नौकरशाही के बारे में मार्क्स, लेनिन, ट्राटस्की, लौराट, रिजी, वर्नहम, मिलोवन पिलास, मैक्स स्बैकटमैन, जैसिक कुरुन मैक्स वेबर आदि ने अपने अपने सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया है। इन सभी सिद्धान्तों में वेबर का सिद्धांत अधिक तर्कपूर्ण व व्यवस्थित है। इसी कारण नौकरशाही का व्यवस्थित अध्ययन जर्मनी के समाजशास्त्री मैक्स वेबर से ही प्रारम्भ माना जाता है। यद्यपि प्रारम्भ में वेबर के नौकरशाही के सिद्धांत की आलोचना भी हुई,
लेकिन धीरे धीरे वह इतना लचीला बन गया कि उसे आदर्श सिद्धांत की संज्ञा दी गई। वेबर ने अपना यह सिद्धांत अन्य सिद्धान्तों के कठोरता के कारण विकसित किया और धीरे धीरे यह सिद्धांत विकासशील देशों में अधिक लोकप्रिय होता गया। मैक्स वेबर ने अपनी पुस्तक 'Economy and society' तथा 'Parliament and Government in the Newly Organised Germany' में इस सिद्धांत का वर्णन किया है। यद्यपि मैक्स वेबर ने इन पुस्तकों में कहीं भी प्रत्यक्ष रूप में नौकरशाही का अलग सिद्धांत प्रतिपादित नहीं किया है।
उसका नौकरशाही का सिद्धांत इन पुस्तकों में शक्ति, प्रभुत्व तथा सत्ता पर दिए गए विचारों में विद्यमान है। वेबर ने सत्ता का वर्गीकरण वैधता के आधार पर किया और इसी आधार पर संगठनों का भी वर्गीकरण किया। वास्तव में मैक्स वेबर का यह सिद्धांत सत्ता या प्रभुत्व के सिद्धांत पर ही आधारित है। उसने वैधानिक सत्ता को ही नौकरशाही माना है। विधिक सत्ता से पोषित एवं समर्थित नौकरशाही ही संगठन का सबसे अच्छा रूप है। इस प्रकार उसने नौकरशाही का प्रयोग एक निश्चित प्रकार के प्रशासनिक संगठन को बताने के लिए
किया है। नौकरशाही को विधिक सत्ता पर आधारित करते हुए वेबर ने कहा है कि इस सत्ता में एक विधि संहिता का निर्माण करके संगठन के सदस्यों को उसका पालन करना अनिवार्य कर दिया जाता है। प्रशासन कानून के शासन पर ही कार्य करता है और जो व्यक्ति सत्ता का प्रयोग करता है, वह अवैयक्तिक आदेशों का ही पालन करता है। विधिक सत्ता में वफादारी सत्ता प्राप्त व्यक्ति के प्रति न होकर अवैयक्तिक विधि या कानून के प्रति ही होती है। इसी प्रकार नौकरशाही भी निष्पक्ष, कार्य विशेषज्ञ तथा अवैयक्तिक होती है। मालटिन एलबरो का कहना है कि नौकरशाही नियुक्त किए गए योग्य प्रशासनिक अधिकारियों व कर्मचारियों का समूह है जिसका विस्तार राज्य, चर्च, राजनीतिक दल, मजदूर संघ, व्यावसायिक उपक्रम, विश्वविद्यालय तथा गैर-राजनीतिक समूहों तक भी है। आज नौकरशाही शब्द का प्रयोग सरकार, उद्योग, सेना आदि बड़े-बड़े संगठनों में कार्यरत अधिकारी वर्ग व कर्मचारियों के समूह के लिए प्रयुक्त होता है। मैक्स वेबर की आदर्श नौकरशाही की विशेषताएंमैक्स वेबर की आदर्श नौकरशाही की विशेषताएं हैं :-
इस प्रकार कहा जा सकता है कि वेबर की नौकरशाही प्रशासन की एक ऐसी व्यवस्था है जो विशेषज्ञता, निस्पक्षता तथा अमानवीय सम्बन्धों पर आधारित होता है। वेबर के अनुसार नौकरशाही एक यन्त्र के रूप में कार्य करती है। पश्चिमी औद्योगिक देशों की प्रशासनिक व्यवस्थाएं काफी हद तक नौकरशाही के इसी सिद्धांत पर आधारित है। वेबर नौकरशाही को ऐसे समाज का हिस्सा मानते हैं जो जटिल श्रम विभाजन, केन्द्रित प्रशासन तथा मुद्रा-अर्थव्यवस्था पर बना होता है। यदि बाकी सभी शर्तें समान रहें तो तकनीकी दृष्टि से नौकरशाही सदा ही विवेकशील प्रकार की होने के कारण जन-समूह-प्रशासन की आवश्यकताओं की दृष्टि से अनिवार्य होती है। आज नौकरशाही की प्रवृित्त्यां राज्यों और निजि उपक्रमों में ही नहीं पाई जाती, बल्कि सेना, चर्च तथा विश्वविद्यालयों में भी पाई जाती है। इसी कारण नौकरशाही आधुनिक युग की केन्द्रीय राजनीतिक सच्चाई है। इस सच्चाई से बचना कठिन ही नहीं बल्कि असम्भव भी है। विकासशील देशों में वेबर के नौकरशाही सिद्धांत की प्रासंगिकताद्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्वतन्त्र हुए अधिकतर विकासशील देशों के सामने आर्थिक-विकास तथा राजनीतिक स्थायित्व की प्रमुख समस्या थी। इसमें से अधिकतर देश आज भी इस समस्या से जूझ रहे हैं। इन देशों में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जो इन समस्याओं पर लगभग काबू पा चुका है। ब्रालीन भी इस मार्ग पर काफी आगे निकल चुका है। आर्थिक विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारत को एक ऐसे नौकरशाही तन्त्र की जरूरत थी जो उसके संविधानिक आदर्शों का सम्मान करते हुए निष्पक्ष रहकर विकास में अपना पूर्ण योगदान दे सके। इसी कारण उसने ऐसी नौकरशाही को विकसित किया जो निष्पक्ष, विशेषज्ञ व अमानवीय रहकर कार्य करती रहे। यदि विकासशील देशों ब्राजील और भारत के सन्दर्भ में देखा जाए तो वेबर द्वारा बताया गया आदर्श नौकरशाही का प्रतिरूप लगभग पूर्ण रूप में लागू होता है। भारत में नौकरशाही कानूनी सत्ता पर आधारित है। इसमें स्पष्ट श्रम विभाजन, निश्चित कार्य प्रक्रिया, कार्यों की विधिपूरक व्यवस्था, पद सोपान पद्धति, पद के लिए योग्यताएं, निवैयक्तिक सम्बन्ध तथा आधिकारिक रिकार्ड सभी विशेषताएं विद्यमान हैं। भारत में योग्यता प्रणाली को आधार बनाकर लिखित परीक्षाओं और कठिन साक्षात्कार के आधार पर ही लोकसेवकों का चयन किया जाता है। लोक सेवकों को पद के अनुसार व कार्य की प्रकृति के हिसाब से वेतन व भत्ते प्रदान किये जाते हैं। प्रशासनिक व्यवहार में अनुशासन का विशेष महत्व है और सारा काम निष्पक्ष तरीके से करने को प्राथमिकता दी जाती है। लेकिन आज प्रशासन में राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण अनौपचारिक व पक्षपातपूर्ण सम्बन्धों का प्रचलन बढ़ने लगा है। 1969 में तो भारत में प्रतिबद्ध नौकरशाही का विचार कार्यपालिका के प्रति प्रतिबद्ध हो या संविधानिक आदर्शों के प्रति। यदि विकासशील देशों में नौकरशाही को अपना निष्पक्ष रूप कायम रखना है तो उसे संविधानिक आदर्शों के प्रति प्रतिबद्धता दिखानी होगी और राजनीतिक हस्तक्षेप से दूर रहना होगा। इसी में वेबर का आदर्श नौकरशाही की सार्थकता है। अत: आज विकासशील देशों में वेबर की आदर्श नौकरशाही का रूप कुछ धुंधला सा पड़ने लगा है। वेबर के नौकरशाही सिद्धांत की आलोचना
अत: वेबर का नौकरशाही का सिद्धांत एक अपूर्ण व अव्यवहारिक औजार है जिसका सफल प्रयोग विकासशील देशों में नहीं किया जा सकता। लेकिन फिर भी विकसित पूंजीवादी देशों की नौकरशाही में तो इस सिद्धांत के सभी लक्षण अवश्य मिल जाते हैं। इसलिए अन्य सभी सिद्धान्तों से यह सिद्धांत अधिक प्रासंगिक है। Tags: Max weber theory of bureaucracy in hindi नौकरशाही के बारे में मैक्स वेबर के विचार क्या थे?नौकरशाही की विशेषताएँ
इन लिखित नियमों पर वेबर ने काफी अधिक बल दिया क्योंकि ये नियम संगठन के सदस्यों के व्यवहार पर नियंत्रण रखते है तथा संगठन का संचालन परिभाषित तकनीकी नियमों तथा मानदंडों के आधार नियोजित और नियंत्रित करते है। पदसोपनिक प्राधिकार : पदसोपान की अवधारणा तार्किक प्रकार की नौकरशाही में एक प्रमुख स्थान रखती है।
नौकरशाही से आप क्या समझते हैं नौकरशाही का वर्णन कीजिए?नौकरशाही उस व्यवस्था को कहते हैं जिसके अंतर्गत सरकारी कार्यों का संचालन एवं निर्देशन उन व्यक्तियों के हाथों में होता है जो प्रशासन द्वारा इस कार्य के लिए नियुक्त किये जाते हैं। ये कर्मचारी विशेष प्रशिक्षण प्राप्त कर नियुक्त किये जाते हैं।
वेबर का सिद्धांत क्या है?वेबर के अनुसार जब किसी स्थान पर उद्योगों के स्थानीयकरण में यातायात व्यय की तुलना में श्रम व्यय अधिक होता है तो इस दशा में उद्योगों के स्थानीयकरण में परिवहन व्यय का महत्व समाप्त हो जाता है तथा श्रम व्यय ही स्थानीयकरण का निर्धारक हो जाता है।
वेबर के विचार क्या है?वेबर के अनुसार समाजशास्त्रियों को मनुष्य की अरिप्रेरणा को समझ कर अंतर्दृष्टि अथवा व्यक्तिगत बोध से उसका अध्ययन करना चाहिए। समाज और संस्कृति को समझने में समाजशास्त्री का स्वयं समाज का भाग होना सहायक होता है क्योंकि समाजशास्त्री द्वारा सामाजिक तथ्यों का अध्ययन समाज के अंदर से ही किया जाता है।
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