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डिजिटल भुगतानः न्यू इंडिया का एक महत्वपूर्ण घटक - यूपीएससी, आईएएस, सिविल सेवा और राज्य पीसीएस परीक्षाओं के लिए समसामयिकीचर्चा का कारणहाल ही में नंदन नीलेकणि की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति ने डिजिटल भुगतान पर रिजर्व बैंक को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इस समिति ने विभिन्न हितधारकों से डिजिटल भुगतान के संबंध में विचार विमर्श के बाद रिपोर्ट प्रस्तुत की है। इस सीमिति का मुख्य उद्देश्य देश में डिजिटलीकरण के जरिए वित्तीय समावेशन लाना और डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने पर परामर्श देना था। भारतीय रिवर्ज बैंक अब समिति की सिफारिशों की जाँच करेगा और जरूरत के अनुसार क्रियान्वयन के लिए भुगतान प्रणाली दृष्टिकोण 2021 में शामिल करेगा। रिपोर्ट से संबंधित मुख्य बातें
डिजिटल भुगतान क्या हैभारत में डिजिटल भुगतान प्रणाली गत वर्षो में काफी मजबूती के साथ विकसित हो रही है। यह सूचना संचार प्रौद्योगिकी के विकास से प्रेरित होने के साथ-साथ भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा प्रस्तावित कार्यप्रणाली के अनुरूप भी है। जहाँ तक डिजिटल भुगतान की बात है तो इसे सामान्यतः डिजिटल लेन-देन के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसमें ग्राहक इलेक्ट्रॉनिक साधनों के द्वारा धन का हस्तांतरण अधिकृत करता है अर्थात् धन का प्रवाह सीधे एक खाते से दूसरे खाते में होता है। उल्लेखनीय है कि यह खाते बैंकों में अर्थात् संस्थाओं, प्रदाताओं में हो सकते हैं। धन का यह हस्तांतरण, कार्ड (डेबिट/क्रेडिट) मोबाइल वॉलेट, मोबाइल एप्स, इलेक्ट्रॉनिक क्लियरिंग सर्विस (ECS), नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT), तत्काल भुगतान सेवा (IMPS), प्रीपेड उपकरणों के माध्यम से या अन्य किसी प्रकार के माध्यम से किया जाता है। डिजिटल भुगतान की वर्तमान स्थिति
भारत में डिजिटल भुगतान की आवश्यकता क्यों?भारत में डिजिटल भुगतान की आवश्यकता को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत समझा जा सकता है-
सरकारी प्रयासडिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों को निम्न बिन्दुओं के अन्तर्गत समझा जा सकता है-
डिजिटल भुगतान के समक्ष चुनौतियाँ
आगे की राहनिष्कर्षतः कहा जा सकता है की भारत सरकार द्वारा डिजिटल भुगतान को लेकर किया गया प्रयास एक सराहनीय कदम है, लेकिन सरकार को इस दिशा में और ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। इस संदर्भ में यहाँ कुछ सुझावों को अमल में लाया जा सकता है-
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3
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