकसान पर बंटे स्कूल व अभिभावक

छात्र लंबे समय तक मैसेज नहीं देख रहे 
ऑनलाइन कक्षाओं के लिए ग्रुप में जुड़े बच्चे भी ऑनलाइन पढ़ाई के लिए उतनी दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। सुभाष नगर एसबीवी के शिक्षक संत राम के अनुसार शिक्षकों की तरफ से लगातार छात्रों के लिए पाठ्य सामग्री भेजी जाती रही है। वहीं, खान व ब्रिटिश अकादमी की तरफ से भेजी जा रही पाठ्य सामग्री की जिम्मेदारी भी शिक्षकों पर है। ऐसे में कई बार ऐसा होता है कि पाठ्य सामग्री के लिए जो मैसेज ग्रुप में भेजे जाते हैं, वह लंबे समय तक छात्रों की तरफ से देखे ही नहीं जाते। अब स्थिति यह है कि छात्र ग्रुप छोड़ रहे हैं।

मूल्यांकन का तंत्र नहीं
शिक्षा निदेशालय की तरफ से नर्सरी से आठवीं तक के बच्चों के अभिभावकों के मोबाइल में संदेश व आईवीआर के माध्यम से पाठ्य सामग्री भेजने की व्यवस्था की गई है। लेकिन, इस व्यवस्था के परिणाम से भी शिक्षक अंजान हैं। एक शिक्षक के अनुसार भेजे गए संदेशों पर बच्चों व अभिभावकों की तरह से क्या काम किया गया है और इस पर कितना अमल हुआ है, इसकी निगरानी व मूल्यांकन करने का कोई तंत्र नहीं है। इस वजह से यह पूरी प्रक्रिया औपचारिक हो गई है।

निदेशालय ने मांगी प्रतिक्रियाएं
ऑनलाइन कक्षाओं के परिणाम जुटाने की प्रक्रिया शिक्षा निदेशालय ने भी शुरू कर दी है। इसके तहत निदेशालय ने छात्रों से ऑनलाइन कक्षाओं को लेकर प्रतिक्रिया मांगी है। यह प्रतिक्रियाएं छात्रों से शिक्षकों की तरफ से मांगी जाएगी, जिसकी रिपोर्ट सभी स्कूल 2 जून तक निदेशालय में जमा कराएंगे। इस संबंध में शिक्षा निदेशालय ने सभी सरकारी स्कूलों के प्रमुखों को आदेश जारी किया है। इसमें शिक्षक कक्षा के सभी छात्रों को फोन कर शिक्षण कार्यक्रमों पर उनकी प्रतिक्रिया लेंगे।

निदेशालय ने ये इंतजाम किए
- नर्सरी से आठवीं तक के बच्चों के लिए प्रतिदिन असाइनमेंट और हैप्पीनेस की कक्षाएं
- 10वीं और 12वीं के बच्चों के लिए खान अकादमी से गणित और विज्ञान की ऑनलाइन कक्षाएं
- 10वीं और 12वीं के बच्चों के लिए ब्रिटिश अकादमी से अंग्रेजी की कक्षाएं

शिक्षकों की प्रतिक्रिया
ऑनलाइन कक्षाओं को लेकर छात्रों की दिलचस्पी नहीं है। हालांकि, शुरुआती दिनों में छात्र इसमें शामिल हो रहे थे, लेकिन अब ग्रीष्मकालीन अवकाश घोषित होने के बाद छात्रों का रुझान बेहद कम हो गया है। वह ग्रुप छोड़ रहे हैं। - संतराम, शिक्षक, एसीबीवी सुभाष नगर

ऑनलाइन कक्षाओं में 30 से 40 फीसदी छात्र ही प्रतिभाग कर रहे हैं। इसके पीछे एक प्रमुख कारण संसाधनों का अभाव होना है। वहीं कोरोना की वजह से कई परिवार वापस गांव लौट गए हैं। हालांकि, 12वीं के छात्रों का प्रतिभाग सबसे अधिक है। - कृष्णा फोगाट, शिक्षक, राजकीय बाल विद्यालय, रोहिणी सेक्टर 3

अभिभावक बोले
मेरी बेटी सर्वोदय कन्या विद्यालय वेस्ट विनोद नगर में सातवीं की छात्रा है। शुरुआती दिनों में मोबाइल के माध्यम से ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित हुई थी। फिर व्हाट्सएप के माध्यम से काम मिलता था। अब जब से ग्रीष्मकालीन अवकाश हुआ है, तब से ऑनलाइन कक्षाएं बंद हैं। - मकान सिंह, अभिभावक, मंडावली

मेरा बच्चा राजकीय सर्वोदय बाल विद्यालय नंद नगरी में 10वीं का छात्र है। बंदी में ऑनलाइन कक्षा से उनकी पढ़ाई जारी है। वहीं उनकी आंखों के नुकसान को लेकर हम चिंतित है। अभी सिर्फ विज्ञान और गणित विषय की कक्षाएं ही आयोजित हो रही हैं। - फराह सैफी, अभिभावक, नंद नगरी

ऑनलाइन कक्षाएं जारी हैं, सिर्फ दो शिक्षकों की तरफ से ही पाठ्य सामग्री भेजी जा रही है। कक्षा में पढ़ने का अनुभव अलग था, उसमें कुछ  ना आने पर सीधे शिक्षकों से पूछ लेते थे, इसमें एक झिझक से बनी रहती है।- राकेश कुमार, छात्र

ऑनलाइन कक्षाएं बेहतर हैं, लेकिन जो पाठ्य सामग्री भेजी जा रही है। उससे बेहतर पाठ्य सामग्री कई बार यू ट्यूब में उपलब्ध रहती है। हालांकि बंदी के दौरान पढ़ने का पूरा मौका मिल रहा है, लेकिन लंबे समय तक मोबाइल में देखे रहने से आंखों में पानी आने की समस्या होने लगी है।
अजय पांडेय, छात्र

स्कूलों में बच्चों की संख्या 
सरकारी स्कूलों में - 16 लाख से अधिक
तीनों निगम स्कूलों में - 8 लाख से अधिक
निजी स्कूल  - 22 लाख से अधिक 

निगम स्कूलों में भी बंद हुई ऑनलाइन कक्षाएं 
बंदी के दौरान शुरू हुई ऑनलाइन कक्षाएं अब निगम स्कूल में बंद हो गई हैं। तीनों निगमों की तरफ से ग्रीष्मकालीन अवकाश घोषित करने के साथ ही ऑनलाइन कक्षाओं का बंद करने का फैसला लिया गया है, लेकिन अभिभावक व निगम शिक्षकों का कहना है कि ऑनलाइन कक्षाओं का जो रूझान आ रहा था, उसके अनुरूप बंद करना जरूरी थ। नगर निगम शिक्षक संघ के संयोजक सतेंद्र नागर के मुताबिक ऑनलाइन कक्षाओं में सिर्फ निगमों के 10 फीसद बच्चे ही शामिल हो रहे थे। इसके इतर कई तरह की समस्याएं भी सामने आ रही थी, जो संसाधानों के अभाव की वजह से जुड़ी थी। निगम में पढ़ने वाले अधिकांश बच्चे निम्म आय वर्ग से संबंध हैं। ऐसे में कईयों के पास स्मार्ट फोन नहीं है, अगर किसी के पास है, तो वह घर में एक ही फोन है। कई बार  जब शिक्षक ऑनलाइन कक्षाओं के जरिए पढ़ाते तो फोन उनके अभिभावकों के पास रहता था। ऐसी ही कई समस्याओं का सामना शिक्षकों को करना पड़ा है। उत्तरी दिल्ली के निगम शिक्षक दीपक गोस्वामी कहते हैं कि शुरुआती दिनों में बच्चों के लिए नया था, आधारभूत ढांचे की कमी की वजह से बच्चे इसमें जुड़ नहीं पाए।

निजी स्कूलों में 10 जून तक ऑनलाइन कक्षाएं
निजी स्कूलों में ऑनलाइन कक्षाएं अभी जारी है, जिसके तहत निजी स्कूल 10 जून तक ऑनलाइन कक्षाएं संचालित करेंगे। निजी स्कूल एक्शन कमेटी के महासचिव भरत अरोड़ा के मुताबिक निजी स्कूलों ने ऑनलाइन कक्षाओं का विकल्प के तौर पर लिया था, जो बेहतर परिणाम दे रहा है। जिसके तहत स्कूल माइक्रोसाफ्ट टीम, जूम, गूगल कनेक्ट, व्हाटसएप, गूगल क्लास रूम, गूगल मीट जैसे एप्लीकेशन के माध्यमों से बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा उपलब्ध करा रहे हैं। वहीं कई स्कूलों ने ऑनलाइन पीटीएम का आयोजन किया था। अभिभावकों की तरफ से भी सकारात्मक  नतीजे आए हैं। वहीं ऑनलाइन हाजिरी भी ली जा रही है।

शिक्षा विशेषज्ञ की प्रतिक्रिया
ऑनलाइन शिक्षा के कई फायदों के साथ ही नुकसान भी हैं। अभी हमारी तकनीक इतनी स्मार्ट नहीं हुई एक साथ बच्चे कनेक्ट हो सके। यह एक तरह की शारीरीक व मानसिक प्रताड़ना भी है। ऑनलाइन कक्षाओं में बच्चों को ध्यान केंद्रित कर एक जगह पर बैठना पड़ता है। वहीं कक्षा में बच्चों के पास मानसिक व शारीरीक स्वतंत्रता होती है। वहीं कक्षा में शिक्षक बच्चों के साथ अपने अनुभव साझा करते हैं, इससे बच्चे बहुत कुछ सीखते हैं। ऑनलाइन कक्षाओं में यह संभव नहीं है। अगर कक्षा के माध्यम से शिक्षण 100 फीसद प्रभावी है, तो यह 10 फीसद भी नहीं है। हालांकि तकनीक बेहतर होने के बाद ऑनलाइन कक्षाओं की पहुंच विस्तृत होगी। इससे दूर बैठकर भी कोई भी बच्चा किसी भी कक्षा में आसानी से शामिल हो सकेगा। वहीं शिक्षकों में सोच-समझ कर बोलने की प्रवृति बढ़ेगी। जिससे  पाठ्य सामग्री की गुणवत्ता बेहतर होगी। - संजय सिंह बघेल, शिक्षा विशेषज्ञ, प्रोफेसर, आत्मा राम सनातन धर्म कॉलेज, डीयू

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फरीदाबाद से रिपोर्ट
लॉक डाउन के बाद बदला पढाई का पैटर्न

किताबों की जगह पीडीएफ डॉक्यूमेंट से पढ़ाई हो रही है, ब्लैकबोर्ड की जगह ऑनलाइन विडियो से शिक्षक पाठ समझा रहे हैं और होमवर्क वाट्सएप पर साझा किया जा रहा है। लॉकडाउन के बीच पढ़ने-पढ़ाने का तरीका पूरी तरह डिजीटल हो चुका है। पहले जहां स्कूलों में ऑनलाइन कक्षाएं लगाई जा ही थी। वहीं अब होमवर्क भी ऑनलाइन ही दिया जा रहा है। एेसे में अभिभावकों की परेशानी कुछ हल हुई है तो कुछ बढ़ भी गई है। हिन्दुस्तान ने इस मुद्दे पर बात की पेश है रिपोर्टः

एप और विडियो कॉन्फ्रेंस से ली कक्षाएं
स्कूलों में छात्रों की पढ़ाई जारी करने के लिए जूम जैसी एप का सहारा लिया जा रहा है। वहीं  गूगल हैंगआउट और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग  के जरिए भी कई स्कूल ऑनलाइन क्लासेज लगा रहे हैं। लेकिन जिनके घरों में एके से ज्यादा बच्चे हैं एक समय पर बच्चों को ऑनलाइन कक्षाएं कैसे दिलाएं ये परेशानी बनी हुई है। वहीं लगातार लैपटॉप, फोन स्क्रीन और कंप्यूटर पर बैठे रहने से बच्चों को ड्राई आई, आंखों में दर्द जैसी परेशानी भी होने लगी है।

पढ़ाई के बाद डिजीटल हुआ होमवर्क
लॉकडाउन के बाद स्कूलों में कक्षाएं ऑनलाइन ली गई। वहीं कई स्कूलों में गर्मी की छुट्टियां पढ़ चुकी है। अब होमवर्क भी डिजीटल हुआ है। कई स्कूलों ने वर्कशीट के बजाय ऑनलाइन शीट्स साझा कर इनपर होमवर्क पूरा करने को कहा है। वहीं कई स्कूल घरों में मौजूदा सामानों से जो प्रोजेक्ट तैयार हो सकें एेसे होमवर्क दे रहे हैं। इनमें अखबार जैसा सामान इस्तेमाल किया जा रहा है। बच्चों को होमवर्क ऑनलाइन वाट्सएस के जरिए साझा किया गया है।

10 फीसदी बच्चे ले पा रहे ऑनलाइन क्लास
सरकारी अधिकारियों के मुताबिक बच्चों के पास लैपटॉप और इंटरनेट की पहुंच नहीं होने की वजह से दस फीसदी बच्चे ही ऑनलाइन  पढ़ पा रहे हैं। ऐसे में निदेशक लोक संपर्क विभाग ने टीबी से पढ़ाई कराने की योजना तैयार की है। सरकार के मुताबिक कुछ समय पहले तक इन चैनलों की इसरो के साथ अपलिंकिंग की समस्या आ रही थी। जिसका निदान कर दिया गया है। सरकार के मुताबिक इस वयवस्था से  राज्य के 22 हजार विद्यालयों के 52 लाख बच्चे पढ़ सकेंगे।

होमवर्क पूरा कराना भी आफत
शिव दत्त जुयाल, अभिभावक -  लॉकडाउन के बाद से बच्चों की पढ़ाई से काफी मुश्किल बनी हुई है। पहले ऑनलाइन कक्षाएं ली जा रही थी। एक ही समय पर तीन बच्चों को क्लास दिलाने में परेशानी थी। अब घर के पास स्टेशनरी दुकाने बंद है। ऐसे में होमवर्क के लिए जरूरी सामान नहीं मिल पा रहें हैं।

बच्चों को हेमवर्क में काफी काम मिला है। कई होमवर्क ऑनलाइन ही करने हैं। मार्च से अब तक लगातार स्मार्टफोन पर पढ़ाई जारी है। वहीं प्रोजेक्ट वगैरह के लिए सामान कहां से लाएं सभी दुकानें बंद है।- ममता, अभिभावक

लॉकडाउन के बीच बच्चों की पढ़ाई ना रुके इसके लिए लगातार ऑनलाइन कक्षाएं ली जा रही हैं। बच्चों के लिए इनोवेटिव और फन विडियो भी तैयार कर साझा किए जाते हैं। होमवर्क भी ऑनलाइन चैक किया जा रहा है।- उपासना गौड़, स्कूल, संचालिका- 

ये आए पॉजीटिव परिणाम
-डिजिटल पढ़ाई से इंटरनेट फ्रेंडली हुए बच्चे
-लॉकडाउन के बीच भी पढाई लगातार जारी
-पढ़ाई का वैकल्पिक उपाय मिला

खामियां
-बिजली ओर इंटरनेट कनेक्टिविटी से परेशानी
-होमवर्क पूरा करने में दुकाने बंद होना आफत
-अभिभावकों को रखनी पड़ रही निगरानी

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ऑनलाइन शिक्षा - गुरुग्राम से रिपोर्ट
महामारी में ऑनलाइन पढ़ाई बेहतर विकल्प, सरकारी स्कूल के विद्यार्थी ऑनलाइन पढ़ाई के लिए तैयार नही
महामारी में बच्चे स्कूल नही जा पाने के कारण ऑनलाइन पढ़ाई मौजूदा स्थिती में बेहतर विकल्प है। लेकिन ऑनलाइन पढ़ाई के लिए निजी स्कूलों के विद्यार्थी पूरी तरह से तैयार है,तो वहीं दूसरी और सरकारी स्कूलों के विद्यार्थी ऑनलाइन पढ़ाई के लिए तैयार नहीं। विद्यार्थियों के पास स्मार्ट  मोबाइल,टीवी और लैपटॉप की भी सुविधा नहीं है। ऐसे में सरकारी स्कूल के विद्यार्थी कैसे पढ़ाई कर सकेगें। जबकि निजी स्कूलों में पढ़ रहे विद्यार्थियों का नए सत्र 2020-21 के अनुसार सिलेबस पढ़ाना शुरू कर दिया। ऐसे में अभिभावक,शिक्षकों और विद्यार्थियों की बात करें,तो सभी लोग स्कूल में जाकर पढ़ाई को बेहतर विकल्प मानते है। लेकिन मौजूदा स्थिती में ऑनलाइन पढ़ाई हीहतर विकल्प है। लेकिन ऑनलाइन विकल्प को अपनाने में सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को अभी काफी समय लगेगा। क्योकि उनको पास  संसाधानों को अभाव है।
रोजाना पढ़ाते है शिक्षक
-निजी स्कूलों में हर कक्षा के विद्यार्थियों को सॉफ्टवेयर स्कूल दवारा मुहैया करवाया गया है। उस पर रोजाना स्कूल की शिक्षिका रोजाना बच्चों से बात करती है और नए विषयों के बारे में पढ़ाया जाता है। कर विषय की 45 से 50 मिनट की कक्षा होती है। अगर विषय में कोई दिक्कत आती है,तो बच्चे अगले दिन या फिर मेल के जरीए सवाल भेजते है, शिक्षिका उनका जवाब देती है। रोजाना शिक्षिका से बात होती है। ऑनलाइन कक्षाओं में विद्यार्थियों को अंग्रेजी,गणित और विज्ञान जैसे विषयों को पढ़ाया जा रहा है।

वीडियो और लिंक भेजते है
-सरकारी स्कूलों के शिक्षकों दवारा विद्यार्थियों को निजी स्कूलों के उलट ऑनलाइन पढ़ाई करवाई जा रही है। शिक्षिका उनकी कक्षा में पढ़ने वाले  विद्यार्थियों के अभिभावकों के स्मार्ट मोबाइल पर विषय से संबधित  लिंक और वीडियो भेजती है। विद्यार्थियों को खुद पढ़ने के लिए कहां जाता है। अगर कोई दिक्कत होती है,तो वह शिक्षिका को फोन कर सकते है। जबकि निजी स्कूलों में विद्यार्थी और शिक्षक सॉफ्टवेयर के माध्यम से जुड़्ते है। स्कूल में जैसे कक्षा लगती थी,वैसे ही ऑनलाइन कक्षाएं लगाई जाती है। जबकि सरकारी स्कूलों में ऐसा नहीं है।

प्रतिक्रिया:
विद्यार्थी:  

ऑनलाइन कक्षा में पढ़़ाई करना नया अनुभव है। शुरूवात के दिनों में थोडी दिक्कत हुई थी। लेकिन अब कोई परेशानी नहीं है। स्कूल नहीं जा सकते,तो क्या हुआ घर बैठ कर ही पढ़ाई कर रहे है।
-रागिनी छठी कक्षा डीएवी स्कूल सेक्टर-49
ऑनलाइन पढ़ाई वह पहले से ही कर रहे थे। वह पिछले साल से ही ऑनलाइन जेईई की पढ़ाई कर रहे थे। ऐसे में स्कूल की ऑनलाइल पढ़ाई के विकल्प को अपनाने में कोई परेशानी नहीं हुई। ऐसे समय में ऑनलाइन कक्षाए बेहतर विकल्प है।
-ऋषि डोबले बाहरवीं कक्षा डीएवी स्कूल सेक्टर-49

अभिभावक:
महामारी में कोई भी घर से बाहर नहीं निकल सकता। ऐस में बच्चों की पढ़ाई पर कोई असर नहीं पड़े,उसके लिए ऑनलाइन पढ़ाई बेहतर विकल्प है। हमें भी पता रहता है कि क्लास में क्या पढ़ाया गया। बच्चों के लिए भी बेहतर विकल्प है।
-इति शर्मा ,अभिभावक

स्कूल जाकर पढ़ना ही बेहतर विकल्प है। लेकिन ऐसी परिस्थितियों में बच्चों का समय खराब न हो,इसके लिए ऑनलाइन विकल्प ही बेहतर है। घर में पढ़ाई करने से यह पता रहता है कि बच्चे ने क्या पढ़ा है। उसके दवारा कितनी मेहनत की जी रही है। शिक्षक कैसे पढ़ा रहा है।
-संदीप डोबले,अभिभावक

शिक्षक:
ऑनलाइन पढ़ाने के दौरान शुरूवात में सोचा था कि गणित बच्चों को समझ में आएगा या नहीं। लेकिन ऑनलाइन कक्षा में विद्यार्थियों का रिस्पांस काफी अच्छा रहा। अब बिल्कुल भी विद्यार्थियों को गणित पढ़ने में कोई दिक्कत नहीं होती।
-अनुपमा शर्मा,गणित शिक्षक डीएवी स्कूल सेक्टर-49

सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के अभिभावकों के मोबाइल पर वीडियो और लिंक भेजे जाते है। अगले दिन विद्यार्थियों को फोन और वीडियो कॉल से पूछा जाता है कि कल वाले विषय में क्या समझ आया और क्या नहीं। विद्यार्थियों को कोई दिक्कत होती है तो वह खुद भी शिक्षक को फोन कर सकते है।
-पूनम शर्मा,जेबीटी शिक्षक,प्राथमिक पाठशाला सरहौल

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ऑनलाइन शिक्षा - गाजियाबाद से रिपोर्ट
- विकल्प के तौर पर ऑनलाइन कक्षाएं ठीक, लेकिन 100 फीसदी नहीं सफल
-स्कूली बच्चों की कैंपस क्लास के जरिए ही हो सकती है बेहतर पढ़ाई
-सीबीएसई के 260 स्कूल, करीब 70 डिग्री कॉलेज समेत सभी स्कूलों में हो रही ऑनलाइन पढ़ाई

लॉकडाउन की वजह से चॉक और डस्टर से क्लास में पढ़ाने वाले शिक्षक अब हाईटेक हो गए हैं। पाठ्यक्रम वही है, लेकिन उन्होंने पढ़ाने का तरीका बदल दिया है। कुछ दिक्कतें हैं, पर दूसरा कोई रास्ता भी नहीं है। विकल्प के तौर पर ऑनलाइन कक्षाएं ही सही हैं। पाठ्यक्रम में कोई बदलाव नहीं है। जिन किताबों से क्लास में पढ़ाते हैं, उन्हीं से ऑनलाइन भी। बस, ऑनलाइन पढ़ाने से पहले कई-कई बार उसे पढ़कर छात्रों के लिए पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन (पीपीपी), पीडीएफ फाइलें तैयार करते हैं। फिर छात्रों को ऑनलाइन कनेक्ट करते हैं। शिक्षकों का कहना है कि विकल्प के तौर पर ऑनलाइन क्लास बहुत अच्छी हैं। हालांकि कैंपस क्लास का रूप नहीं लिया जा सकता। सीबीएसई के 260 स्कूल, करीब 70 डिग्री कॉलेज समेत कई राजकीय, एडेड कॉलेजों सहित अन्य प्राइवेट कॉलेजों ने ऑनलाइन क्लास शुरू की है।

ये हैं दिक्कतें
-ऑनलाइन क्लास विकल्प के तौर पर ठीक है। यह कैंपस क्लास की जगह नहीं ले सकता।
-ऑनलाइन में हम प्रैक्टिकल नहीं करा सकते। खासकर साइंस और सोशल साइंस के।
-जूम एप पर 40 से ज्यादा छात्र-छात्राएं नहीं जुड़ सकते।
-ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों के पास यह सुविधा नहीं है।
-40 मिनट की क्लास में शिक्षक चैप्टर को शॉर्ट में बता देते हैं तो कुछ छात्रों की समस्याएं सुन ली जाती हैं।
-शिक्षकों व छात्रों के बीच समन्वय की कमी होती है।
-सिलेबस के बहुत से ऐसे विषय हैं जो ब्लैक बोर्ड पर ही एनालाइसिस करके ही बताया जा सकता है।

ये हैं समाधान
-शिक्षकों को ऑनलाइन ट्रेनिंग की जरूरत।
-पढ़ाने और पढ़ने से पहले शिक्षक व छात्र दोनों तैयार होकर ऑनलाइन हों।
-जिन छात्रों के पास ऑनलाइन पढ़ने के साधन नहीं हैं, उन्हें सुविधा दी जाएं।
-ऑनलाइन क्लास को विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में एक सिस्टम बनाकर अनिवार्य किया जाए।

ऑनलाइन पढ़ाई में दो तिहाई शहरी क्षेत्र के बच्चे
लॉकडाउन में सरकार ऑनलाइन पढ़ाई को बढ़ावा दे रही है। संसाधन होने के चलते शहर के ज्यादातर छात्र-छात्राओं ने यह पैटर्न अपना लिया है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के अधिकतर छात्र-छात्रा संसाधन के अभाव में ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित हैं। ग्रामीण क्षेत्र में सिस्टम भी लाचार दिखाई पड़ता है। हालांकि शहरी क्षेत्र में रहने वाले छात्र-छात्राओं की समस्याएं भी अनेक हैं।

अभी तक मैंने ऑनलाइन नहीं पढ़ाया था। लॉकडाउन में ये तरीका भी सीख लिया। इस समय जूम एप से क्लास ले रहा हूं। सिलेबस में कोई बदलाव नहीं है। पढ़ाने से पहले पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन तैयार करना और छात्रों को एक-एक कर ऑनलाइन जोड़ने में काफी समय लगता है। चार-पांच छात्र एक साथ कुछ पूछते हैं तो आवास क्लीयर नहीं हो पाती।- प्रिया वर्मा, अध्यापक, इंदिरापुरम पब्लिक स्कूल

विकल्प के तौर पर ऑनलाइन क्लास ठीक है, लेकिन इसे वास्तविक क्लास का रूप नहीं दिया जा सकता। जूम एप पर 40 छात्र ही ऑनलाइन जुड़ सकते हैं। ऑनलाइन क्लास में छात्र और शिक्षक के बीच समन्वय स्थापित होने में दिक्कत है। ऑनलाइन व्यवस्था अच्छी है, लेकिन उसमें काफी सुधार की जरूरत है। तभी आगे चलकर इसके गुणात्मक परिणाम प्राप्त हो सकेंगे।- वाणी शर्मा, प्राध्यापक, प्राथमिक विद्यालय

ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान इंटरनेट की समस्या सबसे ज्यादा आती है। पढ़ते-पढ़ते डाटा समाप्त हो जाता था। अब दूसरे सिम में भी इंटरनेट पैक ऑनलाइन ले लिया है। अब डाटा की समस्या नहीं होती।- परी शर्मा, कक्षा चार

जब से ऑनलाइन पढ़ाई शुरू हुई है तब से पापा के मोबाइल पर ऑनलाइन गेम खेलना बंद कर दिया है। इंटरनेट का पूरा डाटा पढ़ाई में खर्च हो जाता है। कभी कभी तो मां के मोबाइल के डाटा को भी पढ़ाई में इस्तेमाल करना पड़ रहा है।- माधव सिंह, कक्षा पांच

ऑनलाइन कक्षाएं विद्यार्थियों के लिए इन दिनों में काफी बेहतर विकल्प हैं। घर में बच्चा संक्रमण से दूर है तो हम भी उसकी पढ़ाई पर नजर रखे हुए हैं। ऑनलाइन कक्षा के समय घर में शोर शराबा नहीं होने दिया जाता है। उसके बाद बच्चे का होमवर्क कराने में लग जाते हैं। इस दिनचर्या से रोजाना समय गुजर रहा है।- गौरव बंसल, अभिभावक

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ऑनलाइन शिक्षा - नोएडा से रिपोर्ट
- ऑनलाइन कक्षाओं की सुविधा पर बंटे स्कूल व अभिभावक
- बच्चों की पढ़ाई व भविष्य को देखते हुए ऑनलाइन कक्षाओं को स्कूलों ने बताया जरूरी
- अभिभावकों का आरोप फीस के लिए चलाई गई ऑनलाइन कक्षाएं अभिभावकों को बच्चों को हुई परेशानी

लॉक डाउन के दौरान ऑनलाइन कक्षाएं शुरू होने से निजी स्कूल व अभिभावक इसके फायदे व नुकसान को लेकर बंटे हुए हैं। निजी स्कूल के प्रिंसिपल व शिक्षक जहां ऑनलाइन क्लासेस के फायदे गिनाते हैं वही अभिभावक इसे जल्दबाजी में उठाया गया कदम बता रहे हैं। अभिभावकों का मानना है कि ऑनलाइन क्लासेज के लिए फिलहाल बच्चे तैयार नहीं है। अभिभावक भी इन कक्षाओं के लिए जरूरी संसाधन नहीं जुटा पा रहे। उधर स्कूल इन कक्षाओं को भविष्य की तैयारियों के लिए जरूरी बता रहे हैं। 
ऑनलाइन कक्षाओं के बारे में जब स्कूल एवं अभिभावकों व बच्चों से बात की गई तो उन्होंने अपना-अपना पक्ष रखा। अभिभावकों ने बताया कि ऑनलाइन क्लासेस ऐसे समय पर शुरू की गई जब अभिभावक इन कक्षाओं के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थे। नोएडा में बहुत से ऐसे अभिभावक है जिनके पास संसाधन की कमी है बावजूद उनके दो या तीन बच्चे एक ही समय में ऑनलाइन क्लासेस के लिए तैयारी कर रहे थे। घरों में रहते हुए अभिभावक संसाधनों की व्यवस्था नहीं कर पाए ऐसे में बहुत से बच्चों को इन क्लासेस का लाभ ही नहीं मिल सका। कुछ अभिभावकों ने ऑनलाइन क्लास को सिर्फ फीस लिए जाने का एक जरिया बताया है। इसी तरह स्कूलों का मानना है कि ऑनलाइन क्लासेस से बच्चों का घरों में रहते हुए पाठ्यक्रम काफी हद तक तैयार हुआ है। घरों में रहते हुए ऑनलाइन क्लासेज के रूप में बच्चों ने भी नया कुछ सीखा है। ग्रीष्मकालीन अवकाश होने से हालांकि कई स्कूलों ने ऑनलाइन क्लासेस बंद कर दी है, लेकिन स्कूलों ने यही माना है कि भविष्य को लेकर ऑनलाइन क्लासेस पढ़ाई का एक बेहतर जरिया बनकर सामने आया है। 

स्कूलों ने बताएं ऑनलाइन कक्षाओं के फायदे
- लॉक डाउन के दौरान पाठ्यक्रम को पूरा करने के लिए ऑनलाइन कक्षाएं बनी जरिया
- स्कूलों ने किया दावा की ऑनलाइन कक्षाओं से बच्चों में नहीं छूटी पढ़ाई करने की आदत
-ऑनलाइन कक्षाओं से बच्चों ने सीखा तकनीकी के इस्तेमाल का नया तरीका
- भविष्य को देखते हुए वर्क फ्रॉम होम की भी बच्चों में पड़ी है आदत
- शिक्षा प्रणाली की नई व्यवस्था पर बच्चे ऑनलाइन कक्षाओं के जरिए खुद को ढाल रहे हैं
- ऑनलाइन कक्षाओं से शिक्षकों ने भी सीखा पढ़ाई कराने का नया तरीका
- भविष्य में ऑनलाइन पढ़ाई से संबंधित कई और प्रयोग करने की तैयारी कर रहे हैं स्कूल
- अभिभावकों के सामने ही चल नहीं कक्षाओं से वे भी आसानी से कर पा रहे हैं बच्चों का आकलन

अभिभावकों ने गिनाए ऑनलाइन कक्षाओं के नुकसान
- अभिभावकों ने ऑनलाइन कक्षाओं को स्कूल की ओर से फीस लेने का जरिया बताया
- कक्षाओं के बीच में ही नेटवर्क संबंधी समस्याओं से बच्चों को होती है परेशानी
- अभिभावक के बच्चे के साथ होने की अनिवार्यता से अभिभावकों का समय होता है बर्बाद
- अभिभावकों का आरोप स्कूल अपनी जिम्मेदारी ऑनलाइन कक्षाओं के जरिए अभिभावकों पर डाल रहे हैं
- ऑनलाइन कक्षाओं में स्कूल का माहौल न होने से बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लग पाता है
- अभिभावकों का आरोप की ऑनलाइन कक्षाओं से बच्चों की आंखों एवं स्वास्थ्य पर पड़ेगा असर
- अचानक शुरू हुई ऑनलाइन कक्षाओं से अभिभावक नहीं जुटा पाए संसाधन
- प्रयोगात्मक पढ़ाई के लिए ऑनलाइन कक्षाएं सफल साबित नहीं हो रही है

सरकारी स्कूलों में भी ऑनलाइन कक्षाएं
लॉक डाउन के दौरान निजी स्कूलों के अलावा सरकारी स्कूलों ने भी ऑनलाइन कक्षाओं की ओर रुख किया। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने इसके लिए नोएडा में रिकॉर्डिंग स्टूडियो भी बनवाया है। बावजूद इसके छात्रों की ओर से ऑनलाइन कक्षाओं में उपस्थिति औसत रही। माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से जिले में पढ़ने वाले बच्चों का ऑनलाइन टेस्ट भी लिया गया। 16 मई को हुए टेस्ट में बच्चों की उपस्थिति 57 फ़ीसदी रही। 

4 हजार बच्चों के सामने समस्या
जिले में ऑनलाइन कक्षाओं की सबसे बड़ी बाधा नेटवर्क की समस्या बनी है। सरकारी व निजी स्कूलों के प्रधानाचार्य व अभिभावकों ने बताया कि दादरी जेवर दनकौर में लगभग 4 से 5 हज़ार बच्चे ऐसे हैं जो रोजाना ऑनलाइन कक्षाओं के दौरान नेटवर्क संबंधी समस्या से जूझते हैं। बीच पढ़ाई के दौरान अचानक नेटवर्क की समस्या आने से कुछ बच्चों का संपर्क कक्षा से टूट जाता है। उसी समय कक्षा में ऐसे भी बच्चे हैं जो अन्य बच्चों के मुकाबले कक्षाओं में शामिल रहते हैं। ऐसी स्थिति में कुछ बच्चे पाठ्यक्रम आसानी से पूरा कर रहे हैं और कुछ बच्चे बीच पाठ्यक्रम से ही पीछे हो जाते हैं। इससे छूटे हुए बच्चों को दोबारा पढ़ाई कराने और उन्हें पाठ्यक्रम समझाने मैं शिक्षकों एवं बच्चों दोनों को ही परेशानी उठानी पड़ती है। 

बगैर प्रशिक्षण पढ़ा रहे शिक्षक
ऑनलाइन कक्षाओं पर अभिभावकों ने कहा की ऑनलाइन कक्षाएं संचालित करा रहे स्कूलों के शिक्षक बगैर किसी प्रशिक्षण के पढ़ाई करा रहे हैं। लॉक डाउन होने के बाद सभी लोग अपने घरों पर थे । उसके पहले ऑनलाइन कक्षाओं के बारे में किसी ने  कल्पना भी नहीं की थी । ऐसी स्थिति में शिक्षकों को पूर्व में किसी भी तरह का प्रशिक्षण नहीं दिया गया। इसलिए शिक्षकों को भी ऑनलाइन कक्षाएं संचालित किए जाने का किसी भी तरह का अनुभव नहीं है। इसलिए कक्षाओं के दौरान शिक्षक व बच्चे दोनों ही समस्याओं का सामना करते हैं। 

- नोएडा में ऑनलाइन कक्षाएं संचालित कराने वाले निजी स्कूल - 89
- सरकारी स्कूलों में ऑनलाइन कक्षाएं संचालित कराने वाले स्कूलों की संख्या 126
- पूरे जिले में ऑनलाइन कक्षाएं संचालित कराए जाने वाले निजी स्कूलों की संख्या - 121

ऑनलाइन कक्षाओं को लेकर अभिभावकों को सकारात्मक सोच रखने की जरूरत है। अभिभावकों को यह नहीं भूलना चाहिए कि उनके बच्चों की प्रगति उनके ही सामने हो रही है। ऑनलाइन क्लासेज के जरिए बच्चे नई तकनीक व शिक्षा की नई प्रणाली से वाकिफ हो रहे हैं। स्कूल स्तर पर बच्चों कि यह कक्षाएं उनके भविष्य में भी वर्क फ्रॉम होम को लेकर तैयारी करा रही है। इसके अलावा लॉक डाउन के दौरान कक्षाओं का पाठ्यक्रम भी बच्चे घर बैठे ही पूरा कर रहे हैं। - सुमिता मुखर्जी, प्रिंसिपल रेयान स्कूल

विश्व के कई देशों में ऑनलाइन क्लासेस बहुत ही आम बात है जिसे भारत अब धीरे-धीरे अपना रहा है। यही वजह है कि यह दिक्कत छाव में शिक्षकों के सामने बैठकर बच्चे 80 फ़ीसदी तक अपना रुझान पढ़ाई में दिखाते हैं तो अब यह घटकर 50 फ़ीसदी हो गया है। ऑनलाइन कक्षाएं भविष्य की पढ़ाई का एक नमूना है जिसे बच्चे व अभिभावक जितनी जल्दी स्वीकार कर ले उतना बेहतर है। अभिभावकों की ओर से ऑनलाइन कक्षाओं के प्रति यदि सकारात्मक रवैया रहेगा तो उनके बच्चे काफी हद तक पढ़ाई के साथ छोटी उम्र में भी तकनीकी से वाकिफ हो सकेंगे। - डॉ नीरज टंडन प्रिंसिपल पंचशील स्कूल

ऑनलाइन पढ़ाई कक्षा 8 से 12 तक के बच्चों के लिए तो ठीक है। छोटे बच्चों के लिए यह पढ़ाई बिल्कुल नया स्वरूप है। बड़े बच्चे ऑनलाइन क्लासेज को काफी गंभीरता से लेते हैं इसके उलट छोटे बच्चों के लिए यह पढ़ाई खेल ही साबित होती है। ऑनलाइन कक्षाओं के लिए सबसे जरूरी संसाधन होते हैं जो हर किसी अभिभावक के पास नहीं है। यही जरूरी है कि ऑनलाइन क्लासेज से पहले शिक्षकों एवं बच्चों दोनों का ही प्रशिक्षण होना चाहिए। तभी ऑनलाइन कक्षाएं पढ़ाने वाले एवं पढ़ने वालों के लिए सकारात्मक साबित होंगी।- संजय मुखर्जी, अभिभावक

लॉक डाउन के दौरान शुरू की गई ऑनलाइन क्लासेस निजी स्कूलों की ओर से अभिभावकों के साथ मजाक है। कभी बिजली चली जाती है, कभी इंटरनेट चला जाता है। शिक्षक भी ऑनलाइन कक्षाओं के दौरान सभी बच्चों को एक साथ पढ़ाई कराने में सक्षम नहीं है। उन्हें भी पूरी तरह से यह नहीं मालूम कि एक साथ ऑनलाइन बच्चों को किस तरह से व्यवस्थित किया जा सकता है। स्कूल की ओर से ऑनलाइन क्लासेस अभिभावकों से सिर्फ फीस लेने का एक जरिया है। बच्चों और शिक्षक दोनों को ही ऑनलाइन कक्षाओं को समझने में ही केवल एक महीना लग गया है। -  रणधीर सिंह, अभिभावक

क्लास जब शुरू होती है तो ऑनलाइन सेटिंग करने में बहुत दिक्कत आती है। कभी-कभी हम लोग जब नेटवर्क आने पर दोबारा जोड़ते हैं तो लेसन आगे निकल जाता है। ऑनलाइन क्लासेस में हम लोगों को क्वेश्चन पुट अप करने में भी कई बार दिक्कत आती है। सभी लोग एक साथ बोलने लगते हैं जिससे भी समझने में काफी कंसंट्रेशन करना पड़ता है। - अनाहिता सिंह, छात्रा

ऑनलाइन क्लास में एक जगह पर बैठे बैठे अक्सर हाथ में या गर्दन में दर्द होता है। कई बार आंखों से आंसू भी आते हैं। सबसे ज्यादा दिक्कत बीच क्लास में नेटवर्क प्रॉब्लम आने से कनेक्टिविटी की होती है। कई बार ऑनलाइन क्लास में घर पर लाइट भी चली जाती है जिससे भी पूरी क्लास में मैं शामिल नहीं हो पाता हूं। ऑनलाइन क्लासेस अभी बिल्कुल नई तरह का लगता है। ऑनलाइन क्लास में सभी बच्चे जब एक साथ क्वेश्चन पुट अप करते हैं तो भी समझने में दिक्कत होती है। - विक्रम,  छात्र

ऑनलाइन और ऑफलाइन कक्षा में क्या अंतर है?

Online क्या और कीसे कहते है जिसे अगर आप डाउनलोड करने के बाद देखते हैं, तो उसे offline कहा जाएगा। और यदि हमारा कंप्यूटर प्रिंटर जुड़ा रहता है तो इसे भी ऑनलाइन कहा जाता है जिसमें प्रिंटर को प्रिंट करते समय कंप्यूटर से कनेक्ट करना पड़ता है नही तो वह प्रिंट नहीं कर पाता है।

विद्यालय में जाकर पढ़ना और ऑनलाइन पढ़ने में क्या अंतर है?

आभास का कहना है कि ऑनलाइन क्लासेस से आप सीधे अपने घर पर रहकर पढ़ाई कर सकते हैं। क्लासेस आप अपने घर पर ही ले रहे हैं जिससे हम खुद अनुशासन में रहना सीख रहे हैं। लेकिन ऑनलाइन क्लासेस में क्लासरूम की तरह पढ़ाई संभव नहीं है और अपने डाउट्स क्लीयर जैसे क्लासरूम में करते थे, वैसे ऑनलाइन क्लासेस में होना मुश्किल है।