माइग्रेन का दर्द कहाँ होता है? - maigren ka dard kahaan hota hai?

Migrain vs Headache: सिर में दर्द होना आम बात है. आज की लाइफ में इसका महत्वपूर्ण कारण बदलती दिनचर्या है, जिसमें ना तो सोने का समय है, ना ही जागने का. आमतौर पर लोग सिर में होने वाले किसी भी किस्म के दर्द को माइग्रेन मान लेते हैं, जबकि सच्चाई यह है कि माइग्रेन और सामान्य सिर दर्द अलग-अलग हैं. माइग्रेन का मुख्य लक्षण सिरदर्द ही है लेकिन ये सामान्य रूप से होने वाले सिरदर्द से काफी अलग होता है. 

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यह कतई जरूरी नहीं है कि आपके सिर में होने वाला दर्द माइग्रेन का ही हो. माइग्रेन में आमतौर पर सिर के दाएं या बाएं दोनों में से एक हिस्से में दर्द होता है. माइग्रेन एक गंभीर बीमारी है, जिसका उपचार आसानी से नहीं होता है. माइग्रेन की पीड़ा कुछ घंटों से लेकर कई दिनों तक रहती है. इसलिए ये बेहद जरूरी है कि आप सिरदर्द और माइग्रेन के बीच का अंतर समझें और ऐसा होने पर अपना सही तरह से इलाज कर सकें. तो चलिए आज हम आपको माइग्रेन और सिरदर्द के बीच का अंतर बता रहे हैं.

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क्या है सिरदर्द
सिर में होने वाले सामान्य दर्द की वजह भी अलग होती है. यह थकान, भूख लगने, नींद न आने जैसे कारणों से होता है. यह दर्द अस्थाई होता है, जो थोड़ी देर में ठीक भी हो जाता है. सामान्य सिर दर्द में सिर के दोनों हिस्सों में आंखों के आसपास दर्द होता है, जबकि माइग्रेन में सिर के पिछले हिस्से में या फिर सिर के आधे हिस्से में दर्द होता है. यह दर्द हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकता है. एक सिरदर्द 30 मिनट से एक सप्ताह तक कहीं भी रह सकता है. एक्सपर्ट्स नुसार, सबसे आम सिरदर्द का कारण तनाव है. तनाव, मांसपेशियों में खिंचाव और चिंता के कारण इस तरह सिरदर्द होता है. अब जानते है माइग्रेन के बारे में...

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क्या है माइग्रेन
आपके सिर के एक हिस्से में बहुत ज्यादा दर्द होने लगता है और ऐसा लगने लगता है जैसे कोई हथौड़े से मार रहा हो. यह दर्द सिर के आधे हिस्से में होता है, लेकिन कभी-कभी यह पूरे हिस्से में भी हो सकता है. दर्द की यह स्थिति कुछ घंटों से लेकर कुछ दिन तक रह सकती है. इस दर्द को माइग्रेन, अधकपारी या अर्धशीशी कहते हैं. माइग्रेन सिरदर्द के पीछे रक्‍तवाहिनियों का बड़ा होना और नर्व फाइबर्स की ओर से केमिकल का स्राव करने के संयुक्‍त कारण उत्‍तरदायी होते है.

सिरदर्द के दौरान, खोपड़ी के बिलकुल नीचे स्थित धमनी बड़ी हो जाती है. इसकी वजह से एक केमिकल का स्राव होने लगता है, जो जलन, दर्द और रक्‍तवाहिनी को और चौड़ा करने का काम करता है. वैसे तो माइग्रेन के बहुत से प्रकार हैं, लेकिन मुख्यतौर लोग आप दो तरह के माइग्रेन क्लासिकल और नॉन-क्लासिकल से ज्यादा प्रभावित होते हैं.

माइग्रेन के कारण 
माइग्रेन का सटीक कारण तो अभी तक अज्ञात है, लेकिन यह मस्तिष्क में असामान्य रूप से तंत्रिका संकेतों, केमिकल और रक्त वाहिकाओं को प्रभावित करने वाली असामान्य गतिविधि का परिणाम माना जाता है. अभी यह भी स्पष्ट नहीं है कि मस्तिष्क की गतिविधि में इस बदलाव के क्या कारण हैं.  

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माइग्रेन के लक्षण क्या हैं? 
माइग्रेन की स्थिति में सिर में बहुत तेज दर्द होता है, जो सिर के एक या दोनों ओर हो सकता है. मतलब आसान शब्दों में कहें तो माइग्रेन का दर्द ऐसा होता है जैसे सिर पर कोई जोर से हथौड़ा मार रहा हो. इसका दर्द चार से 72 घंटों तक रह सकता है. माइग्रेन में जी मिचलाने की समस्या होती है, जिससे उल्टी भी हो सकती है. माइग्रेन आपका पाचन खराब कर सकता है और कुछ लोगों में तो माइग्रेन के दौरान ब्लड प्रेशर भी लो हो जाता है.  ऐसे लोग जिनके परिवार में माइग्रेन का इतिहास है, उन्‍हें यह बीमारी होने का खतरा तीन चौथाई अधिक होता है.

माइग्रेन के इलाज के लिए प्रिवेंशन को ही सबसे अच्छा तरीका माना जाता है. दरअसल, माइग्रेन के दर्द के कुछ टि्रगर होते हैं और उन पर ध्यान दिया जाए तो माइग्रेन के दर्द से काफी हद तक निपटा जा सकता है. 

डिस्क्लेमर
इस लेख में दी गई सेहत से जुड़ी तमाम जानकारियों को सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है. इसे किसी बीमारी के इलाज या फिर चिकित्सा सलाह के तौर पर नहीं देखना चाहिए. यहां बताए गए टिप्स पूरी तरह से कारगर होंगे इसका हम कोई दावा नहीं करते हैं. यहां दिए गए किसी भी टिप्स या सुझाव को आजमाने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें.

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माइग्रेन: कारण, उपचार, प्रकार और लक्षण | Migraine in Hindi

Neurology

माइग्रेन क्या है | Migraine Meaning in Hindi

माइग्रेन एक प्रकार का तेज सिरदर्द है। यह घबराहट, उल्टी, या प्रकाश और आवज के प्रति संवेदनशीलता जैसे लक्षणों के साथ हो सकता है। कई लोगों में यह दर्द सिर के एक तरफ ही महसूस होता है। माइग्रेन एक सामान्य अक्षम मस्तिष्क विकार है।विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि माइग्रेन का सिरदर्द अक्षम करने वाली स्थितियों में शीर्ष 10 में है। माइग्रेन अक्सर युवावस्था में शुरू होता है और 35 से 45 वर्ष की आयु के लोगों को सबसे अधिक प्रभावित करता है। डब्लूएचओ के मुताबिक, यह महिलाओं में ज्यादा आम है, आमतौर पर लगभग 2:1 के कारक द्वारा, हार्मोनल प्रभावों के कारण होता है।

माइग्रेन समान्य सिर दर्द से काफी अलग होता है। इसमे जो दर्द होता है वो काफी तेज होता है, और कभी-कभी बर्दाशत से बाहर हो जाता है।माइग्रेन लोगों को कैसे प्रभावित करता है यह भी अलग-अलग हो सकता है। ये ट्रिगर, गंभीरता, लक्षण और फ्रीक़ुएन्सी की एक श्रृंखला है। कुछ लोगों के हर हफ्ते एक से ज्यादा बार ये होते हैं, जबकि अन्य को कभी-कभार ही होते हैं। बच्चों में, माइग्रेन अटैक कम समय के होते हैं और पेट के लक्षण अधिक प्रमुख होते हैं।वैश्विक अध्ययनों से पता चलता है कि दुनिया की लगभग 1% आबादी को क्रोनिक माइग्रेन हो सकता है।

माइग्रेन के लक्षण | Migraine Symptoms in Hindi

माइग्रेन के लक्षण चरणों में होते हैं, जैसे : -

प्रोड्रोम 

सिरदर्द से कुछ घंटे या दिन पहले, माइग्रेन से पीड़ित लगभग 60% लोगों में ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं:

  • प्रकाश, आवाज या गंध के प्रति संवेदनशील होना

  • थकान

  • भोजन की लालसा या भूख की कमी

  • मनोदशा में बदलाव

  • गंभीर प्यास

  • सूजन

  • कब्ज या दस्त

ऑरा

ये लक्षण आपके नर्वस सिस्टम से आता हैं और इसमें अक्सर आपकी दृष्टि शामिल होती है। वे आमतौर पर 5 से 20 मिनट की समय में धीरे-धीरे शुरू होते हैं, और एक घंटे से भी कम समय मे खत्म हो जाता है।  केवल 20% माइग्रेन पीड़ित सिरदर्द शुरू होने से पहले औरा का अनुभव करते हैं। जैसे -

  • काले बिंदु, लहरदार रेखाएं, प्रकाश की चमक या ऐसी चीजें देखें जो वहां नहीं हैं (हेल्लुसिनेसन)

  • बिल्कुल नहीं देख पाना ।

  • आपके शरीर के एक तरफ झुनझुनी या सुन्न हो जाना।

  • साफ-साफ बोल नहीं पाना

  • अपनी बाहों और पैरों में भारीपन महसूस होना

  • आपके कान बजना ।

  • गंध, स्वाद या स्पर्श में बदलाव महसूस होना।

अटैक

एक माइग्रेन का सिरदर्द अक्सर सुस्त दर्द के रूप में शुरू होता है और धीरे-धीरे धड़कते हुए दर्द में बदल जाता है। स्थिति आमतौर पर शारीरिक गतिविधि के दौरान खराब हो जाता है। दर्द आपके सिर के एक तरफ से दूसरी तरफ जा सकता है, आपके सिर के सामने हो सकता है, या ऐसा महसूस हो सकता है कि यह आपके पूरे सिर पर असर कर रहा है।लगभग 80% लोगों को सिरदर्द के साथ मतली और लगभग उल्टी होती है। आप पेल और चिपचिपे भी हो या बेहोशी महसूस कर सकते हैं।

पोस्टड्रोम

यह अवस्था सिरदर्द के एक दिन बाद तक रह सकती है। इसके लक्षणों में शामिल हैं:

  • थकान लगना 

  • असामान्य रूप से तरोताजा या खुश महसूस करना

  • मांसपेशियों में दर्द या कमजोरी

  • भोजन की लालसा या भूख की कमी

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माइग्रेन के कारण | Migraine Causes in Hindi

माइग्रेन के कारण साफतौर पर पता नही है। लेकिन ये दिमाग में होने वाले बदलाव के कारण हो सकते हैं जो इन्हे को प्रभावित करते हैं:-

  • नर्वेस कोम्युनिकेशन

  • रसायनों का संतुलन

  • रक्त वाहिकाएं

आनुवंशिक विशेषताएं भी एक कारण हो सकती हैं, क्योंकि परिवार का इतिहास होना माइग्रेन का एक सामान्य जोखिम कारक है।माइग्रेन से पीड़ित अधिकांश लोगों को आचनाक अटैक आता है, जिसका अर्थ है कि उन्होंने अटैक को ट्रिगर करने के लिए कुछ भी नहीं किया है। इस तरह से कभी-कभी यह रोग व्यवहार करता है। कुछ लोगों को जब  माइग्रेन अटैक आता है जिनका एक पहचान योग्य कारण होता है। हर किसी का अलग-अलग ट्रिगर होते हैं, जिसके कारण माइग्रेन का दर्द शुरु होता है। आज की सोच यह है कि एक माइग्रेन की संभावना तब शुरू होती है जब अति सक्रिय तंत्रिका नर्व्स सेल संकेत भेजती हैं जो आपके ट्राइजेमिनल सेल को ट्रिगर करती हैं, जो आपके सिर और चेहरे को सनसनी देती है। यह आपके शरीर को सेरोटोनिन और कैल्सीटोनिन जीन-संबंधित पेप्टाइड (सीजीआरपी) जैसे रसायनों को छोड़ने का संकेत देता है। सीजीआरपी आपके दिमाग की परत में रक्त वाहिकाए सूज जाता है। फिर, न्यूरोट्रांसमीटर सूजन और दर्द का कारण बनते हैं। लेकिन कुछ सामान्य कारण हैं जो बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित करते हैं। सामान्य ट्रिगर में तनाव, कुछ खाद्य पदार्थ, भोजन छोड़ना, शराब, बहुत अधिक या बहुत कम सोना, मौसम में बदलाव या बैरोमीटर का दबाव, महिलाओं में हार्मोनल बदलाव, और दर्दनाक मस्तिष्क की चोटें शामिल हैं। जबकि माइग्रेन किसी भी लिंग, उम्र, जाति, जातीयता या पृष्ठभूमि के लोगों को प्रभावित कर सकता है, यह महिलाओं में विशेष रूप से आम है।

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माइग्रेन के ट्रिगर का कारण | Migraine triggers Causes in Hindi

1. हार्मोनल परिवर्तन, उदाहरण के लिए, मासिक धर्म के समय के आसपास।

2. भावनात्मक ट्रिगर, जैसे तनाव, अवसाद, चिंता और उत्तेजना।

3. आहार संबंधी कारक, शराब, कैफीन, चॉकलेट, पनीर, खट्टे फल, और टाइरामाइन युक्त खाद्य पदार्थो।

4. दवाएं, जैसे नींद की गोलियां, हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (एचआरटी), और कुछ गर्भनिरोधक गोलियां।

5. पर्यावरणीय कारक, टिमटिमाती स्क्रीन, तेज गंध, सेकेंड हैंड स्मोक, तेज आवाज, भरे हुए कमरे, तापमान में बदलाव और तेज रोशनी।

खाने के चीजे जो माइग्रेन को ट्रिगर कर सकती है | Which Food Causes Migraine in Hindi

1. चॉकलेट

2. डेयरी खाद्य पदार्थ, विशेष रूप से चीज

3. मोनोसोडियम ग्लूटामेट (एमएसजी) वाले खाद्य पदार्थ

4. टाइरामाइन युक्त खाद्य पदार्थ, जिसमें रेड वाइन, पुराने  पनीर, स्मोक्ड मछली, चिकन लीवर, अंजीर और कुछ बीन्स शामिल हैं।

5. फल (एवोकैडो, केला, खट्टे फल)

6. नाइट्रेट युक्त मीट (बेकन, हॉट डॉग, सलामी, क्योर मीट)

7. प्याज

8. मूंगफली और दूसरे नट और बीज

9. प्रोसेसड, फर्मेंटेड, या मसालेदार भोजन।

माइग्रेन का जोखिम कारक -

माइग्रेन की समस्या के सम्भावना कुछ जोखिम कारक के कारण बढ़ जाती है, जैसे -

1. जेंडर - महिलाओं को पुरुषों की तुलना में तीन गुना ज्यादा माइग्रेन की परेशानी होती है।

2. उम्र- ज्यादातर लोगों को माइग्रेन का सिरदर्द 10 से 40 साल की उम्र के बीच होने लगता है। लेकिन कई महिलाओं को पता चलता है कि उनका माइग्रेन 50 साल की उम्र के बाद ठीक हो गया या दूर हो जाता है।

3. परिवार के इतिहास- माइग्रेन से पीड़ित पांच में से चार लोगों के परिवार के दूसरे सदस्य होते हैं जो उन्हें लेते करते हैं। यदि माता-पिता में से किसी एक को इस प्रकार के सिरदर्द का इतिहास रहा है, तो उनके बच्चे में इसके होने की आधा प्रतिशत यानी 50 संभावना होती है। यदि माता-पिता दोनों के पास है, तो जोखिम 75 प्रतिशत तक बढ़ जाता है।

4. मेडिकल कारण- अवसाद, चिंता, बायपोलर विकार, नींद संबंधी विकार और मिर्गी आपकी मुश्किलें बढ़ा सकते हैं।

माइग्रेन का प्रकार | Migraine Types in Hindi

माइग्रेन कई प्रकार के होते है :

1. क्रोनिक माइग्रेन: इसमें प्रति माह 15 दिनों से अधिक समय तक एक एपिसोड होना शामिल है।

2. मासिक धर्म माइग्रेन: यह एक पैटर्न में होता है जो मासिक धर्म चक्र का फोल्लो करता है।

3. एब्डोमिनल माइग्रेन: इसमें माइग्रेन के एपिसोड शामिल होते हैं जो आंत और पेट में अनियमित कार्य से जुड़े होते है। यह मुख्य रूप से 14 साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है।

4. वेस्टिबुलर माइग्रेन: गंभीर चक्कर आना माइग्रेन के इस रूप का एक लक्षण है।

5. हेमिप्लेजिक माइग्रेन: इस माइग्रेन के कारण शरीर के एक तरफ अस्थायी कमजोरी होती है।

6. बेसिलर माइग्रेन: इस दुर्लभ प्रकार को ब्रेनस्टेम ऑरा के साथ माइग्रेन के रूप में भी जाना जाता है, और यह बोलने जैसे न्यूरोलॉजिकल कार्यों को प्रभावित कर सकता है।

इसके अलावा ऑरा और बिना ऑरा के माइग्रेन भी शामिल है माइग्रेन के प्रकार मे ।

क्या माइग्रेन का इलाज हो सकता है ?

माइग्रेन का कोई पक्का इलाज नही है, लेकिन हा इसके लक्षणों का इलाज कर हम इसे काबू मे रख सकते है और जो चीजे माइग्रेन को ट्रीगर करती है उस काम या चीज़ों को करने से दूर रह सकते है।

डॉक्टर से सही सलाह और अक्सर उनके सम्पर्क मे रहने से आपको मदद मिलेगी।

माइग्रेन का बचाव 

हालांकि माइग्रेन का पुख्ता कारण तो नही पता लेकिन कुछ उपायों की मदद से हम इसे बचाव मे मदद मिल सकती है , जैसे की -

  • माइग्रेन के ट्रीगर को पहचाने जैसे की कब दर्द शुरु होता है और किस स्थिति मे यह तेज हो जाता है।

  • तनाव ना ले, अपने दिमाग को तनावमुक्त रखे और बेहतर नींद ले।

  • नशे वाले पदार्थ को सिमित करे।

  • प्रतिदिन योग करे या ध्यान लगाए, शुरुआत आप कुछ मिनट से भी कर सकते है लेकिन इसे निरंतर दिनचर्या मे शामिल करे।

  • स्वस्थ्य आहार का सेवन करे।

  • सर मे किसी तरह का दर्द कई दिनो तक रहे तो डॉक्टर से सम्पर्क करे।

  • खुद को हाईड्रेट रखे, पानी की कमी ना होने दे।

माइग्रेन की घरेलू या प्राकृतिक उपाय -

  • एक अंधेरे, शांत कमरे में अपनी आँखें बंद करके आराम करे।

  • अपने माथे पर आइस पैक लगाएं और सेके ।

  • बहुत सारे तरल पदार्थ पिए ।

  • तनावपूर्ण चीजे ना सोचे।

  • एक नए अध्ययन में पाया गया कि योग माइग्रेन के हमलों की आवृत्ति और गंभीरता को कम करने के लिए एक सहायक उपचार है।

माइग्रेन की जांच 

आपका डॉक्टर आपके स्वास्थ्य इतिहास और आपके लक्षणों के बारे में पूछेगा। यदि आपके पास अपने लक्षणों और आपके द्वारा देखे गए किसी भी ट्रिगर की डायरी है तो यह मदद कर सकता है, जैसे -

आपके माइग्रेन का क्या लक्षण है, ये दर्द कितने दिन तक रहता है।

क्या परिवार मे किसी को माइग्रेन का दर्द रहा है, इत्यादी।

आपका डॉक्टर अन्य चीजों का पता लगाने के लिए इमेजिंग परीक्षण के लिये कह सकता है जो, जिनमें शामिल हैं:

  • रक्त परीक्षण

  • एमआरआई या सीटी स्कैन जैसे इमेजिंग परीक्षण

  • इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राम (ईईजी)

माइग्रेन का इलाज | Treatment of Migraine

माइग्रेन का इलाज इसके के आधर पर किया जाता है, इसका कोई खास दवा नही होता । हार्वर्ड हेल्थ स्कूल के मुताबिक, तीन दवाए को हाल ही स्वीकृति दी गई है जो की माइग्रेन की रोकथाम और सिरदर्द को कम करने मे मदद करेगी । 2018 मे एफडीए ने तीन नई दवाओं को मंजूरी दी - एरेनुमाब (एमोविग), फ्रीमैनेजुमाब (एजोवी), और गैलकेनेज़ुमैब (एमगैलिटी) - ये विशेष रूप से माइग्रेन को रोकने और उनकी आवृत्ति, तीव्रता और समय को कम करने के लिए डिज़ाइन की गई पहली दवाएं है । यह एक बड़ा विकास था, क्योंकि माइग्रेन को रोकने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली अन्य दवाएं अन्य स्थितियों, जैसे दौरे, अवसाद, उच्च रक्तचाप, या अनियमित दिल की धड़कन को नियंत्रित करने के लिए बनाई गई थीं। लेकिन उनके दुष्प्रभाव (जैसे वजन बढ़ना, चक्कर आना, या फजी सोच) अक्सर लोगों को इलाज छोड़ देने का कारण बनते हैं।

यदि आपको बार-बार माइग्रेन होता है, तो आपका अटैक को कम करने के लिए बताये गए दवा ले। इसके प्रभावी होने के लिए आपको हर दिन दवा लेने की जरूरत है।

  • एंटीडिप्रेसन्ट

  • रक्तचाप की दवाएं, जैसे बीटा ब्लॉकर्स दवाएं

  • कैल्सीटोनिन जीन से संबंधित पेप्टाइड एजेंट

बोटुलिनम टॉक्सिन टाइप ए (बोटॉक्स) इंजेक्शन भी माइग्रेन के अटैक को कम करने में मदद कर सकते हैं यदि वे महीने में 15 दिन से ज्यादा होते हैं। माइग्रेन के अटैक को कम करने के लिये ये दवाए उपयोगी है । ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) दर्द की दवाएं, जैसे एसिटामिनोफेन, इबुप्रोफेन, या एस्पिरिन अक्सर आपके माइग्रेन के हल्के होने पर मददगार होती हैं।

निम्नलिखित प्रेस्क्राईब्ड दवाएं माइग्रेन एपिसोड की संख्या को कम करने में मदद कर सकती हैं जिन्हें गंभीर माइग्रेन का अनुभव होता है:

  • टोपिरामेट

  • उच्च रक्तचाप के इलाज के लिए प्रोपेनोलोल

  • अवसादरोधी दवाएं

  • बोटॉक्स

  • गेपेंट

यहा एक बात का ध्यान रखना जरूरी है की आप किसी भी दवा का सेवन खुद से ना करे, डॉक्टर के सलाह पर ही दवा ले।

माइग्रेन के दवा मे सावधानी-

दवाए स्वस्थ्य  परेशानी को दूर करने के लिये जाते है, लेकिन आप भी जानते है की ज़रूरत से ज्यादा दवा की डोज लेना नुकसानदेह भी हो सकता है।

  • सप्ताह में 3 दिन से अधिक दवाएँ लेने से सिरदर्द फिर से हो सकता है। ये ऐसे सिरदर्द हैं जो दर्द की दवा के ज्यादा इस्तेमाल से बार-बार वापस आते रहते हैं।

  • बहुत अधिक एसिटामिनोफेन लेना आपके लीवर को नुकसान पहुंचा सकता है।

  • बहुत ज्यादा इबुप्रोफेन या एस्पिरिन आपके पेट या किडनी को परेशान कर सकता है।

कुछ माइग्रेन की दवाएं रक्त वाहिकाओं को संकुचित करती हैं। यदि आपको दिल का दौरा पड़ने या हृदय रोग होने का खतरा है, तो इन दवाओं का उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से बात करें। कुछ माइग्रेन की दवाओं का सेवन गर्भवती महिलाओं को नहीं करना चाहिए। अपने डॉक्टर से बात करें कि यदि आप गर्भवती हैं या गर्भवती होने की योजना बना रही हैं तो आपके लिए कौन सी दवा सही होगी।

परिणाम

माइग्रेन एक मेडिकल स्थिति है जिसमे तेज सिर दर्द शामिल होता है। यह कई तरीको से रोजमर्रा की जिंदगी पर असर करता है। माइग्रेन किसी भी उम्र के व्यक्ति हो सकता है। लेकिन इसके जोखिम को अपने ट्रीगर को पहचान कर कम कर सकते है या जो चीजे इसे बढ़ा सकती है उनसे बचाव कर सकते है। माइग्रेन का जांच कर और इसके लक्षणों के आधर पर इलाज, और दवाए दी जाती है। एक-दो दिन के सर दर्द को माइग्रेन ना माने, बल्कि डॉक्टर को दिखाए और उनके सलाह के अनुसार काम करे।

माइग्रेन किसकी कमी से होता है?

मैग्नीशियम की कमी से सिरदर्द और माइग्रेन की समस्या हो सकती है. मैग्नीशियम सप्ली‍मेंट्स लेने से माइग्रेन दर्द में राहत मिल सकता है. शरीर में विटामिन डी की कमी से भी माइग्रेन का अटैक पड़ सकता है.

माइग्रेन की सबसे अच्छी दवा कौन सी है?

माइग्रैनेक्स 10 टैबलेट एक दवा है जिसका इस्तेमाल माइग्रेन की रोकथाम के लिए किया जाता है. हालांकि, यह एक एक्यूट हमले का इलाज नहीं कर सकता और यह माइग्रेन की रोकथाम के लिए केवल तब तक काम करेगा जब तक आप इस दवा को लेना जारी रखेंगे. यह दवा मस्तिष्क को आराम देती है, माइग्रेन सिरदर्द को रोकती है.

माइग्रेन के दर्द की क्या पहचान है?

आम तौर पे माइग्रेन का मुख्य लक्षण सिर की एक ओर तीव्र सिरदर्द का होना है। दर्द अक्सर एक नियंत्रित अथवा कष्टदायक झनझनाहट वाला होता है जो आपकी हलचल से बढ़ जाता है और आपको सामान्य गतिविधियां करने से रोकता है। कुछ मामलों में, दर्द सिर की दोनों ओर हो सकता है और आपके चेहरे अथवा गर्दन को पीड़ित कर सकता है।

माइग्रेन की बीमारी कैसे होती है?

माइग्रेन के कारण माइग्रेन का सटीक कारण ज्ञात नहीं है, हालांकि यह माना जाता है कि यह मस्तिष्क में रसायन, नाड़ियों और रक्त कोशिकाओं में अल्पकालिक परिवर्तनों के कारण होता है। माइग्रेन का अनुभव करने वालों में से लगभग आधे व्यक्तियों का कोई निकट रिश्तेदार भी इससे ग्रसित होता है, जिससे वंशाणुओं को कारक होना माना जा सकता है।