मातृभाषा पर निबंध कैसे लिखते हैं? - maatrbhaasha par nibandh kaise likhate hain?

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आज हम अपने इस लेख के माध्यम से आपके लिए मातृभाषा पर निबंध लेकर प्रस्तुत हुए हैं। यदि आप भी मातृभाषा विषय पर निबंध जानने के इच्छुक हैं।तो आप बिल्कुल सही पेज पर आएं हैं। आइए जानते हैं, मातृभाषा – विषय पर निबंध….

प्रस्तावना

मातृभाषा का हमारे जीवन में विशेष महत्व होता है। एकमात्र मातृभाषा ही हमें हमारी देश की संस्कृति, इतिहास, और सामाजिक परम्पराओं से जोड़ने की क्षमता रखती है। हमारे भारत देश में विभिन्न प्रकार की भाषाएं बोली जाती हैं। प्रत्येक मातृभाषा व्यक्ति को उसके सामाजिक स्तर की पहचान दाती है। जिस प्रकार एक सिख की पंजाबी भाषा उसकी पहचान है, गुजरात निवासी की गुजराती भाषा उसकी पहचान है इत्यादि।

मातृभाषा का अर्थ

मातृभाषा का अर्थ होता है, वह भाषा जो मनुष्य जन्म लेने के बाद से ही बोलना सीखता है या शुरू करता है। मातृभाषा व्यक्ति की समाजिक भाषाई पहचान को दर्शाता है। अपनी मातृभाषा से जुड़कर ही व्यक्ति अपनी धरोहर से जुड़ता है और उसे आगे बढ़ाने का प्रयास करता है। भारत में बोली जाने वाली विभिन्न मातृभाषा अनूठी हैं, समस्त स्वरस से पूर्ण हैं। अपनी सभ्यता के लिए यह भाषाएं प्रमुख हैं।

जीवन में मातृभाषा का महत्व

भारतेंदु हरिश्चंद्र द्वारा लिखा गया है,

“निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटन न हिय के सूल”

अर्थात मातृभाषा के बिना किसी भी प्रकार की उन्नति संभव नहीं है। हम मातृभाषा के महत्व को इस रूप में समझ सकते हैं कि अगर हमको पालने वाली, ‘माँ’ होती है तो हमारी भाषा भी हमारी माँ है। हमको पालने का कार्य हमारी मातृभाषा भी करती है इसलिए भारतेन्दु जी ने ‘मां’ और ‘मातृभाषा’ को बराबर का दर्जा प्रदान किया है।

हमारी जीवन में सर्वप्रथम हम जिस भाषा का उच्चारण करते हैं, उस भाषा से हमारा पौराणिक संबंध होता है। सभी की अपनी एक खास मातृभाषा होती है, जो जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।

मातृभाषा के रूप में हिंदी

यूं तो भारत देश विभिन्नताओं का देश है। यहां आपको भाषाओं में भी अनेक विविधताएं देखने को मिलती हैं। हालांकि आधिकारिक तौर पर भारतीयों की मातृभाषा हिंदी है। वर्ष 2011 की गणना के अनुसार, लगभग 43.7 फीसदी लोगों ने हिंदी भाषा को अपनी मातृभाषा के रूप में स्वीकार किया है। आज के समय में हिंदी का प्रयोग हर क्षेत्र में उन्नत स्तर पर हो रहा है। लेकिन इसके बाबजूद अधिकतर लोग अन्य देशों की भाषा को अधिक प्राथमिकता देते हैं। भारतवासियों को अपने अंदर यह जागरूकता लानी होगी कि वह अपनी मातृभाषा का विकास करें। स्वयं मातृभाषा का ज्ञान अर्जित करें और प्रोत्साहन करने का प्रयास करें।

निष्कर्ष

मातृभाषा हमारी अभिव्यक्ति व्यक्त करने का जरिया है। लेकिन वर्तमान समय में मातृभाषा का संरक्षण ना मिलने के कारण पांच दशकों में अब तक लगभग 50 मातृ भाषाएं विलुप्त हो चूंकि हैं। मातृभाषा के अस्तित्व को बचाने के लिए तथा सभी में अपनी मातृभाषा की उन्नति की लौ जलाने के लिए प्रत्येक वर्ष 21 फरवरी के दिन अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस भी मनाया जाता है।

दोस्त नमस्कार क्या आप मातृभाषा पर निबंध Essay on mother tongue in Hindi जानना चाहते हैं तो आपने एकदम सही पोस्ट का चुनाव किया है

आज की इस पोस्ट में आपको बताया गया है कि आप मातृभाषा दिवस पर किस प्रकार से निबंध लिख सकते हैं. तो दोस्त आइए मातृभाषा के रूप में हिंदी पर निबंध जानते हैं

मातृभाषा पर निबंध – Matrubhasha Essay in Hindi

मातृभाषा पर निबंध कैसे लिखते हैं? - maatrbhaasha par nibandh kaise likhate hain?

“मातृभाषा बिन व्यर्थ है दुनिया का सब ज्ञान,
पुरखों की है बोली जो, करो उसका सम्मान”

प्रस्तावना

मातृभाषा की हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका होती है. हमारी मातृभाषा हमें सामाजिक स्तर पर परंपरा, इतिहास, और सांस्कृतिक तौर पर जोड़ती है

मातृभाषा संस्कृति की वाहिका होती है. मातृभाषा ही हमें संस्कार और व्यवहार सिखाती है. हमारे देश भारत में भाषाओं की विविधता पाई जाती है जो हमें अपनी मिट्टी और विरासत से भावनात्मक रुप से जोड़कर रखती है

मातृभाषा का अर्थ

जन्म लेने के बाद से ही मनुष्य जो प्रथम भाषा सीखता है उसे ही मातृभाषा कहते हैं. मातृभाषा किसी भी व्यक्ति की सामाजिक भाषाई पहचान होती है

सभी संस्कार एवं व्यवहार इसी के द्वारा हम पाते हैं. इसी भाषा से हम अपनी संस्कृति के साथ जुड़कर उसकी धरोहर को आगे बढ़ाते हैं. भारत में सैकड़ों प्रकार की मातृभाषाएं बोली जाती है जो देश की विविधता और अनूठी संस्कृति को बयान करती है

मातृभाषा को बढ़ावा देने का उद्देश्य

मातृभाषा को बढ़ावा देने का उद्देश्य दुनिया में भाषाई और सांस्कृतिक विविधता और बहुभाषिता को बढ़ावा देना है. आज विश्व में भारत की भूमिका और भी अधिक मायने रखती है क्योंकि एक बहुभाषी राष्ट्र होने के नाते मातृ भाषाओं के प्रति भारत का उत्तरदायित्व कहीं अधिक मायने रखता है

जीवन में मातृभाषा का महत्व

जन्म से हम जिस भाषा का प्रयोग करते है वही हमारी मातृभाषा है. हमारी मातृभाषा हम सभी के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है

भारतेंदु हरिश्चंद्र ने लिखा है – “निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटन न हिय के सूल”

अर्थात मातृभाषा के बिना किसी भी प्रकार की उन्नति संभव नहीं है. हम मातृभाषा के महत्व को इस रूप में समझ सकते हैं कि अगर हमको पालने वाली, ‘माँ’ होती है तो हमारी भाषा भी हमारी माँ है. हमको पालने का कार्य हमारी मातृभाषा भी करती है इसलिए ‘मां’ और ‘मातृभाषा’ को बराबर दर्जा दिया गया है

मातृभाषा में शिक्षण का महत्व

मातृभाषा में शिक्षण बच्चे के मानसिक विकास हेतु बहुत लाभदायक होता है. मातृभाषा के द्वारा हम जो सीखते हैं वह संसार की अन्य किसी भाषा के द्वारा नहीं सीख सकते हैं

किसी भाषा का साहित्य कितना ही धनी क्यों न हो, वह मातृभाषा के साहित्य से अधिक आवश्यक और आदरणीय नहीं हो सकता. मातृभाषा का पाठ्यक्रम में महत्त्वपूर्ण स्थान होता है

मातृभाषा पर ही अन्य सभी विषयों की योग्यता, पूर्णता और सफलता निर्भर होती है तथा उसी पर शिक्षा की सफलता का भार होता है. ज्ञान तथा मस्तिष्क का विकास मातृभाषा द्वारा ही सम्भव हो सकता है

मातृभाषा के रूप में हिंदी

हिंदी हम भारतीयों की मातृभाषा है. हिन्दी हमारी, आपकी और हम सब की भाषा है. वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार में 43.6 फ़ीसदी लोगों ने हिंदी को मातृभाषा स्वीकार किया था

आज हिंदी हर विषय में, हर क्षेत्र में अपना ध्वज फहराते हुए आगे बढ़ती ही जा रही है. चाहे वह विज्ञान का क्षेत्र हो या इंटरनेट की दुनिया, सब जगह हिंदी का बोलबाला है

परन्तु फिर भी ना जाने क्यूँ आज भी कुछ भारतवासी अपनी मातृभाषा को बोलने में गौरव की अनुभूति नहीं कर पाते. भारत में तीन साल के बच्चे को अंग्रेजी भाषा सीखने पर ज्यादा जोर दिया जाता है

आज सभी भारतवासियों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है कि वे अपनी मातृभाषा सीखें, प्रयोग करें और इस धरोहर को संभाल के रखें

उपसंहार

मातृभाषा को संरक्षण नहीं मिलने की वजह से भारत में लगभग 50 मातृ भाषाएं पिछले 5 दशकों में विलुप्त हो चुकी है. आज जरूरत है हमें अपनी-अपनी मातृभाषा को अपनाने की और आने वाली पीढ़ी को सिखाने की ताकि भाषा के जरिए हमारी संस्कृति हमेशा फलती फूलती रहे

मातृभाषाओं के अस्तित्व को बचाने और उनको बढ़ावा देने हेतु प्रत्येक वर्ष 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस भी मनाया जाता है

“फले-फूले और खूब करे विकास,
मातृभाषा हमारी संस्कृति को बनाए खास”

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संक्षेप में

दोस्तों मुझे उम्मीद है आपको मातृभाषा पर निबंध – Matrubhasha Essay in Hindi अच्छा लगा होगा. अगर आपको यह निबंध कुछ काम का लगा है तो इसे जरूर सोशल मीडिया पर शेयर कीजिएगा

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मातृभाषा दिवस पर निबंध कैसे लिखें?

युनेस्को द्वारा प्रतिवर्ष 21 फरवरी 1999 को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाए जाने की घोषणा की थी। जन्म के बाद प्रथम जो भाषा का प्रयोग करते है वही हमारी मातृभाषा है। जन्म से जो हम संस्कार एवं व्यवहार पाते है वे हम इसी के द्वारा पाते है। इसी भाषा से हम अपनी संस्कति के साथ जुड़कर उसकी धरोहर को आगे बढ़ाते है।

मातृभाषा कैसे लिखें?

परिभाषा लिखिए। Answer: वह भाषा या बोली, जो परिवार में बोली जाती है, मातृभाषा कहलाती है। मातृभाषा के ज्ञान के बिना शब्दों एवं कथन का अर्थ समझना सम्भव नहीं है। इसको जाने बिना विचारों का सही व सार्थक आदान-प्रदान नहीं हो सकता।

हमारे जीवन में मातृभाषा का क्या महत्व है?

मातृभाषा हमें राष्ट्रीयता से जोड़ती है और देश प्रेम की भावना उत्प्रेरित भी करती है। मातृभाषा ही किसी भी व्यक्ति के शब्द और संप्रेषण कौशल की उद्गम होती है। एक कुशल संप्रेषक अपनी मातृभाषा के प्रति उतना ही संवेदनशील होगा जितना विषय-वस्तु के प्रति। मातृभाषा व्यक्ति के संस्कारों की परिचायक है।

मातृभाषा क्या है मातृभाषा के बारे में विस्तार से समझाइए?

जन्म लेने के बाद मानव जो प्रथम भाषा सीखता है उसे उसकी मातृभाषा कहते हैं। मातृभाषा, किसी भी व्यक्ति की सामाजिक एवं भाषाई पहचान होती है।