मूल कब से कब तक है? - mool kab se kab tak hai?

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आपका जन्म इस नक्षत्र में हुआ है तो आप मनोहर व्यक्तित्व वाले हैं और आकर्षण आपके चेहरे से ही टपकता है। इसलिए, आप लोगों को आसानी से अपनी ओर खींचते हैं तथा उनको प्रभावित करते हैं। आप समस्या के मूल में जाकर उसे हल करने की क्षमता रखते हैं। आप के विचारों में नम्रता, लचक और आधुनिकता है। मजबूत इरादों व दृढ़ आत्म-बल के साथ-साथ आप महत्वाकांक्षी भी हैं। कई मौकों पर आप कड़े प्रतियोगी और लक्ष्य-साधक भी हो जाते हैं। आप अपने स्पष्ट दृष्टिकोण तथा एकात्मक सोच के लिए भी पहचाने जाते हैं। आप आर्थिक रूप से सफल रहेंगे तथा एक आरामदायक व सुविधा-सम्पन्न जीवन बिताएंगे। आपके लिए आदर्श करियर विकल्पों में राजनीति, सेल्स व मार्केटिंग, वित्त, शेयर बाजार, व्यापार, हाइड्रॉलिक इंजीनियरिंग, नौकायन आदि उपयुक्त क्षेत्र शामिल हैं। हालांकि आपका वैवाहिक जीवन सफल रहेगा, लेकिन आपको अपने साथी से प्रतिस्पर्धा करने के कारण रिश्ते में दरार डालने से बचना पड़ेगा। इस नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति जोड़ों व पीठ आदि के दर्द से पीड़ित रह सकते हैं।

27 नक्षत्रों के नाम इस प्रकार हैं:

Daily Horoscope : जानें सभी राशियों का आज का दैनिक राशिफल? आज के राशिफल में आपके लिए नौकरी, व्यापार, लेन-देन, परिवार और मित्रों के साथ संबंध, सेहत और दिन भर में होने वाली शुभ-अशुभ घटनाओं का भविष्यफल होता है।

हिंदू नक्षत्र में कुल 27 नक्षत्रों का उल्लेख मिलता है, जिसमें कुछ नक्षत्र शुभ है और कुछ अशुभ माने गये हैं। इन अशुभ नक्षत्रों को गंडमूल कहा जाता है।ज्योतिष के अनुसार, इस श्रेणी में आने वाले नक्षत्र हैं अश्विनी, अश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा, मूल और रेवती। इन नक्षत्रों का आप पर शुभ और अशुभ प्रभाव पड़ता है। गंडमूल नक्षत्र में पैदा हुए बच्चों के जीवन में विभिन्न बाधाओं और समस्याएं आती हैं और इन समस्याओं के निवारण के लिए पूजा की आवश्यकता होती है ।

27 नक्षत्रों में केतु व बुध के अधिकार में आने वाले नक्षत्र गंडमूल कहलाते हैं। ये गंडमूल नक्षत्र अपने अंदर अशुभ व मारक प्रभाव रखते हैं ।

1- अश्विनी नक्षत्र- इस नक्षत्र का स्वामी केतु है और देवता अश्विनी कुमार हैं।

2- अश्लेषा नक्षत्र- बुध इस नक्षत्र के स्वामी हैं और सर्प देवता हैं।

3- मघा नक्षत्र- यह केतु का नक्षत्र हैं और पितृ देवता है।

4- ज्येष्ठा नक्षत्र- इस नक्षत्र के स्वामी बुध है और इंद्र देवता हैं।

5- मूल नक्षत्र- मूल नक्षत्र के स्वामी केतु है और राक्षस इसके देवता है।

6- रेवती नक्षत्र- इसके स्वामी बुध हैं और पूषा इसके देवता है।

क्यों होता है गंडमूल नक्षत्र

हिंदू ज्योतिष के अनुसार नक्षत्र, राशि और लग्न के संधि काल को अशुभ माना जाता है और गंडमूल नक्षत्र संधि नक्षत्र होत हैं इसलिए आप पर इसका अशुभ प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है। गंडमूल नक्षत्रों के देवता भी बुरे प्रभाव प्रदान करते हैं। ये नक्षत्र मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु व मीन राशि के आरंभ व अंत में आते हैं। इन राशियों का प्रभाव आपके शरीर, मन, बुद्धि, आयु, भाग्य आदि पर पड़ता है और गंडमूल का प्रभाव भी इन्हीं के ऊपर देखने को मिलता है ।

गंडमूल दोष का प्रभाव

यदि कोई आप गंडमूल नक्षत्र में पैदा होते हैं तो आपको और आपके परिजनों को निम्न कष्टों का सामना करना पड़ सकता है-

1- आपको स्वास्थ्य संबंधी कष्टों का सामना करना पड़ता है ।

1- आपके माता पिता व भाई बहनों के जीवन पर बाधाएं आती हैं ।

1- आपके जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है ।

1- आपको जीवनयापन में संघर्ष का सामना करना पड़ता है ।

1- परिवार में दरिद्रता आती है ।

1- दुर्घटना का भय बना रहता है ।

आपको बता दें कि मघा नक्षत्र के पहले दो चरण में ही माता और पिता को कष्ट होता है, बाकी के दो चरणों में बच्चे को अच्छा खासा धन व उच्च शिक्षा प्राप्त होती है ।

उपचार-

गंडमूल अश्विनी, मूल या मग में पैदा हुए है तो नियमित रूप से भगवान गणेश की पूजा करें, बुधवार या गुरुवार को भूरे रंग के कपड़े दान करें।बच्चे के जन्म के 27वें दिन बाद शांति पूजा किया जाना चाहिए और जब तक शांति पूजा ना हो जाए तब तक पिता को बच्चे का चेहरा नहीं देखना चाहिए ।

गंडमूल अश्लेषा, ज्येष्ठ और रेवती में पैदा हुए बच्चे के लिए बुधवार को हरी सब्जियां, धनिया, पन्ना, भूरे रंग के बर्तन और आंवला का दान करें। शिशु पूजा बच्चे के जन्म के 37वें दिन बाद किया जाना चाहिए, लेकिन 10वीं या 19वें दिन भी किया जा सकता है। यदि ऐसा करना संभव नहीं है तो चंद्रमा जन्म नक्षत्र स्थिति में लौटने पर शांति पूजा करें ।

मूल को अधिकांश शुभ कार्यों के लिये सामान्य माना जाता है। इसीलिये यह शुभ मुहूर्त में स्वीकृत है। यह पृष्ठ वर्ष 2022 में मूल नक्षत्र के सभी दिनों को प्रारम्भ और अन्त समय के साथ सूचीबद्ध करता है।

मूल नक्षत्र के निम्नलिखित गुण हैं -

  • स्वामी : राक्षस
  • स्वभाव : तीक्ष्ण और दारुण
  • आकृति : शेर की पूँछ
  • मुख स्थिति : अधो मुख
  • दृष्टि : सुलोचन
  • तारा संख्या : 11

टिप्पणी: सभी समय १२-घण्टा प्रारूप में Redwood City, संयुक्त राज्य अमेरिका के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
आधी रात के बाद के समय जो आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं, आगामि दिन से प्रत्यय कर दर्शाये गए हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।

मूल नक्षत्र कब से कब तक है 2022?

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मूल नक्षत्र कब से कब तक है 2022 October?

aajtak.in. Panchang 30 October 2022 Sunday: 30 अक्टूबर 2022, दिन-रविवार, कार्तिक मास, शुक्ल पक्ष, षष्ठी तिथि 3.37 बजे तक 31 अक्टूबर तक, मूल नक्षत्र 07.26 बजे तक फिर पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र.

मूल कब से कब तक है 2022 June?

aajtak.in. Panchang 14 June 2022 Tuesday: 14 जून 2022, दिन-मंगलवार, ज्येष्ठ मास, शक्ल पक्ष, पूर्णिमा तिथि 17.21 बजे तक फिर प्रतिपदा तिथि लग जाएगी. ज्येष्ठा नक्षत्र 18.32 बजे तक फिर मूल नक्षत्र लग जाएगा.

मूल कब से कब तक है 2022 April?

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