लॉकडाउन में बंद पड़े स्कूलों के चलते शुरू की गई ऑनलाइन पढ़ाई में छात्र ज्यादा दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। यही कारण है कि इन कक्षाओं से करीब आधे छात्र ही जुड़ पाए हैं। इसके अलावा कहीं नेट की रफ्तार तो कहीं संसाधनों की कमी ऑनलाइन पढ़ाई को प्रभावित कर रही है। अभिभावक बच्चों के असाइनमेंट तैयार करने में जुटे हैं तो अधिकतर शिक्षक भी इसे कई कारणों से ज्यादा प्रभावी नहीं मान रहे। हिन्दुस्तान टीम की रिपोर्ट... कक्षा के लिए बने ग्रुप में नहीं जुड़े पूरे छात्र ऑनलाइन कक्षाओं के फायदे और नुकसान पर बंटे स्कूल व अभिभावक छात्र लंबे समय तक मैसेज नहीं देख रहे मूल्यांकन का तंत्र नहीं निदेशालय ने मांगी प्रतिक्रियाएं निदेशालय ने ये इंतजाम किए शिक्षकों की प्रतिक्रिया ऑनलाइन कक्षाओं में 30 से 40 फीसदी छात्र ही प्रतिभाग कर रहे हैं। इसके पीछे एक प्रमुख कारण संसाधनों का अभाव होना है। वहीं कोरोना की वजह से कई परिवार वापस गांव लौट गए हैं। हालांकि, 12वीं के छात्रों का प्रतिभाग सबसे अधिक है। - कृष्णा फोगाट, शिक्षक, राजकीय बाल विद्यालय, रोहिणी सेक्टर 3 अभिभावक बोले मेरा बच्चा राजकीय सर्वोदय बाल विद्यालय नंद नगरी में 10वीं का छात्र है। बंदी में ऑनलाइन कक्षा से उनकी पढ़ाई जारी है। वहीं उनकी आंखों के नुकसान को लेकर हम चिंतित है। अभी सिर्फ विज्ञान और गणित विषय की कक्षाएं ही आयोजित हो रही हैं। - फराह सैफी, अभिभावक, नंद नगरी ऑनलाइन कक्षाएं जारी हैं, सिर्फ दो शिक्षकों की तरफ से ही पाठ्य सामग्री भेजी जा रही है। कक्षा में पढ़ने का अनुभव अलग था, उसमें कुछ ना आने पर सीधे शिक्षकों से पूछ लेते थे, इसमें एक झिझक से बनी रहती है।- राकेश कुमार, छात्र ऑनलाइन कक्षाएं बेहतर हैं, लेकिन जो पाठ्य सामग्री भेजी जा रही है। उससे बेहतर पाठ्य सामग्री कई बार यू ट्यूब में उपलब्ध रहती है। हालांकि बंदी के दौरान पढ़ने का पूरा मौका
मिल रहा है, लेकिन लंबे समय तक मोबाइल में देखे रहने से आंखों में पानी आने की समस्या होने लगी है। स्कूलों में बच्चों की संख्या निगम स्कूलों में भी बंद हुई ऑनलाइन कक्षाएं निजी स्कूलों में 10 जून तक ऑनलाइन कक्षाएं शिक्षा विशेषज्ञ की
प्रतिक्रिया ------------------------------ फरीदाबाद से रिपोर्ट एप और विडियो कॉन्फ्रेंस से ली कक्षाएं पढ़ाई के बाद डिजीटल हुआ होमवर्क 10 फीसदी बच्चे ले पा रहे ऑनलाइन क्लास होमवर्क पूरा कराना भी आफत बच्चों को हेमवर्क में काफी काम मिला है। कई होमवर्क ऑनलाइन ही करने हैं। मार्च से अब तक लगातार स्मार्टफोन पर पढ़ाई जारी है। वहीं प्रोजेक्ट वगैरह के लिए सामान कहां से लाएं सभी दुकानें बंद है।- ममता, अभिभावक लॉकडाउन के बीच बच्चों की पढ़ाई ना रुके इसके लिए लगातार ऑनलाइन कक्षाएं ली जा रही हैं। बच्चों के लिए इनोवेटिव और फन विडियो भी तैयार कर साझा किए जाते हैं। होमवर्क भी ऑनलाइन चैक किया जा रहा है।- उपासना गौड़, स्कूल, संचालिका- ये आए पॉजीटिव परिणाम खामियां ---------------------------------- ऑनलाइन शिक्षा - गुरुग्राम से रिपोर्ट वीडियो और लिंक भेजते
है प्रतिक्रिया: अभिभावक: स्कूल जाकर पढ़ना ही बेहतर विकल्प है। लेकिन ऐसी परिस्थितियों में बच्चों का समय खराब न हो,इसके लिए ऑनलाइन विकल्प ही बेहतर है। घर में पढ़ाई
करने से यह पता रहता है कि बच्चे ने क्या पढ़ा है। उसके दवारा कितनी मेहनत की जी रही है। शिक्षक कैसे पढ़ा रहा है। शिक्षक: सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के अभिभावकों
के मोबाइल पर वीडियो और लिंक भेजे जाते है। अगले दिन विद्यार्थियों को फोन और वीडियो कॉल से पूछा जाता है कि कल वाले विषय में क्या समझ आया और क्या नहीं। विद्यार्थियों को कोई दिक्कत होती है तो वह खुद भी शिक्षक को फोन कर सकते है। ------------------- ऑनलाइन शिक्षा - गाजियाबाद से रिपोर्ट लॉकडाउन की वजह से चॉक और डस्टर से क्लास में पढ़ाने वाले शिक्षक अब हाईटेक हो गए हैं। पाठ्यक्रम वही है, लेकिन उन्होंने पढ़ाने का तरीका बदल दिया है। कुछ दिक्कतें हैं, पर दूसरा कोई रास्ता भी नहीं है। विकल्प के तौर पर ऑनलाइन कक्षाएं ही सही हैं। पाठ्यक्रम में कोई बदलाव नहीं है। जिन किताबों से क्लास में पढ़ाते हैं, उन्हीं से ऑनलाइन भी। बस, ऑनलाइन पढ़ाने से पहले कई-कई बार उसे पढ़कर छात्रों के लिए पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन (पीपीपी), पीडीएफ फाइलें तैयार करते हैं। फिर छात्रों को ऑनलाइन कनेक्ट करते हैं। शिक्षकों का कहना है कि विकल्प के तौर पर ऑनलाइन क्लास बहुत अच्छी हैं। हालांकि कैंपस क्लास का रूप नहीं लिया जा सकता। सीबीएसई के 260 स्कूल, करीब 70 डिग्री कॉलेज समेत कई राजकीय, एडेड कॉलेजों सहित अन्य प्राइवेट कॉलेजों ने ऑनलाइन क्लास शुरू की है। ये हैं दिक्कतें ये हैं समाधान ऑनलाइन पढ़ाई में दो तिहाई शहरी क्षेत्र के बच्चे अभी तक मैंने ऑनलाइन नहीं पढ़ाया था। लॉकडाउन में ये तरीका भी सीख लिया। इस समय जूम एप से क्लास ले रहा हूं। सिलेबस में कोई बदलाव नहीं है। पढ़ाने से पहले पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन तैयार करना और छात्रों को एक-एक कर ऑनलाइन जोड़ने में काफी समय लगता है। चार-पांच छात्र एक साथ कुछ पूछते हैं तो आवास क्लीयर नहीं हो पाती।- प्रिया वर्मा, अध्यापक, इंदिरापुरम पब्लिक स्कूल विकल्प के तौर पर ऑनलाइन क्लास ठीक है, लेकिन इसे वास्तविक क्लास का रूप नहीं दिया जा सकता। जूम एप पर 40 छात्र ही ऑनलाइन जुड़ सकते हैं। ऑनलाइन क्लास में छात्र और शिक्षक के बीच समन्वय स्थापित होने में दिक्कत है। ऑनलाइन व्यवस्था अच्छी है, लेकिन उसमें काफी सुधार की जरूरत है। तभी आगे चलकर इसके गुणात्मक परिणाम प्राप्त हो सकेंगे।- वाणी शर्मा, प्राध्यापक, प्राथमिक विद्यालय ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान इंटरनेट की समस्या सबसे ज्यादा आती है। पढ़ते-पढ़ते डाटा समाप्त हो जाता था। अब दूसरे सिम में भी इंटरनेट पैक ऑनलाइन ले लिया है। अब डाटा की समस्या नहीं होती।- परी शर्मा, कक्षा चार जब से ऑनलाइन पढ़ाई शुरू हुई है तब से पापा के मोबाइल पर ऑनलाइन गेम खेलना बंद कर दिया है। इंटरनेट का पूरा डाटा पढ़ाई में खर्च हो जाता है। कभी कभी तो मां के मोबाइल के डाटा को भी पढ़ाई में इस्तेमाल करना पड़ रहा है।- माधव सिंह, कक्षा पांच ऑनलाइन कक्षाएं विद्यार्थियों के लिए इन दिनों में काफी बेहतर विकल्प हैं। घर में बच्चा संक्रमण से दूर है तो हम भी उसकी पढ़ाई पर नजर रखे हुए हैं। ऑनलाइन कक्षा के समय घर में शोर शराबा नहीं होने दिया जाता है। उसके बाद बच्चे का होमवर्क कराने में लग जाते हैं। इस दिनचर्या से रोजाना समय गुजर रहा है।- गौरव बंसल, अभिभावक ------------------------ ऑनलाइन शिक्षा - नोएडा से रिपोर्ट लॉक डाउन के दौरान ऑनलाइन कक्षाएं शुरू होने से
निजी स्कूल व अभिभावक इसके फायदे व नुकसान को लेकर बंटे हुए हैं। निजी स्कूल के प्रिंसिपल व शिक्षक जहां ऑनलाइन क्लासेस के फायदे गिनाते हैं वही अभिभावक इसे जल्दबाजी में उठाया गया कदम बता रहे हैं। अभिभावकों का मानना है कि ऑनलाइन क्लासेज के लिए फिलहाल बच्चे तैयार नहीं है। अभिभावक भी इन कक्षाओं के लिए जरूरी संसाधन नहीं जुटा पा रहे। उधर स्कूल इन कक्षाओं को भविष्य की तैयारियों के लिए जरूरी बता रहे हैं। स्कूलों ने बताएं ऑनलाइन कक्षाओं के फायदे अभिभावकों ने गिनाए ऑनलाइन कक्षाओं के नुकसान सरकारी स्कूलों में भी ऑनलाइन कक्षाएं 4 हजार बच्चों के सामने समस्या बगैर प्रशिक्षण पढ़ा रहे
शिक्षक - नोएडा में ऑनलाइन कक्षाएं संचालित कराने वाले निजी स्कूल - 89 ऑनलाइन कक्षाओं को लेकर अभिभावकों को सकारात्मक सोच रखने की जरूरत है। अभिभावकों को यह नहीं भूलना चाहिए कि उनके बच्चों की प्रगति उनके ही सामने हो रही है। ऑनलाइन क्लासेज के जरिए बच्चे नई तकनीक व शिक्षा की नई प्रणाली से वाकिफ हो रहे हैं। स्कूल स्तर पर बच्चों कि यह कक्षाएं उनके भविष्य में भी वर्क फ्रॉम होम को लेकर तैयारी करा रही है। इसके अलावा लॉक डाउन के दौरान कक्षाओं का पाठ्यक्रम भी बच्चे घर बैठे ही पूरा कर रहे हैं। - सुमिता मुखर्जी, प्रिंसिपल रेयान स्कूल विश्व के कई देशों में ऑनलाइन क्लासेस बहुत ही आम बात है जिसे भारत अब धीरे-धीरे अपना रहा है। यही वजह है कि यह दिक्कत छाव में शिक्षकों के सामने बैठकर बच्चे 80 फ़ीसदी तक अपना रुझान पढ़ाई में दिखाते हैं तो अब यह घटकर 50 फ़ीसदी हो गया है। ऑनलाइन कक्षाएं भविष्य की पढ़ाई का एक नमूना है जिसे बच्चे व अभिभावक जितनी जल्दी स्वीकार कर ले उतना बेहतर है। अभिभावकों की ओर से ऑनलाइन कक्षाओं के प्रति यदि सकारात्मक रवैया रहेगा तो उनके बच्चे काफी हद तक पढ़ाई के साथ छोटी उम्र में भी तकनीकी से वाकिफ हो सकेंगे। - डॉ नीरज टंडन प्रिंसिपल पंचशील स्कूल ऑनलाइन पढ़ाई कक्षा 8 से 12 तक के बच्चों के लिए तो ठीक है। छोटे बच्चों के लिए यह पढ़ाई बिल्कुल नया स्वरूप है। बड़े बच्चे ऑनलाइन क्लासेज को काफी गंभीरता से लेते हैं इसके उलट छोटे बच्चों के लिए यह पढ़ाई खेल ही साबित होती है। ऑनलाइन कक्षाओं के लिए सबसे जरूरी संसाधन होते हैं जो हर किसी अभिभावक के पास नहीं है। यही जरूरी है कि ऑनलाइन क्लासेज से पहले शिक्षकों एवं बच्चों दोनों का ही प्रशिक्षण होना चाहिए। तभी ऑनलाइन कक्षाएं पढ़ाने वाले एवं पढ़ने वालों के लिए सकारात्मक साबित होंगी।- संजय मुखर्जी, अभिभावक लॉक डाउन के दौरान शुरू की गई ऑनलाइन क्लासेस निजी स्कूलों की ओर से अभिभावकों के साथ मजाक है। कभी बिजली चली जाती है, कभी इंटरनेट चला जाता है। शिक्षक भी ऑनलाइन कक्षाओं के दौरान सभी बच्चों को एक साथ पढ़ाई कराने में सक्षम नहीं है। उन्हें भी पूरी तरह से यह नहीं मालूम कि एक साथ ऑनलाइन बच्चों को किस तरह से व्यवस्थित किया जा सकता है। स्कूल की ओर से ऑनलाइन क्लासेस अभिभावकों से सिर्फ फीस लेने का एक जरिया है। बच्चों और शिक्षक दोनों को ही ऑनलाइन कक्षाओं को समझने में ही केवल एक महीना लग गया है। - रणधीर सिंह, अभिभावक क्लास जब शुरू होती है तो ऑनलाइन सेटिंग करने में बहुत दिक्कत आती है। कभी-कभी हम लोग जब नेटवर्क आने पर दोबारा जोड़ते हैं तो लेसन आगे निकल जाता है। ऑनलाइन क्लासेस में हम लोगों को क्वेश्चन पुट अप करने में भी कई बार दिक्कत आती है। सभी लोग एक साथ बोलने लगते हैं जिससे भी समझने में काफी कंसंट्रेशन करना पड़ता है। - अनाहिता सिंह, छात्रा ऑनलाइन क्लास में एक जगह पर बैठे बैठे अक्सर हाथ में या गर्दन में दर्द होता है। कई बार आंखों से आंसू भी आते हैं। सबसे ज्यादा दिक्कत बीच क्लास में नेटवर्क प्रॉब्लम आने से कनेक्टिविटी की होती है। कई बार ऑनलाइन क्लास में घर पर लाइट भी चली जाती है जिससे भी पूरी क्लास में मैं शामिल नहीं हो पाता हूं। ऑनलाइन क्लासेस अभी बिल्कुल नई तरह का लगता है। ऑनलाइन क्लास में सभी बच्चे जब एक साथ क्वेश्चन पुट अप करते हैं तो भी समझने में दिक्कत होती है। - विक्रम, छात्र ऑनलाइन और ऑफलाइन कक्षा में क्या अंतर है?Online क्या और कीसे कहते है
जिसे अगर आप डाउनलोड करने के बाद देखते हैं, तो उसे offline कहा जाएगा। और यदि हमारा कंप्यूटर प्रिंटर जुड़ा रहता है तो इसे भी ऑनलाइन कहा जाता है जिसमें प्रिंटर को प्रिंट करते समय कंप्यूटर से कनेक्ट करना पड़ता है नही तो वह प्रिंट नहीं कर पाता है।
विद्यालय में जाकर पढ़ना और ऑनलाइन पढ़ने में क्या अंतर है?आभास का कहना है कि ऑनलाइन क्लासेस से आप सीधे अपने घर पर रहकर पढ़ाई कर सकते हैं। क्लासेस आप अपने घर पर ही ले रहे हैं जिससे हम खुद अनुशासन में रहना सीख रहे हैं। लेकिन ऑनलाइन क्लासेस में क्लासरूम की तरह पढ़ाई संभव नहीं है और अपने डाउट्स क्लीयर जैसे क्लासरूम में करते थे, वैसे ऑनलाइन क्लासेस में होना मुश्किल है।
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