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भारतकी आजादी के समय राजपूताना में 19 सलामी 3 गैर सलामी रियासतें थी। अजमेर, मेरवाड़ा (केंद्र शासित क्षेत्र) को छोड़कर शेष राज्यों की स्थिति पर्याप्त सुदृढ़ थी। इन राज्यों का विलीनीकरण कर वर्तमान राजस्थान का निर्माण 5 चरणों में हुआ। सबसे पहले अलवर, भरतपुर, धौलपुर और करौली चार रियासतों को मिलाकर मत्स्य संघ की संरचना की गई। इसके बाद बांसवाड़ा, डूंगरपुर, बूंदी कोटा, टोंक, शाहपुरा, झालावाड़, किशनगढ़ और प्रतापगढ़ को मिलाकर राजस्थान संघ बनाया गया। तृतीय चरण में उदयपुर को इस संघ में शामिल किया गया। चौथे चरण में शेष राजपूत रियासतों जयपुर, जोधपुर, बीकानेर एवं जैसलमेर को मिलाकर विशाल राजस्थान अस्तित्व में आया। पांचवे चरण में मत्स्य की चारों इकाइयों को मिलाकर वर्तमान राजस्थान का गठन किया गया। विभाजन के पश्चात शुरू हुए सांप्रदायिक दंगों की देश व्यापी आग से राजपूताना की रियासतें भी अछूती नहीं रह पाई। सदियों से भाई भाई की तरह रह रहे हिंदू मुसलमान एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गए। अलवर और भरतपुर में जातीय दंगे भड़क उठे। उस समय अलवर राज्य के प्रधानमंत्री डॉ. एनबी खरे थे। जो पहले सीपी में कांग्रेस के प्रीमियम, बाद में वायसराय की कार्यकारी परिषद के सदस्य और फिर हिंदू महासभा के अध्यक्ष रह चुके थे। केन्द्र सरकार ने उनकी गतिविधियों को संदेहास्पद मानते हुए यह निष्कर्ष निकाला कि महाराजा की मौन स्वीकृति की एवं डॉ. खरे की हिंदुत्ववादी विचारधारा के कारण राज्य प्रशासन मेवों को अपेक्षित सुरक्षा प्रदान नहीं कर रहा है। समसामयिक समाचार पत्रों ने भी सरकार के इस मत की जोर शोर से पुष्टि की। बढ़ते सांप्रदायिक वैमनस्य के दुष्परिणाम स्वरूप हो रहे हत्याकांड पर रोक लगाने के दृढ़ इरादे से केंद्रीय गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल ने अक्टूबर 1947 में प्रांतीय राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों की एक आवश्यक बैठक बुलाई। इसमें महाराजा अलवर तथा यहां के प्रधानमंत्री खरे को भी आमंत्रित किया गया। उन्होंने जातीय समरसता फिर से लाने पर जोर देते हुए दंगा भड़काने वालों को देश का दुश्मन घोषित किया और चेतावनी दी कि ऐसे तत्वों की घातक गतिविधियों को किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सभी उपस्थित सदस्यों ने सरदार पटेल को सहयोग का आश्वासन दिया। किंतु डॉ. खरे ने इसे राज्य के आंतरिक मामलों मेंं केंद्र का हस्तक्षेप माना। इस पर सरदार पटेल ने उनके मत को राष्ट्रीय भावना के प्रतिकूल करार दिया। अंग्रेजों ने अलवर भरतपुर के प्रशासन के विरुद्ध पुन: गृह सचिव वीपी मेनन से शिकायत की और कहा कि इन राज्यों में मुसलमानों पर अत्याचार हो रहे हैं। तथा उन्हें अपने राज्यों से खदेड़ देने का षडयंत्र रचा जा रहा है। मेनन बिना किसी को बताए इन राज्यों के दौरे पर आए और वास्तविकता का पता लगाया। उनकी जानकारी के अनुसार यद्यपि शिकायत में दिए गए तथ्य अतिश्योक्तिपूर्ण थे। फिर भी राज्य सरकार द्वारा दंगों को रोकने के लिए किए गए उपाय भी अपेक्षित स्तर तक कारगर नहीं पाए गए। इससे राज्य प्रशासन की मंशा पर संदेह होना सहज स्वाभाविक था। इस लिए उन्होंने सरदार पटेल के सामने यह प्रस्ताव रखा कि यहां से डॉ. खरे को हटाकर उनके स्थान पर भारत सरकार के किसी विश्वसनीय व्यक्ति को पदस्थापित कर दिया जाए। अभी यह प्रस्ताव विचाराधीन ही था, कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की अचानक हत्या हो गई। आरोप लगाया गया था कि हत्या के षडयंत्रकारी घटना से पहले या बाद में अलवर में रहे है क्योंकि जिस पिस्तोल से राष्ट्रपिता की हत्या की गई, वह अलवर से प्राप्त की गई थी। डॉ. खरे के हिंदुत्ववादी दृष्टिकोण ने इन आरोपों को विश्वसनीयता प्रदान की। इन आरोपों और राज्य सरकार की पुरानी गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने निर्णय लिया कि अलवर राज्य के शासन का तुरंत अधिग्रहण कर लिया जाए। तथा यहां के महाराजा और प्रधानमंत्री को उस समय दिल्ली में रहने के लिए कहा जाए। मत्स्य जनपद की राजधानी कौन सी है?मत्स्य जनपद एक राजस्थान का जनपद था यह महाभारत काल के समय का माना जाता है यह जनपद राजधानी विराटनगर मानी जाती है तथा यो जयपुर अलवर के आसपास के क्षेत्र को कवर करता था यह महा जनपद यमुना नदी के पश्चिम मे और कुरु राज्य के दक्षिण मे था।
मत्स्य संघ का कौन सा राज्य?सही उत्तर धौलपुर है। जनता के जनादेश के आधार पर उत्तर प्रदेश के साथ विलय के लिए मत्स्य संघ का धौलपुर राज्य तैयार था।
मत्स्य देश का नया नाम क्या है?भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है जिसका योगदान वैश्विक उत्पादन में 7.56% है और यह देश के सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) में लगभग 1.24% और कृषि जीवीए में 7.28% से ज्यादा का योगदान करता है। मत्स्य पालन और जलीय कृषि लाखों लोगों के लिए भोजन, पोषण, आय और आजीविका का एक महत्वपूर्ण स्रोत बना हुआ है।
मत्स्य संघ का गठन कब हुआ था?18 मार्च, 1948 को अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली रियासतों का विलय होकर 'मत्स्य संघ' बना.
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